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बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी वर्णिका की पाठ्यपुस्तक का पहला अध्याय ‘दही वाली मंगम्मा’ एक मार्मिक कहानी है जो सामाजिक संबंधों और परिवार के भीतर होने वाले संघर्षों को दर्शाती है। यह कहानी मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखी गई थी, जिसका हिंदी अनुवाद बी आर नारायण ने किया है। कहानी का मुख्य पात्र मंगम्मा है, जो अपने पारिवारिक कलह से दुखी होकर दही बेचकर अपना जीवन चलाती है। यह कहानी सास-बहू के रिश्ते, पारिवारिक तनाव और अंततः समझौते और सामंजस्य की ओर बढ़ने की यात्रा को दर्शाती है।

Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 1 Solutions
Subject | Hindi ( Varnika ) |
Class | 10th |
Chapter | 1. दही वाली मंगम्मा |
Author | श्री निवास |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 1 Question Answer
प्रश्न 1. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था?
उत्तर: मंगम्मा और उसकी बहू नंजम्मा के बीच विवाद का कारण मंगम्मा का अपने पोते को लेकर चिंता करना था। एक दिन नंजम्मा अपने बेटे को पीट रही थी। मंगम्मा ने पहले चुपचाप देखा, लेकिन जब उससे सहन नहीं हुआ, तो उसने बहू को डांटते हुए कहा, “क्यों री राक्षसी, इस छोटे से बच्चे को क्यों मार रही है?” यह सुनते ही नंजम्मा भड़क उठी और मंगम्मा को खूब सुनाया। जब मंगम्मा ने कहा कि वह उसके घरवाले की माँ है, तो नंजम्मा ने भी जवाब दिया, “मैं भी इसकी माँ हूँ। मुझे अकल सिखाने की ज़रूरत नहीं है।” बात इतनी बढ़ गई कि मंगम्मा ने बेटे से शिकायत की, लेकिन बेटे ने भी कहा कि वह अपने बेटे को मार रही है तो मंगम्मा क्यों उस झगड़े में पड़ती है। नतीजतन, बहू ने मंगम्मा के बर्तन-भांडे अलग कर दिए।
प्रश्न 2. रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था?
उत्तर: रंगप्पा मंगम्मा के गाँव का एक व्यक्ति था, जो शौकीन तबीयत का और कभी-कभी जुआ खेलने वाला था। जब उसे पता चला कि मंगम्मा अपने बेटे से अलग रहने लगी है, तो वह उसके पीछे पड़ गया। एक दिन उसने मंगम्मा से हाल-चाल पूछा और कहा कि उसे पैसों की जरूरत है। मंगम्मा ने जब कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं, तो रंगप्पा ने उसे डराया और कहा कि पैसों को यहाँ-वहाँ गाड़कर रखने का क्या फायदा। अगले दिन उसने मंगम्मा को अमराई के पीछे रोककर उसकी बाँह पकड़ ली और कहा, “जरा बैठो मंगम्मा, जल्दी क्या है?” दरअसल, रंगप्पा एक लालची और लम्पट व्यक्ति था।
प्रश्न 3. बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया?
