Bihar Board class 6 Hindi chapter 10 question answer is given for free here. Whether you need assistance or revising this chapter, this guide is very helpful in multiple aspects.
‘भीष्म की प्रतिज्ञा’ एक महत्वपूर्ण एकांकी नाटक है जिसमें महाभारत काल के प्रसिद्ध पात्र भीष्म का जीवन और उनकी विरक्त संकल्प को दर्शाया गया है। इस नाटक में भीष्म द्वारा लिए गए ब्रह्मचर्य व्रत तथा उनकी इस प्रतिज्ञा के गहरे कारणों और परिणामों को सशक्त रूप से उजागर किया गया है। एक महान योद्धा और कुशल सेनापति होने के बावजूद भीष्म द्वारा घरबार और संसार छोड़ देने का निर्णय और उसके पीछे की पीड़ा को भावुक शैली में अभिव्यक्त किया गया है। इस नाटक में उनके व्रत और निष्ठा के साथ-साथ उनके द्वन्द्व और आंतरिक संघर्ष को भी उजागर किया गया है। भीष्म की विराट शख्सियत और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को यह एकांकी बेहद प्रभावी ढंग से पेश करता है।
Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 10
Subject | Hindi |
Class | 6th |
Chapter | 10. ‘भीष्म की प्रतिज्ञा’ |
Author | वंशीधर श्रीवास्तव |
Board | Bihar Board |
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. शान्तनु कहाँ के महाराजा थे?
उत्तर:- शान्तनु हस्तिनापुर के महाराजा थे।
प्रश्न 2. निषादराज ने राजा से अपनी कन्या का विवाह के लिए क्या शर्त रखी?
उत्तर:- निषादराज ने राजा से अपनी कन्या के विवाह के लिए शर्त रखी कि मेरे पुत्री से उत्पन्न बालक ही राजगद्दी पर बैठेगा। तब हम अपनी कन्या का विवाह आपके साथ करेंगे।
प्रश्न 3. राजा को निषादराज की शर्त मानने में क्या कठिनाई थी?
उत्तर:- राजा को देवव्रत नामक एक पुत्र थे जो महान योद्धा थे। उनमें राजा होने के सारे गुण वर्तमान थे। निषादराज की शर्त मानना देवव्रत के साथ अन्याय होता । राजा से देवव्रत के प्रति अन्याय करना असम्भव था। यही कठिनाई थी।
प्रश्न 4. देवव्रत ने हस्तिनापुर की गद्दी पर नहीं बैठने की क्यों प्रतिज्ञा की?
उत्तर:- देवव्रत महान पितृभक्त थे । वे अपने पिता को उदास नहीं देखना चाहते थे। अतः उन्होंने पिता के दुख दूर करने के लिए प्रतिज्ञा की।
प्रश्न 5. देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?
उत्तर:- जब देवव्रत ने निषाद राज के सामने भीष्म (कठिन) प्रतिज्ञा करते हैं कि मैं आजीवन विवाह नहीं करूँगा। उस समय देवताओं ने उनका नाम भीष्म रख दिया।
प्रश्न 6. देवव्रत ने दाशराज की शर्त क्यों मान ली ? सही कथन के आगे सही (✓) का निशान लगाइए।
(क) वह राजा नहीं होना चाहते थे।
(ख) उन्हें निषादराज को प्रसन्न करना था।
(ग) वह ब्रह्मचारी बनकर यश कमाना चाहते थे।
(घ) वह अपने पिताजी को सुखी देखना चाहते थे?
उत्तर:- (घ) वह अपने पिताजी को सुखी देखना चाहते थे?
प्रश्न 7. मिलान करे
स्तम्भ ‘क’ | स्तम्भ ‘ख’ |
---|---|
शान्तनु | निषादों के राजा |
भीष्म | दाशराज की पुत्री। |
दाशराज | हस्तिनापुर के सम्राट |
सत्यवती | हस्तिनापुर के युवराज |
उत्तर:-
स्तम्भ ‘क’ | स्तम्भ ‘ख’ |
---|---|
शान्तनु | हस्तिनापुर के सम्राट |
भीष्म | हस्तिनापुर के युवराज |
दाशराज | निषादों के राजा |
सत्यवती | दाशराज की पुत्री |
व्याकरण –
प्रश्न 1. वाक्य-प्रयोग द्वारा अंतर बताएँ।
(क) कुल – कुल कितने रुपये हैं।
उत्तर:- कूल – गंगा के दोनों कूलों पर शहरें हैं।
(ख) सौभाग्य – मदन सौभाग्यशाली व्यक्ति है।
उत्तर:- दुर्भाग्य – पिता के मरने पर मेरा दुर्भाग्य आरम्भ हो गया।
(ग) अस्त्र – गदा एक अस्त्र है।
उत्तर:- शस्त्र – वाण फेंककर चलाने वाला शस्त्र है।
(घ) पुरी – द्वारिका शहर को द्वारिका पुरी कहते हैं।
उत्तर:- पूरी – भोज की व्यवस्था पूरी कर ली गई है।
(ङ) सेवा – नौकर मालिक की सेवा करता है।
उत्तर:- सुश्रूषा – पुत्र पिता का शुश्रूषा करता है।
प्रश्न 2. निवास-स्थान में योजक चिह्न (-) लगे हुए हैं। इस तरह के अन्य उदाहरण पाठ से चनकर लिखिए।
उत्तर:- निवास-स्थान । नारी-रत्न । सूर्य-चन्द्र । भरत-कुल । भीष्म-देवव्रत । देवता-तुल्य। स्नेह-सूत्र । साफ-साफ।