Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 9 Solutions – रूको बच्चों

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बिहार बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक में शामिल “रुको बच्चों” कविता प्रसिद्ध कवि राजेश जोशी द्वारा रचित एक गहन सामाजिक व्यंग्य है। इस कविता में कवि ने सड़क पार करने के एक साधारण दृश्य के माध्यम से भारतीय शासन व्यवस्था की विसंगतियों पर करारा प्रहार किया है। अफसरों, न्यायाधीशों, पुलिस अधिकारियों और मंत्रियों की तेज़ गाड़ियों के उदाहरण देकर, कवि ने उनकी कार्यशैली, उदासीनता और आम जनता के प्रति लापरवाही को उजागर किया है।

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 9

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 9 Solutions

SubjectHindi
Class9th
Chapter9. रूको बच्चों
Authorराजेश जोशी
BoardBihar Board

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 9 Question Answer

प्रश्न 1. कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, उसे व्यक्त कीजिए।

उत्तर- कविता की पहली दो पंक्तियाँ पढ़ने पर मन-मस्तिष्क में एक जीवंत दृश्य उभरता है। एक व्यस्त सड़क दिखाई देती है, जहाँ बच्चे उतावलेपन में सड़क पार करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें रोकने वाला एक चिंतित व्यक्ति भी नज़र आता है। यह सामान्य सा दृश्य प्रतीकात्मक रूप से गहरा अर्थ रखता है। कवि इसे वर्तमान भारतीय समाज और व्यवस्था का प्रतिबिंब बनाता है। बच्चे यहाँ देश के भविष्य का प्रतीक हैं, जबकि सड़क वर्तमान व्यवस्था को दर्शाती है। कवि बच्चों को सावधान कर रहा है, क्योंकि वह चाहता है कि वे मौजूदा व्यवस्था की विसंगतियों और चुनौतियों को समझें। यह दृश्य देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और अराजकता की ओर इशारा करता है। कवि का उद्देश्य है कि भावी पीढ़ी इन समस्याओं से सावधान रहे और एक बेहतर भविष्य के निर्माण में सक्षम हो। वह चाहता है कि बच्चे सतर्क रहें, विचारपूर्वक आगे बढ़ें और वर्तमान व्यवस्था की नकारात्मकताओं से प्रभावित हुए बिना अच्छे नागरिक बनें।

प्रश्न 2. “उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है। वो बारह या कभी-कभी तो इसके भी बाद पहुंचता है अपने विभाग में।” कवि यह कहकर व्यवस्था की किन खामियों को बताना चाहता है।

उत्तर- कवि इन पंक्तियों के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में मौजूद गंभीर खामियों पर प्रकाश डालता है। वह बताना चाहता है कि कैसे उच्च पदस्थ अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह हैं। समय की पाबंदी न होना केवल एक लक्षण है, जो व्यवस्था में व्याप्त गहरी समस्याओं की ओर इशारा करता है। यह कर्तव्यहीनता और अनुशासनहीनता को दर्शाता है। अफसरों का देर से कार्यालय पहुँचना और इस पर किसी कार्रवाई का न होना, जवाबदेही के अभाव को प्रदर्शित करता है। यह स्थिति एक खराब कार्य संस्कृति की ओर भी इंगित करती है, जहाँ अधिकारी अपने व्यक्तिगत हितों को सार्वजनिक सेवा से ऊपर रखते हैं। इस प्रकार की लापरवाही प्रशासनिक कार्यों में देरी का कारण बनती है, जो आम जनता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। कवि यह भी संकेत देता है कि यह व्यवहार भ्रष्टाचार का एक रूप हो सकता है, जहाँ अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हैं। अंततः, यह स्थिति पूरी प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है, जो ऐसे व्यवहार को रोकने में असमर्थ है। कवि इन खामियों को उजागर करके पाठकों को प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता के प्रति जागरूक करना चाहता है और एक बेहतर, अधिक जवाबदेह प्रशासन की मांग करने के लिए प्रेरित करता है।

प्रश्न 3. न्याय व्यवस्था पर कवि के द्वारा की गई टिप्पणी पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है? लिखें:

उत्तर- राजेश जोशी की ‘रुको बच्चो’ कविता में न्याय व्यवस्था पर तीखी टिप्पणी की गई है। कवि न्यायाधीशों की तेज गाड़ियों और धीमी न्याय प्रक्रिया के बीच विरोधाभास को उजागर करता है। वे न्याय में देरी और उसके दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हैं।

कविता में भारतीय न्यायपालिका की कमजोरियों को दर्शाया गया है – लंबित मुकदमे, न्याय में विलंब, और आम आदमी की परेशानियाँ। कवि इंगित करता है कि पैसा, पहुँच और शक्ति न्याय प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
जोशी जी न्यायपालिका के वास्तविक चेहरे को प्रस्तुत करते हैं, जहाँ त्वरित न्याय की कमी लोकतंत्र के लिए खतरा बन गई है। वे पाठकों को इस व्यवस्था की विसंगतियों के प्रति सचेत करते हैं और सुधार की आवश्यकता पर बल देते हैं।

प्रश्न 4. तेज चाल से चलना किसके प्रशिक्षण का हिस्सा है और क्यों?

