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इस पाठ में, हम महामना मदन मोहन मालवीय के जीवन का वर्णन सुनते हैं, जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के नेता और शिक्षाविद् थे। मालवीय जी ने अपने जीवन को समाज की सेवा में समर्पित किया और भारतीय स्वतंत्रता के लिए प्रयास किए। उन्होंने हिन्दू धर्म और संस्कृति के प्रति गहरी श्रद्धा और समर्पण दिखाया। उनका सपना था कि हिन्दू धर्म के माध्यम से ही विश्वबंधुत्व का भाव पैदा किया जा सकता है। इस पाठ से हमें महामना मदन मोहन मालवीय के बारे में जानकारी मिलती है और उनके योगदान को समझने का अवसर मिलता है।

UP Board Class 7 Hindi Manjari Chapter 21 Solutions
| Subject | Hindi (Manjari) |
| Class | 7th |
| Chapter | 21. भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय |
| Author | |
| Board | UP Board |
कुछ करने को-
प्रश्न 1:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2: मालवीय जी ने अनेक समाचार-पत्रों का संपादन किया। पता लगाइए कि वे समाचार पत्र कौन-कौन से थे?
उत्तर: महामना मदन मोहन मालवीय जी ने ‘हिन्दोस्थान’, ‘अभ्युदय’, ‘लीडर’, ‘भारत’, ‘मर्यादा’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’, इण्डियन ओपीनियन’ तथा ‘सनातन धर्म’ नामक समाचार-पत्रों का संपादन किया।
प्रश्न 3:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें
विचार और कल्पना–
प्रश्न 1: मालवीय जी ने तत्कालीन समाज की समस्याओं पर आवाज उठाई। आपके विचार से तत्कालीन समाज में क्या-क्या समस्याएँ रही होंगी जिन पर उन्होंने आवाज उठायी?
उत्तर: मालवीय जी के समय का समाज विभिन्न समस्याओं से ग्रसित था। उस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, इसलिए देश की आजादी सबसे बड़ी समस्या थी। मालवीय जी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आवाज उठाई और स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा, तत्कालीन समाज में जाति प्रथा, छुआछूत, अस्पृश्यता जैसी कुरीतियाँ व्याप्त थीं। स्त्रियों की स्थिति दयनीय थी और उनके अधिकारों का हनन होता था। बाल विवाह और कुप्रथाएं भी प्रचलित थीं। शिक्षा का अभाव था, अशिक्षा व्यापक रूप से फैली हुई थी। मालवीय जी ने इन सभी समस्याओं के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई और समाज सुधार के प्रयास किए।
प्रश्न 2: भारतीय संस्कृति में गाय को माता कहा गया है। इस संबंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा देना उचित ही है। गाय का दूध हमारे पोषण और स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गाय के दूध से बनने वाले उत्पाद भी पौष्टिक और लाभकारी होते हैं। जिस प्रकार माता अपने बच्चे को जन्म देकर दूध पिलाती है और पालन-पोषण करती है, उसी प्रकार गाय भी हमारा पोषण करती है। इसलिए गाय वास्तव में हमारी माता ही है।
प्रश्न 3: मालवीय जी ने सभी के लिए शिक्षा की बात कही थी। आज सरकार ने शिक्षा के अधिकार के तहत इसे पूरे देश में लागू कर दिया। कल्पना कीजिए कि जब यह व्यवस्था नहीं रही होगी तो शिक्षा प्राप्त करने में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ होती होंगी? लिखिए।
उत्तर: अगर शिक्षा का अधिकार का कानून नहीं होगा, तो शिक्षा प्राप्त करना बहुत कठिन होगा। गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाएंगे क्योंकि उनके पास पढ़ाई का खर्च वहन करने की क्षमता नहीं होगी। महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा से दूर रखा जाएगा। कई स्थानों पर विद्यालय बहुत दूर होंगे, जिससे वहां पहुंचना मुश्किल होगा। यातायात के साधनों की कमी भी एक बाधा होगी। शिक्षा केवल अमीर लोगों के लिए ही सुलभ होगी। अशिक्षा और अज्ञानता का फैलाव होगा।
प्रश्न 4: मालवीय जी चाहते थे कि गंगा की धारा को कहीं रोका न जाय क्योंकि गंगा केवल नदी नहीं बल्कि संस्कृति की धारा है। आज गंगा प्रदूषण की शिकार हो गयी है। सोचिए जिस दिन गंगा नहीं रहेगी उस दिन क्या होगा? इस सम्बंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: गंगा केवल एक नदी नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति और आस्था की प्रतीक है। अगर कभी गंगा नहीं रही तो यह हमारे लिए एक विनाशकारी घटना होगी। हिंदू धर्म और संस्कृति की नींव ही हिल जाएगी क्योंकि गंगा हमारी आस्थाओं और विश्वासों का केंद्र है। उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी क्योंकि यहां की जीविका गंगा पर ही निर्भर है। कृषि और उद्योग बुरी तरह प्रभावित होंगे। शहरों में जलसंकट गहरा जाएगा। लोगों का जीवन दुष्कर हो जाएगा। इसलिए गंगा सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है।
प्रश्न 5: आपके विचार में वर्तमान समाज की क्या-क्या समस्याएँ हैं? उनके क्या समाधान हो सकते हैं?
