Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 2 Solutions – मंझन के पद

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बिहार बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक में शामिल “मंझन के पद” एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह अध्याय मध्यकालीन भक्ति काव्य के प्रसिद्ध कवि मंझन की रचनाओं पर आधारित है। इसमें दो पद शामिल हैं जो प्रेम और मृत्यु के विषय पर गहन चिंतन प्रस्तुत करते हैं। पहला पद प्रेम की महिमा का बखान करता है, जिसमें कवि प्रेम को संसार का सबसे अमूल्य रत्न बताते हैं। दूसरा पद मृत्यु और अमरत्व के विषय पर कवि के विचारों को प्रकट करता है, जिसमें वे बताते हैं कि प्रेम की शक्ति मृत्यु से भी बड़ी है।

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 2

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 2 Solutions

SubjectHindi
Class9th
Chapter2. मंझन के पद
Authorमंझन
BoardBihar Board

Bihar Board Class 9 Hindi Padya Chapter 2 Question Answer

प्रश्न 1. कवि ने प्रेम को संसार में अँगूठी के नगीने के समान अमूल्य माना है। इस पंक्ति को ध्यान में रखते हुए कवि के अनुसार प्रेम स्वरूप का वर्णन करें।

उत्तर: महाकवि मंझन ने प्रेम की तुलना अंगूठी के नगीने से की है। जिस प्रकार बिना नगीने के अंगूठी का कोई महत्व नहीं होता, उसी प्रकार बिना प्रेम के जीवन भी निरर्थक है। प्रेम ही जीवन को सार्थक बनाता है। यह अनमोल है और इसका अनुभव वही कर सकता है जो असाधारण हो। सामान्य व्यक्ति के लिए सच्चा प्रेम पाना कठिन है। प्रेम एक अलौकिक तत्व है, जिसके लिए पूर्ण त्याग की भावना आवश्यक होती है। बिना त्याग के प्रेम को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2. कवि ने सच्चे प्रेम की क्या कसौटी बताई है?

उत्तर: कवि के अनुसार सच्चे प्रेम की कसौटी यह है कि इसके लिए स्वयं को मारना पड़ता है, अर्थात सांसारिक मोह-माया, तृष्णाओं और वासनाओं से दूर रहना पड़ता है। सृष्टि का सृजन स्वयं ब्रह्मा ने प्रेम के वशीभूत होकर किया था। कवि का मानना है कि केवल भाग्यशाली व्यक्ति ही सच्चे प्रेम को प्राप्त कर सकता है। प्रेम एक ऊँचा और शाश्वत शब्द है। प्रेम के मार्ग पर जो अपने को बलि चढ़ा देता है, वही सच्चे प्रेम का अनुभव कर सकता है।

प्रश्न 3. ‘पेम गहा बिधि परगट आवा’ से कवि ने मनुष्य की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है?

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि ने प्रेम की अमरता और महत्ता का वर्णन करते हुए मनुष्य की तामसिक प्रवृत्तियों की ओर संकेत किया है। संसार की सृष्टि ब्रह्मा ने प्रेम के कारण की। संसार रहेगा तो प्रेम रहेगा, और प्रेम रहेगा तो ईश्वर की महत्ता भी बनी रहेगी। कवि ने यह बताया है कि ब्रह्मा ने प्रेम के कारण ही संसार का निर्माण किया और मनुष्य की सृष्टि की। मनुष्य की तामसिक प्रवृत्तियाँ मोक्ष के मार्ग में बाधा डालती हैं। इस नश्वर संसार में अमरत्व तभी प्राप्त हो सकता है जब मनुष्य भौतिकता से ऊपर उठकर सत्य और प्रेम में खुद को न्योछावर कर दे।

प्रश्न 4.आज मनुष्य ईश्वर को इधर-उधर खोजता-फिरता है लेकिन कवि मंझन का मानना है कि जिस मनुष्य ने भी प्रेम को गहराई से जान लिया स्वयं ईश्वर वहाँ प्रकट हो जाते हैं। यह भाव किन पंक्तियों से व्यंजित होता है।

उत्तर:

