Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 8 Solutions – एक वृक्ष की हत्या

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बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का आठवां अध्याय ‘एक वृक्ष की हत्या’ प्रसिद्ध कवि कुँवर नारायण की एक सार्थक कविता है। इस कविता में कवि ने एक वृक्ष के प्रति अपनी गहरी संवेदना और लगाव को व्यक्त किया है। वे वृक्ष को एक चौकीदार और दोस्त के रूप में चित्रित करते हैं, जो हमेशा घर के दरवाजे पर खड़ा रहता था। कवि इस वृक्ष के अचानक गायब हो जाने पर दुःख व्यक्त करते हुए, पर्यावरण संरक्षण और मानवीय मूल्यों की रक्षा का संदेश देते हैं।

Bihar Board class 10 Hindi Padya chapter 8

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 8 Solutions

SubjectHindi
Class10th
Chapter8. एक वृक्ष की हत्या
Authorकुँवर नारायण
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 8 Question Answer

प्रश्न 1. कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था?

उत्तर- कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार इसलिए लगता था क्योंकि वह लंबे समय से वहाँ खड़ा था और पर्यावरण तथा सभ्यता का रक्षक था। वृक्ष मानवता और प्रकृति के बीच एक पुल की तरह है, जो पीढ़ियों से हमारी सेवा कर रहा है। यह हमें छाया, फल, और ऑक्सीजन देता है, जैसे एक वफादार चौकीदार अपने कर्तव्य का पालन करता है। इस प्रकार, कवि वृक्ष को एक बुजुर्ग रक्षक के रूप में देखता है।

प्रश्न 2. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था?

उत्तर- कवि जब घर लौटता, तो उसे लगता कि वृक्ष उससे पूछ रहा है, “तुम कौन हो?” यह एक काल्पनिक संवाद था, जो वृक्ष की उपस्थिति से उत्पन्न होता था। कवि इसका जवाब देता, “मैं तुम्हारा दोस्त हूँ।” यह संवाद कवि और वृक्ष के बीच एक गहरे रिश्ते को दर्शाता है। इसके बाद, कवि वृक्ष के पास बैठकर पर्यावरण के भविष्य पर चिंतन करता था।

प्रश्न 3. कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों?

उत्तर- कविता के अंत में, कवि पर्यावरण और सभ्यता के लिए अपनी चिंता व्यक्त करता है। वह मानवता, पर्यावरण, और राष्ट्रीयता के खिलाफ बढ़ते खतरों का उल्लेख करता है। कवि का मानना है कि लोगों की वृक्षों को काटने और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की प्रवृत्ति बढ़ रही है। वह इन खतरों से सावधान रहने और सभ्यता की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान करता है। यह चिंता इसलिए है क्योंकि ये कार्य हमारे अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं।

प्रश्न 4. घर शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात करता है और क्यों?

उत्तर- कवि नदियों, हवा, भोजन, जंगल और मनुष्य को बचाने की बात करता है। ये सभी जीवन के लिए आवश्यक हैं। नदियाँ और हवा हमारा पर्यावरण बनाते हैं, जबकि भोजन और जंगल हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। कवि मनुष्य की रक्षा पर विशेष जोर देता है, क्योंकि मानवता और सभ्यता को बचाए रखना आवश्यक है। इन सभी तत्वों का संरक्षण एक स्वस्थ और संतुलित जीवन के लिए अनिवार्य है।

प्रश्न 5. कविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर- यह कविता आज के समय में बहुत प्रासंगिक है। यह पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालती है। कवि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, बढ़ती जनसंख्या, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं पर चिंता व्यक्त करता है। ये सभी मुद्दे वर्तमान में हमारे सामने हैं। कविता हमें याद दिलाती है कि प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करती है।

