Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 12 Solutions – शिक्षा और संस्कृति

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बिहार बोर्ड की कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का बारहवाँ अध्याय “शिक्षा और संस्कृति” महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित एक महत्वपूर्ण पाठ है। इस पाठ में गांधीजी की शिक्षा, संस्कृति और धर्म संबंधी मौलिक अवधारणाओं को प्रस्तुत किया गया है। गांधीजी ने व्यावहारिक शिक्षा पर बल दिया है, जो दस्तकारी और उद्योगों के माध्यम से दी जाए। उन्होंने भारतीय संस्कृति को विभिन्न जातियों और धर्मों के समन्वय का परिणाम माना है। साथ ही, उन्होंने भारतीय धर्म को एक खुला, समन्वयवादी और मानव हितकारी धर्म बताया है।

Bihar Board class 10 Hindi chapter 12

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 12 Solutions

SubjectHindi
Class10th
Chapter12. शिक्षा और संस्कृति
Authorमहात्मा गाँधी
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 12 Question Answer

प्रश्न 1. गाँधी जी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं?

उत्तर- गाँधी जी के अनुसार, बढ़िया शिक्षा वह है जो बच्चों को सत्य, प्रेम और आत्मा की शक्तियों का ज्ञान देती है। यह शिक्षा बच्चों को जीवन में प्रेम से घृणा को, सत्य से असत्य को, और कष्ट-सहन से हिंसा को जीतना सिखाती है। उनका मानना था कि यह ज्ञान बच्चों को अक्षर ज्ञान से पहले मिलना चाहिए। इस प्रकार की शिक्षा बच्चों के चरित्र का निर्माण करती है।

प्रश्न 2. इन्द्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग सीखना क्यों जरूरी है ?

उत्तर- इन्द्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग सीखना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह बुद्धि के विकास का सबसे अच्छा तरीका है। गाँधी जी का मानना था कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास एक साथ होना चाहिए। केवल बुद्धि का विकास पर्याप्त नहीं है, बल्कि हृदय की शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इससे बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है।

प्रश्न 3. शिक्षा का अभिप्राय गांधी जी क्या मानते हैं?

उत्तर- गाँधी जी के अनुसार, शिक्षा का अभिप्राय है बच्चे के शरीर, बुद्धि और आत्मा के सभी अच्छे गुणों को विकसित करना। उनका मानना था कि केवल पढ़ना-लिखना ही शिक्षा नहीं है। वे चाहते थे कि बच्चों को उपयोगी कौशल सिखाए जाएँ, जिससे वे उत्पादन कार्य कर सकें। गाँधी जी ने व्यावहारिक शिक्षा पर जोर दिया।

प्रश्न 4. मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास कैसे संभव है?

उत्तर- गाँधी जी के अनुसार, मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास तब संभव है जब शिक्षा व्यावहारिक हो। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों को दस्तकारी या उद्योग के माध्यम से शिक्षा दी जाए। इसमें हर प्रक्रिया का वैज्ञानिक कारण समझाया जाना चाहिए। उन्होंने स्वच्छता, स्वास्थ्य, और स्वावलंबन की शिक्षा पर भी बल दिया।

प्रश्न 5. गाँधी जी कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योगों द्वारा सामाजिक क्रांति कैसे संभव मानते थे?

उत्तर- गाँधी जी का मानना था कि कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योग सामाजिक क्रांति ला सकते हैं। ये उद्योग शहर और गाँव के बीच स्वस्थ संबंध बना सकते हैं। इससे ग्रामीण जीवन का विकास होगा और अमीर-गरीब का भेद कम होगा। गाँधी जी इन उद्योगों को समाज की बुराइयों को दूर करने का माध्यम मानते थे।

प्रश्न 6. शिक्षा का ध्येय गाँधी जी क्या मानते थे और क्यों?

उत्तर- गाँधी जी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य चरित्र-निर्माण मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा से व्यक्ति में साहस, शारीरिक बल और अच्छे आचरण जैसे गुण विकसित होने चाहिए। ये गुण व्यक्ति को बेहतर नागरिक बनाते हैं। गाँधी जी का विश्वास था कि अच्छे चरित्र वाले लोग समाज को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। इसलिए वे शिक्षा में चरित्र निर्माण पर जोर देते थे।

प्रश्न 7. मांधीजी देशी भाषाओं में बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य बमों आवश्यक मानते थे?

उत्तर- गाँधीजी देशी भाषाओं में अनुवाद को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे। उनका कहना था कि अनुवाद से लोग दूसरी भाषाओं के विचारों और ज्ञान को आसानी से समझ सकते हैं। अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषाओं में मौजूद ज्ञान को अपनी मातृभाषा में पाना आसान होता है। गाँधीजी चाहते थे कि सभी महत्वपूर्ण किताबों का अनुवाद देशी भाषाओं में हो, ताकि हर कोई उन्हें पढ़ और समझ सके।

प्रश्न 8. दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति की महरी सबा को जरूरी है?

