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बिहार बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक में शामिल “निम्मो की मौत” कविता प्रसिद्ध कवि विजय कुमार द्वारा रचित एक संवेदनशील और मार्मिक रचना है। यह कविता एक घरेलू नौकरानी के जीवन और मृत्यु के माध्यम से समाज में व्याप्त असमानता, शोषण और गरीबी जैसी समस्याओं को उजागर करती है। कवि ने निम्मो के दुखद जीवन और असमय मृत्यु का चित्रण करके पाठकों को समाज की विषमताओं पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित किया है।

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 10 Solutions
Subject | Hindi |
Class | 9th |
Chapter | 10. निम्मो की मौत |
Author | विजय कुमार |
Board | Bihar Board |
Bihar Board class 9 Hindi Padya chapter 10 Question Answer
प्रश्न 1. निम्मो समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है?
उत्तर- निम्मो भारतीय समाज के शोषित और वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। वह एक घरेलू नौकरानी है, जो महानगरीय जीवन की विषमताओं का शिकार है। निम्मो के माध्यम से कवि ने समाज के निम्न वर्ग की दुर्दशा, उनकी पीड़ा और संघर्ष को दर्शाया है। वह उन लोगों का प्रतीक है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर हैं और जिन्हें अपने अधिकारों से वंचित रखा जाता है। निम्मो की कहानी उन सभी लोगों की कहानी है जो दैनिक जीवन में शोषण और अन्याय का सामना करते हैं, लेकिन उनकी आवाज़ कभी सुनी नहीं जाती।
प्रश्न 2. कवि ने ‘निम्मो’ की तुलना ‘भींगी हुई चिड़िया’ से क्यों की है?
उत्तर- कवि ने निम्मो की तुलना ‘भींगी हुई चिड़िया’ से इसलिए की है क्योंकि यह उपमा उसकी असहायता और विवशता को बखूबी दर्शाती है। जैसे भीगे पंखों वाली चिड़िया उड़ नहीं सकती और अपनी स्वतंत्रता खो देती है, वैसे ही निम्मो भी अपने जीवन में स्वतंत्र नहीं है। वह एक नौकरानी है, जो अपने मालिकों की दया पर निर्भर है। उसके पास अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं है। भीगी चिड़िया की तरह, निम्मो भी अपने परिवेश में फंसी हुई है, जहां से निकलना उसके लिए असंभव है। यह उपमा निम्मो की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों द्वारा उस पर थोपी गई सीमाओं को दर्शाती है।
प्रश्न 3. निम्मो को जो यातनाएँ दी जाती थीं, उसे कविता के आधार पर अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर- कविता में निम्मो को दी जाने वाली यातनाओं का हृदयविदारक वर्णन किया गया है। उसे लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता था। उसे गालियाँ दी जाती थीं, जो उसके आत्मसम्मान को चोट पहुँचाती थीं। उसे घूँसों से मारा जाता था, जो उसे शारीरिक पीड़ा देता था। इतना ही नहीं, उसे ठंडे फर्श पर सोने को मजबूर किया जाता था, जो उसकी मानवीय गरिमा का अपमान था। कवि बताता है कि जब रात को निम्मो की आँखें मुँदती थीं, तो उसकी पीड़ा इतनी गहरी होती थी कि उसकी थमी हुई हिचकियाँ उसके पीहर तक पहुँच जाती थीं। यह वर्णन दर्शाता है कि निम्मो को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक यातना भी दी जाती थी, जो उसके अस्तित्व को ही चुनौती देती थी।
प्रश्न 4. ‘उसकी थमी हुई हिचकियाँ उसके पीहर तक चली जाती थी’ । से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
कवि का अभिप्राय यह है कि निम्मो की पीड़ा इतनी गहरी और व्यापक है कि उसकी हिचकियों की आवाज़ उसके पीहर (मायके) तक पहुंच रही है। यहाँ कवि ने निम्नलिखित बिंदुओं को दर्शाया है:
- निम्मो की पीड़ा की तीव्रता: उसकी हिचकियाँ इतनी दर्दनाक हैं कि वे दूर तक सुनाई दे रही हैं।
- प्रतीकात्मक अर्थ: निम्मो केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि समाज के पीड़ित वर्ग का प्रतीक है।
- व्यापक संदर्भ: उसकी पीड़ा व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक समस्या का प्रतिनिधित्व करती है।
- मानवीय संवेदना: कवि पाठकों में करुणा और संवेदनशीलता जगाना चाहता है।
- सामाजिक चेतना: यह पंक्ति समाज में व्याप्त असमानता और शोषण की ओर ध्यान आकर्षित करती है।
इस प्रकार, कवि ने एक सशक्त बिंब के माध्यम से निम्मो की व्यथा को व्यापक सामाजिक संदर्भ में प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 5. इस कविता के माध्यम से कवि ने समाज के किस वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है?