प्रश्न 6. व्याख्या करें

(क) दूर से ही ललकारता, कौन ? / मैं जवाब देता, ‘दोस्त’।

व्याख्या – ये पंक्तियाँ कुँवर नारायण की कविता ‘एक वृक्ष की हत्या’ से हैं। यहाँ कवि और एक वृक्ष के बीच एक काल्पनिक संवाद प्रस्तुत किया गया है। कवि जब घर लौटता है, तो उसे लगता है कि वृक्ष उससे पूछ रहा है “कौन है?” यह वृक्ष की स्थिर उपस्थिति का प्रतीक है, जो एक चौकीदार की तरह घर की रक्षा करता है। कवि का जवाब “दोस्त” वृक्ष के साथ उसके घनिष्ठ संबंध को दर्शाता है। यह संवाद प्रकृति और मनुष्य के बीच एक गहरे रिश्ते को प्रकट करता है, जहाँ वृक्ष न केवल एक पेड़ है, बल्कि एक मित्र और रक्षक भी है।

(ख) बचाना है-जंगल को मरूस्थल हो जाने से / बचाना है-मनुष्य को जंगल हो जाने से।

व्याख्या – ये पंक्तियाँ पर्यावरण संरक्षण और मानवीय मूल्यों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देती हैं। “जंगल को मरूस्थल हो जाने से बचाना” का अर्थ है प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रोकना। यह पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को दर्शाता है। “मनुष्य को जंगल हो जाने से बचाना” का तात्पर्य है मानवीय मूल्यों और सभ्यता की रक्षा करना। यह मानव को पशुवत व्यवहार या क्रूरता से बचाने की आवश्यकता को इंगित करता है। कवि हमें याद दिलाता है कि प्रकृति और मानवता दोनों की रक्षा समान रूप से महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 7. कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘एक वृक्ष की हत्या’ शीर्षक कविता के मुख्य संदेश को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है। यह शीर्षक पाठक का ध्यान तुरंत आकर्षित करता है, क्योंकि ‘हत्या’ शब्द आमतौर पर मनुष्यों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग वृक्ष के लिए करके कवि वृक्षों के महत्व और उनके प्रति मानवीय क्रूरता को दर्शाता है। यह शीर्षक पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देता है और मानव तथा प्रकृति के बीच संबंधों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। ‘हत्या’ शब्द का प्रयोग वृक्षों के प्रति हमारी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को रेखांकित करता है। इस प्रकार, यह शीर्षक कविता की मूल भावना और संदेश को संक्षेप में प्रस्तुत करता है, जो इसे सार्थक और उपयुक्त बनाता है।

प्रश्न 8. इस कविता में एक रूपक की रचना हुई है। रूपक क्या है ? और ‘यहाँ उसका क्या स्वरूप है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रूपक एक ऐसा अलंकार है जिसमें उपमेय (जिसकी तुलना की जा रही है) और उपमान (जिससे तुलना की जा रही है) को एक ही रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस कविता में, कवि ने एक अनूठा रूपक रचा है जहाँ वृक्ष को एक बूढ़े चौकीदार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यहाँ वृक्ष उपमेय है और बूढ़ा चौकीदार उपमान। कवि ने वृक्ष की विशेषताओं को चौकीदार के गुणों से मिलाया है। जैसे वृक्ष का तना चौकीदार के शरीर के समान है, वृक्ष की छाल चौकीदार के झुर्रीदार चेहरे जैसी है, वृक्ष की शाखाएँ चौकीदार की राइफल की तरह हैं, और वृक्ष की पत्तियाँ चौकीदार की पगड़ी जैसी हैं। इस रूपक के माध्यम से कवि ने वृक्ष की महत्ता और उसकी सुरक्षात्मक भूमिका को बड़ी कुशलता से रेखांकित किया है।

