Bihar Board Class 6 Hindi chapter 12 solutions are available here. It covers all the questions and their solutions of chapter 12 – रहीम के दोहे for free.
‘रहीम के दोहे’ संत कबीर के समकालीन सूफी संत रहीम द्वारा रचित प्रसिद्ध दोहों का एक संग्रह है। इन दोहों में रहीम ने अपने गहरे अनुभवों और जीवन दर्शन को सरल और सुबोध शब्दों में व्यक्त किया है। इनमें सामाजिक समरसता, इंसानी इज्जत, नेकी और अच्छे आचरण की शिक्षा देने के साथ-साथ सांसारिक जीवन से विरक्ति लेने का संदेश भी निहित है। रहीम जी ने जन-साधारण की सरल बोलचाल की भाषा में ही अपने सिद्धांतों और विचारों को प्रस्तुत किया है। उनके दोहे मानव मूल्यों और नैतिक जीवन जीने की शिक्षा देते हैं। यह दोहे न केवल भक्ति और आध्यात्मिकता की परंपरा से जुड़े हैं बल्कि जीवन के प्रत्येक पहलू पर भी ज्योतिर्दायक हैं।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 12
Subject | Hindi |
Class | 6th |
Chapter | 12. ‘रहीम के दोहे’ |
Author | रहीम |
Board | Bihar Board |
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1. अपने मन की पीड़ा मन में ही क्यों छिपाकर रखनी चाहिए?
उत्तर:- मन की पीड़ा को अपने अंदर ही रखने की सलाह दी गई है क्योंकि कुछ लोग हमारी पीड़ा को समझ नहीं पाते और उसका मजाक उड़ा सकते हैं। हालांकि, अपनी भावनाओं को किसी विश्वसनीय व्यक्ति के साथ साझा करना अच्छा होता है।
प्रश्न 2. प्रेम को धागे के समान क्यों कहाँ गया ?
उत्तर:- प्रेम को धागे के समान कहा गया है क्योंकि जैसे एक बार धागा टूट जाता है तो उसे पुनः जोड़ना मुश्किल होता है और वह पहले जैसा नहीं रहता। ठीक उसी तरह, प्रेम में दरार आने पर उसे पुनः पहले जैसा बनाना कठिन होता है।
प्रश्न 3. किसी से कुछ माँगने के कर्म को कैसा बताया गया है और क्यों?
उत्तर:- किसी से कुछ मांगने की प्रक्रिया को मृत्यु के समान बताया गया है क्योंकि जब हम किसी से कुछ मांगते हैं और वह नहीं देता, तो हमारा आत्मसम्मान ठेस पहुंचती है और हमें लगता है कि हम कुछ नहीं कर सकते, जैसे मृत व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
प्रश्न 4. सज्जनों की संपत्ति किस कार्य के लिए होती है ?
उत्तर:- सज्जनों की संपत्ति दूसरों की सेवा और भलाई के लिए होती है, जैसे पेड़ फल देकर और नदियां बहकर दूसरों की सहायता करती हैं। सज्जन अपनी संपत्ति का इस्तेमाल दूसरों के हित में करते हैं।
प्रश्न 5. रहीम की कुछ सुक्तियाँ नीचे दी गई हैं । पाठ के आधार पर उन उदाहरणों को लिखिए जो उन सुक्तियों के प्रणाम-स्वरूप दिए गए
(क) अच्छे लोगों पर बुरे लोगों की संगति का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
उत्तर:
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्याप्त नहि, लपटे रहत भुजंग ।।
(ख) भले लोग (सज्जन लोग) परोपकार के कार्य पर खर्च करते
उत्तर:
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पानि ।
कही रहीम पर काज हित, संपत्ति सँचहिं सुजान ।
(ग) हमें बड़े-छोटे सभी का सम्मान करना चाहिए।
उत्तर:
रहीम देखि बड़ेन को, लघु न दीजै डारि। जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि ।।
(घ) दूसरों का भला करने वालों का अपने आप भला हो जाता है ?
उत्तर:
यो रहीम सुख होत हैं, उपकारी के संग ।
बाँटनवारे को लगे, ज्यों मेंहदी का रंग ।।
(ङ) हमें किसी कार्य के लिए अत्यधिक व्याकुल नहीं होना चाहिए।
उत्तर:
कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर ।
समय पाइ तरुवर फले, केतक सींचो नीर ।।
पाठ से आगे।
प्रश्न 1. ऐसे किन्हीं दो औसरो की चर्चा कीजिए जब आपने दूसरों के लिए काम किया और आपको उसका लाभ मिला है।
उत्तर:- पहला अवसर तब था जब मैं अपनी दीदी का स्वाध्याय पूरा करने में मदद करती थी। इसका फायदा यह हुआ कि जब मैं उसी कक्षा में पहुँची, तो मुझे सभी प्रश्न पहले से याद थे और मेरा लेखन भी अच्छा हो गया।
दूसरा अवसर तब था जब मैंने अपने छोटे भाई को इंग्लिश ग्रामर सिखाई। इससे मेरा खुद का ग्रामर भी मजबूत हो गया।
प्रश्न 2. परोपकार से आप क्या समझते हैं ऐसे कार्यों की सूची बनाईये जिन्हें आप परोपकार का कार्य समझते हैं?
उत्तर:- परोपकार का मतलब होता है दूसरों की भलाई के लिए बिना स्वार्थ के काम करना।
मैं इन कार्यों को परोपकार मानता हूँ:-
- अनाथ बच्चों की मदद करना
- ज़रूरतमंदों को भोजन और कपड़े देना
- बीमारों की सेवा करना
- पक्षियों और जानवरों की देखभाल करना
- शिक्षा के लिए गरीब बच्चों की मदद करना
व्याकरण
प्रश्न 1. समान अर्थ वाले शब्दों को मिलाइए –
राखों | काम |
अठीलाना | निकालना |
सरवर | इतराना |
निकसत | रखना |
कारज | तालाब |
उत्तर:
राखों | रखना |
अठीलाना | इतराना |
सरवर | तालाब |
निकसत | निकालना |
कारज | काम |