उत्तर: वर्तमान समय में हमारा समाज कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। सबसे बड़ी समस्या तेजी से बढ़ती जनसंख्या है। आबादी के बढ़ने से संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है और यह गरीबी, बेरोजगारी तथा कुपोषण को बढ़ावा दे रहा है।
इसके अलावा, असमानता, भेदभाव, अशिक्षा, महिला उत्पीड़न, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, अपराध, प्रदूषण जैसी समस्याएं भी हमारे समाज को कलुषित कर रही हैं। बाल श्रम और बाल अपराध भी चिंता का विषय बने हुए हैं।
इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार, समाज और हर नागरिक को मिलकर प्रयास करने होंगे। जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाने होंगे। शिक्षा को सभी तक पहुंचाना होगा और रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। महिलाओं को सशक्त बनाने की जरूरत है। भ्रष्टाचार और अपराध पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लानी होगी।
यदि हम सभी इन समस्याओं के प्रति सजग रहेंगे और उचित कदम उठाएंगे तो हमारा समाज निश्चित रूप से बेहतर होगा।
जीवनी से-
प्रश्न 1: महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म कब और कहाँ हुआ था? इनके माता-पिता का क्या नाम था?
उत्तर: महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित बृजनाथ चतुर्वेदी और माता का नाम श्रीमती मुन्नादेवी था। मालवीय जी का जन्म एक धार्मिक और साहित्यिक परिवार में हुआ था।
प्रश्न 2: मदन मोहन और उनके वंशज मालवीय क्यों कहे गए?
उत्तर: मदन मोहन मालवीय के पूर्वज 15वीं शताब्दी में मालवा प्रांत से आकर प्रयागराज में बस गए थे। उनका मूल नाम “मल्लाई” था, जिसे बाद में मालवीय कहा जाने लगा। इस प्रकार मदन मोहन और उनके वंशज मालवा से आने के कारण मालवीय कहलाए।
प्रश्न 3: मालवीय जी के जन्म के समय भारत की स्थिति कैसी थी?
उत्तर: मालवीय जी के जन्म के समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। देश में राष्ट्रीय चेतना का विकास हो रहा था और लोग आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस दौरान समाज में अंधविश्वास, कुरीतियाँ और अशिक्षा भी व्याप्त थी। मालवीय जी का जन्म ऐसे ही बौद्धिक जागरण के दौर में हुआ था।
प्रश्न 4: महामना ने तत्कालीन भारत में समस्याओं के समाधान का विकल्प किसे माना है और क्यों?
उत्तर: मालवीय जी ने तत्कालीन भारत की समस्याओं के समाधान का विकल्प हिन्दू धर्म के पुनरुद्धार और पुनरुत्थान को माना। उनका मानना था कि हिन्दू धर्म भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक है। इसी के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों को दूर किया जा सकता है। साथ ही यही हिन्दू धर्म ही भारत की स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा स्रोत भी बन सकता है।
प्रश्न 5: महामना मालवीय का दिवास्वप्न क्या था?
उत्तर: महामना मालवीय जी का दिवास्वप्न विश्व बंधुत्व की भावना को जगाना था। वे चाहते थे कि हिन्दू दर्शन के आधार पर सभी मानव एक परिवार के सदस्य हैं, यह भाव पैदा किया जाए। उन्होंने अपने पूरे जीवन में इसी दिशा में काम किया और लोगों में एकता और बंधुत्व की भावना पैदा करने का प्रयास किया।
प्रश्न 6: उन्होंने तत्कालीन समाज में फैली किन-किन समस्याओं पर कुठाराघात किया?