प्रश्न 9. ‘एक वक्ष की हत्या कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर- ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता में कुँवर नारायण ने पर्यावरण संरक्षण और मानव सभ्यता के संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कवि एक वृक्ष को बूढ़े चौकीदार के रूप में प्रस्तुत करता है, जो हमेशा घर की रक्षा करता था। वृक्ष के कट जाने से कवि को गहरा दुख होता है और वह इसे एक बड़े संकट का संकेत मानता है। वह चेतावनी देता है कि यदि इस तरह वृक्षों को काटते रहे तो न केवल घर, बल्कि शहर, देश और पूरी दुनिया खतरे में पड़ जाएगी। कवि नदियों के प्रदूषण, वायु प्रदूषण, और जमीन के रासायनिक प्रदूषण पर भी चिंता व्यक्त करता है। उनका मानना है कि जंगलों को बचाना और साथ ही मनुष्य को ‘जंगली’ बनने से रोकना दोनों महत्वपूर्ण हैं। अंत में, वह मानवता को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता का आह्वान करता है। कविता का मुख्य संदेश यह है कि प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

भाषा की बात

प्रश्न 1. निम्नलिखित अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग करें

अबकी, हमेशा, लेकिन, दूर, दरअसल, कहीं

अबकी – अबकी समस्या गंभीर है।
हमेशा – हमेशा सत्य बोलना चाहिए।
लेकिन – वह आनेवाला था लेकिन नहीं आया।
दूरं – यहाँ से दूर नदी बहती है।
दरअसल – दरअसल ये बाते झूठी हैं।
कहीं – वह कहीं नहीं जायेगा।

प्रश्न 2. कविता से विशेषणों का चुनाव करते हुए उनके लिए स्वतंत्र विशेष्य पद दें।

उत्तर-

बूढा – चौकीदार
पुराने – चमड़े
खुरदरा – तना
सखी – डाल
फूल पत्तीदार – पगड़ी
फटा पुराना – जूता
ठंढी – छाँव

प्रश्न 3. निम्नांकित संज्ञा पदों का प्रकार बताते हुए वाक्य-प्रयोग करें: घर, चौकीदार, दरवाजा, डाल, चमड़ा, पगड़ी, बल-बूता, बारिश, वर्दी, दोस्त, पल, छाँव, अन्देशा, नादिरो, जहर, मरूस्थल, जंगल।

उत्तर-

घर – जातिवाचक – घर बड़ा है।
चौकीदार – जातिवाचक – चौकीदार ईमानदार है।
दरवाजा – जातिवाचक – दरवाजा खोल दो।
डाल – जातिवाचक – वृक्ष के डाल टूट गये।
चमड़ा – जातिवाचक – चमड़ा सड़ गया।
पगड़ी – जातिवाचक – पगड़ी नई है।
बल-बूता – भाववाचक – अपने बल-बूते पर कार्य करो।
बारिश – जातिवाचक – बारिश हो रही है।
वर्दी – जातिवाचक – वर्दी नयी है।
दोस्त – जातिवाचक – दोस्त पुराना है।
पल – भाववाचक – एक-एक पल का सदुपयोग करो।
छाँव – भाववाचक – छाँव ठंढी है।
अन्देशा – भाववाचक – अन्देशा समाप्त हो गया।
नादिरों – जातिवाचक – नादिरों से बचना है।
जहर – जातिवाचक – उसने जहर पी लिया।
मरूस्थल – जातिवाचक मरूस्थल फैल रहा है।
जंगल – जातिवाचक – जंगल घना है।

प्रश्न 4. कविता में प्रयुक्त निम्नांकित पदों के कारक स्पष्ट करें चमड़ा, पाँव, धूप, सर्दी, वर्दी, अन्देशा, शहर, नदी, खाना, मनुष्य।

उत्तर-

चमड़ा – सबंध कारक
पाँव – अधिकरण कारक
धूप – अधिकारण कारक
सर्दी – अधिकरण कारक
वर्दी – अधिकरण कारक
अन्देशा – अधिकरण कारक
शहर – कर्म कारक
नदी – कर्म कारक
खाना – कर्म कारक
मनुष्य – कर्म कारक

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