UP Board Class 8 Hindi Chapter 18 Solutions – नीड़ का निर्माण फिर-फिर

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इस कविता में कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ जीवन की कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों का वर्णन करते हुए यह संदेश देते हैं कि हमें हमेशा जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और हार न मानकर फिर से नए सिरे से प्रयास करना चाहिए। कविता में आँधी और तूफान के माध्यम से जीवन में आने वाली मुश्किलों और विपदाओं का चित्रण किया गया है।

UP Board Class 8 Hindi Chapter 18

UP Board Class 8 Hindi Chapter 18 Solutions

SubjectHindi (Manjari)
Class8th
Chapter18. नीड़ का निर्माण फिर-फिर
Authorहरिवंश राय बच्चन
BoardUP Board

कुछ करने को

प्रश्न 1. ‘आशावान व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता है’ -विषय पर कक्षा में भाषण : प्रतियोगिता आयोजित कीजिए।

उत्तर : विद्यार्थियो, आज मैं ‘आशावान व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करने जा रहा हूं।

आशा मानव जीवन की महत्वपूर्ण शक्ति है। यही शक्ति हमें जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना करने और उन पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देती है। जीवन में आशा के बिना आगे बढ़ना असंभव है। आशा ही हमारी गतिविधियों का आधार है और हमें लक्ष्य की ओर अग्रसर करती है।

आशावादी व्यक्ति कठिनाइयों से घबराता नहीं है। वह अपनी आंतरिक शक्तियों पर विश्वास रखता है और निरंतर प्रयास करता रहता है। उसका यही दृढ़ संकल्प उसे सफलता दिलाता है। दूसरी ओर, निराशावादी व्यक्ति बाधाओं से डर जाता है और हार मान लेता है। उसमें संघर्ष की शक्ति नहीं होती।

इतिहास गवाह है कि दुनिया के महानतम व्यक्तित्व आशावादी थे। उनकी आशाओं और लगन ने ही उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचाया। अत: हमें भी जीवन में आशावान बने रहना चाहिए। आशा की यही शक्ति हमें हर मुश्किल से लड़ने और विजयी बनने की प्रेरणा देगी।

जय हिंद!

प्रश्न 2.

नोट- विद्यार्थी चित्र स्वयं बनाएँ।

विचार और कल्पना.

प्रश्न 1. जैसे चिड़िया अपना घोंसला बनाती है वैसे ही मनुष्य अपने पक्के मकान बनाता है। बताइए एक मकान के निर्माण में किन-किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है?

उत्तर : मकान निर्माण के लिए विभिन्न सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इनमें से कुछ मुख्य हैं – ईंट, सीमेंट, रेत, बजरी, लोहा, लकड़ी, पानी आदि। इन सामग्रियों के अलावा कुशल मजदूरों और निर्माण कार्य की योजना भी महत्वपूर्ण होती है। जैसे पक्षी अपना घोंसला सावधानीपूर्वक बनाते हैं, उसी प्रकार मनुष्य को भी मकान निर्माण के समय सभी आवश्यक बातों का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 2. “आशा ही जीवन है’ पर 10 पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर :

आशा ही जीवन का मूल आधार है।
यह हमें जीने की प्रेरणा देती है।
कठिनाइयों में भी आशा बनी रहती है,
नकारात्मकता को दूर भगाती है।

महापुरुषों ने आशा की शक्ति से ही,
अपने लक्ष्य तक पहुंचने की राह पाई।
विजय और सफलता की कुंजी है आशा,
इसीलिए जीवन में इसकी महत्ता कायम है।

निराशा से मन उदास हो जाता है,
जीवन का रास्ता अंधकारमय हो जाता है।
आशावान रहकर ही हम अपना भविष्य संवार सकते हैं,
आशा से ही जीवन में खुशियां भर सकते हैं।

प्रश्न 3.

नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

कविता से

प्रश्न 1. ‘नेह का आह्वान फिर-फिर’ से कवि का क्या आशये है?

उत्तर : ‘नेह का आह्वान फिर-फिर’ से कवि का आशय है कि मनुष्य को हर समय प्रेम और स्नेह का साथ रहना चाहिए। जीवन के प्रत्येक क्षण में नए सिरे से प्रेम और आशा का संचार होना चाहिए। प्रेम और आशा ही हमें जीवन के नवीन आयामों की खोज करने और निरंतर सृजन करने की प्रेरणा देते हैं।

प्रश्न 2. निराशा में आशा का संचार किस रूप में होता है?