उत्तर: मालवीय जी ने तत्कालीन समाज में व्याप्त कई कुरीतियों और समस्याओं पर कड़ा प्रहार किया। इनमें मुख्य रूप से छुआछूत, अस्पृश्यता, बाल विवाह, अंधविश्वास, स्त्रियों की शिक्षा पर प्रतिबंध और उनका शोषण शामिल थे। उन्होंने इन समस्याओं के विरुद्ध आवाज उठाई और लोगों को जागरूक किया।
प्रश्न 7: स्त्रियों के प्रति मालवीय जी का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर: मालवीय जी का स्त्रियों के प्रति एक बहुत ही उदार और समावेशी दृष्टिकोण था। उन्होंने स्त्रियों के शिक्षित होने और आत्मरक्षा करने पर बल दिया। उन्होंने कहा था कि स्त्रियां भी अंग्रेज महिलाओं की तरह हथियार रखें और उनका प्रयोग करना सीखें ताकि वे किसी भी आक्रमण से अपनी रक्षा कर सकें। उन्होंने समाज से अपील की कि वह उन सभी कुरीतियों को दूर करे जो स्त्री उत्थान में बाधक हैं। बाल विवाह का भी उन्होंने विरोध किया और स्त्री शिक्षा पर जोर दिया।
प्रश्न 8: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे मालवीय जी की क्या सोच थी?
उत्तर: मालवीय जी का मानना था कि देश की सभी समस्याओं की जड़ अशिक्षा है। उन्होंने शिक्षा को पुरातन और नवीन मूल्यों के बीच एक सेतु के रूप में देखा। इसलिए उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की ताकि भारतीय संस्कृति और मूल्यों के साथ आधुनिक शिक्षा भी प्रचारित हो सके। उनका सपना था कि सभी बच्चों को गरीबी के बावजूद शिक्षा मिले l
भाषा की बात
प्रश्न 1: पाठ में ‘साथ-साथ’ शब्द आया है जो पुनरुक्त शब्द है। इसी प्रकार दिये गये पुनरुक्त शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
अपना-अपना, धीरे-धीरे, छोटे-छोटे, हँसते-हँसते, पानी-पानी ।
उत्तर:
- अपना-अपना – तुम सबको अपना-अपना कार्य स्वयं करना चाहिए।
- धीरे-धीरे – धीरे-धीरे उन्हें अपने मकसद में कामयाबी मिल ही गई।
- छोटे-छोटे – इन छोटे-छोटे कामों में सफलता पाकर ही तुम आगे बढ़ पाओगे।
- हँसते-हँसे – छोटे बच्चे के मुँह से इस तरह की बात सुनकर सब हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए।
- पानी-पानी – चोरी करते हुए पकड़े जाने पर वह पानी-पानी हो गया।
प्रश्न 2:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3: निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
जैसे- जो अनुकरण करने योग्य हो – अनुकरणीय
(क) युग का निर्माण करने वाला। – युगनिर्माता
(ख) जो सबको समान भाव से देखता हो। – समद्रष्टा
(ग) जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते प्रतीत हों। – क्षितिज
(घ) जिसका कोई खण्ड न हो सके। – अखण्ड
प्रश्न 4: इस पाठ को पढ़कर आपके मन में महामना मदन मोहन मालवीय के व्यक्तित्व की कुछ विशेषताएँ उभर रही होंगी। उन विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर: मदन मोहन मालवीय का व्यक्तित्व अनेक गुणों से परिपूर्ण था। उनमें निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ थीं:
- देशभक्त: मालवीय जी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान सेनानी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया और देश की आजादी के लिए अथक प्रयास किए।
- धर्मप्रेमी: वे हिंदू धर्म और संस्कृति के गहरे अनुयायी थे। उन्होंने हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए कई कदम उठाए जैसे कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना।
- समाज सुधारक: मालवीय जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे छुआछूत, अस्पृश्यता, बाल विवाह आदि के विरुद्ध आवाज उठाई। उन्होंने स्त्री शिक्षा और उनके उत्थान पर भी बल दिया।
- शिक्षाप्रेमी: शिक्षा को वे देश की प्रगति का आधार मानते थे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना और शिक्षा के प्रसार के लिए उनके प्रयास इसके प्रमाण हैं।
- बहुमुखी प्रतिभा: मालवीय जी राजनीतिज्ञ, शिक्षाशास्त्री, साहित्यकार और पत्रकार सभी थे। उनकी यह बहुमुखी प्रतिभा बहुत ही अनुपम थी।
- विश्व बंधुत्व: वे विश्व बंधुत्व की भावना के समर्थक थे। उन्होंने लोगों में एकता और बंधुत्व की भावना पैदा करने का प्रयास किया।
इस प्रकार मालवीय जी एक महान क्रांतिकारी विचारक और समाज सुधारक थे। उनका व्यक्तित्व अनेक उत्कृष्ट गुणों से परिपूर्ण था।