“प्रेम के आगि सही जेइ आंचा।
सो जग जनमि काल सेउं बांचा।”
मंझन की इन पंक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि जो प्रेम की आँच को सहन कर लेता है, वही काल के सामने टिक पाता है। काल उसे नहीं मार सकता। जिसने सच्चे प्रेम को अपना लिया, उसे कोई हानि नहीं पहुँचा सकता। जो सांसारिक वासनाओं और तृष्णाओं से मुक्त होकर प्रेम में जीता है, वही अमरत्व और ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 5. कवि की मान्यता है कि प्रेम के पथ पर जिसने भी अपना सिर दे दिया वह राजा हो गया। यहाँ ‘सिर’ देने का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

महाकवि मंझन ने अपने पद में कहा है,
“सबद ऊँच चारिहुं जुग बाजा।
पेम पंथ सिर देई सो राजा।”
सिर देने का अर्थ है अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को प्रेम के मार्ग में बलि चढ़ा देना। इसका मतलब है कि प्रेम के पथ पर जो व्यक्ति अपने अहंकार, स्वार्थ और सभी तृष्णाओं का त्याग कर देता है, वही सच्चा राजा होता है। अलौकिक प्रेम त्याग और बलिदान की माँग करता है। ईश्वर की भक्ति में भी प्रेम की प्राप्ति के लिए एकनिष्ठता और सर्वस्व त्याग आवश्यक है। तभी सच्चे प्रेम की प्राप्ति हो सकती है।

प्रश्न 6. प्रेम से व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? पठित पदों के आधार पर तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

उत्तर: प्रेम से व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रेम जीवन को सार्थक बनाता है और इसे अनमोल बनाता है। बिना प्रेम के जीवन निरर्थक और निस्सार लगता है। प्रेम व्यक्ति के जीवन की ज्योति और आभा है, जिससे वह विशिष्ट स्थान प्राप्त करता है। प्रेम के गुणों से संपन्न व्यक्ति अवतारी पुरुष कहलाता है और सामान्य लोगों से अलग दिखाई देता है। उसके व्यक्तित्व में गंभीरता और महानता झलकती है। प्रेम के प्रभाव से व्यक्ति अमरता को प्राप्त करता है और कालजयी हो जाता है। प्रेम के वशीभूत होकर ही ईश्वर ने संसार की सृष्टि की थी, और इस प्रेम के प्रभाव से व्यक्ति का जीवन देदीप्यमान और कालजयी बन जाता है।

सप्रसंग व्याख्या

प्रश्न 7. “पेम हाट चहुं दिसि है पसरीगै बनिजौ जो लोइ।
लाहा और फल गाहक जनि डहकावे कोइ॥”

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ महाकवि मंझन के प्रथम पद से उद्धृत की गयी हैं। ये पद हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित है। इन पंक्तियों का प्रसंग प्रेम के हाट और खरीददार एवं विक्रेता के संबंधों से जुड़ा हुआ है।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों में महाकवि मंझन ने प्रेम को एक बाजार के रूप में प्रस्तुत किया है जो चारों दिशाओं में फैला हुआ है। कवि कहना चाहते हैं कि यह प्रेम का हाट (बाजार) इतना व्यापक है कि जो भी इसमें आना चाहे, आ सकता है और प्रेम का सौदा कर सकता है। इस प्रेम के सौदे में न तो विक्रेता को नुकसान होता है और न ही खरीदार को।

इन पंक्तियों में कवि ने प्रेम की महत्ता को बताया है, जो इस नश्वर संसार में सबसे महत्वपूर्ण है। प्रेम को अंगूठी के नगीने के समान बहुमूल्य और अनमोल बताया गया है। कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि जीवन के इस हाट में प्रेम की खरीददारी करने में देर न करें, क्योंकि समय बीत जाने पर पछताना पड़ सकता है।

प्रेम की खरीद-बिक्री में किसी को भी घाटा नहीं होता, बल्कि यह एक ऐसा सौदा है जो आत्मिक शांति और मुक्ति की ओर ले जाता है। प्रेम की शरण गहने से व्यक्ति को भौतिक जगत के बंधनों से मुक्ति और अमरत्व की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, कवि ने प्रेम के महत्व और उसकी अनिवार्यता को सरल और सुंदर रूप में प्रस्तुत किया है।

भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें

प्रश्न 8. (क)

“एक बार जौ मरि जीउ पावै।
काल बहुरि तेहि नियर न आवै।” प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ महाकवि मंझन के पद से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि जो व्यक्ति एक बार अपने जीवन के वास्तविक अर्थ को समझकर अपनी भौतिक इच्छाओं को समाप्त कर लेता है, वह काल अर्थात मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है।

