Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 6 Solutions – आ रही रवि के सवारी

Bihar Board class 9 Hindi Padya chapter 6 solutions are available for free here. Our subject experts have prepared all the answers of chapter 6 – “आ रही रवि के सवारी” in hindi medium. Get our guide today and clear all your doubts with the chapter.

बिहार बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक में शामिल “आ रही रवि की सवारी” एक सुंदर और प्रभावशाली कविता है, जो प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित है। यह कविता उनके संग्रह ‘निशा-निमंत्रण’ से ली गई है, जो उनकी पत्नी श्यामा की मृत्यु के बाद लिखी गई थी। इस कविता में बच्चन जी ने सूर्योदय के दृश्य को एक राजा के आगमन के रूप में चित्रित किया है, जहाँ प्रकृति के विभिन्न तत्व राजा के स्वागत की तैयारी करते हुए दिखाए गए हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 6

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 6 Solutions

SubjectHindi
Class9th
Chapter6. आ रही रवि के सवारी
Authorहरिवंशराय बच्चन
BoardBihar Board

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 6 Question Answer

प्रश्न 1. ‘आ रही रवि की सवारी’ कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

उत्तर: ‘आ रही रवि की सवारी’ कविता महाकवि हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने सूरज के आगमन को आशा और नई ऊर्जा का प्रतीक बताया है। बच्चन जी ने जीवन में निराशा के बाद आशा की किरणें फूटने का संदेश दिया है। सूरज की सवारी के माध्यम से उन्होंने नवजागरण और नवनिर्माण की भावना को व्यक्त किया है। इस प्रकार, कविता का केंद्रीय भाव आशावाद, राष्ट्रीयता और नए उत्साह का संचार है।

प्रश्न 2. कवि ने किन-किन प्राकृतिक वस्तुओं का मानवीकरण किया है?

उत्तर: ‘आ रही रवि की सवारी’ कविता में कवि ने कई प्राकृतिक वस्तुओं का मानवीकरण किया है। रवि (सूर्य) को एक राजा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। बादलों को अनुचर के रूप में दिखाया गया है। पक्षियों को बंदी और चारणों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। तारों और चाँद का भी मानवीकरण किया गया है। नव किरण और कलियों का भी मानवीकरण करके कविता में नए-सौंदर्य की अभिवृद्धि की गई है।

प्रश्न 3. ‘आ रही रवि की सवारी’ कविता में चित्रित सवारी का वर्णन करें।

उत्तर: ‘आ रही रवि की सवारी’ कविता में सूर्य के आगमन का सुंदर चित्रण किया गया है। कवि ने बताया है कि सूरज का रथ नव किरणों से बना है और वह पृथ्वी पर नई ऊर्जा लेकर आ रहा है। बादल स्वर्णमयी पोशाक पहनकर सूरज के अनुचर बने हुए हैं। पक्षी बंदी और चारणों के रूप में सूर्य की महिमा का गान कर रहे हैं। सूरज के आगमन से तारे भाग रहे हैं और चाँद निस्तेज हो गया है। इस प्रकार, कविता में सूर्य के आगमन को नए उत्साह और विजय का प्रतीक बताया गया है।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए:

“चाहता उछलूँ विजय कह पर ठिठकता देखकर यह रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी!”

उत्तर: इन पंक्तियों में महाकवि बच्चन ने अपने मनोभावों को प्रकट किया है। कवि ने विजय और उल्लास की भावना को चित्रित किया है, जहाँ वह सूरज के आगमन से उत्साहित होकर उछलना और खुशी मनाना चाहता है। लेकिन वह ठिठककर देखता है कि चाँद, जो रात का राजा है, राह में भिखारी के रूप में खड़ा है। इसका अर्थ है कि कवि को यह एहसास होता है कि अभी भी अंधकार पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।