उत्तर- ‘रुको बच्चो’ कविता में तेज चाल से चलना पुलिस अफसरों के प्रशिक्षण का हिस्सा दिखाया गया है। कवि इस माध्यम से पुलिस व्यवस्था की कमियों पर व्यंग्य करते हैं।

राजेश जोशी बताते हैं कि पुलिस अफसरों की तेज चाल उनके रोब-दाब और भय का प्रतीक है। यह आम नागरिकों की सुरक्षा के बजाय, उन पर दबाव बनाने का माध्यम बन गया है।
कवि पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं। वे इंगित करते हैं कि पुलिस अक्सर घटनास्थल पर देर से पहुंचती है, जो उनकी लापरवाही को दर्शाता है। जोशी जी पुलिस की निरंकुशता और अमानवीय व्यवहार की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं।
अंत में, कवि युवा पीढ़ी से आह्वान करते हैं कि वे लोकतंत्र के सच्चे सेवक बनें और व्यवस्था में सुधार लाएं। वे चाहते हैं कि भविष्य की पुलिस जनता की सेवा के प्रति समर्पित हो, न कि भय और दमन का प्रतीक।

प्रश्न 5. मंत्री की कार के आगे-आगे साइरन क्यों बजाया जाता है?

उत्तर- मंत्री की कार के आगे साइरन बजाना सुरक्षा और विशेषाधिकार का प्रतीक है, जिस पर कवि राजेश जोशी ने व्यंग्य किया है। यह साइरन जनता को रास्ता छोड़ने का संकेत देता है, जो मंत्री और आम नागरिक के बीच की खाई को दर्शाता है।

कवि इस प्रथा को मंत्रियों के भय और असुरक्षा की भावना से जोड़ते हैं। वे इंगित करते हैं कि नेता जनता से दूर और अलग-थलग हो गए हैं। साइरन उनकी विशेष स्थिति का प्रतीक है, जो उन्हें आम लोगों से अलग करता है।
जोशी जी यह भी दर्शाते हैं कि नेता अपनी सुरक्षा और सुविधा को जनहित से ऊपर रखते हैं। वे इस व्यवस्था को लोकतंत्र के लिए खतरा मानते हैं, जहाँ नेता जनता की समस्याओं से कटे हुए हैं। कवि युवा पीढ़ी से आह्वान करते हैं कि वे इस व्यवस्था को बदलें और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखें।

प्रश्न 6. व्याख्याएँ

(क) “सुरक्षा को एक अंधी रफ्तार की दरकार है।”

उत्तर- “सुरक्षा को एक अंधी रफ्तार की दरकार है” पंक्ति में कवि राजेश जोशी नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था पर व्यंग्य करते हैं। वे इंगित करते हैं कि नेताओं की सुरक्षा के नाम पर अंधाधुंध गतिविधियाँ होती हैं, जो अक्सर जनहित की अनदेखी करती हैं।

कवि नेताओं की तेज़ रफ्तार गाड़ियों को उनकी संवेदनहीनता का प्रतीक मानते हैं। वे कहते हैं कि इस अंधी दौड़ में नेता आम जनता की समस्याओं और देश के विकास से दूर हो जाते हैं।
जोशी जी युवा पीढ़ी को सचेत करते हैं कि वे इस व्यवस्था का हिस्सा न बनें। वे चाहते हैं कि भविष्य के नेता सोच-समझकर, धैर्य से काम करें और जनता के हितों को प्राथमिकता दें। कवि का संदेश है कि सच्ची सुरक्षा जनता के विश्वास और समर्थन में निहित है, न कि तेज़ गाड़ियों और साइरन में।

(ख) “कई बार तो पेशी दर पेशी चक्कर पर चक्कर काटते/ऊपर की अदालत तक पहुँच जाता है आदमी।”

उत्तर- इन पंक्तियों में राजेश जोशी भारतीय न्याय व्यवस्था की धीमी गति और जटिलता पर व्यंग्य करते हैं। वे बताते हैं कि न्याय पाने के लिए लोगों को कई बार अदालतों के चक्कर काटने पड़ते हैं, जो एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है।

कवि इंगित करते हैं कि निचली अदालत से लेकर उच्च न्यायालय तक जाने में व्यक्ति का जीवन बीत जाता है, पर न्याय नहीं मिलता। यह स्थिति न्याय व्यवस्था की अक्षमता और विसंगतियों को उजागर करती है।
जोशी जी न्याय में देरी को अन्याय के समान बताते हैं। वे इस व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार और पक्षपात की ओर भी इशारा करते हैं। कवि का मानना है कि ऐसी न्याय व्यवस्था लोकतंत्र के लिए घातक है और इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

