UP Board class 7 Hindi Manjari chapter 1 solutions are available here. On this page, you will get the complete set of solutions for the questions asked in Hindi Manjari chapter 1 – “जागो जीवन के प्रभात”.
इस अध्याय “जागो जीवन के प्रभात” में जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण कविता का अध्ययन किया जाएगा। यह कविता एक जागरण गीत है जो मनुष्य को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। इसमें प्रकृति की मनोरम छवियों के माध्यम से सुबह के समय की सुंदरता को चित्रित किया गया है। कवि ने भोर के समय की शांत और शांतिपूर्ण वातावरण को बहुत ही मार्मिक ढंग से व्यक्त किया है। इससे पाठक को कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।
UP Board Class 7 Hindi Manjari Chapter 1 Solutions
Subject | Hindi (Manjari) |
Class | 7th |
Chapter | 1.जागो जीवन के प्रभात |
Author | |
Board | UP Board |
कुछ करने को:-
(i) सुबह सूर्योदय से थोड़ा पहले अपने घर के बाहर अथवा छत पर खड़े होकर पूर्व दिशा के एक-एक दृश्य को बारीकी से देखिए और
(क) देखे गये दृश्यों के बारे में अपनी पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर:- सुबह की लालिमा ने आकाश को रंगीन कर दिया था। पूरब से उगते सूरज की किरणें धरती पर बिखर रही थीं। कुछ तारे अभी भी आकाश में चमक रहे थे। चिड़ियों की चहचहाहट से वातावरण गुंजायमान था। किसान अपने बैलों को लेकर खेतों की ओर निकल चुके थे। मंदिर से आती घंटियों और शंख की ध्वनि से वातावरण में संगीत की लहरें उठ रही थीं।
(ख) देखे गये दृश्यों का चित्र बनाइए।
उत्तर:- विद्यार्थी स्वयं करें।
(ii) प्रातः काल वर्णन संबंधी कम से कम दो कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर:- प्रभात
अपने प्रभात को देख भरी आँखों से देख
नयी किरणों में नया जीवन है लहराता
अपने प्रभात को देख भरी आँखों से देख
क्षितिज पर लाल रेखा विलसित नृत्य कर रही
सुनहरी धूप बिखरी नव उमंग से भरी
वृक्षगण हरे बहार नये पल्लव धर रहे
अपने प्रभात को देख भरी आँखों से देख
पवनवेग सौरभ से सुगंधित चल रहा
मनोज्ञ मधुर कलरव सब ओर गुंजित हो रहा
अनंत आनंद समीर में विलसित ढल रहा
बिखरी शैल शिखरों पर दिव्य प्रकाश नाच रहा
प्रातःस्मरणीय
बन-बन से चहक उठी अनगिनत कोकिलन की तान
खिल उठे सुमन नये, मुकुलित हुए अरविन्द-दल
दिशा-दिशा से पवन आती सुगंधित लहरें लाती
मुकुल-मुकुल से फूल खिले, कली-कली से मधु टपके
शिशिर-बिन्दु से डालियाँ भीगीं, शीतल मलय समीर
चहकीं कनकांकुरों की पंक्तियाँ, मनोज्ञ वन-गंध बही
गीत गाता था एक मोर, नाचती थीं कछुएँ छोटी
Barcelona डाला, पंछियों ने चहचहाया स्वर मंजुल
विचार और कल्पना
प्रश्न 1. यह कविता उस समय लिखी गई थी जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। हम गुलामी के अंधकार से आजादी के सुनहरे सवेरे की ओर बढ़ रहे थे। बताइए, उस समय देश की स्थिति क्या रही होगी?
