UP Board class 8 hindi chapter 3 – “सच्ची वीरता” solutions are available here. Prepared by the subject experts, here we present complete question answers of Hindi Manjari chapter 3 in hindi medium.
सच्ची वीरता’ हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा 8 का तीसरा अध्याय है, जिसमें लेखक सरदार पूरण सिंह ने वीर पुरुषों के धैर्य, साहस, और स्वाभिमान जैसे गुणों पर प्रकाश डाला है। इस पाठ में, वीरता के सच्चे अर्थ और उसके विभिन्न पहलुओं को समझाया गया है। लेखक ने कई उदाहरणों के माध्यम से दिखाया है कि सच्चे वीर पुरुष निडर और अडिग होते हैं, और उनका साहस और आत्मविश्वास अडिग रहता है।

UP Board Class 8 Hindi Chapter 3 Solutions
Subject | Hindi (Manjari) |
Class | 8th |
Chapter | 3. सच्ची वीरता |
Author | सरदार पूर्ण सिंह |
Board | UP Board |
कुछ करने को-
प्रश्न-1. किसी भी साहसपूर्ण कार्य को बहादुरी से करना वीरता कहलाती है। सोचिए और लिखिए कि आपके आस-पास घटने वाली वे कौन-कौन सी स्थितियाँ हो सकती हैं जिनमें आप बहादुरी का परिचय दे सकते हैं।
उत्तर- कुछ स्थितियां जिनमें हम बहादुरी दिखा सकते हैं: किसी दुर्घटना के समय बिना डरे लोगों की मदद करना, आपदा के समय निडरता से कार्य करना, किसी अनैतिक/अवैध गतिविधि का डटकर विरोध करना, गरीब/असहाय लोगों की मदद करने में आगे आना आदि। बहादुरी का मतलब है निडरता और दृढ़ता से अपने कर्तव्य का पालन करना।
विचार और कल्पना
प्रश्न 1. वीर पुरुष की तुलना बरसने वाले बादलों से और कायर पुरुष की तुलना गरजने वाले बादल से क्यों की गई है?
उत्तर- वीर पुरुष बरसने वाले बादल की तरह होते हैं क्योंकि वे अपने कार्यों से दूसरों का कल्याण करते हैं, जबकि कायर व्यक्ति केवल शब्दों में गरजते हैं लेकिन कोई कार्य नहीं करते।
प्रश्न 2. ‘सच्चा वीर’ बनने के लिए आप अपने भीतर किन गुणों को विकसित करेंगे?
उत्तर- एक सच्चे वीर बनने के लिए मुझे निडरता, धैर्य, गंभीरता, उच्च आत्मविश्वास, निष्ठा, दया और प्रेमभाव जैसे गुणों को विकसित करना होगा। एक वीर व्यक्ति भावनात्मक रूप से मजबूत होता है और अपने सिद्धांतों पर डटा रहता है।
प्रश्न 3. वीरों को बनाने के कारखाने कायम नहीं हो सकते’-आप इस बात से सहमत हैं या असहमत कारण सहित स्पष्ट करें। .
उत्तर- मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं कि वीरता को कभी भी बनाया नहीं जा सकता। यह एक स्वाभाविक गुण है जो किसी व्यक्ति में जन्मजात होता है। वीरता एक मानसिक दृढ़ता है जिसे सिर्फ आंतरिक प्रेरणा और संकल्प से ही विकसित किया जा सकता है, न कि कारखानों में निर्मित किया जा सकता है।
निबन्ध से-
प्रश्न 1. किसने क्या कहा? कोष्ठक में दिये गये नामों से चुनकर वाक्य के सामने लिखिए (लिखकर)-
(महाराजा रणजीत सिंह, मंसूर, नेपोलियन, बादशाह)
उत्तर-
(क) “अनलहक’ (अहं ब्रह्मास्मि)। – मंसूर
(ख) मैं तुमको अभी जान से मार डालूंगा। – बादशाह
(ग) अटक के पार जाओ। – महाराजा रणजीत सिंह
(घ) “आल्प्स है ही नहीं। – नेपोलियन
प्रश्न 2. लेखक के अनुसार दुनिया किस पर खड़ी है
(क) धन और दौलत पर।
(ख) ज्ञान और पांडित्य पर।
(ग) हिंसा और अत्याचार पर।
(घ) धर्म और अटल आध्यात्मिक नियमों पर।
उत्तर- (घ) धर्म और अटल आध्यात्मिक नियमों पर।
प्रश्न 3. अपने अन्दर की वीरता को जगाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? उपयुक्त कथन पर सही (✓) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर):-
उत्तर-
(क) हथियारों को एकत्र करना चाहिए।
(ख) वाद-विवाद करना चाहिए। ।
(ग) सच्चाई की चट्टान पर दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए। (✓)
(घ) झूठी बातें करनी चाहिए।
प्रश्न 4. सच्चे वीर पुरुष में कौन-कौन से गुण होते हैं?