उत्तर- कविता ‘निम्मो मर गई’ में कवि विजय कुमार ने समाज के अभावग्रस्त और वंचित वर्ग के प्रति सहानुभूति प्रकट की है। निम्मो एक घरेलू नौकरानी के रूप में समाज के उन लोगों का प्रतीक है जो आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयों का सामना करते हैं। कवि ने उनके संघर्ष, पीड़ा और शोषण को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में मानवीय संवेदनाओं का चित्रण है और कवि ने समाज की अनदेखी और अव्यवस्था पर भी ध्यान आकृष्ट किया है। कवि ने इस वर्ग की कठिनाइयों और उनके प्रति समाज की उदासीनता को उजागर किया है।
प्रश्न 6. पूरी धरती पर कंपन पसर जाने का क्या कारण है? स्पष्ट करें।
उत्तर- कविता ‘निम्मो की मौत पर’ में कवि ने आम आदमी की पीड़ा के प्रति संवेदना व्यक्त की है। जब तक समाज में निम्मो जैसे लोग पीड़ित और शोषित रहेंगे, तब तक पूरी धरती उनके दर्द से कंपित होती रहेगी। उनके दुख और कष्टों का प्रभाव समग्र समाज पर पड़ता है। यदि हम धरती को शांति और सुख से युक्त देखना चाहते हैं तो हमें साधन-संपन्न लोगों को इन पीड़ित लोगों के दुखों में भागीदार बनना होगा। कवि का मानना है कि जब तक समाज में भेदभाव और अमानवीयता बनी रहेगी, तब तक धरती अशांत रहेगी।
प्रश्न 7. ‘वह चोरों की तरह खाती रही कई बरस’ में कवि ने ‘चोरों की तरह’ का प्रयोग किस उद्देश्य से किया है?
उत्तर- कविता ‘निम्मो की मौत पर’ में निम्मो चोरों की तरह छिपकर खाना खाती थी क्योंकि उसे केवल सूखी रोटी और बासी साग मिलता था। उसे डर था कि यदि कोई उसे ऐसा खाना खाते देखेगा, तो उसे शर्मिंदा होना पड़ेगा। कवि ने इस स्थिति को समाज की निष्ठुरता और अमानवीयता को दर्शाने के लिए प्रयोग किया है। यह इस बात को भी उजागर करता है कि समाज के वंचित वर्ग को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार भी भोजन नहीं मिलता, और उन्हें छिपकर खाने को मजबूर होना पड़ता है।
प्रश्न 8. और शायद कुछ अनकही प्रार्थनाएँ नींद में-इस पंक्ति में ‘प्रार्थनाओं को अनकही’ क्यों कहा गया है?
उत्तर- कविता ‘निम्मो की मौत पर’ में निम्मो की अनकही प्रार्थनाओं का उल्लेख किया गया है। निम्मो अपनी पीड़ा और कष्टों से इतनी अधिक व्यथित थी कि उसकी प्रार्थनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि उसके दिल से निकलती थीं। निम्मो की घायलावस्था और उसकी मनोदशा को कवि ने गहराई से समझा है। उसकी प्रार्थनाएँ उसके मन में मौन रूप से ही रहती थीं, क्योंकि वह समाज से उसकी बात सुनने की उम्मीद नहीं रखती थी। प्रार्थनाएँ मन से की जाती हैं और निम्मो की प्रार्थनाएँ भी उसकी मूक वेदना का हिस्सा थीं।
प्रश्न 9. और तीस बरस उसे रहना था यहाँ-कहकर कवि हमें क्या बताना चाहता है?
