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‘सरजू भैया’ रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित एक अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील कहानी है। यह कहानी गरीबी और असहाय परिस्थितियों के बीच एक छोटे बच्चे की मासूमियत और निरीह दुनिया को बेहद प्रभावी ढंग से चित्रित करती है। कहानी का नायक सरजू एक बेहद गरीब परिवार से आता है, जिसके पिता नौकरी की तलाश में शहर छोड़कर चले जाते हैं। इसके बाद सरजू की जिम्मेदारी उसकी मां और बहन के कंधों पर आ जाती है। लेकिन बच्चे की निरीह मासूमियत और आशावादिता ही उसे जीवन के संघर्ष से गुजरने की शक्ति देती है। सरजू के चरित्र के माध्यम से लेखक ने बचपन की निष्कलुषता और विश्वास को दर्शाया है। साथ ही गरीबी और अभाव के बावजूद मानव आत्मा की अदम्य शक्ति को भी उजागर किया है।
Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 11
Subject | Hindi |
Class | 6th |
Chapter | 11. ‘सरजू भैया’ |
Author | रामकृष्ण बेनीपुरी |
Board | Bihar Board |
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. सरजू भैया को जिन्दादिल क्यों कहा गया है ?
उत्तर:- सरजू भैया को जिन्दादिल इसलिए कहा गया क्योंकि वे गरीब होने के बावजूद भी हमेशा खुशमिजाज और दयालु रहते थे। उनमें परोपकार की भावना बहुत प्रबल थी और वे हमेशा दूसरों की मदद करने को तत्पर रहते थे।
प्रश्न 2. लेन-देन के व्यवसाय में सरजू भैया क्यों सफल नहीं हो सकते थे?
उत्तर:- सरजू भैया लेन-देन के व्यवसाय में सफल नहीं हो सकते थे क्योंकि वे इतने दयालु थे कि जब कोई ऋणी उनके सामने आंसू बहाता, तो वे उससे मूलधन भी वसूल नहीं करते थे। इस प्रकार उनका लेन-देन का व्यवसाय चलता ही नहीं था।
प्रश्न 3. चतुर, फुर्तीले और काम-काजू आदमी होते हुए भी सरजू भैया सुखी-संपन्न क्यों नहीं रह सके?
उत्तर:- सरजू भैया चतुर, फुर्तीले और कामकाजी होने के बावजूद सुखी-संपन्न नहीं रह सके क्योंकि उनका समय गांव के लोगों की सेवा में ही लगा रहता था। वे किसी की भी मदद करने के लिए तत्पर रहते थे, चाहे कोई बीमार हो, बाजार का सौदा लेना हो या किसी अन्य काम में मदद की जरूरत हो। इस तरह दूसरों की सेवा में लगे रहने के कारण वे अपना खेती-किसानी का काम नहीं कर पाते थे और सुखी-संपन्न नहीं रह सके।
प्रश्न 4. सरजू भैया ने सादे कागज पर अंगूठे का निशान क्यों बनाया ?
उत्तर:- सरजू भैया ने सादे कागज पर अंगूठे का निशान इसलिए बनाया क्योंकि जब उन्हें पैसों की जरूरत पड़ी तो महाजन ने उनसे अंगूठा लगाकर कागज पर साइन करने को कहा। सरजू भैया बेहद सीधे-सादे और भोले व्यक्ति थे, इसलिए उन्होंने महाजन के कहे अनुसार अंगूठे का निशान बना दिया।
प्रश्न 5. अपनी शादी की बात सुनकर सरजू भैया ठठाकर क्यों हँस पड़े ? सही उत्तर में (✓) चिह्न लगाइए।
(क) यह समझकर कि लोग उनसे हँसी कर रहे हैं ?
(ख) सरजू भैया स्वयं हँसी कर रहे थे।
(ग) दूसरी शादी की संभावना पर वह बहुत प्रसन्न हो उठे थे।
(घ) वह हँस कर बात टालना चाहते थे।
उत्तर: (घ) वह हँस कर बात टालना चाहते थे।
व्याकरण –
प्रश्न 1. यदि आपको वाक्य में प्रयुक्त विशेषणों को पहचानने में कठिनाई होती है तो याद रखिए :
कैसा, कैसी, कितने, किसका, कहाँ का, कब का आदि प्रश्नों से जो उत्तर मिलते हैं, वे विशेषण होते हैं। जैसे –
बेर कैसा है ? – पक्का, खट्टा, मीठा, बड़ा, छोटा इत्यादि ।
लीची कैसी है ? – बड़ी, मीठी, रसीली इत्यादि।
उसने कितने आम खाए ? – एक, दो, दस, बीस इत्यादि ।
तुमने कितना दूध लिया ? – एक ग्लास, आधा लीटर इत्यादि ।
यह घोड़ा किसका है ? – राम का, मेरा, तुम्हारा इत्यादि ।
यह खिलौना कहाँ का है? – चीन का (चीनी), जापान का (जापानी) इत्यादि।
यह मंदिर कब का बना है ? – राजा मान सिंह के समय का, मुगल-युग का इत्यादि ।
उपर्युक्त नियमों को ध्यान में रखकर सरजू भैया नामक पाठ से दस विशेषण चुनिए ।
उत्तर:- छोटा-सा आँगन, सौभाग्यशाली मालिक, प्रथम संतान, बड़े भाई, छोटा भाई, दुबले आदमी, बड़ी-बड़ी बाँहें, नाक खड़ी, भौंहे सघन, मनहूस आदमी।
प्रश्न 2. सरजू भैया के सुधुवापन के कारण ठगे जाने की कहानी उत्तम पुरुष में लिखिए।
उत्तर:- मान लिया कि मैं लेखक हूँ अब उत्तम पुरुष में सरजू भैया के । सुधुवापन के कारण ठगे जाने की कहानी लिखी जा सकती है। मैं एक बार किसी जरूरत में सरजू भैया से कुछ रुपये लिए। मेरा काम बन गया। रुपये खर्च हो गये। लेकिन अभी तक मैंने सरजू भैया का पैसा वापस नहीं किया। क्योंकि मैंने समझा सरजू भैया को जब जरूरत होगी मुझसे माँग लेंगे। लेकिन उन्होंने न कभी माँगा न मैंने कभी उनका रुपया लौटाने का प्रयास ही किया। जबकि वे दूसरे से सूद पर रुपये लेते हैं। लेकिन हमसे कभी नहीं माँगा। मुझसे ही नहीं गाँव के किसी व्यक्ति से पैसा माँगना उनके नियम के खिलाफ लगता था जिसके कारण उनके पिताजी के समय में चलता हुआ लेन-देन बंद हो गया।