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इस अध्याय में लेखक हजारीप्रसाद द्विवेदी ने मानवता के विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने समाज में बदलाव के महत्व को बताया है और सच्चाई, ईमानदारी, और संयम के महत्व को उजागर किया है। लेखक ने समाज में हो रहे धोखाधड़ी, ठगी, और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने समाज की सकारात्मक दिशा की ओर प्रेरित किया है और निराशा की जगह आशा को बढ़ावा दिया है।

UP Board Class 7 Hindi Manjari Chapter 16 Solutions
Subject | Hindi (Manjari) |
Class | 7th |
Chapter | 16. क्या निराश हुआ जाय |
Author | |
Board | UP Board |
कुछ करने को-
प्रश्न 1: क्या कारण है कि आजकल हर व्यक्ति संदेह की दृष्टि देखा जा रहा है?
उत्तर : आजकल हमारे समाज में नकारात्मकता और संदेह का वातावरण बन गया है। लोग एक-दूसरे पर विश्वास करने से कतराते हैं। इसके कई कारण हैं। मीडिया में बुराइयों और अपराधों की खबरें अधिक दिखाई जाती हैं, जिससे लगता है कि समाज में कोई अच्छाई नहीं बची है। साथ ही, लोगों में अपने स्वार्थ को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कई बार दूसरों की उपलब्धियों और सफलताओं पर भी संदेह किया जाता है। इस तरह के नकारात्मक वातावरण के कारण हर किसी को संदेह की नजर से देखा जाने लगा है।
प्रश्न 2: जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्थाएँ क्यों हिलने लगी हैं?
उत्तर : आज के समय में, जीवन के महान मूल्यों और आदर्शों जैसे ईमानदारी, न्याय, करुणा, सच्चाई आदि पर लोगों की आस्था कमजोर होती जा रही है। इसके कई कारण हैं। पहला, मीडिया में नकारात्मकता और बुराइयों का अत्यधिक प्रचार होता है। दूसरा, लोग अपने स्वार्थों को प्राथमिकता देते हैं और नैतिक मूल्यों को नजरअंदाज करते हैं। तीसरा, जो लोग नैतिक मूल्यों का पालन करते हैं, उनकी उपलब्धियां अक्सर अनदेखी की जाती हैं। चौथा, समाज में धन और सत्ता को महत्व दिया जाता है, जबकि नैतिक मूल्यों को नजरअंदाज किया जाता है। इन कारणों से जीवन के महान मूल्यों के प्रति लोगों की आस्था हिलने लगी है।
प्रश्न 3: किन घटनाओं के आधार पर लेखक को लगा कि मनुष्यता अभी समाप्त नहीं हुई है?
उत्तर : लेखक को दो घटनाओं के आधार पर लगा कि मनुष्यता अभी समाप्त नहीं हुई है। पहली घटना थी एक टिकट-बाबू की ईमानदारी की। वह सचमुच ईमानदार था और अपने कर्तव्य का पालन करता था। दूसरी घटना थी एक बस कंडक्टर की कर्तव्यनिष्ठा की। वह भी अपना काम बड़ी लगन और निष्ठा से करता था। ये दोनों घटनाएं लेखक को यह दिखाती हैं कि आज भी समाज में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ लोग मौजूद हैं। ऐसे लोग अपने आचरण से मनुष्यता और नैतिक मूल्यों को जीवित रखते हैं। इन घटनाओं ने लेखक को आशा दी कि मनुष्यता अभी समाप्त नहीं हुई है।
प्रश्न 4: ‘बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बुरी बात है।’ क्यों?
