Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 11 Solutions – नौबतखाने में इबादत

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“नौबतखाने में इबादत” पाठ बिहार बोर्ड की कक्षा 10 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह अध्याय प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के जीवन और उनकी कला को समर्पित है। इसमें उनके बचपन से लेकर उनकी सफलता तक की यात्रा का वर्णन किया गया है। पाठ में बिस्मिल्ला खाँ की संगीत साधना, उनका काशी से गहरा लगाव, और विभिन्न धर्मों के प्रति उनका समान आदर दिखाया गया है।

Bihar Board class 10 Hindi chapter 11

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 11 Solutions

SubjectHindi
Class10th
Chapter11. नौबतखाने में इबादत
Authorयतींद्र मिश्र
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 11 Question Answer

प्रश्न 1. डुमरॉव की महत्ता किस कारण से है ?

उत्तर- डुमरॉव की महत्ता मुख्यतः दो कारणों से है। सबसे पहले, यह प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्मस्थान है, जो इसे संगीत के इतिहास में एक विशेष स्थान प्रदान करता है। दूसरा, यहाँ सोन नदी के किनारे एक विशेष प्रकार की घास ‘नरकट’ पाई जाती है, जिसका उपयोग शहनाई की ‘रीड’ बनाने में किया जाता है। इस प्रकार, डुमरॉव न केवल एक महान कलाकार का जन्मस्थान है, बल्कि शहनाई के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो इसे शहनाई की परंपरा में अद्वितीय स्थान देता है।

प्रश्न 2. सुषिर वाद्य किन्हें कहते हैं। ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पति किस प्रकार हुई है ?

उत्तर- सुषिर वाद्य वे वाद्ययंत्र हैं जिन्हें फूँककर बजाया जाता है और जिनमें नरकट या रीड का प्रयोग होता है। ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘शाह’ (राजा) और ‘नाई’ (नली) से हुई है, जो इसके राजसी और उत्कृष्ट स्वरूप को दर्शाता है। शहनाई को सुषिर वाद्यों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि इसकी ध्वनि अन्य वाद्यों की तुलना में अधिक मोहक और हृदयस्पर्शी होती है। यह वाद्य अपनी विशिष्ट ध्वनि के कारण श्रोताओं के हृदय को गहराई से छू लेता है।

प्रश्न 3. बिस्मिला खाँ सजदे में किस चीज के लिए गिड़गिड़ाते थे ? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उद्घाटित होता है ?

उत्तर- सुषिर वाद्य वे वाद्ययंत्र हैं जिन्हें फूँककर बजाया जाता है और जिनमें नरकट या रीड का प्रयोग होता है। ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘शाह’ (राजा) और ‘नाई’ (नली) से हुई है, जो इसके राजसी और उत्कृष्ट स्वरूप को दर्शाता है। शहनाई को सुषिर वाद्यों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि इसकी ध्वनि अन्य वाद्यों की तुलना में अधिक मोहक और हृदयस्पर्शी होती है। यह वाद्य अपनी विशिष्ट ध्वनि के कारण श्रोताओं के हृदय को गहराई से छू लेता है।

प्रश्न 4. मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय पाठ के आधार पर दें।

उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ का मुहर्रम पर्व से गहरा जुड़ाव था। वे मुहर्रम के रीति-रिवाजों का पूरी निष्ठा से पालन करते थे। उनके लिए आठवीं मुहर्रम विशेष महत्व रखती थी। इस दिन वे खड़े होकर शहनाई बजाते और लगभग 8 किलोमीटर पैदल चलकर नौहा बजाते थे, जो उनकी धार्मिक भावनाओं की गहराई को दर्शाता है। मुहर्रम के दिन वे कोई राग नहीं बजाते थे, केवल शोक संगीत बजाते थे, जो उनकी परंपराओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को प्रकट करता है। यह उनकी धार्मिक मान्यताओं और संगीत के प्रति समर्पण का एक संयुक्त और शक्तिशाली प्रदर्शन था।

प्रश्न 5. ‘संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं ?

उत्तर- संगीतमय कचौड़ी’ एक सुंदर रूपक है जो बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में संगीत की व्यापकता और गहराई को दर्शाता है। जब जुलसुम कचौड़ी तलती थीं, तो तलने की साधारण आवाज में भी खाँ साहब को संगीत के आरोह-अवरोह सुनाई देते थे। यह दर्शाता है कि उनका मन हर समय, हर परिस्थिति में संगीत में रमा रहता था, यहाँ तक कि दैनिक गतिविधियों में भी। यह उनके संगीत के प्रति असाधारण समर्पण और उनकी तीव्र संगीतमय संवेदनशीलता को प्रकट करता है। उनके लिए, जीवन का हर पहलू संगीत से ओतप्रोत था, जो उन्हें एक असाधारण कलाकार बनाता था।

प्रश्न 6. बिस्मिला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है ?

