Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 7 Solutions – पिता का पत्र पुत्र के नाम

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‘पिता का पत्र पुत्र के नाम’ महात्मा गांधी द्वारा लिखा गया एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पत्र है। इसमें गांधीजी एक पिता की भूमिका में अपने पुत्र को नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने की शिक्षा देते हैं। उन्होंने इस पत्र में एक आदर्श जीवन जीने के लिए आवश्यक सिद्धांतों और मूल्यों की व्याख्या की है। गांधीजी का मानना था कि इन मूल्यों पर चलकर ही एक व्यक्ति सच्ची खुशी और संतोष प्राप्त कर सकता है। सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्वाद, अपरिग्रह, शरीरश्रम, असंग्रह आदि सिद्धांत इस पत्र की मूल भावना को व्यक्त करते हैं। महात्मा गांधी द्वारा लिखा गया यह पत्र एक आदर्श जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होता है।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 7 Solutions

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 7

SubjectHindi
Class6th
Chapter7. ‘पिता का पत्र पुत्र के नाम’
Authorमोहनदास करमचंद गाँधी
BoardBihar Board

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से –

प्रश्न 1. गाँधीजी ने पत्र के माध्यम से अपने पुत्र को क्या-क्या शिक्षाएँ दी हैं ?

उत्तर:- गांधीजी ने अपने पुत्र को निम्नलिखित शिक्षाएं दी हैं:

  • आहार पर विशेष ध्यान देना और संयमित जीवन शैली अपनानी चाहिए।
  • शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि चरित्र निर्माण और कर्तव्य बोध भी महत्वपूर्ण है।
  • अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना सीखना चाहिए।

प्रश्न 2. गाँधीजी ने असली शिक्षा किसे माना है ? उल्लेख कीजिए।

उत्तर:- गांधीजी के अनुसार असली शिक्षा का अर्थ है चरित्र निर्माण और कर्तव्य बोध।

किताबी ज्ञान अकेला पर्याप्त नहीं है। जीवन में नैतिक मूल्यों और कर्तव्य बोध को अपनाना ही सच्ची शिक्षा है।
चरित्रहीन व्यक्ति कभी भी सम्माननीय नहीं हो सकता, और कर्तव्य बोध के बिना जीवन का सही मार्गदर्शन संभव नहीं है।

प्रश्न 3. गाँधीजी के पत्र के माध्यम से किन तीन बातों को महत्वपूर्ण माना गया है?

उत्तर:- गाँधीजी के पत्र के माध्यम से निम्नलिखित बातों को महत्वपूर्ण माना गया है।

  1. अपने आहार पर पूर्ण ध्यान देना।
  2. अपने जिम्मेवारी को हर्षपूर्वक संभालना।
  3. शब्द ज्ञान के अतिरिक्त आत्मा स्वयं एवं ईश्वर का ज्ञान प्राप्त करना ।
  4. गरीबी में जीना अमीरी में जीने से सुखद है।
  5. खर्च का हिसाब सही ढंग से रखना।
  6. गणित-संस्कृत और संगीत विषयों में अधिक अभिरुचि रखना।
  7. कृषि कार्य भी करना चाहिए।
  8. अपना कार्य नियमपूर्वक और नियत समय पर करना ।
  9. ईश्वर की प्रार्थना एवं भजन करना।

प्रश्न 4. “बा” उपनाम से किन्हें जाना जाता है?

उत्तर:- गाँधीजी की पत्नी कस्तुरबा गाँधी “बा” उपनाम से जानी जाती थी।

प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प के सामने (✓) सही का निशान लगाइए –

(क) गाँधीजी ने अपने जिस पुत्र को पत्र लिखा उसका नाम था –
(i) देवदास गाँधी
(ii) मणिलाल गाँधी
(iii) मोहनदास
(iv) रामदास गाँधी

उत्तर: (ii) मणिलाल गाँधी

(ख) गाँधीजी ने यह पत्र-कहाँ से लिखा था?
(i) पटना जेल से
(ii) लखनऊ जेल से
(iii) तिहार जेल से
(iv) प्रिटोरिया जेल से

उत्तर: (iv) प्रिटोरिया जेल से

(ग) गाँधीजी मे यह पत्र कब लिखा.?
(i) 25 मार्च, 1919
(ii) 25 मार्च, 1900
(iii) 25 मार्च, 1909
(iv) 25 मार्च, 1929

उत्तर: (iii) 25 मार्च, 1909

व्याकरण –

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

पत्र, शिक्षा, आश्रम, जिम्मेवारी, महत्वपूर्ण, गरीबी, आनन्द, जेल, चेष्टा, सुख।

उत्तर:-

पत्र = पत्र लिखना चाहिए।
शिक्षा = शिक्षा के बिना मनुष्य पशु समान होता है।
आश्रम = आश्रम में मुनि लोग रहते थे।
जिम्मेवारी = अपनी जिम्मेवारी आप संभालो।
महत्वपूर्ण = महत्वपूर्ण कार्य में उसे बुला लूँगा।
गरीबी = गरीबी में मनुष्य को संयमित रहना चाहिए।
आनन्द = आनन्दपूर्वक अपना कार्य करना चाहिए।
जेल = जेल से छूटकर मैं पढूँगा।
चेष्टा = वह चेष्टापूर्वक कार्य करता है।
सुख = सुख मिलने पर सब सोते हैं।

प्रश्न 2. नीचे लिखे संज्ञाओं के साथ पूर्वक प्रत्यय लगाकर क्रिया-विशेषण बनाइए और उनका अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए।

धैर्य, शांति, संतोष, प्रेम, श्रम।

उत्तर:-

धैर्य = धैर्यपूर्वक कार्य करना चाहिए।
शांति = शांतिपूर्वक बैठना चाहिए।
संतोष = संतोषपूर्वक रहना चाहिए।
प्रेम = प्रेमपूर्वक यहाँ रहो।
श्रम = श्रमपूर्वक काम से सफलता मिलेगी।

प्रश्न 3. नीचे कुछ भाववाचक संज्ञाएँ दी गयी हैं। इससे विशेषण बनाकर उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

महत्व, निश्चय, उपयोग, सहानुभूति, मानब ।

उत्तर:-

महत्व = महत्वपूर्ण कार्य करना चाहिए।
निश्चय = निश्चयपूर्वक कहता है।
उपयोग = उपयोगी वस्तु दान दो।
सहानुभूति = सहानुभूतिपूर्वक निवास करो।
मानव = मानवीय गुणों को धारण करना चाहिए।

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