उत्तर: जब नंजम्मा को पता चला कि रंगप्पा उसकी सास मंगम्मा के पीछे पड़ गया है, तो उसे चिंता हुई कि कहीं रंगप्पा उसकी सास के पैसे न ले ले। इस आशंका से नंजम्मा ने अपने बेटे को मंगम्मा के पास भेजा, ताकि वह उसकी देखभाल कर सके। बच्चा जब मंगम्मा के पास रहने लगा, तो मंगम्मा भी उसे चाहने लगी। एक दिन बच्चे ने मंगम्मा से बैंगलोर चलने की जिद की, जिससे मंगम्मा परेशान हो गई। तभी नंजम्मा और उसके पति ने आकर मंगम्मा से माफी मांगी और उसे अपने साथ वापस ले गए। धीरे-धीरे नंजम्मा ने मंगम्मा के दही बेचने का धंधा भी अपने हाथ में ले लिया, जिससे उसकी मंशा पूरी हो गई।
प्रश्न 4. इस कहानी का कथावाचक कौन है? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर: इस कहानी का कथावाचक लेखक की माँ है। लेखक की माँ इस कहानी का द्वितीय केंद्रीय चरित्र है। कहानी की कथावस्तु लेखक की माँ के द्वारा ताना-बाना बुना गया है। मंगम्मा जब दही बेचने के लिए आती है, तो लेखक के घर आती है और बढ़िया दही कुछ-न-कुछ बेचकर जाती है। धीरे-धीरे मंगम्मा और लेखक की माँ के बीच घनिष्ठता बढ़ती चली गई। मंगम्मा अपने घर-गृहस्थी का सारा हाल सुनाती है और लेखक की माँ उसे कुछ-न-कुछ सुझाव देती है। सास और बहू के अंतर्कलह से परिवार बिखर जाता है, जिसे देखकर और सुनकर लेखक की माँ का मन भी बोझिल हो जाता है।
प्रश्न 5. मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर: मंगम्मा प्रस्तुत कहानी का प्रमुख केंद्रीय चरित्र है। पति से विरक्त रहने वाली मंगम्मा शायद कभी नहीं सोची होगी कि उसका बेटा पत्नी के दबाव में आकर उसे छोड़ देगा। मंगम्मा दही बेचकर अपना जीवन-यापन करती है और अपने पोते के प्रति उसका विशेष स्नेह है। वह अपने कर्मपथ से कभी विचलित नहीं होती, चाहे रंगप्पा उसे कितना भी परेशान करे। मंगम्मा भोली-भाली और सहृदय महिला है, जो अपने सतीत्व को बचाए रखना चाहती है। वह भारतीय नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती है और उसकी सहनशीलता और धैर्य उसे विशेष बनाते हैं।
प्रश्न 6. नंजम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर: नंजम्मा मंगम्मा की बहू है, जो बहुत तेज-तर्रार और चतुर महिला है। वह अपने काम में किसी प्रकार की दखलंदाजी सहन नहीं करती। बेटे की किसी गलती पर जब वह उसे पीटती है और मंगम्मा मना करती है, तो वह भड़क जाती है और कहती है कि वह अपने बेटे को जैसे चाहेंगी, वैसे रखेगी। नंजम्मा अपने पति पर भी काबू रखती है और तर्क से सबको हराती है। मंगम्मा के मखमल का जाकिट पहनने पर वह व्यंग्य भी करती है और लेन-देन की बात पर मंगम्मा के गहने-जेवर वापस लेने को कह देती है। नंजम्मा तेज-तर्रार, दूरदर्शी और व्यवहार कुशल नारी है, जो लोगों की कमजोरियों को जानती है और उनका फायदा उठाती है।
प्रश्न 7. कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: प्रस्तुत कहानी ‘कन्नड़ कहानियाँ’ से ली गई है और इसका अनुवाद बी.आर. नारायण ने किया है। इस कहानी का प्रमुख केंद्रीय चरित्र मंगम्मा है, जो पति से अलग होकर दही बेचकर अपना जीवन-यापन करती है। सास और बहू के बीच स्वतंत्रता की होड़ लगी रहती है, जिसमें माँ अपने बेटे पर से अपना हक नहीं छोड़ती और बहू अपने पति पर अधिकार जमाना चाहती है। मंगम्मा अपनी बहू के बेटे को पीटने पर विरोध करती है, जिससे घर में कलह बढ़ जाती है और मंगम्मा को अलग रहना पड़ता है। रंगप्पा के लालच से बचाने के लिए नंजम्मा अपने बेटे को मंगम्मा के पास भेजती है। धीरे-धीरे सास और बहू के संबंध सुधरते हैं और अंत में मंगम्मा अपनी बहू के साथ दही बेचने जाती है, जिससे दोनों के बीच संबंध मधुर हो जाते हैं। कहानी का संदेश यह है कि पारिवारिक प्रेम और समझदारी से किसी भी समस्या का समाधान संभव है।
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