उत्तर- कविता ‘निम्मो की मौत पर’ में कवि ने निम्मो की अल्पायु मृत्यु पर गहरा अफसोस जताया है। निम्मो की उम्र मात्र 30 वर्ष थी और उसे सामान्यत: 60 वर्ष तक जीना चाहिए था। लेकिन कठिन परिस्थितियों और अभावों के कारण उसकी जीवन-यात्रा अधूरी रह गई। कवि इस तथ्य को उजागर करते हैं कि समाज के वंचित वर्ग को जीवन जीने का उचित अवसर नहीं मिल पाता और वे असमय ही मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। यह समाज की विफलता को भी दर्शाता है कि वह अपने कमजोर और पीड़ित सदस्यों को सुरक्षित जीवन प्रदान नहीं कर पाता।
प्रश्न 10. रेत की दीवार की तरह सहसा गिरने की क्या वजह हो सकती है?
उत्तर- कविता ‘निम्मो की मौत पर’ में निम्मो की असामयिक मृत्यु को कवि ने रेत की दीवार के अचानक गिरने से तुलना की है। निम्मो की मृत्यु अचानक और असामान्य थी, जिससे पता चलता है कि उसके जीवन में कई अनदेखे कष्ट और समस्याएँ थीं। रेत की दीवार की तरह, जो कभी भी गिर सकती है, निम्मो की जीवन की कठिनाइयों ने उसे अचानक मृत्यु की ओर धकेल दिया। कवि इस बात पर जोर देता है कि निम्मो जैसी महिलाएँ समाज की निष्ठुरता और अभावों के कारण असमय मर जाती हैं। इस तुलना का उद्देश्य यह है कि समाज में निम्मो जैसी कई औरतें हैं जो अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में जी रही हैं और उनकी समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है।
प्रश्न 11. निम्मो की मौत पर” शीर्षक कहाँ तक सार्थक है? तर्क सहित उत्तर दीजिए या उत्तर दें।
उत्तर- कविता ‘निम्मो की मौत पर’ का शीर्षक बिल्कुल सार्थक और यथार्थपरक है। यह कविता निम्मो नामक घरेलू नौकरानी की असमय मृत्यु के माध्यम से समाज की वंचित और पीड़ित वर्ग की दुर्दशा को उजागर करती है। निम्मो, महानगर में जीवन यापन कर रही एक ऐसी महिला है जो आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयों का सामना करती है। कवि ने उसकी पीड़ा, शोषण, और अमानवीय परिस्थितियों को मार्मिकता से प्रस्तुत किया है। निम्मो की मौत समाज की संवेदनहीनता और निष्ठुरता का परिणाम है। यह शीर्षक न केवल निम्मो की व्यक्तिगत कहानी को दर्शाता है बल्कि उन सभी वंचित लोगों की कहानी है जो समाज की उदासीनता का शिकार होते हैं। इस प्रकार, ‘निम्मो की मौत पर’ शीर्षक कविता के विषयवस्तु को पूर्ण रूप से प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 12.
“यह शरीर जो तीस बरस से
इस दुनिया में था
और तीस बरस
उसे रहना था यहाँ।”
-यहाँ निम्मो का.कौन-सा दर्द अभिव्यक्त होता है?
उत्तर- कविता ‘निम्मो की मौत पर’ में कवि निम्मो की असमय मृत्यु से उसकी जीवन की पीड़ा को प्रकट करते हैं। निम्मो की उम्र केवल तीस वर्ष थी, जबकि औसत भारतीय आयु साठ वर्ष मानी जाती है। इसका मतलब है कि उसे अभी आधी उम्र और जीना था। निम्मो का अचानक मर जाना, उसकी अधूरी जिंदगी और उसके सपनों का टूट जाना है। कवि के लिए यह बहुत ही दर्दनाक है कि निम्मो को उसकी पूरी उम्र जीने का मौका नहीं मिला। यह कविता निम्मो जैसी महिलाओं की कठिनाइयों और उनके साथ हुए अन्याय को उजागर करती है। निम्मो का दर्द यह है कि उसे अपनी पूरी जिंदगी बिना जिए ही मृत्यु का सामना करना पड़ा।