Our free guide on Bihar Board class 7 Hindi chapter 13 is available here. This guide contains a complete set of solutions for all the questions from chapter 13 – “शक्ति और क्षमा” in hindi.
यह पाठ राम और समुद्र के बीच हुए एक प्रसंग पर आधारित है। इसमें शक्ति और क्षमा के महत्व को उजागर किया गया है। राम अपने बन-वास के दौरान समुद्र पार करना चाहते थे लेकिन समुद्र ने उनकी बात नहीं सुनी। तब राम ने अपनी शक्ति का परिचय दिया और समुद्र को वश में कर लिया। यहाँ यह दर्शाया गया है कि क्षमा और विनय का भी अपना महत्व है, लेकिन उसके साथ-साथ शक्ति का होना भी आवश्यक है।
Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 13 Solutions
Subject | Hindi |
Class | 7th |
Chapter | 13. शक्ति और क्षमा |
Author | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ |
Board | Bihar Board |
पाठ से –
प्रश्न 1. इस कविता के माध्यम से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: इस कविता के माध्यम से हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण सीख मिलती है:
- क्षमा, दया और विनम्रता का महत्व: कविता में दर्शाया गया है कि क्षमा, दया और विनम्रता का गुण वास्तव में ताकतवर लोगों में ही शोभा देता है। मजबूर या कमजोर लोगों में ये गुण उतने प्रभावशाली नहीं होते।
- शक्ति का सही उपयोग: कविता संदेश देती है कि अपनी शक्ति या ताकत का उपयोग करते समय हमें क्षमा, दया और विनम्रता का भाव रखना चाहिए। यही सच्चे पौरुष का लक्षण है।
- संतुलन का महत्व: कविता हमें यह भी सिखाती है कि शक्ति और कोमलता का संतुलन बनाए रखना चाहिए। केवल शक्ति या केवल कोमलता में उत्कृष्टता नहीं होती। अर्थात्, कविता के माध्यम से हमें यह महत्वपूर्ण सीख मिलती है कि शक्ति का सही और संतुलित उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न 2. वे कौन-सी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने राम को धनुष उठाने पर बाध्य किया ?
उत्तर: राम को धनुष उठाने पर बाध्य करने वाली परिस्थितियाँ निम्नलिखित थीं:
राम को लंका जाना था, जहाँ उन्हें अपनी सेना के साथ जाना था।
पहले राम ने समुद्र के सामने विनम्रता का भाव प्रकट किया, लेकिन समुद्र ने उनकी प्रार्थना पर ध्यान नहीं दिया।
इस प्रकार, विवश होकर राम को धनुष उठाना पड़ा, ताकि वह समुद्र को पार कर लंका पहुँच सकें।
अर्थात्, लंका जाने की आवश्यकता और समुद्र की अविनम्रता ने राम को धनुष उठाने पर मजबूर किया। वे संकट में थे और उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
प्रश्न 3. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए-
क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो।
उसको क्या, जो दंतहीन,
विषहीन, विनीत, सरल हो।
उत्तर: इन पंक्तियों का अर्थ है कि:
क्षमा और दया उस साँप को शोभा देती है जिसके पास विष हो। लेकिन जो साँप दंतहीन, विषहीन, विनम्र और सरल हो, उसे क्षमा या दया का कोई महत्व नहीं होता।
अर्थात्, शक्तिशाली और ताकतवर व्यक्तियों में क्षमा, दया और विनम्रता का गुण दिखना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी शक्ति को और अधिक प्रभावशाली बनाता है। लेकिन कमजोर या मजबूर लोगों में ये गुण उतना प्रभावशाली नहीं होते।
पाठ से आगे –
प्रश्न 1. दिनकर के इस भाव से आप कहाँ तक सहमत हैं कि समाज शक्तिशाली की ही पूजा करता है । अभावहीन, निर्बल व्यक्ति को समाज में कोई नहीं पूछता। इन पर आप अपना विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: दिनकर जी के इस भाव से मैं आंशिक रूप से सहमत हूं। यह सच है कि समाज में सामान्यतः शक्तिशाली, प्रभावशाली और संपन्न लोगों का ही सम्मान और पूजन होता है। लेकिन यह भी सही है कि कमजोर, गरीब और निर्बल लोगों को समाज में उपेक्षित और अनदेखा किया जाता है।
हालांकि, मेरा मानना है कि यह समाज का गलत रवैया है। हर व्यक्ति की अपनी महत्ता और गरिमा होती है, चाहे वह शक्तिशाली हो या निर्बल। हमें सभी लोगों का समान सम्मान और सम्मान करना चाहिए। निर्बल और गरीब लोगों की भी समाज में पहचान और महत्ता होनी चाहिए। उन्हें भी उचित अवसर और सुविधाएं मिलनी चाहिए ताकि वे भी समाज में अपनी पहचान बना सकें।
इस प्रकार, जबतक समाज में समानता और न्याय नहीं होगा, तबतक हमारा समाज पूर्णता से विकसित नहीं हो सकता। हमें सभी लोगों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाना होगा।
व्याकरण –
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –
उत्तर:
- भुंजग – सर्प, साँप, अहि।
- रघुपति – राम, कौशल्या नन्दन, राघव।
- सिंधु – समुद्र, जलनिधि ।
- शर – बाण, तीर ।
- कायर – पौरुषहीन, कर्महीन ।