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‘बाल-लीला’ भक्तिकाल के महान कवि सूरदास द्वारा रचित एक अत्यंत लोकप्रिय और भावपूर्ण कृष्ण-गीत है। इस भक्ति पद में सूरदास जी ने भगवान श्रीकृष्ण के बालपन की मनमोहक लीलाओं और बाल-क्रीड़ाओं का मार्मिक चित्रण किया है। बाल कृष्ण की नटखट हरकतों, उनके माखन-चोरी, गिरिगोवर्धन उठाने और कालिया नाग को वश में करने जैसी लीलाओं का बेहद मनोरम वर्णन इस कविता में मिलता है। कवि ने प्रेम और भक्ति के भावों को अत्यंत सहज और सरल शब्दों में अभिव्यक्त किया है। कृष्ण-लीला के इन दृश्यों के माध्यम से सूरदास जी ने ईश्वर के बाल-स्वरूप और उनकी मनमोहक मासूमियत को चित्रित किया है। इस प्रकार, यह कविता श्रीकृष्ण के प्रति अपार प्रेम और भक्ति की अनुपम अभिव्यक्ति है।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 9
Subject | Hindi |
Class | 6th |
Chapter | 9. ‘बाल-लीला’ |
Author | सूरदास |
Board | Bihar Board |
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. अपने साथियों द्वारा लगाये आरोपों को झठा बताने के लिये कृष्ण अपनी माँ के सामने कौन-कौन से तर्क रखते हैं?
उत्तर:- कृष्ण अपनी मां के सामने निम्न तर्क रखते हैं:
- मैं सुबह से शाम तक गौशाला में रहता हूं, इसलिए घर पर माखन चुराने का अवसर ही नहीं मिलता।
- माखन का मटका इतनी ऊंचाई पर लटका होता है कि मेरी बाहें वहां तक नहीं पहुंच पातीं।
- ग्वालबाल मुझे बदनाम करने की नीयत से ही मेरे मुंह पर माखन लगाते हैं और माँ भी उनकी बातों में आ जाती हैं।
- आपके मन में भी संदेह है क्योंकि आप नहीं मानतीं कि मैं आपका ही बेटा हूं।
इन तर्कों से कृष्ण यह बताना चाहते हैं कि वे निर्दोष हैं और साथियों द्वारा लगाए जा रहे आरोप झूठे हैं।
प्रश्न 2. नीचे कुछ पंक्तियाँ दी हुयी हैं। इन पंक्तियों से बाल-लीला के पदों को छाँटकर लिखिये जिनका भावार्थ उन पंक्तियों में दिया गया है।
क). माँ मैं अभी बहुत छोटा हूँ, छोटी-छोटी मेरी बाहें हैं। सींका (छींका) मैं किस तरह पा सकता हूँ। माँ मेरे दोस्त अभी दुश्मन बन बैठे हैं। मेरे मुँह पर जबरदस्ती माखन लगा दिये हैं
उत्तर:-
में बालक बहियन को छोटो. छींको केहि विधि पायो।
ग्वाल-बाल सन बैर पड़े हैं, बरबस मुख लपटायो।।
ख). माँ, अपनी यह लाठी और कम्बल लो । तूने मुझे बहुत परेशान किया है। इस पर यशोदा हँसकर कृष्ण को गले से लगा लेती है।
उत्तर:- सूरदास, तब बिहंसी जसोदा, लै उर कंठ लगायो ।।
पाठ से आगे –
निम्नलिखित पद का अर्थ अपनी मातृभाषा में कीजिए।
(क) मैं बालक बहियन को छोटो, छींको केहि विधि पायो।
ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो॥
उत्तर:- माँ, मैं तो बच्चा हूँ, मेरे हाथ भी छोटे-छोटे हैं ऊँचे सींक को मैं कैसे प्राप्त कर सकता हूँ। ये ग्वाल के बच्चे मुझसे दुश्मनी पाल रखे हैं। माखन खाये वे तथा जबर्दस्ती मेरे मुँह में माखन लगा दिये जिससे मैं चोर साबित हो जाऊँ।
(ख) तू जननी मन की अति भोरी, इनके कहि पतियायो।
जिय तेरे कछु भेद उपजिहैं, जानि परायो जायो ।
उत्तर:- माँ तो मन की अति भोली है इसीसे तो इनकी बातों पर विश्वास कर ली है। तुम्हारे हृदय में मेरे प्रति कुछ भेद उत्पन्न हो गया है क्योंकि तुम मुझको पराय का पुत्र मान रही हो।
व्याकरण –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को स्थानीय बोली में क्या कहते हैं ? लिखिए।
भटक्यो, बहियन, छींको, परायो, लुकटी।
भटक्यो = भटकते रहा।
बहियन = बाँह ।
छींको = सीका।
परायो = पराया।
लुकटी = डण्डा।