Bihar Board class 10 Hindi chapter 9 solutions are available here. This is our free expert guide that provides you with complete question answers of chapter 9 – “आविन्यों”.
बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का नवाँ अध्याय ‘आविन्यों’ प्रसिद्ध कवि और लेखक अशोक वाजपेयी द्वारा लिखित एक यात्रा वृत्तांत है। यह पाठ दक्षिण फ्रांस के एक ऐतिहासिक शहर आविन्यों की यात्रा का वर्णन करता है, जहाँ लेखक ने एक प्राचीन मठ ‘ला शत्रूज’ में रहकर अपने अनुभवों को साझा किया है। इस अध्याय में लेखक ने न केवल शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का चित्रण किया है, बल्कि वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण का भी जीवंत वर्णन किया है। यहाँ हमने आपको आविन्यों Question Answer भी उपलब्ध करवाएं हैं।
Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 9 Solutions
Subject | Hindi |
Class | 10th |
Chapter | 9. आविन्यों |
Author | अशोक वाजपेयी |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 9 Question Answer
प्रश्न 1. आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है?
उत्तर- आविन्यों दक्षिण फ्रांस में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यह रोन नदी के तट पर बसा हुआ है और अपनी समृद्ध संस्कृति, कला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। 14वीं शताब्दी में यह रोमन कैथोलिक चर्च का केंद्र था और आज यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
प्रश्न 2. बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?
उत्तर- हर गर्मी में आविन्यों में एक प्रसिद्ध रंगमंच महोत्सव आयोजित होता है। यह फ्रांस और यूरोप का सबसे बड़ा और लोकप्रिय थियेटर उत्सव है। इस दौरान शहर के विभिन्न स्थान, जैसे चर्च और ऐतिहासिक इमारतें, रंगमंच में बदल जाते हैं। यह महोत्सव कला प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
प्रश्न 3. लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गए थे ? वहाँ उन्होंने क्या देखा-सुना?
उत्तर- लेखक पीटर ब्रुक के विवादास्पद ‘महाभारत’ नाटक के प्रदर्शन के निमंत्रण पर आविन्यों गए थे। वहाँ उन्होंने देखा कि समारोह के दौरान शहर के अनेक चर्च और पुराने स्थान रंगमंच में परिवर्तित हो जाते हैं। उन्होंने शहर की जीवंत कला और संस्कृति का अनुभव किया।
प्रश्न 4. ला शबूज क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ? आजकल उसका क्या उपयोग होता है?
उत्तर- ला शबूज आविन्यों में स्थित एक प्राचीन किला है, जिसे फ्रांसीसी शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए बनवाया था। वर्तमान में यह एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। यहाँ रंगमंच और लेखन से संबंधित गतिविधियाँ आयोजित होती हैं, जो कलाकारों और लेखकों को प्रेरणा और अवसर प्रदान करती हैं।
प्रश्न 5. ला शत्रूज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को ‘मौन का स्थापत्य’ क्यों कहा है ?
उत्तर- ला शत्रूज कार्थूसियन संप्रदाय का एक ईसाई मठ है। इसकी वास्तुकला मौन और एकांत को प्रोत्साहित करती है। मठ में सन्तों के लिए अलग-अलग कक्ष हैं, जो एक केंद्रीय कब्रिस्तान के चारों ओर बने गलियारों में खुलते हैं। कार्थूसियन संप्रदाय मौन साधना में विश्वास करता है, इसलिए लेखक ने इसे ‘मौन का स्थापत्य’ कहा है।
प्रश्न 6. लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गए थे और वहाँ कितने दिनों तक रहे ? लेखक की उपलब्धि क्या रही?
उत्तर- लेखक आविन्यों अपने साथ हिंदी का टाइपराइटर, कुछ पुस्तकें और संगीत के टेप लेकर गए थे। वे वहाँ 24 अक्टूबर से 10 नवंबर, 1994 तक, कुल 19 दिन रहे। इस अवधि में उन्होंने 35 कविताएँ और 27 गद्य रचनाएँ लिखीं, जो उनकी रचनात्मक उपलब्धि थी।
प्रश्न 7. ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है ?
उत्तर- कवि ने मौन साधना वाले स्थान में रहकर पत्थरों के मानवीकरण की कल्पना की। उन्होंने पत्थरों को मूक प्रतीक्षा करते हुए देखा, जो मानवीय गुण है। यह मानवीकरण कवि की आध्यात्मिक अनुभूति और मौन के प्रभाव को दर्शाता है, जिसमें निर्जीव वस्तुएँ भी सजीव प्रतीत होती हैं।
प्रश्न 8. आविन्यों के प्रति लेखक कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं ?