उत्तर : लेखक का यह कथन बहुत ही महत्वपूर्ण है। बुराई में रस लेना बुरी बात है क्योंकि इससे समाज में नकारात्मकता और विद्वेष फैलता है। लेकिन अच्छाई में उतना ही रस लेकर उसे उजागर न करना और भी बुरी बात है। क्योंकि जब हम अच्छाई को प्रकट नहीं करते तो लोगों में नैतिक मूल्यों और आदर्शों के प्रति प्रेरणा नहीं पैदा होती। हमारे आस-पास बहुत सी ऐसी घटनाएं घटती हैं जहां लोग ईमानदारी, परोपकार, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते हैं। यदि हम इन घटनाओं को उजागर करें तो समाज में नैतिकता और सकारात्मकता का संचार होगा। इसलिए अच्छाई को प्रकट करना बहुत जरूरी है ताकि लोगों में भी नैतिक मूल्यों के प्रति आकर्षण बढ़े।
प्रश्न 5: निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) “ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।”
उत्तर : इन पंक्तियों का आशय यह है कि आज के समय में लोग ईमानदारी और सच्चाई को महत्व नहीं देते हैं। ईमानदारी करने वालों को मूर्ख समझा जाता है, क्योंकि लोग मानते हैं कि इससे तरक्की नहीं होती। दूसरी ओर, धन और सफलता प्राप्त करने के लिए लोग बेईमानी और झूठ बोलने से नहीं हिचकते। सच्चाई का पालन करना सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए शेष रह गया है जो कमजोर और असहाय हैं, क्योंकि उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इस प्रकार, नैतिक मूल्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है और धन-सफलता को ही सर्वोपरि माना जा रहा है।
(ख) “केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है तो जीवन कष्टकर हो जाएगा।”
उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि यदि हम जीवन में केवल उन नकारात्मक घटनाओं और अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनमें हमें धोखा मिला या हमारे साथ बुरा व्यवहार किया गया, तो हमारा जीवन कष्टप्रद और दुखमय हो जाएगा। हमें अपना ध्यान नकारात्मकता से हटाकर सकारात्मकता और आनंद की ओर लगाना चाहिए। बीते अनुभवों और घटनाओं को भुलाकर आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है, अन्यथा हम खुशियों से वंचित रह जाएंगे।
(ग) “भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती।”
उत्तर : इन पंक्तियों का आशय है कि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं और बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जैसे, यदि कोई व्यक्ति भूखा है तो उसकी भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती और उसे भोजन मिलना चाहिए। इसी प्रकार, यदि कोई बीमार है तो उसके लिए दवा की व्यवस्था होनी चाहिए, उसकी बीमारी की उपेक्षा नहीं की जा सकती। यहां आशय यह है कि आधारभूत जरूरतों को पूरा करना अनिवार्य है, भले ही बाकी सभी क्षेत्रों में संयम और त्याग का पालन किया जाए।
(घ) “महान भारतवर्ष के पाने की सम्भावना बनी हुई है, बनी रहेगी।”
उत्तर : इस पंक्ति से लेखक का आशय है कि भारत को एक महान देश बनने की पूरी क्षमता और संभावना है। हालांकि देश में कुछ बुराइयां और समस्याएं विद्यमान हैं, लेकिन उन्हें देखकर निराश नहीं होना चाहिए। भारत में ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और अच्छे लोगों की कोई कमी नहीं है। यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें तो भारत अवश्य ही एक महान राष्ट्र बन सकता है। लेखक विश्वास व्यक्त कर रहा है कि भारत का यह महत्व और गरिमा बनी रहेगी और देश प्रगति करता रहेगा।
भाषा की बात
प्रश्न 1: नीचे कुछ अव्यय शब्द दिए गये हैं, उनकी प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाइए
क्योंकि, किन्तु, परन्तु, अथवा, इसलिए, चूंकि, तथा, अतः
उत्तर:
- क्योंकि – मैं यहाँ रुकना नहीं चाहती क्योंकि यहाँ मेरा मन नहीं लग रहा है।
- किंतु – वह गरीब था, किन्तु उसकी ईमानदारी में कोई कमी नहीं थी।
- परन्तु – वह आपसे ही मिलने आया था परन्तु आप शहर से बाहर थे।
- अथवा – तुम अंग्रेजी अथवा हिंदी में कोई एक भाषा चुन लो।।
- इसलिए – रमा मेरी बात नहीं मानती इसलिए मैंने उससे कुछ कहना ही छोड़ दिया है।
- चूंकि – चूँकि तुम एक मंत्री के बेटे हो, इसलिए तुम किसी पर भी अपनी मर्जी थोप सकते हो?
- तथा – ईमानदारी, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा, स्वाभिमान, साहस तथा आत्मनिर्भरता वीर पुरुषों के गुण है।
- अतः – वह आपसे मिलना नहीं चाहता अतः आप यहाँ से चले जाएँ।
प्रश्न 2: ईमानदार’ तथा ‘मूर्ख’ शब्द गुणवाचक विशेषण हैं, इनमें क्रमशः ई” तथा “ता’ प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञा शब्द ‘ईमानदारी’ तथा ‘मूर्खता’ बनाया गया है। नीचे लिखे गये विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए- निर्भीक, जिम्मेदार, कायर, अच्छा, लघु, बुरा।
उत्तर:
शब्द | भाववाचक संज्ञा |
---|---|
निर्भीक | निर्भीकता |
जिम्मेदार | जिम्मेदारी |
कायर | कायरता |
अच्छा | अच्छाई |
लघु | लघुता |
बुरा | बुराई |
प्रश्न 3: इस पाठ में सरल, मिश्र और संयुक्त तीनों प्रकार के वाक्य आये हैं। नीचे दिये गये वाक्यों को पढ़िए और बताइए कि वे किस प्रकार के वाक्य हैं
(क) उसके सारे गुण भुला दिये जायेंगे और दोषों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाने लगेगा। | संयुक्त वाक्य |
(ख) एक बार मैं बस में यात्रा कर रहा था। | सरल वाक्य |
(ग) इस समय सुखी वही है जो कुछ नहीं करता। | मिश्रित वाक्य |
(घ) यह सही है कि इन दिनों कुछ ऐसा माहौल बना है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलाने वाले निरीह और भोले-भाले श्रमजीवी पिस रहे हैं और झूठ तथा फरेब का रोजगार करने वाले फल-फूल रहे हैं। | मिश्रित वाक्य |