उत्तर:- उस समय देश की स्थिति काफी गंभीर और तनावपूर्ण थी। देशवासी अंग्रेजों के शोषण और अत्याचार से त्रस्त थे। राष्ट्रीय आंदोलन चरम पर था। क्रांतिकारियों और नेताओं की गिरफ्तारियां और फांसी जैसी कठोर सजाएं दी जा रही थीं। लेकिन भारतवासियों में आजादी की आकांक्षा जगी हुई थी और वे संघर्ष कर रहे थे।
प्रश्न 2. प्रातः काल पशुपालक अपने पशुओं को चारा खिलाते हैं। इसी तरह निम्नांकित के द्वारा प्रातः काल किये जाने वाले कार्यों के विषय में लिखिए
उत्तर:-
(क) विद्यार्थी – प्रातःकाल उठकर स्नान आदि कर नाश्ता करते हैं और विद्यालय जाने की तैयारी करते हैं।
(ख) माँ – घर के बड़े-बुजुर्गों के लिए नाश्ता बनाती है और बच्चों को विद्यालय जाने की तैयारी कराती है।
(ग) दुकानदार – प्रातःकाल अपनी दुकान खोलकर उसे साफ-सुथरा करता है और दिन भर के व्यवसाय की तैयारी करता है।
(घ) पक्षी – अपने घोंसलों से निकलकर भोजन की तलाश करते हैं और अपने बच्चों को भी भोजन देते हैं।
(ङ) मैं – स्नान-संध्या आदि करके विद्यालय जाने की तैयारी करती हूं।
कविता से
प्रश्न 1. कविता में जीवन का जो सन्देश छिपा हुआ है, दिये गये विकल्पों में से उसे छाँटिए
(क) सूर्योदय के लिए।
(ख) जीवन में नयी आशा का संचार करने के लिए।
(ग) मलय-वात का आनन्द लेने के लिए।
उत्तर:- जीवन में नयी आशा का संचार करने के लिए।
प्रश्न 2. कवि ने प्रातःकाल पृथ्वी पर फैले ओसकणों को क्या कहा है?
उत्तर:- कवि ने प्रात:काल पृथ्वी पर फैले ओसकणों को दुख भरे आ है।
प्रश्न 3. उषा द्वारा ओस बटोरने का क्या आशय है?
उत्तर:- उषा द्वारा ओस बटोरने का आशय यह है कि प्रातःकाल की झलक दिखने पर ओस की बूंदें धरती से समाप्त हो जाती हैं। इसी प्रकार जिस तरह ओस का अस्तित्व सीमित होता है, उसी तरह हमारे जीवन के कष्ट और संघर्ष भी सफलता और आशा की किरणों से दूर हो जाते हैं।
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए
(क) चल रहा सुखद यह मलय-वात।
उत्तर:- रात के अंधकार और कष्टों के बाद अब सुखद और सुगंधित हवा चल रही है, जो प्रातःकाल की शांति और आनंद को लेकर आई है।
(ख) कलरव से उठकर भेंटो तो।
उत्तर:- कवि कहता है कि अब पक्षियों की मधुर कूंकों के साथ प्रातःकाल आ गया है। इसलिए उठकर इस सुंदर प्रातःकाल का आनंद लीजिए।
प्रश्न 5. ‘रजनी की लाज’ को स्पष्ट करने के लिए नीचे चार अर्थ दिए गए हैं, इनमें से सही उत्तर छाँटकर लिखिए
(क) अन्धकार
(ख) शर्म
(ग) अज्ञान
(घ) आलस्य
उत्तर:- (क) अन्धकार
भाषा की बात
प्रश्न 1. कविता की दो पंक्तियों को पढ़िए
(क) चल रहा सुखद यह मलय-वात
(ख) अरुणांचल में चल रही बात
उपर्युक्त पंक्तियों में आए शब्द ‘वात’ और ‘बात’ का अर्थ वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-
शब्द अर्थ वाक्य प्रयोग
(क) वात हवा आज पूर्व दिशा से शीतल वातं चल रही है।
(ख) बात बातचीत, चर्चा आज विद्यालय में 15 अगस्त के बारे में बात हो रही है।
(ग) अरुण+अंचल के योग से ‘अरुणांचल’ शब्द बना है। इसी तरह नीचे लिखे गये शब्दों में ‘अंचल’ शब्द जोड़कर लिखिए
उत्तर:- हिम, उत्तर, पूर्व, सोन, कोयला, नीला
हिम + अंचल – हिमांचल
उत्तर + अंचल – उत्तरांचल
पूर्व + अंचल – पूर्वांचल
सोन + अंचल – सोनांचल
कोयला + अंचल – कोयलांचल
नीला + अंचल – नीलांचल