UP Board class 7 Hindi Manjari chapter 15 – “मनभावन सावन” solutions are available here. From question answers to easy explanations, all your problems are covered in this guide. Get your free guide today!
“मनभावन सावन” इस अध्याय में हमें हिंदी साहित्य के एक अद्भुत कविता का आनंद लेने को मिलेगा। इस कविता में सावन के बादलों की धारा, बूँदों की छमछमाहट, और बिजली की चमक द्वारा सौंदर्यिकता का वर्णन किया गया है। कवि ने सावन के मौसम में प्राकृतिक रूप से होने वाले उत्सव का मनोहारी चित्रण किया है और इसके साथ ही जीवन के उल्लास का आनंद प्रकट किया है। यह कविता हमें सावन के माहौल में आनंद और हर्ष की भावना से परिपूर्ण करती है।

UP Board Class 7 Hindi Manjari Chapter 15 Solutions
Subject | Hindi (Manjari) |
Class | 7th |
Chapter | 15. मनभावन सावन |
Author | |
Board | UP Board |
कुछ करने को
प्रश्न 1: निम्नलिखित शब्दों की सहायता से एक कविता स्वयं बनाइए
बादल, बरसात, पानी, बिजली, हरियाली, दादुर, मोर, पंख, फुहार, काले।
उत्तर :
काले बादलों की घटाएं लाईं बरसात,
धरा पर बिखरी नई हरियाली की चादर हरी-भरी।
झमाझम गिरते पानी के फुहारों में,
नाचता मोर अपने रंगीन पंखों को फैलाए।
बिजली की चमक से चमकती धरा,
दादुर की ध्वनि से गूंजता आकाश सारा।
प्रकृति का यह नजारा कितना मनमोहक,
लाता है दिल में खुशियों का सैलाब रोमांचक।
बरसात की यही बेमिसाल खुशनुमा रौनक,
मन में भरती है जीवन के प्रति नई उमंग।
प्रकृति का यह अद्भुत वरदान अनमोल,
हर दिल में भरता है आनंद का संगीत मधुर और मोहक।
प्रश्न 2:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3:
नोट– विद्यार्थी स्वयं करें।
विचार और कल्पना
प्रश्न 1: कविता को पढ़कर आपके मन में सावन का जो चित्र उभरता है, उसे लिखिए।
उत्तर : कविता को पढ़कर मन में सावन का एक मनोरम और जीवंत चित्र उभरता है। कविता से काले बादलों से भरे आकाश, बरसती बूंदों, बिजली की चमक, हरे-भरे वातावरण और नाचते मोर का सुंदर दृश्य साकार होता है। सावन के इस मनमोहक नजारे में प्रकृति की सजीव छटा और मधुरता झलकती है।
प्रश्न 2: सावन में चारों ओर हरियाली फैल जाती है। दादुर, मोर, चातक, सोनबलाक सभी खुशी से बोलने लगते हैं। आपको सावन कैसा लगता है- दस-पन्द्रह पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर : सावन की ऋतु बहुत ही मनमोहक और आनंददायक लगती है। आकाश में काले बादलों की घटाएं छाई रहती हैं और अचानक बरसात शुरू हो जाती है। पानी की बूंदें धरती पर गिरकर एक सुगंध भरी हवा उठाती हैं। बरसात के साथ ही चारों तरफ एक हरियाली छा जाती है।
पेड़-पौधों की हरी डालियां, नयी कलियां और फूलों की महक से पूरा वातावरण सरगुन हो जाता है। इस मौसम में प्रकृति एक नयी जान पाती है और पक्षी-प्राणी आनंद से नाचते-गाते नजर आते हैं। दादुर, मोर, चातक, सोनबलाक आदि अपनी मधुर आवाजों से इस मनमोहक नजारे में और चार चांद लगा देते हैं।
बचपन में सावन का मौसम हमेशा बेहद मजेदार लगता था। हम दोस्तों के साथ बारिश में भीगते और कीचड़ में खेलते थे। मां के हाथों की गर्म-गर्म गुड़िया और गरमागरम चाय का स्वाद भी अलग ही होता था इस मौसम में। बारिश की फुहारें और बिजली की चमक देखना भी एक अलग आनंद लेता था।
कुल मिलाकर सावन में पूरा वातावरण खुशियों से भर जाता है और मन इस प्रकृति की मनमोहक रौनक से बेहद प्रसन्न होता है।
कविता से
प्रश्न 1: ताड़ के पत्ते किस रूप में दिखायी पड़ रहे हैं ?