उत्तर- एक सच्चे वीर पुरुष में निम्नलिखित गुण होते हैं: साहस और निडरता, दृढ़ इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास, गरिमा और स्वाभिमान, दया और करुणा, त्याग और बलिदान की भावना, न्याय के प्रति प्रतिबद्धता, और उच्च नैतिक मूल्य। उनमें आंतरिक शक्ति और भावनात्मक स्थिरता होती है।
प्रश्न 5. बादशाह द्वारा जान से मारने की धमकी देने पर गुलाम ने क्यों कहा?
उत्तर- जान से मारने की धमकी देने पर गुलाम ने कहा कि वह बादशाह का आदेश स्वीकार नहीं करेगा और फांसी देने पर भी तैयार है। उसने इस प्रकार अपनी स्वतंत्रता और दृढ़ता का परिचय दिया।
प्रश्न 6. शरीर पर जरा जोर से हाथ लगाने पर लोग डर के मारे अधमरे क्यों हो जाते हैं?
उत्तर- लोग शरीर को जीवन का केंद्र मानते हैं। इसलिए जब किसी पर शारीरिक बल प्रयोग किया जाता है, तो लोग अपनी जान को खतरे में महसूस करते हैं और डर के मारे अधमरे हो जाते हैं। वे अपने शरीर की रक्षा करने की चिंता में पड़ जाते हैं।
प्रश्न 7. लेखक ने वीरों को देवदार के वृक्षों के समान क्यों कहा है?
उत्तर- लेखक ने वीरों को देवदार के वृक्षों के समान इसलिए कहा क्योंकि देवदार स्वयं उग जाते हैं और बिना किसी बाहरी सहारे के विकसित होते हैं। उसी प्रकार वीर पुरुष भी अपनी वीरता के गुणों के बल पर विकसित होते हैं और बिना किसी बाहरी सहारे के स्वयं मजबूत बनते हैं। साथ ही, वे दूसरों की भी मदद करते हैं।
भाषा की बात-
प्रश्न 1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखते हुए इनका वाक्य में प्रयोग कीजिए डर से अधमरा होना, छाती ठोंककर आगे बढ़ना, रास्ता साफ होना, रंग चढ़ना, . दिल को बाँध देना।
उत्तर- डर से अधमरा होना-(अधिक डर जाना) साँप को सामने देखकर सीमा डर के मारे अधमरी हो गई। छाती ठोंककर आगे बढ़ना-(हिम्मत दिखाना) आतंकवादी को भागता देखकर सुरक्षाकर्मी छाती ठोंककर आगे बढ़ा।
रास्ता साफ होना-(रुकावट न होना।) रास्ता साफ हो जाने पर रेलगाड़ियाँ लम्बा चक्कर छोड़कर अपने नियत पथ पर चलने लगीं। | रंग चढ़ना-(असर होना।) वीर पुरुष को देखकर वीरता का रंग चढ़ना स्वाभाविक है।
दिल को बाँध देना-(दिल काबू कर लेना।) गांधी जी ने अपने सर्व धर्म समभाव से लोगों के दिलों को बाँध लिया था।
प्रश्न 2. आजाद, गुलाम, बादशाह, कैदी, फौज, दरिया और कुदरत उर्दू के शब्द हैं। हिन्दी में इनके समानार्थी शब्द लिखिए।
उत्तर- स्वतन्त्र, सेवक, राजा, बन्दी, सेना, नदी और प्रकृति।
प्रश्न 3. ‘सत्त्व’ शब्द में ‘त्व’ प्रत्यय जुड़कर सत् + त्व = सत्त्व बन गया है। नीचे लिखे शब्दों में ‘त्व’ जोड़कर नए शब्द बनाइए।
उत्तर- महत्-महत्त्व, प्रभु-प्रभुत्व, तत्-तत्त्व, वीर-वीरत्व।
प्रश्न 4. विलोम या निषेध के अर्थ में कुछ शब्दों के पूर्व ‘अ’ या ‘अन्’ जुड़ जाता है, जैसे- ‘सम्भव’ से ‘असम्भव’ और ‘आवश्यक’ से ‘अनावश्यक’ शब्द बनता है। ‘अन्’ का प्रयोग उस समय होता है, जब शब्द के आरम्भ में कोई स्वर हो। अ, अन् की सहायता से नीचे लिखे शब्दों का विलोम शब्द बनाइए- उपस्थित, स्थायी, साधारण, समान, उदार।
उत्तर-
उपस्थित-अनुपस्थित स्थायी-अस्थायी साधारण-असाधारण
समान–असमान उदार-अनुदार
प्रश्न 5. आल्प्स’ शब्द आ + ल् + प् + सु + अ से बना है। इसमें लु, पू, स् क़म से तीन व्यंजन आए हैं, इन्हें व्यंजनगुच्छ कहा जाता है। पाठ से इस प्रकार के व्यंजनगुच्छ वाले शब्द चुनकर लिखिए।
उत्तर- ब्रह्मास्मि, अभिव्यक्ति, आध्यात्मिक।