उत्तर- लेखक आविन्यों के प्रति अपना सम्मान गहरी कृतज्ञता के माध्यम से प्रदर्शित करते हैं। वे आविन्यों में बिताए गए समय को सुंदर, सघन और पवित्र बताते हैं, जो उनके लिए एक अद्वितीय अनुभव था। उन्होंने अपनी पुस्तक को आविन्यों की स्मृतियों का दस्तावेज बताया है, जो इस स्थान के प्रति उनके गहरे लगाव को दर्शाता है। विशेष रूप से, उन्होंने आविन्यों के मठ में रहकर कविताएँ लिखीं, जो इस स्थान के साथ उनके आध्यात्मिक और रचनात्मक जुड़ाव को प्रदर्शित करता है। लेखक की यह स्वीकारोक्ति कि जो कुछ उन्होंने वहाँ पाया, उसके लिए उनके मन में गहरी कृतज्ञता है, आविन्यों के प्रति उनके सम्मान और आदर को स्पष्ट रूप से व्यक्त करती है।
प्रश्न 9. मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ?
उत्तर- मनुष्य जीवन और पत्थर में कुछ आश्चर्यजनक समानताएँ और विषमताएँ हैं। दोनों समय के साथ परिवर्तन का सामना करते हैं, शीत और ताप का अनुभव करते हैं, और अपने में प्राचीनता को संजोए रखते हैं। हालाँकि, मुख्य अंतर यह है कि मनुष्य अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता है, जबकि पत्थर मूक रहता है। मनुष्य शब्दों में कविता रचता है, जबकि पत्थर अपनी उपस्थिति से ही एक निःशब्द कविता की रचना करता है। एक और महत्वपूर्ण अंतर यह है कि मनुष्य झुककर नमन करता है, जबकि पत्थर बिना झुके ही अपनी प्रार्थना करता प्रतीत होता है। इस प्रकार, दोनों में जीवन की गतिशीलता है, लेकिन उसकी अभिव्यक्ति अलग-अलग है।
प्रश्न 10. इस कविता से आप क्या सीखते हैं।
उत्तर- इस कविता से हम जीवन के कई महत्वपूर्ण पाठ सीखते हैं। सबसे पहले, यह हमें सिखाती है कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए मौन रहकर कर्म करना कितना महत्वपूर्ण है। जीवन में आने वाली कठिनाइयों को धैर्यपूर्वक सहन करना और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना भी इस कविता का एक प्रमुख संदेश है। यह हमें प्रकृति से सीखने और जीवन में स्थिरता और गतिशीलता का संतुलन बनाने की प्रेरणा देती है। कविता हमें यह भी सिखाती है कि जैसे पत्थर बिना शिकायत के हर परिस्थिति का सामना करता है, वैसे ही हमें भी जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए। अंततः, यह हमें अपने आस-पास के परिवेश से जुड़ने और उससे सीखने की प्रेरणा देती है।
प्रश्न 11. नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है ?
उत्तर- नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को एक अद्भुत और आध्यात्मिक अनुभव होता है। उन्हें लगता है कि जल स्थिर है और तट ही बह रहा है, जो उनकी दृष्टि में वास्तविकता का एक विपरीत चित्रण है। वे महसूस करते हैं कि वे स्वयं नदी के साथ बह रहे हैं, जो उनके और नदी के बीच एक गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। यह अनुभव इतना गहन होता है कि उन्हें लगता है कि वे स्वयं नदी बन गए हैं, जो प्रकृति के साथ एकाकार होने की भावना को व्यक्त करता है। लेखक अपने भीतर नदी की झलक देखते हैं, जो उनके अंतर्मन और बाह्य प्रकृति के बीच एक सेतु का निर्माण करता है।
प्रश्न 12. नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ?
उत्तर- नदी तट पर बैठे हुए लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की एक कविता याद आती है। यह स्मृति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शुक्ल जी की कविता में “नदी-चेहरा लोगों” से मिलने की बात कही गई है, जो लेखक के वर्तमान अनुभव से मेल खाती है। लेखक को अपना अनुभव शुक्ल जी की कविता से मिलता-जुलता लगता है, क्योंकि दोनों में नदी और मानव के बीच गहरे संबंध की बात की गई है। यह याद लेखक के अनुभव को और भी समृद्ध बनाती है, क्योंकि वे अपने व्यक्तिगत अनुभव को एक कवि के दृष्टिकोण से जोड़ पाते हैं। इस प्रकार, शुक्ल जी की कविता लेखक के लिए उनके वर्तमान अनुभव के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक और अर्थपूर्ण बन जाती है।
प्रश्न 13. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है ?