प्रश्न 7. लेकिन नारा लगाने या सेमिनारों में/बोलने के लिए होते हैं ऐसे वाक्य-कौन से वाक्य? उदाहरण देकर बतलाइए।

उत्तर- “न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है” जैसे वाक्य अक्सर नारों और सेमिनारों में इस्तेमाल किए जाते हैं। ये वाक्य आम तौर पर प्रभावशाली और आदर्शवादी होते हैं, लेकिन वास्तविक जीवन में इनका पालन करना मुश्किल होता है। उदाहरण के लिए, “सबको शिक्षा, सबको रोजगार” एक लोकप्रिय नारा है, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू करना चुनौतीपूर्ण है। इसी तरह, “स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” एक अच्छा सिद्धांत है, परंतु इसे व्यावहारिक रूप में लाना समय और प्रयास की मांग करता है। ये वाक्य लोगों को प्रेरित करने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए उपयोगी हैं, लेकिन इनके पीछे ठोस कार्यवाही की आवश्यकता होती है। समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए, इन आदर्शों को केवल बोलना ही नहीं, बल्कि इन पर अमल करना भी जरूरी है।

प्रश्न 8. घटना स्थल पर बाद में कौन पहुँचता है और क्यों?

उत्तर- कविता में दर्शाया गया है कि पुलिस अफसर घटना स्थल पर बाद में पहुँचता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला, व्यवस्थागत समस्याएँ जैसे कि कम कर्मचारी या संसाधनों की कमी। दूसरा, कुछ अफसरों की कार्यशैली में लापरवाही या अकुशलता। तीसरा, कभी-कभी सूचना प्रणाली में देरी या गलती। चौथा, कुछ मामलों में अफसरों का व्यक्तिगत रवैया या प्राथमिकताएँ। पाँचवाँ, यातायात या भौगोलिक बाधाएँ। कवि इस विलंब को पुलिस व्यवस्था की एक कमजोरी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे इस बात पर व्यंग्य करते हैं कि जिन्हें सबसे पहले पहुँचना चाहिए, वे अक्सर देर से आते हैं। यह स्थिति सुधार की मांग करती है, ताकि कानून व्यवस्था बेहतर हो और लोगों को समय पर मदद मिल सके।

प्रश्न 9. तेज रफ्तार से जाने वालों पर कवि की क्या टिप्पणी है?

उत्तर- कवि राजेश जोशी “रुको बच्चो” कविता में तेज रफ्तार से जाने वालों पर गहरा व्यंग्य करते हैं। वे मुख्य रूप से चार प्रकार के लोगों पर टिप्पणी करते हैं – भ्रष्ट अफसर, अक्षम न्यायाधीश, गैर-जिम्मेदार पुलिस अफसर और स्वार्थी मंत्री।

कवि का मानना है कि ये लोग अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह हैं और केवल अपने हितों को ध्यान में रखते हैं। वे तेजी से आगे बढ़ते हैं, लेकिन समाज और देश के विकास में योगदान नहीं देते। उदाहरण के लिए, अफसरों की मेज पर फाइलें धूल फांक रही हैं, न्यायाधीश न्याय देने में विलंब करते हैं, पुलिस अफसर घटनास्थल पर देर से पहुंचते हैं, और मंत्री अपने परिवार और स्वार्थ को प्राथमिकता देते हैं।


कवि इन लोगों की कार्यशैली को देश के लिए हानिकारक मानते हैं। वे चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी इस अंधी दौड़ का हिस्सा न बने। इसलिए वे बच्चों को सचेत करते हैं कि वे अपनी दिशा सोच-समझकर चुनें और भविष्य में एक बेहतर समाज का निर्माण करें।

प्रश्न 10. कविता में बच्चों को किस बात की सीख दी गई है क्यों?

उत्तर- राजेश जोशी की “रुको बच्चो” कविता में बच्चों को महत्वपूर्ण सीख दी गई है। कवि बच्चों को वर्तमान प्रशासन और शासन व्यवस्था की कमियों से अवगत कराते हुए, उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए तैयार करना चाहते हैं।

कवि बच्चों को निम्नलिखित बातों की सीख देते हैं:-

  1. वर्तमान व्यवस्था की अंधी दौड़ में शामिल न होने की।
  2. हर कदम पर सोच-समझकर आगे बढ़ने की।
  3. ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और जिम्मेदारी के महत्व को समझने की।
  4. राष्ट्र सेवा के लिए स्वयं को तैयार करने की।
  5. भ्रष्टाचार और अनैतिकता से दूर रहने की।

कवि इस सीख को इसलिए देते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि आज के बच्चे ही कल के राष्ट्र निर्माता हैं। वे चाहते हैं कि बच्चे वर्तमान व्यवस्था की गलतियों से सीखें और भविष्य में एक बेहतर प्रशासन और समाज का निर्माण करें। कवि का उद्देश्य बच्चों में राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना जगाना और उन्हें एक स्वस्थ, न्यायपूर्ण और विकसित समाज बनाने के लिए प्रेरित करना है।

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