यह प्रतीकात्मक प्रयोग है, जहाँ चाँद अधूरी आजादी और अपूर्णता का प्रतीक है। कवि का मानना है कि आजादी तब तक अधूरी है जब तक समाज में पूर्ण स्वाधीनता और नवनिर्माण नहीं होता। व्यक्तिगत जीवन में भी यह पंक्तियाँ अर्थपूर्ण हैं। पहली पत्नी की मृत्यु के बाद कवि के जीवन में निराशा छा गई थी, लेकिन धीरे-धीरे आशा की किरणें फूटने लगीं और नया सृजन प्रारंभ हुआ।

इस प्रकार, इन पंक्तियों में कवि ने व्यक्तिगत जीवन, सामाजिकता और राष्ट्रीयता का सुंदर मिश्रण किया है। उन्होंने बताया है कि विजय की खुशी के बावजूद, पूर्णता की राह में अभी भी चुनौतियाँ हैं।

प्रश्न 5. रवि की सवारी निकलने के पश्चात् प्रकृति उसका स्वागत किस प्रकार से करती है?

उत्तर: कवि ने सूर्योदय के समय प्रकृति के स्वागत का सुंदर चित्रण किया है। नई किरणों का रथ सूर्य की सवारी बन जाता है। मार्ग कलियों और फूलों से सज जाता है। बादल सोने के वस्त्र पहनकर सेवक बन जाते हैं। पक्षी चारण और बंदी बनकर कीर्तिगान करने लगते हैं। इस प्रकार प्रकृति के हर तत्व में सूर्य के स्वागत की तैयारी दिखाई देती है।

प्रश्न 6. रात का राजा भिखारी कैसे बन गया?

उत्तर: कवि ने चंद्रमा को ‘रात का राजा’ कहा है। सूर्योदय होने पर चंद्रमा का प्रकाश फीका पड़ जाता है। रात्रि के समाप्त होने और तारों के छिपने के साथ, चंद्रमा भी अपना प्रभाव खो देता है। इस प्रकार रात का राजा (चंद्रमा) दिन में निस्तेज और प्रभाहीन होकर भिखारी की तरह दिखाई देता है। यह प्रतीकात्मक रूप से कवि के जीवन और राष्ट्रीय परिवर्तन को भी दर्शाता है।

प्रश्न 7. इस कविता में ‘रवि को राजा’ के रूप में चित्रित किया गया है। अपने शब्दों में यह चित्र पुनः स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कविता में ‘रवि को राजा’ का चित्रण दो स्तरों पर किया गया है। पहला, कवि के व्यक्तिगत जीवन में नई आशा और ऊर्जा का प्रतीक है। दूसरा, राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता और नवनिर्माण का प्रतीक है। सूर्य की किरणें नए अवसरों और उम्मीदों का संकेत देती हैं। यह चित्रण कवि के जीवन में नए उत्साह और देश की स्वतंत्रता के बाद नए युग के आगमन को दर्शाता है।

प्रश्न 8. कवि क्या देखकर ठिठक जाता है और क्यों?

उत्तर: कवि स्वतंत्रता की खुशी मनाते हुए अचानक ठिठक जाता है। वह देखता है कि समाज में अभी भी गरीबी और असमानता व्याप्त है। चंद्रमा का निस्तेज होना इस वास्तविकता का प्रतीक है। कवि महसूस करता है कि जब तक समाज के हर वर्ग तक विकास और समृद्धि नहीं पहुंचती, तब तक स्वतंत्रता का उत्सव अधूरा है। यह उसके व्यक्तिगत जीवन के दुख और राष्ट्रीय चुनौतियों को भी दर्शाता है।

प्रश्न 9. सूर्योदय के समय आकाश का रंग कैसा होता है-पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर: पाठ के अनुसार, सूर्योदय के समय आकाश का रंग लालिमायुक्त होता है। सूर्य की किरणें बादलों को स्वर्णिम रंग प्रदान करती हैं, मानो वे सोने के वस्त्र पहने हों। प्राची दिशा में आकाश सुनहरी और लाल रंगों से सज जाता है। यह दृश्य अत्यंत मनोहारी और सुखद होता है, जो प्रकृति की सुंदरता को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 10. ‘चाहता उछलूँ विजय. कह’ में कवि की कौन-सी आकांक्षा व्यक्त होती है?