उत्तर : जब भी हम निराशा से घिर जाते हैं और जीवन में कोई उम्मीद नहीं दिखती, उसी समय प्रेम और स्नेह के रूप में आशा का संचार होता है। प्रियजनों का प्यार और उनके साथ का अनुभव हमें जीवन में नई ऊर्जा देता है। यही प्रेम और स्नेह की शक्ति हमारी निराशा को दूर करके हमें आशावादी बनाती है और हमें नए सिरे से जीवन की राह पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित भाव किन पंक्तियों में आए हैं? लिखिए

(क) घोर तूफान और रात्रि के कष्टों से भयभीत जन में उषा अपनी सुनहरी किरणों से नई आशा भर देती है।

उत्तर :
रात के उत्पात-भय से.
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किन्तु प्राची से ऊषा की।
मोहनी मुस्कान फिर-फिर

(ख) तेज आँधी के झोंकों के चलने से जब बड़े-बड़े पेड़-पर्वत काँपने लगते हैं, बड़े-बड़े पेड़ उखड़ जाते हैं, तब तिनकों से बने हुए घोंसलों की क्या स्थिति होगी?

उत्तर :
बह चले झोंके कि काँपे
भीम कायावान भूधर,
जड़ समेत उखड़े-पुखड़कर,
गिर पड़े, टूटे विटप वर,
हाय तिनकों से विनिर्मित घोंसलों पर क्या न बीती।

प्रश्न 4. सतत संघर्ष और निर्माण की क्रियाओं की उपमा कवि ने किससे की है?

उत्तर : सतत संघर्ष और निर्माण की क्रिया की उपमा कवि ने नीड़’ का निर्माण फिर-फिर और नेह का आह्वान ‘फिर-फिर’ से की है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) “रात-सा दिन हो गया, फिर रात आयी और काली।”

उत्तर : इस पंक्ति का भाव है कि धूल के बादलों ने धरती पर इतना घेरा डाला कि दिन का प्रकाश लुप्त हो गया और दिन रात के समान अंधकारमय हो गया। इसके बाद वास्तविक रात आई और अंधकार और गहरा हो गया।

(ख) “बोल, आशा के विहंगम किस जगह पर तू छिपा था।”

उत्तर : इस पंक्ति में कवि आशा को एक पक्षी के रूप में देखता है। वह आशा से पूछता है कि वह अब तक कहां छिपी थी, क्योंकि अब वह आकाश में उड़कर अपना गौरव प्रदर्शित कर रही है। आशा के जागरण से जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. ‘धूलि धूसर बादलों ने भूमि को इस भाँति घेरा’ में ध-ध और भ-भ की आवृत्ति हुई है। इससे पंक्ति में एक सरसता आ गई है, बताइए यहाँ किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?

उत्तर : अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 2. कविता में ‘फिर-फिर’, ‘जन-जन’ तथा ‘कण-कण’ (पुनरुक्त शब्द) का प्रयोग हुआ है। फिर-फिर निर्माण करने की क्रिया’ की विशेषता प्रकट कर रहा है जबकि ‘जन-जन’ से ‘प्रत्येक जन’ और ‘कण-कण’ से ‘प्रत्येक कण’ का बोध हो रहा है। इसी प्रकारे नीचे लिखे पुनरुक्त शब्दों का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए।

उत्तर :
घर-घर = राम के राज्याभिषेक पर अवध में घर-घर खुशियाँ मनाई गई।
क्षण-क्षण = युद्ध के मोर्चे पर क्षण-क्षण की खबर रखनी पड़ती है।
धीरे-धीरे = धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती जा रही है।
भाई-भाई = हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा बहुत पुराना है।

प्रश्न 3. इस कविता को पढ़िए

‘दुख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात;
एक परदा यह झीना नील छिपाये है जिसमें सुख गात।
जिसे तुम समझे हो अभिशाप, जगत की ज्वालाओं का मूल;
ईश का वह रहस्य वरदान, कभी मत इसको जाओ भूल।
विषमता की पीड़ा से व्यस्त हो रहा स्पंदित विश्व महान;
यही दुख-सुख-विकास का सत्य यही भूमा का मधुमय दान।”

(क) कविता में आए कठिन शब्दों के अर्थ शब्दकोश से ढूंढकर लिखिए।

उत्तर : रजनी-रात; नवल-नया; प्रभात-सवेरा; गात-शरीर; ज्वाला-अग्नि; स्पंदित-धड़कता, जीवित; भूमा-ऐश्वर्य

(ख) इस कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : कवि कहता है कि दुख की रात्रि में ही कहीं सुख का नया सवेरा जन्म लेता है। यह एक झीना परदा है जिसने दुख रूपी नीले निशान के पीछे सुख रूपी शरीर छिपा रखा है। जिसे मनुष्य अभिशाप समझता। वही जगत की ज्वाला रूपी जीवन का मूल होता है। ईश्वर के इस रहस्य रूपी वरदान को भूलना नहीं चाहिए। जीते जागते विशाल विश्व में अनेक विषमताएँ हैं जो जग की पीड़ा का कारण हैं। दुख या सुख के विकास का सत्य है और यही ऐश्वर्य का दान है।

(ग) कविता पर अपने साथियों से पूछने के लिए प्रश्न बनाइए।

उत्तर :

  • दुख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात से कवि को क्या तात्पर्य है?
  • जग की पीड़ा के क्या कारण हैं?

(घ) कविता को उचित शीर्षक दीजिए।

उत्तर : सुख-दुख।

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