उत्तर: ताड़ के पत्ते पंखों के रूप में दिखाई दे रहे हैं जिनमें अंगुलियाँ और चौड़ी हथेली हैं।
प्रश्न 2: हरसिंगार और बेला के फलों पर सावन की बूंदों का क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर: हरसिंगार के फूल झर रहे हैं और बेला के फूलों की कलियाँ प्रतिपल बढ़ रही हैं।
प्रश्न 3: निम्नलिखित भाव कविता की किन पंक्तियों में आये हैं?
(क) पीपल के पत्ते मानो ताली बजाकर नाच रहे हैं और नीम आनंदित हो झूम रही हैं।
उत्तर: नाच रहे पागल हो ताली दे-दे चल-चल झूम-झूम सिर नीम हिलातीं सुख से विह्वल।
(ख) पानी की गिरती धाराओं से धरती के कण-कण में हरे-भरे
उत्तर: धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर रज के कण-कण में तृण-तृण का पुलकावलि भर।
प्रश्न 4:
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए
(क) उड़ते सोनबलाक, आर्द-सुख से कर क्रन्दन।
भाव स्पष्टीकरण: इस पंक्ति का भाव है कि सावन के मौसम में आद्रता से भरी हवा में सोनबलाक (बगुले) बहुत खुश होकर उड़ते हुए अपनी मनोहर आवाज़ निकाल रहे हैं। यहां ‘आर्द-सुख’ का अर्थ है बरसात के सुखद वातावरण से पैदा हुई खुशी।
(ख) रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अन्तर।
भाव स्पष्टीकरण: इस पंक्ति का भाव है कि बरसात के समय होनेवाले प्राकृतिक दृश्यों को देखकर रोमांच और उत्साह से शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और वह अनुभूति दिल के भीतर तक समा जाती है। यहां ‘भीतर अन्तर’ से तात्पर्य है मन और आत्मा।
(ग) फिर फिर आये जीवन में सावन मनभावन।
भाव स्पष्टीकरण: इस पंक्ति में कवि की इच्छा व्यक्त की गई है कि जीवन में सावन ऋतु का यह मनमोहक समय बार-बार आए। सावन की इस मनभावन अवस्था में प्रकृति का सौंदर्य देखकर मन बहुत प्रसन्न होता है, इसलिए कवि चाहता है कि ऐसा अवसर जीवन में बार-बार आता रहे।
प्रश्न 5: कविता की अन्तिम पंक्तियों में कवि ने क्या इच्छा व्यक्त की है?
उत्तर :
कविता की अंतिम पंक्तियों में कवि ने इच्छा व्यक्त की है कि सावन का यह मनमोहक और खुशनुमा समय जीवन में बार-बार आए। कवि को सावन ऋतु इतनी प्रिय लगती है कि वह चाहता है कि वह हमेशा बनी रहे। वह नहीं चाहता कि सावन का यह सुखद और प्रसन्नतादायक समय कभी समाप्त हो।
“फिर फिर आये जीवन में सावन मनभावन।” इन पंक्तियों के माध्यम से कवि की इच्छा स्पष्ट है कि सावन की यह आनंददायी अवस्था जीवन में पुनः-पुनः आती रहे। सावन की हरियाली, बरसात की बूंदें, बिजली की चमक और पक्षियों की मधुर कूंकें कवि को इतनी प्रिय हैं कि वह उसकी निरंतरता चाहता है। इन पंक्तियों में कवि की सावन के प्रति गहरी आकांक्षा और लगाव झलकता है।
भाषा की बात
प्रश्न 1: ‘झम-झम, झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के’ – इसमें ‘झम-झम’ ध्वनि सूचक शब्द है। कविता में अन्य कई ध्वनि सूचक शब्दों का प्रयोग हुआ है, जिससे सावन की बरसात का बड़ा सहज एवं सरस चित्रण हुआ है। इस प्रकार के ध्वनि सूचक शब्दों को चुनकर लिखिए।
उत्तर: छम-छम, तड़-तड़, टप-टप, चम-चम, थम-थम, झूम-झूम, घुमड़-घुमड़, झन-झन आदि।
प्रश्न 2: कविता की उन पंक्तियों को चुनकर लिखिए जिनमें अनुप्रास अलंकार है।
उत्तर:
झम-झम, झम-झम मेघ बरसते हैं, सावन के,
छम-छम-छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के।