उत्तर: इस पंक्ति में कवि अपने हृदय में उमड़ते उत्साह और आनंद को व्यक्त करना चाहता है। वह नए सूर्योदय के साथ आई नई आशा और ऊर्जा का स्वागत करना चाहता है। कवि के जीवन में आए सकारात्मक परिवर्तन और राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता की प्राप्ति, दोनों ही इस उत्साह के कारण हैं। वह इस नवीन युग का विजय गान करना चाहता है, जो उसके व्यक्तिगत और राष्ट्रीय जीवन में नई उम्मीदों का संचार कर रहा है।

प्रश्न 11. ‘राह में खड़ा भिखारी’ किसे कहा गया है?

उत्तर: ‘राह में खड़ा भिखारी’ एक प्रतीकात्मक प्रयोग है जो चंद्रमा को दर्शाता है। सूर्योदय के समय चंद्रमा का प्रकाश फीका पड़ जाता है और वह निस्तेज हो जाता है, जैसे कोई भिखारी। यह प्रतीक तीन स्तरों पर काम करता है: पहला, प्राकृतिक घटना के रूप में; दूसरा, भारतीय समाज की दशा के प्रतीक के रूप में, जो गुलामी से पीड़ित था; और तीसरा, कवि के व्यक्तिगत जीवन में आए दुख के प्रतीक के रूप में। यह बहुआयामी प्रतीक कविता को गहराई प्रदान करता है।

प्रश्न 12. ‘छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी’ का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर: इस पंक्ति में कवि हरिवंश राय बच्चन ने सूर्योदय के समय का एक सुंदर चित्र प्रस्तुत किया है। यहाँ कवि ने रूपक और मानवीकरण अलंकारों का प्रयोग किया है। ‘तारकों की फौज’ रूपक है, जो तारों के समूह को एक सेना के रूप में प्रस्तुत करता है। ‘मैदान छोड़कर भागना’ मानवीकरण है, जो तारों को मानवीय गुण प्रदान करता है।

इस प्रयोग से कवि ने सूर्य के प्रभाव और शक्ति को दर्शाया है, जिसके आने पर तारे अदृश्य हो जाते हैं। यह दृश्य एक युद्ध के मैदान की कल्पना कराता है, जहाँ सूर्य रूपी शक्तिशाली योद्धा के आगमन पर तारों की सेना पीछे हट जाती है।

इस पंक्ति में भय और उत्साह दोनों भावों का मिश्रण है – तारों का भय और सूर्य का उत्साह। कवि ने सरल भाषा में एक जटिल प्राकृतिक घटना को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। यह पंक्ति न केवल प्रकृति के सौंदर्य को दर्शाती है, बल्कि मानव जीवन में परिवर्तन और नए युग के आगमन का प्रतीक भी है।

Other Chapter Solutions
Chapter 1 Solutions – रैदास के पद
Chapter 2 Solutions – मंझन के पद
Chapter 3 Solutions – गुरु गोविंद सिंह के पद
Chapter 4 Solutions – पलक पाँवड़े
Chapter 5 Solutions – मै नीर भरी दुःख की बदली
Chapter 6 Solutions – आ रही रवि के सवारी
Chapter 7 Solutions – पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा
Chapter 8 Solutions – मेरा ईश्वर
Chapter 9 Solutions – रूको बच्चों
Chapter 10 Solutions – निम्मो की मौत
Chapter 11 Solutions – समुद्र
Chapter 12 Solutions – कुछ सवाल

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon