Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 12 Solutions – जन्म-बाधा

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इस अध्याय में एक ग्रामीण परिवेश की 12 वर्षीय गुड्डी नामक लड़की के बारे में पढ़ने को मिलेगा। गुड्डी घरेलू कार्यों में व्यस्त रहने के कारण अपने अधिकार से वंचित रह गई है। वह एक बंधुआ मजदूर की तरह अपने घर में ही रहकर कठिन से कठिन कार्य करने को मजबूर है। वह न तो स्कूल जा सकती है और न ही अपनी इच्छानुसार कोई दूसरा कार्य कर पाती है। परिवार के अन्य सदस्यों की उपेक्षा के कारण उसकी अपनी मर्जी बिलकुल दबी हुई है।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 12

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 12 Solutions

SubjectHindi
Class7th
Chapter12. जन्म-बाधा
Authorसुधा
BoardBihar Board

पाठ से –

प्रश्न 1. गुड्डी अपनी तुलना, बंधुआ मजदूर से क्यों करती है?

उत्तर: गुड्डी बंधुआ मजदूर की तुलना करती है क्योंकि उसे भी अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रखा जाता है। वह भी लगातार कठिन काम करने को मजबूर है और सुस्ताने का भी अवसर नहीं मिलता। लोग उसे “सुस्त” कहकर हीन समझते हैं, जैसे बंधुआ मजदूरों के साथ होता था। इसलिए वह अपने स्थिति को बंधुआ मजदूरों की स्थिति से तुलना करती है।

प्रश्न 2. माँ-बाप के लिए चाय बनाकर लाते समय उसके पैरों में फुर्ती आ गई क्यों?

उत्तर: गुड्डी को विश्वास है कि प्रधानमंत्री जल्द ही उसे इन कामों से मुक्त करवा देंगे। इस आशा के कारण ही, माता-पिता के लिए चाय बनाकर लाते समय, उसके पैरों में फुर्ती आ गई। वह जानती थी कि जल्द ही उसे इन सारे कामों से छुटकारा मिल जाएगा।

प्रश्न 3.

(क) “लेकिन क्यों नहीं सुनी जायेगी मेरी बात । हिम्जे गलत हों, पर बात तो सही है।” ऐसा गुड्डी ने क्यों सोचा?

उत्तर: गुड्डी ने ऐसा सोचा क्योंकि वह जानती थी कि उसके वर्ण या रंग गलत हो सकते हैं, लेकिन उसकी बात सही है। वह बंधुआ मजदूरों के समान व्यवहार से परेशान थी और चाहती थी कि लोग उसकी बात सुनें और उसके साथ न्याय करें।

(ख) यह वाक्य गुड्डी के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को दर्शाता है?

उत्तर: यह वाक्य गुड्डी के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं को दर्शाता है:

  • दृढ़ विश्वास: वह अपनी बात पर विश्वास रखती है, भले ही उसका वर्ण गलत हो।
  • आत्मविश्वास: वह जानती है कि उसकी बात सही है, भले ही लोग उसे गलत मानते हों।
  • निडरता: वह अपनी बात कहने में डरती नहीं है, चाहे उसका वर्ण गलत हो या न हो।

प्रश्न 3.

(क) “टिकट कहाँ से लाऊँ ? बिना टिकट के ही भेज देती हूँ। वे तो समझ ही जाएंगे।” गुड्डी ने ऐसा क्यों सोचा?

उत्तर: गुड्डी ने ऐसा सोचा क्योंकि उसे घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी। इस कारण उसके पास टिकट लाने का कोई अवसर नहीं था। इसलिए उसने सोचा कि वह बिना टिकट के ही भेज दिया जाएगा, क्योंकि लोग समझ जाएंगे कि उसके पास टिकट लाने का साधन नहीं है।

(ख) यह वाक्य गुड्डी के किस पक्ष को दर्शाता है?

उत्तर: यह वाक्य गुड्डी की विवशता और दृढ़ विश्वास को दर्शाता है। वह जानती है कि उसे टिकट लाने की अनुमति नहीं है, लेकिन फिर भी वह उसे भेजने की कोशिश करती है, क्योंकि उसे विश्वास है कि लोग उसकी स्थिति को समझ जाएंगे।

प्रश्न 4. पठित पाठ के आधार पर आपके मस्तिष्क में जो दृश्य उत्पन्न होता है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: पाठ को पढ़कर मेरे मन में एक दृश्य उत्पन्न हुआ है। मेरे घर के पास एक मुसलमान परिवार रहता है, जिसमें एक लड़की रूक्साना है। रूक्साना सुबह सबसे पहले उठती है और अपने चार भाइयों को तैयार करने के साथ-साथ घर के सारे काम करती है। उसके चारों भाई प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन रूक्साना को स्कूल नहीं भेजा जाता। एक दिन रूक्साना जोर-जोर से रोती हुई दिखाई दी, क्योंकि वह भी पढ़ना चाहती थी। हमने उसके पिता से मिलकर उन्हें समझाया कि लड़कियों का भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। अगले दिन ही मैंने देखा कि रूक्साना अपने चारों भाइयों के साथ स्कूल जा रही है। यह दृश्य मेरे मन में उत्पन्न हुआ है।

पाठ से आगे –

प्रश्न 1. इस कहानी का शीर्षक “जन्म-बाधा” है। आपकी दृष्टि में ऐसा शीर्षक क्यों दिया गया है?

