UP Board Class 7 Hindi Manjari Chapter 9 Solutions – मेघ बजे, फूले कदम्ब

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इस अध्याय में हम प्रसिद्ध कवि नागार्जुन की मनोरम कविता “मेघ बजे, फूले कदम्ब” का अध्ययन करेंगे। यह कविता वर्षा ऋतु की सुंदरता और उसके प्राकृतिक नजारों को बड़ी ही मार्मिक शैली में चित्रित करती है। कवि ने पहले अंश में बादलों की गड़गड़ाहट और उनके आने का जीवंत चित्रण किया है। बादलों की आवाज सुनकर धरती कैसे नये जोश से भर उठती है, यह बड़ी ही मनोरम शैली में बयां किया गया है। वर्षा से जीवन कैसे नया उत्साह ग्रहण करता है, इसका रोचक चित्र खींचा गया है। दूसरे अंश में कवि ने सावन के महीने में फूलों से लदे कदम्ब वृक्षों की मनभावन तस्वीर पेश की है। कदम्ब फूलों की सुगंध और खूबसूरती को अति सुंदर शब्दों में उकेरा गया है।

UP Board Class 7 Hindi Manjari Chapter 9

UP Board Class 7 Hindi Manjari Chapter 9 Solutions

SubjectHindi (Manjari)
Class7th
Chapter9. जागो जीवन के प्रभात
Author
BoardUP Board

कुछ करने को

प्रश्न 1. चित्र देखिए और बताइए कि वर्षा ऋतु में गाँव में रहने वालों के समक्ष क्या-क्या समस्याएँ हो सकती हैं और उनके निदान के लिए क्या उपाय हो सकते हैं?

उत्तर:- छात्र इस प्रश्न को स्वयं करे।

प्रश्न 2. आपने कविता में पढ़ा-धिन-धिन-धा, धमक-धमक मेघ बजे। यह तबले का एक बोल है, इसी तरह अन्य वाद्ययंत्रों के भी बोल होते हैं। पता लगाएँ- ढोल, सितार, बाँसुरी, हारमोनियम के कौन-कौन से बोल होते हैं?

उत्तर:-

ढोल – ढम – ढम
सितार – टींग – टींग
बाँसुरी – पीऊँ – पीऊँ
हारमोनियम – सा रे गा मा….

विचार और कल्पना

प्रश्न 1.

निम्नांकित कविता को धयान से पढ़िए
बिजली चमकी कड़कड़-कड़।
बादल गरजा गड़-गड़-गड़। पानी बरसा तड़-तड़-तड़।
नानी बोली पढ़-पढ़-पढ़।

यह कविता आपके ही एक साथी द्वारा लिखी गयी है।आप भी कविता लिख सकते हैं। नीचे लिखे शब्दों की मदद से ऐसी ही एक कविता की रचना कीजिए।
धमक, चमक, दमक, महक

उत्तर:-

धमक धमक कर आया बादल,
बिजली चमकती रही चमक चमक।
पृथ्वी पर होती दमक दमक,
खिले फूलों की महक महक।
धरती पर छाया अंधकार,
दूर तक गरजे बादल गुबार।
तभी बिजली की चमक चमकी,
जगमग हुई सारी दुनिया सकी।
वर्षा ने दी पृथ्वी को नई जान,
सुगंध महकी हरियाली मन-प्राण।
प्रकृति के इस नजारे को देखकर,
हर दिल में समाई खुशियों की लहर।

प्रश्न 2. बताइए, निम्नांकित ऋतुओं में आप अपने आस-पास क्या-क्या परिवर्तन देखते हैं।

(क) बरसात में
( ख ) जाड़े में
(ग) गर्मी में

उत्तर:- आप अलग-अलग ऋतुओं में निम्नलिखित परिवर्तन देख सकते हैं:-

(क) बरसात में: बारिश के कारण धरती पर कीचड़ बिखर जाता है। हर जगह हरियाली छा जाती है और कीड़े-मकोड़ों की संख्या बढ़ जाती है। वातावरण में नमी और ठंडक का अनुभव होता है।
(ख) जाड़े में: जाड़ों के मौसम में लोग गर्म कपड़े जैसे स्वेटर, जर्सी और गर्म जैकेट पहनते हैं। पानी बर्फ जैसा ठंडा हो जाता है। रातें लंबी और दिन छोटे होते हैं। रात का तापमान दिन की तुलना में काफी कम होता है।
(ग) गर्मी में: गर्मियों में लोग हल्के और सूती कपड़े पहनते हैं। दिन में गर्म हवाएं चलती रहती हैं। दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं। दिन के समय धूप तेज होती है और गर्मी अधिक रहती है।

कविता से

प्रश्न 1. (क) “धरती का हृदय धुला’ और ‘दादुर का कंठ खुला’ से क्यो आशय है?

उत्तर:- धरती को ‘हृदय धुला’ कहा गया है क्योंकि बरसात से मिट्टी गीली और उपजाऊ हो गई। ‘दादुर का कंठ खुला’ का मतलब है कि मेंढकों ने बरसात के बाद गाना शुरू कर दिया।

(ख) “जाने कब से तू तरस रहा” पंक्ति में ‘तू’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

उत्तर:- ‘तू’ पिपीलिका (पपीहा) के लिए प्रयुक्त किया गया है। पिपीलिका स्वाति नक्षत्र में बरसने वाली बूंद के लिए प्यासी रहती है।

(ग) कवि ने कदम्ब के फूलों की तुलना ‘कन्दुक’ से क्यों की है?

उत्तर:- कदंब के गोल फूलों की तुलना खेल में इस्तेमाल की जाने वाली गेंद (कंदुक) से की गई है।

प्रश्न 2. इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) पंक बना हरिचन्दन
हल का है अभिनन्दन

उत्तर:- बादल से बरसात के कारण जो मिट्टी का गारा बन रहा है, वह हरे चंदन के समान उपजाऊ है। किसान उस गारे में फसल बोने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए हल का अभिनंदन किया जा रहा है।

(ख) बादल का कोप नहीं रीता
जाने कब से वो बरस रहा
ललचाई आँखों से नाहक
जाने कब से तू तरस रहा

उत्तर:- ये पंक्तियां पिपीलिका से संबंधित हैं। बादल लगातार बरस रहा है, लेकिन पिपीलिका की प्यास अभी भी नहीं बुझी है। वह आंखें लड़काकर स्वाति नक्षत्र में बरसने वाली बूंद का इंतजार कर रही है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. निम्नांकित शब्दों के तुकान्त शब्द कविता से छाँटकर लिखिए
खुला, हरिचन्दन्, दमक, रीता, बरस, झूले।

उत्तर:-

शब्दतुकान्त शब्द
1. खुलाधुला
2. हरिचन्दनअभिनन्दन
3. दमकचमक
4. रीताबीता
5. बरसतरस
6. झूलेभूले

प्रश्न 2. कविता की निम्नांकित पंक्तियों को पढ़िए

‘ललचाई आँखों से नाहक
जाने कब से तू तरस रहा’ इनमें ‘नाहक’ शब्द का प्रयोग हुआ है। यह शब्द अरबी भाषा का है, जिसमें ‘ना’ उपसर्ग लगा हुआ है। ‘ना’ उपसर्ग रहित (नहीं) के अर्थ में प्रयोग होता है। इसी तरह के और भी शब्द हैं जैसे- नासमझ…………। आप इस प्रकार के चार शब्दों को ढूंढकर लिखिए।

उत्तर:- नादान, नाराज, नापसन्द, नालायक।

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