उत्तर- जब बिस्मिल्ला खाँ काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे, तो वे काशी विश्वनाथ मंदिर की दिशा में मुँह करके कुछ देर शहनाई बजाते थे। यह आचरण हमें कई महत्वपूर्ण सीख देता है। यह अपनी जड़ों और परंपराओं के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाता है। एक मुस्लिम कलाकार द्वारा हिंदू देवता के प्रति श्रद्धा धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह कला और धर्म के बीच सामंजस्य स्थापित करता है, जो दर्शाता है कि कला सभी धर्मों और विचारधाराओं से ऊपर है। इस प्रकार, बिस्मिल्ला खाँ का यह आचरण उनके व्यापक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक समन्वय के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 7. ‘बिस्मिल्ला खाँ का मतलब-बिस्मिल्ला खां की शहनाई।’ एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें।

उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ एक असाधारण शहनाईवादक थे जिन्होंने शहनाई को अपने जीवन का केंद्र बना लिया था। उनकी शहनाई में सात सुरों का अद्भुत संयोजन होता था, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। उनका संगीत आध्यात्मिक और भावनात्मक दोनों स्तरों पर श्रोताओं को गहराई से प्रभावित करता था। उनकी कला में उनके गुरुओं की शिक्षाएँ, धार्मिक भावनाएँ और प्रकृति प्रेम का अनूठा मिश्रण झलकता था। समय के साथ, बिस्मिल्ला खाँ और उनकी शहनाई एक-दूसरे के पर्याय बन गए थे, जो उनकी कला में पूर्ण तादात्म्य को दर्शाता है। उन्होंने न केवल शहनाई को एक नया स्तर प्रदान किया, बल्कि इसे विश्व प्रसिद्ध भी बनाया, जो उन्हें एक महान कलाकार के रूप में स्थापित करता है।

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 11 आशय स्पष्ट करें

(क) फटा सुर न बखगे। लुंगिया का क्या है,
आज फटी है, तो कल सिल जाएगी।

व्याख्या- बिस्मिल्ला खाँ ने इस वाक्य के माध्यम से संगीत की महत्ता और अपने सरल जीवन शैली को दर्शाया। उनका मानना था कि बाहरी दिखावे से ज्यादा महत्वपूर्ण है संगीत की गुणवत्ता। वे चाहते थे कि उनका सुर (संगीत) कभी न बिगड़े, क्योंकि यही उनकी असली पहचान थी। फटी लुंगी को तो सिला जा सकता है, लेकिन बिगड़े हुए सुर को ठीक करना मुश्किल होता है। यह वाक्य उनके सादगी और कला के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

(ख) काशी संस्कृति की पाठशाला है।

व्याख्या- काशी को संस्कृति की पाठशाला कहा गया है क्योंकि यह शहर भारतीय संस्कृति, कला और ज्ञान का केंद्र रहा है। यहाँ विभिन्न धर्मों, कलाओं और विद्याओं का समन्वय देखने को मिलता है। काशी में संगीत, नृत्य, साहित्य और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिश्रण है। यह शहर अपनी विशिष्ट परंपराओं, त्योहारों और जीवन शैली के लिए जाना जाता है। काशी की संस्कृति में हिंदू और इस्लामी परंपराओं का सुंदर समागम देखने को मिलता है, जो इसे एक अनूठी सांस्कृतिक पाठशाला बनाता है।

प्रश्न 9. बिस्मिला खाँ के बचपन का वर्णन पाठ के आधार पर दें ।

उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ का जन्म बिहार के डुमराँव में एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ। पाँच-छः वर्ष की उम्र में वे अपने ननिहाल काशी चले गए। चार साल की उम्र से ही उन्होंने शहनाई के प्रति रुचि दिखाना शुरू कर दिया था। उनके नाना और मामा ने उनके संगीत कौशल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चौदह साल की उम्र में वे बालाजी मंदिर में रियाज करने लगे, जो उनके संगीत साधना का आरंभिक चरण था। यह प्रारंभिक प्रशिक्षण और वातावरण उन्हें एक महान कलाकार बनने की नींव प्रदान की।

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 11 भाषा की बात

प्रश्न 1. रचना के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ

(क) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
(ख) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ग) एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसरों पर आसानी से दिख जाता है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) धत्। पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।

उत्तर- सरल वाक्य – (क)
संयुक्त वाक्य – (ख)
मिश्रवाक्य – (ग), (घ), (ङ)

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों से विशेषण छाँटिए.

(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद है।

उत्तर- कई, बालसुलभ।

(ख) अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें।

उत्तर- फटी, भारतरत्न।

(ग) शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर।

उत्तर- कोई।

(घ) कैसे सुलोचना उनकी पसंदीदा हीरोइन रही थीं, बड़ी रहस्यमय मुस्कराहट के साथ गालों पर चमक आ जाती है।

उत्तर- पसंदीदा, रहस्यमय, चमक।

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