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‘भूल गया क्यों इंसान’ हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित एक बेहद प्रभावशाली और विचारोत्तेजक कविता है। इस कविता में कवि मानव जाति द्वारा अपने मूल्यों और इंसानियत को भूलने पर गहरा दुःख व्यक्त करते हैं। वे इस तथ्य पर विस्मय प्रकट करते हैं कि इंसान जातीय विद्वेष, लालच और अन्याय का शिकार कैसे हो गया। उन्होंने विनम्र शब्दों में मानवता को विभिन्न कुरीतियों से लड़ने और अपने सच्चे मूल्यों को फिर से याद करने का आह्वान किया है। साथ ही इंसानियत की उच्च भावनाओं को बहाल करने पर भी बल दिया गया है। यह कविता आज के विभाजित और विखंडित विश्व में शांति और भाईचारे का मार्मिक संदेश देती है। कवि की भाषा शक्तिशाली और गंभीर है जो पाठक के मन को छूती है।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 15
| Subject | Hindi |
| Class | 6th |
| Chapter | 15. ‘भूल गया क्यों इंसान’ |
| Author | हरिवंश राय बच्चन |
| Board | Bihar Board |
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से।
प्रश्न 1. कविता का सारांश अपनी भाषा में लिखिए।
उत्तर:- कविता में कवि मनुष्य को उसकी मूल पहचान और उसके कर्तव्यों की याद दिलाता है। वह कहता है कि सभी मनुष्य मिट्टी से बने हैं और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएंगे। जीवन क्षणिक है और कोई भी व्यक्ति इस धरती पर अमर नहीं है। सभी मनुष्यों को ईश्वर ने समान रूप से जन्म दिया है और आकाश की छाया भी सभी पर समान रूप से पड़ती है।
हालांकि, मनुष्य ने ही धरती को देशों और सीमाओं में बाँट दिया है। इन देशों में रहने वाले लोग अलग-अलग भाषा, खान-पान और रीति-रिवाज अपनाते हैं। लेकिन असलियत यह है कि सभी मनुष्यों में एक ही प्राण का वास है और एक ही ईश्वर की ज्योति उनके हृदय को प्रकाशित करती है। कवि यह समझना चाहता है कि मनुष्य इस सच्चाई को क्यों भूल जाता है कि वह मिट्टी से बना है और उसे मिट्टी में ही लौटना है। इसलिए उसे अपनी मानवीय पहचान और कर्तव्यों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
प्रश्न 2. इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:- यह कविता हमें मानवता की एकता और बंधुत्व का संदेश देती है। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम सभी मनुष्य एक ही धरती के संतान हैं और हमारी मूल पहचान एक जैसी है। हालांकि हम अलग-अलग देशों और संस्कृतियों से आते हैं, लेकिन हमारे शरीर और आत्मा एक ही प्रकार के हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे के प्रति समानता और सम्मान का भाव रखना चाहिए।
प्रश्न 3. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(क) देश अलग है, देश अलग हों,
वेश अलग हैं, वेश अलग हों,
मानव का मानव से लेकिन, अलग न अंतर प्राण ।
उत्तर:- इन पंक्तियों में कवि यह बताना चाहता है कि हालांकि हम अलग-अलग देशों और संस्कृतियों से आते हैं और हमारी वेशभूषा भिन्न होती है, लेकिन हम सभी मनुष्यों के अंदर एक ही प्राण संचरित है। हमारी बुनियादी मानवीय पहचान एक जैसी है। इसलिए हमें एक-दूसरे से कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
(ख) सबकी है मिट्टी की काया,
सब पर नभ की निर्मल छाया,
यहाँ नहीं है कोई आया ले विशेष वरदान।।
उत्तर:- इन पंक्तियों में कवि कह रहा है कि सभी मनुष्यों के शरीर मिट्टी से बने हैं और मृत्यु के बाद वे फिर मिट्टी में मिल जाएंगे। आकाश की छाया भी सभी पर समान रूप से पड़ती है। किसी भी मनुष्य को जन्म लेते समय ईश्वर से कोई विशेष वरदान प्राप्त नहीं होता। इस प्रकार सभी मनुष्य बराबर हैं और उन्हें अपनी यह मूल पहचान भूलनी नहीं चाहिए।
पाठ से आगे।
प्रश्न 1. मनुष्य किस प्रकार दूसरों को अपने से भिन्न समझते हैं।
उत्तर:- जब मनुष्य में घमंड आ जाता है, तो वह खुद को दूसरों से बेहतर समझने लगता है। वह किसी को गरीब, किसी को अछूत या किसी को कमजोर मानता है। जाति, रंग और धन के आधार पर फर्क करता है। इसी कारण वह दूसरों को अपने से अलग मानता है।
प्रश्न 2. अलग अलग देश अलग अलग देश के बावजूद भी हर मनुष्य एक जैसा है कैसे?
उत्तर:- सभी मनुष्यों को एक ही ईश्वर ने बनाया है। सबके पास सोचने, समझने और महसूस करने की शक्ति होती है। चाहे देश अलग हो, लेकिन सबमें प्रेम, दुख और खुशी की भावना होती है। हम सबका शरीर भी एक जैसा ही होता है, बस भाषा और पहनावा अलग होता है।