उत्तर: इस कहानी का शीर्षक “जन्म-बाधा” इसलिए दिया गया है क्योंकि यह कहानी एक लड़की गुड्डी की जिंदगी के बारे में है, जिसे जन्म से ही कई तरह की बाधाओं और रुकावटों का सामना करना पड़ता है।

लड़कियों को पढ़ाने-लिखाने और उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती। उनको घर के काम-काज में ही व्यस्त रख दिया जाता है। गुड्डी भी इसी तरह की स्थिति में है, जहाँ उसे अपने भाइयों की तरह स्कूल जाने की अनुमति नहीं मिलती।

इसी प्रकार की बाधाओं का सामना करते हुए गुड्डी अपने भविष्य को बनाने की कोशिश करती है। इसलिए “जन्म-बाधा” शीर्षक इस कहानी के प्रमुख विषय को प्रतिबिंबित करता है।

प्रश्न 2. किन-किन बातों से पता चलता है कि गुड्डी अपनी मुक्ति के लिए दृढ़ संकल्प थी?

उत्तर: गुड्डी की मुक्ति के लिए दृढ़ संकल्प होने का पता निम्नलिखित बातों से चलता है:

  • वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी मुक्ति मांगती है, जो उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करता है।
  • वह खुद को बंधुआ मजदूर के समान मानती है, जो उसकी स्थिति के प्रति उसकी गहरी समझ को दर्शाता है।
  • वह अध्ययन करने की इच्छा रखती है, जो उसकी मुक्ति प्राप्त करने के लिए उसकी आकांक्षा को दर्शाता है।
  • वह अपने परिवार और समाज की रुढ़िवादी मान्यताओं का सामना करने के लिए तैयार है, जो उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करता है।
  • इन सभी बातों से यह स्पष्ट होता है कि गुड्डी अपनी मुक्ति के लिए पूरी तरह दृढ़ संकल्प थी।

प्रश्न 3. अपनी मुक्ति के लिए गुड्डी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखती है। इससे इसके माता-पिता परेशानी में पड़ सकते हैं। गुड्डी के इस व्यवहार पर तर्क सहित विचार कीजिए।

उत्तर: गुड्डी के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने से उसके माता-पिता को परेशानी हो सकती है, क्योंकि इससे उन्हें समाज में बदनामी का खतरा हो सकता है। साथ ही, गुड्डी के कार्य से उनके रूढ़िवादी विचारों और मूल्यों पर सवाल उठ सकते हैं।

हालांकि, इसके साथ-साथ यह भी देखना जरूरी है कि गुड्डी का यह कदम उसकी स्वाभिमान और आत्मसम्मान का प्रतीक है। वह अपने अधिकारों के लिए लड़ रही है और अपनी मुक्ति पाने के लिए प्रयासरत है। यह उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्षशीलता को दर्शाता है।

इस संदर्भ में, गुड्डी के माता-पिता को भी उसकी इस कोशिश का समर्थन करना चाहिए। उन्हें अपने रूढ़िवादी विचारों को बदलना होगा और गुड्डी को शिक्षा और स्वतंत्रता देनी चाहिए। प्रधानमंत्री भी इस मामले में गुड्डी के परिवार की मदद कर सकते हैं ताकि गुड्डी को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिले।

कुछ करने को –

प्रश्न 1. उन कारणों का पता लगाइए जो छोटी-छोटी लड़कियों पर बड़ी जिम्मेदारियाँ लादने के लिए जिम्मेदार हैं।

उत्तर:
छोटी-छोटी लड़कियों पर बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियाँ लाद दी जाती हैं, इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:

  • परंपरागत सामाजिक मान्यताएँ: समाज में रूढ़िवादी सोच प्रवालित है, जिसके अनुसार लड़कियों को घर के कामों में लगा देना ही उनका मूल उद्देश्य माना जाता है।
  • लिंग-भेदभाव: समाज में लड़कियों को लड़कों से कम माना जाता है। इसलिए उन्हें घर के कामों में लगा दिया जाता है।
  • गरीबी: कमजोर आर्थिक स्थिति में परिवारों में लड़कियों को स्कूल न भेजकर घर के कामों में लगा दिया जाता है।
  • असमानता: लड़कों को शिक्षा और स्वतंत्रता दी जाती है, जबकि लड़कियों को घर के कठिन कामों में लगा दिया जाता है।
  • अशिक्षा: माता-पिता का अशिक्षित होना भी इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।

इन कारणों से छोटी-छोटी लड़कियों पर बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियाँ थोप दी जाती हैं, जो उनके विकास को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कार्य कौन करता है ?
(क) गुड़ियों से खेलना।
(ख) सिलाई-बुनाई का कार्य करना।
(ग) झाडू-बर्तन चौका का काम करना ।
(घ) घर में अपने छोटे भाई-बहनों को संभालना।
सभी प्रश्नों का उत्तर “लड़की” है सोचिए क्या सही है?

उत्तर: सभी के उत्तर “लड़की” सही है।

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