उत्तर:

महाकवि मंझन के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपने भौतिक इच्छाओं और वासनाओं को त्याग कर आत्मज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह काल अर्थात मृत्यु से मुक्त हो जाता है। यहाँ ‘मरना’ का अर्थ आत्मज्ञान की प्राप्ति है, जो भौतिक इच्छाओं की समाप्ति के माध्यम से संभव होता है।

कवि यह कहना चाहते हैं कि इस नश्वर संसार में, जो व्यक्ति अपनी आत्मा की सच्ची पहचान कर लेता है, वह अमरत्व को प्राप्त कर लेता है। उसकी आत्मा को फिर कभी मृत्यु का भय नहीं होता। ऐसे व्यक्ति के पास काल (मृत्यु) नहीं आ सकती। इन पंक्तियों में आध्यात्मिक भावनाओं की गहराई को व्यक्त करते हुए, कवि ने जीवन की वास्तविकता और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के मार्ग को स्पष्ट किया है।

(ख) “मिरितुक फल अंब्रित होइ गया। निहचै अमर ताहि के कया।” प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ महाकवि मंझन के पद से ली गई हैं। इन पंक्तियों का भाव यह है कि जो व्यक्ति संसार की वासनाओं और तृष्णाओं को छोड़ देता है, उसे अमरत्व का फल प्राप्त हो जाता है।

उत्तर: महाकवि मंझन के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी भौतिक इच्छाओं और वासनाओं को त्याग देता है, उसे अमरत्व का फल प्राप्त होता है। यहाँ ‘मृत्यु का फल’ त्याग और आत्मसमर्पण का प्रतीक है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अमरत्व को प्राप्त कर लेता है।

कवि का कहना है कि जब व्यक्ति संसार के मोह-माया से मुक्त होकर सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलता है, तो उसे अमरत्व की प्राप्ति होती है। ऐसे व्यक्ति की काया अमर हो जाती है और उसे मृत्यु का भय नहीं होता। इन पंक्तियों में कवि ने लौकिकता से ऊपर उठकर अलौकिक जगत की ओर उन्मुख होने का संकेत दिया है, जहाँ प्रेम और सत्य के अनुसरण से व्यक्ति को मोक्ष और अमरत्व की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 9. प्रेम के सर्वस्व समर्पण से व्यक्ति के निजी जीवन में आत्मिक सुंदरता आ जाती है, यह परिपक्वता कवि के विचारों में किस प्रकार आती है, स्पष्ट करें।

उत्तर: महाकवि मंझन के अनुसार, प्रेम का सर्वस्व समर्पण व्यक्ति के जीवन में आत्मिक सुंदरता और शांति लेकर आता है। जब व्यक्ति अपने आप को पूरी तरह से प्रेम के प्रति समर्पित कर देता है, तो उसका जीवन दिव्य और सार्थक बन जाता है।

कवि बताते हैं कि प्रेम की ज्योति से जलने वाला व्यक्ति असाधारण और अवतारी पुरुष कहलाता है। उसके जीवन में शांति, संतोष और आंतरिक सुंदरता आ जाती है। प्रेम के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा निर्मल हो जाती है और वह संसार के मोह-माया से मुक्त हो जाता है। इस प्रकार, प्रेम के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने जीवन को सुंदर बनाता है, बल्कि वह अमरत्व को भी प्राप्त करता है।

प्रश्न 10. प्रेम की शरण में जाने पर जीव की क्या स्थिति होती है?

उत्तर: महाकवि मंझन के अनुसार, प्रेम की शरण में जाने पर जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रेम के प्रभाव से व्यक्ति राग-द्वेष, भय और लोभ से मुक्त हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के लिए यह नश्वर संसार अपनी महत्ता खो देता है और वह आध्यात्मिक शांति और संतोष को प्राप्त करता है।

कवि का कहना है कि प्रेम की शरण में जाकर व्यक्ति आत्मिक शांति और अमरत्व को प्राप्त कर लेता है। प्रेम के कारण ही व्यक्ति भौतिक संसार के बंधनों से मुक्त हो सकता है और ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। प्रेम के महत्व को रेखांकित करते हुए, कवि ने बताया है कि प्रेम ही वह मार्ग है जिसके माध्यम से व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकता है और कालजयी बन सकता है। प्रेम की शरण में रहने वाला व्यक्ति सच्चे अर्थों में अमर हो जाता है।

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