Bihar Board class 7 Hindi chapter 16 – “बूढ़ी पृथ्वी का दुख” solutions are available here. Today we will present you with expert written answers for all the questions from chapter 6 in hindi.
यह एक काव्यात्मक पाठ है जिसमें पृथ्वी को जीवंत प्राणी के रूप में चित्रित किया गया है। कवि ने पृथ्वी को बूढ़ी कहकर संबोधित किया है और उसके दुखों को बयां किया है। वे पेड़ों की कटाई, नदियों के प्रदूषण, पहाड़ों के विस्फोट और हवा के प्रदूषण जैसी मानवीय क्रियाओं से होने वाले पृथ्वी के कष्टों का वर्णन करते हैं।
Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 16 Solutions
Subject | Hindi |
Class | 7th |
Chapter | 16. बूढ़ी पृथ्वी का दुख |
Author | |
Board | Bihar Board |
पाठ से –
प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: स्वयं करे
प्रश्न 2. नदियों के रोने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: नदियों के रोने से तात्पर्य है कि पर्यावरण की खराब स्थिति के कारण नदियों में पानी की कमी हो गई है और वे गंदी हो गई हैं। इससे नदियाँ अपनी स्वच्छता और जीवंतता खो रही हैं, जिससे वे रो रही हैं। यह पर्यावरण के प्रति हमारी उदासीनता का परिणाम है।
पाठ से आगे –
प्रश्न 1. पृथ्वी को बूढ़ी क्यों कहा गया है ?
उत्तर: पृथ्वी को “बूढ़ी” कहा गया है क्योंकि इस ग्रह पर लगातार होने वाला प्राकृतिक तथा मानव-जनित विनाश इसकी आयु को कम करता जा रहा है। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन पृथ्वी को धीरे-धीरे कमजोर और बूढ़ा बना रहा है। इस तरह पृथ्वी अपनी मूल उर्वरता और जीवन-क्षमता खो रही है, जिसे “बूढ़ी” कहा जा रहा है।
प्रश्न 2. पेड़ का कटकर गिरना एवं पेड़ का टूटकर गिरना में क्या अंतर है?
उत्तर: जब किसी पेड़ को मनुष्य द्वारा कटा जाता है, तो वह कटकर गिर जाता है। लेकिन जब पेड़ अपने स्वाभाविक वजन या बाहरी कारणों जैसे आंधी, हवा या भारी बारिश के कारण टूट जाता है, तो उसे “टूटकर गिरना” कहा जाता है। इस प्रकार कटकर गिरना मनुष्य द्वारा किया गया कृत्य है, जबकि टूटकर गिरना प्राकृतिक कारणों से होता है।
प्रश्न 3. पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने हेतु आप क्या कर सकते हैं ?
उत्तर: पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:
- अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना और मौजूदा पेड़ों की देखभाल करना।
- नदियों, झीलों और जलस्रोतों की सफाई और संरक्षण करना।
- कारखानों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक उत्सर्जन को कम करना।
- प्लास्टिक और अन्य गैर-जैव-अपघटनीय कचरे का उचित निपटान सुनिश्चित करना।
- पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाना और अन्य लोगों को भी प्रेरित करना।
इन कदमों से हम पृथ्वी को प्रदूषण से बचा सकते हैं और इसकी सुंदरता और समृद्धि को बनाए रख सकते हैं।