उत्तर- गाँधीजी का मानना था कि पहले अपनी संस्कृति को अच्छी तरह जानना चाहिए। हमारी संस्कृति में बहुत कुछ सीखने लायक है। जब हम अपनी संस्कृति को अच्छी तरह समझेंगे, तब हम दूसरी संस्कृतियों की अच्छी बातों को भी समझ पाएंगे। अपनी संस्कृति को जानने से हमारा चरित्र मजबूत होता है। यह हमें दूसरी संस्कृतियों से सीखने में मदद करता है। इसलिए पहले अपनी और फिर दूसरी संस्कृतियों को जानना चाहिए।

प्रश्न 9. अपनी संस्कृति और मातृभाषा की बुनियाद पर दूसरी संस्कृतियों और भाषाओं से सम्पर्क क्यों बनाया जाना चाहिए? मांधी जी की सब स्पष्ट कीजिहा

उत्तर- गाँधीजी कहते थे कि हमें अपनी संस्कृति और मातृभाषा को महत्व देना चाहिए। हमारी मातृभाषा हमें तेजी से सीखने में मदद करती है। अपनी संस्कृति हमें जीवन में आगे बढ़ने में सहायता करती है। लेकिन हमें दूसरी संस्कृतियों और भाषाओं से भी सीखना चाहिए। गाँधीजी चाहते थे कि हम अपनी जड़ों को मजबूत रखें, पर साथ ही दूसरों से भी अच्छी बातें सीखें। इस तरह हम अपना और अपने देश का विकास कर सकते हैं।

प्रश्न 10. गांधी जी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं और क्यों?

उत्तर- गांधीजी मानते थे कि भारत के लिए विभिन्न संस्कृतियों का मेल-जोल सबसे अच्छा है। उनका कहना था कि भारत में कई संस्कृतियाँ एक साथ रहती हैं। ये संस्कृतियाँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। गांधीजी चाहते थे कि यह मेल-जोल प्राकृतिक और देशी तरीके से हो। उनका मानना था कि इस तरह के सामंजस्य में हर संस्कृति का अपना महत्व बना रहेगा। यह भारत की विविधता को बनाए रखने में मदद करेगा।

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 12 आशयस्कर करें

(क) मैं चाहता हूं कि सारी शिक्षा विकसी दस्तकारी या उद्योगों के द्वारा दी जाए।

व्याख्या- गाँधीजी चाहते थे कि शिक्षा व्यावहारिक हो। उनका मानना था कि दस्तकारी और उद्योगों के माध्यम से दी गई शिक्षा बच्चों को जीवन के लिए तैयार करेगी। इससे गाँवों में रोजगार बढ़ेगा और कुटीर उद्योगों का विकास होगा। ऐसी शिक्षा से बच्चों का शारीरिक, मानसिक और आर्थिक विकास होगा। वे स्वावलंबी बनेंगे और अपनी संस्कृति को समझेंगे। गाँधीजी का मानना था कि यह शिक्षा पद्धति समाज को खुशहाल बनाएगी।

(ख) इमारत में आर्वसम्मति सी कोई चीननद नहीं है।

व्याख्या- गाँधीजी कहते थे कि भारत की संस्कृति केवल आर्यों की नहीं है। उनका मानना था कि हमारी संस्कृति कई जातियों और धर्मों के मिलने से बनी है। वे इस बहस में नहीं पड़ना चाहते थे कि आर्य कहाँ से आए या कौन मूल निवासी थे। गाँधीजी के अनुसार, आज की पीढ़ी इन सभी के मिश्रण का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भारत में शक, हूण, कुषाण, आर्य, अनार्य सभी का मिश्रण है।

(स) मेस धर्म कैदखाने का बर्ष नहीं है।

व्याख्या- गाँधीजी कहते थे कि भारतीय धर्म किसी पर जबरदस्ती नहीं थोपा जाता। यह प्रेम और एकता का धर्म है। उनका मानना था कि भारतीय धर्म में सभी को स्वतंत्रता है और यह सभी धर्मों का सम्मान करता है। गाँधीजी ने कहा कि यह धर्म पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है। उन्होंने भारतीय धर्म को खुला, व्यापक और मानव हित में मानने वाला बताया। यह धर्म सोचने की आजादी और दूसरों के विचारों का सम्मान करना सिखाता है।

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 12 भाषा की बात

प्रश्न 1. निम्नलिखित के विग्रह करते हुए समास के प्रकार बताए

उत्तर- बुद्धिपूर्जक – बुद्धि से युक्त – तत्पुरुष
हृदयांकित – हृदय में अंकित – तत्पुरुष
सर्वांगीण – सभी अंगों के साथ – अव्ययीभाव
अविभाज्य – जो विभाजित नहीं है – नब समास
भोजनशास्त्र – भोजन का शास्त्र – तत्पुरूष
उत्तरार्ध – बाद का – तत्पुरूष
रक्तरंजित – रक्त से रंजित – तत्पुरूष
कूपमंडूक – कुंए का मेढ़क – तत्पुरूष
अग्रदूत – आगे चलने वाला – कर्मधारय
एकांगी – एक ही अंग का – कर्मधारय

प्रश्न 2. निम्नलिखित के पर्यायवाची बताएँ

उत्तर- शारीरिक = शरीर, देह
प्रगट = प्रत्यक्ष, सामने
दस्तकारी = हस्तकौशल, हाथ की गारीगरी
मौजूदा = उपस्थित, मौजूद
कोशिश = प्रयास
परिणाम = प्रतिफल
तालीम = शिक्षा, विद्या
पूर्वज = पुरखे

प्रश्न 3. निम्नलिखित के संधि-विच्छेद करें-

उत्तर- साक्षर = स + अक्षर
एकांगी = एक + अंगी।
उत्तरार्ध = उत्तर + अर्थ
स्वावलंबन = स्व + अवलंबन
संस्कृति = सम् + कृति
बहिष्कार = बहिः + कार
प्रत्यक = प्रति + एक
अध्यात्म = अधि + आत्म

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