Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 4 Solutions – हॉकी का जादूगर

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‘हॉकी का जादूगर’ मेजर ध्यानचंद द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण आत्मकथात्मक संस्मरण है। इसमें लेखक ने अपने जीवन के विभिन्न पड़ावों और खेल जगत में अपने अनुभवों को बेहद मार्मिक और रोचक शैली में वर्णित किया है। ध्यानचंद भारतीय हॉकी टीम के महानायक थे और उन्होंने देश को कई ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई। इस संस्मरण में उन्होंने अपने परिवार, शिक्षा, कैरियर तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैचों की यादों को साझा किया है। साथ ही, खेल जगत में मिली सफलताओं और विफलताओं के अनुभव भी शामिल हैं। एक स्पोर्ट्स आइकन के रूप में ध्यानचंद ने इस संस्मरण के माध्यम से अपने अनमोल जीवन का एक विलक्षण चित्र प्रस्तुत किया है।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 4 Solutions

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 4

SubjectHindi
Class6th
Chapter4. ‘हॉकी का जादूगर’
Authorमेजर ध्यानचंद
BoardBihar Board

प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1. ध्यानचंद किस खेल से सम्बन्ध रखते हैं?

उत्तर:- ध्यानचंद का संबंध हॉकी के खेल से रहा है।

प्रश्न 2. दूसरी टीम के खिलाड़ी ने ध्यानचंद को हॉकी क्यों मारी?

उत्तर:- दूसरी टीम के खिलाड़ी ने ध्यानचंद पर गुस्से में आकर हॉकी मार दी क्योंकि ध्यानचंद की असाधारण खेल कौशल के कारण वह गेंद छीन नहीं पा रहा था। उसकी हर कोशिश बेकार हो रही थी।

प्रश्न 3. ध्यानचंद ने अपनी सफलता का राज क्या बताया है?

उत्तर:- ध्यानचंद ने अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा कि उनके पास कोई खास गुरुमंत्र नहीं है। केवल लगन, कड़ी मेहनत और खेल के प्रति समर्पित भावना ही सफलता की कुंजी है।

प्रश्न 4. “दोस्त! खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं लगता”‘- ऐसा ध्यानचंद ने क्यों कहा?

उत्तर:- ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी से यह इसलिए कहा क्योंकि खेल में गुस्सा करना उचित नहीं है। उन्होंने खेल भावना से उस खिलाड़ी पर गुस्सा नहीं किया बल्कि मैदान पर ही उसका बदला ले लिया।

प्रश्न 5. ध्यानचंद को कब से ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाने लगा?

उत्तर:- ध्यानचंद को 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की सफलता के बाद ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाने लगा। उनकी असाधारण खेल कौशल और शानदार गोल करने की क्षमता देखकर लोगों ने उन्हें यह उपनाम दिया।

व्याकरण –

प्रश्न 1. थोड़ी देर बाद मैं पट्टी बाँधकर फिर मैदान में आ पहुंचा। आते ही मैंने उस खिलाड़ी की पीठ पर हाथ रखकर कहा- ‘तुम चिंता मत करो, इसका बदला मैं जरूर लूँगा” मेरे इतना कहते ही वह खिलाड़ी घबड़ा गया।
ऊपर के वाक्य में मैं, मैंने, उस, तुम, इसका, मेरे, इतना, वह आदि शब्द संज्ञा की जगह आए हैं। ऐसे शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।

उत्तर:-

संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। सर्वनाम के निम्नांकित छ: भेद हैं –

(क) पुरुषवाचक सर्वनाम – जो शब्द बोलने वाला अपने लिए, सुननेवाले के लिए या किसी अन्य के लिए प्रयोग किए जाते हैं, पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – मैं, तुम, वह ।

(ख) निश्चयवाचक सर्वनाम-जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत के लिए प्रयोग किया जाए, वे निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- उस, इसका, इतना।

(ग) अनिश्चयवाचक सर्वनाम-जो शब्द किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं कराता है, वे अनिश्यवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – कोई, कुछ।

(घ) प्रश्नवाचक सर्वनाम-प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग करते हैं, प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे – कौन, क्या।

(ङ) सम्बन्धवाचक सर्वनाम-जो शब्द किसी व्यक्ति वस्तु या घटना का संबंध जोड़ते हैं, वे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे- जो, से, जिसने, जैसा, तैसा ।

(च) निजवाचक सर्वनाम-जो शब्द कर्ता अपने लिए प्रयोग करता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – अपना, स्वयं, आप ही।

निम्नलिखित वाक्यों में मोटे अक्षरों में छपे सर्वनाम के भेद सामने कोष्ठक में लिखिए।

प्रश्नोत्तर –

(क) कौन खा रहा है? (प्रश्नवाचक)
(ख) मैं अपने काम पर लौट आया। (पुरुषवाचक)
(ग) यही मेरा घर है। (निश्चयवाचक)
(घ) जैसी करनी वैसी भरनी (सम्बन्धवाचक)
(ङ) मैं स्वयं चला जाऊँगा। (निजवाचक)
(च) कुछ तो किया करो। (अनिश्चयवाचक)

प्रश्न 2. इन शब्दों से वाक्य बनाइए। धक्का -मुक्की , नोंक-झोंक, बार-बार, जैसे-जैसे, वैसे-वैसे।

उत्तर:-

(क) धक्का -मुक्की – बस में चढ़ने के लिये बच्चों में ध क्का-मुक्की होने लगी।
(ख) मार-पीट-वहाँ दो दलों में मार-पीट हो गयी और कई-एक लोग घायल हो गये।
(ग) जैसे-तैसे-जैसे-तैसे हमलोगों ने भीड़ वाले रास्ते को पार किया।
(घ) गुरु-मंत्र-ध्यानचंद ने कहा-मेरे पास सफलता का कोई गुरु-मंत्र – नहीं है।
(ङ) वैसे-वैसे-जैसे-जैसे आप मेहनत करेंगे वैसे-वैसे आपको सफलता मिलेगी।

प्रश्न 3. इन वाक्यों में क्रिया शब्द को रेखांकित कीजिए।

उत्तर:-

(क) खेल में तो यह सब चलता ही है।
(ख) मैं पंजाब रेजीमेंट की ओर से खेला करता था।
(ग) बाद में हम झाँसी आकर बस गये।
(घ) वह बार-बार मुझे खेलने के लिये कहते।
(ङ) बर्लिन ओलम्पिक में हमें स्वर्ण पदक मिला।

प्रश्न 4. नीचे लिखे शब्दों को क्रम में सजाकर वाक्य बनाइए –

(क) नौसिखिया/उस समय/मैं एक/था/खिलाड़ी।
(ख) आता/खेल में/मेरे/गया/निखार ।
(ग) शर्मिंदा/वह/बड़ा/हुआ/सचमुच/खिलाड़ी।
(घ) ले जाया/मैदान से/बाहर/मुझे।

उत्तर:-

(क) मैं उस समय एक नौसिखिया खिलाड़ी था।
(ख) मेरे खेल में निखार आता गया।
(घ) वह सचमुच बड़ा शर्मिंदा खिलाड़ी हुआ।
(घ) मुझे मैदान से बाहर ले जाया गया ।

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