उत्तर- लेखक नदी और कविता में कई गहरी समानताएँ पाता है। दोनों सदियों से मानव के साथ रही हैं, जो उनकी चिरंतनता को दर्शाता है। जैसे नदी में विभिन्न जगहों से जल आकर मिलता है, वैसे ही कविता में भी विभिन्न विचार, भाव और अनुभव समाहित होते हैं। दोनों निरंतर प्रवाहमान रहते हैं और कभी रिक्त नहीं होते – नदी हमेशा जल से भरी रहती है, और कविता भाव और विचारों से। दोनों जीवन की विविधताओं को समेटते हैं और मानव जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं। नदी और कविता दोनों ही मानव को नए दृष्टिकोण और अनुभव प्रदान करते हैं, जो जीवन को समृद्ध बनाते हैं।
प्रश्न 14. किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता और क्यों?
उत्तर- नदी और कविता के पास तटस्थ रह पाना असंभव होता है। नदी अपने प्रवाह में सबको शामिल करती है, उसे कोई अनदेखा नहीं कर सकता। वह हर किसी को अपने साथ बहा ले जाती है, चाहे वह भौतिक रूप से हो या भावनात्मक रूप से। इसी प्रकार, कविता भी पाठक को अपने भाव-संसार में खींच लेती है। कविता में न जाने कहाँ से कैसी-कैसी बिम्बमालाएँ, शब्द भंगिमाएँ, जीवन छवियाँ और प्रतीतियाँ आकर मिलती हैं, जो पाठक को प्रभावित किए बिना नहीं रहतीं। दोनों की प्रकृति ऐसी है कि वे मनुष्य को भावनात्मक और बौद्धिक स्तर पर छूते हैं, जिससे उनकी अभिभूति से बचना असंभव हो जाता है। यह इसलिए भी है क्योंकि नदी और कविता दोनों ही मानव जीवन के अभिन्न अंग हैं, जो हमारे अस्तित्व और अनुभवों को गहराई से प्रभावित करते हैं।
Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 9 भाषा की बात
प्रश्न 1. निम्नांकित के लिंग-निर्णय करते हुए वाक्य बनाएं उत्तर-आवास आवास पुराना है।
उत्तर-
बन्दिश = बन्दिश याद है।
इमारत = इमारत पुरानी है।
रंगकर्मी = रंगकर्मी आते हैं।
अवधि = अवधि लंबी है।
नहानघर = नहानघर आधुनिक है।
ऑगन = ऑगन बड़ा है।
आसक्ति = आसक्ति बढ़ गई है।
प्रणति = प्रणति किया जाता है।
प्रश्न 2. निम्नांकित के समास-विग्रह करते हुए भेद बताएँ
उत्तर-
यथासंभव = संभव भर (अव्ययीभाव)
पहले-पहल = पहला-पहला (अव्ययीभाव)
लोकप्रिय = लोगों में प्रिय (सप्तमी तत्पुरूष)
रंगकर्मी = नाटक करने वाला (कर्मधारय)
पचासेक = पचास का समूह (द्विगु)
कवियित्री = कविता करने वाली (कर्मधारय)
कविप्रणति = कवि का प्रणम (षष्ठी तत्पुरूष)
प्रतीक्षारत = प्रतीक्षा में रत (सतत्पुरूष)
अपलक = न पलक (नब्)
तदाकार = वस्तु के आकार (षष्ठी तत्पुरूष)
प्रश्न 3. पाठ से अहिन्दी स्रोत के शब्द एकत्र कीजिए।
उत्तर- आविन्यों, रोन, पीटर बुक, आर्कबिशप, वीलननव्व, कार्यसियन, ला शत्रूज, चैम्बर्स, डिपार्टमेंटल स्टोर, रेस्तराँ, ल मादामोजेल द आविन्यों, आन्द्रे ब्रेता, रेने शॉ, पालएलुआर, आदि।
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलें।
उत्तर- रंगकर्मी = रंगकर्मियों
कविताएँ = कविता
उसकी = उसके
सामग्री = सामग्रियों
अनेक = एक
सुविधा = सुविधाएँ
अवधि = अवाधियों
पीड़ा = पीड़ाएँ
पत्तियाँ = पत्ती
यह = यें