Get Bihar Board class 10 Hindi Padya chapter 2 solutions are available for free here. Below you will get the complete question answer of class 10 Hindi पद्य खण्ड chapter 2 – “प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं”.
बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का दूसरा अध्याय ‘प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं’ प्रसिद्ध कवि रसखान की रचनाओं पर आधारित है। इस अध्याय में रसखान के दो पद शामिल हैं, जो कृष्ण भक्ति और प्रेम भावना को दर्शाते हैं। पहला पद राधा-कृष्ण के प्रेम को प्रकृति के माध्यम से चित्रित करता है, जबकि दूसरा पद कवि की कृष्ण और उनसे जुड़ी हर वस्तु के प्रति गहरी भक्ति को प्रकट करता है।
Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 2 Solutions
Contents
Subject | Hindi |
Class | 10th |
Chapter | 2. प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं |
Author | रसखान |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 2 Question Answer
प्रश्न 1: कवि ने माली-मालिन किन्हें और क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने माली-मालिन कृष्ण और राधा को कहा है। कवि राधा-कृष्ण के प्रेम को वाटिका के रूप में देखता है, और उस प्रेम-वाटिका के माली-मालिन कृष्ण-राधा को मानता है। जैसे माली और मालिन वाटिका को पुष्पित और पल्लवित करते हैं, वैसे ही कृष्ण और राधा अपने प्रेम से इस प्रेम-वाटिका को संवारते हैं। उनके प्रेम से ही यह प्रेम-वाटिका खिली रहती है।
प्रश्न 2: द्वितीय दोहे का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर: द्वितीय दोहे में ब्रजभाषा की सरलता और मधुरता का उपयोग किया गया है। इसमें तद्भव और तत्सम शब्दों का सुंदर मिश्रण है, जिससे कविता का सौंदर्य बढ़ जाता है। कविता में अनुप्रास और रूपक अलंकार का सुंदर समागम है, जो कविता को संगीतमय बनाता है। इस दोहे में माधुर्य गुण के साथ-साथ वैराग्य रस का भी सुंदर चित्रण हुआ है, जो पाठक के मन को भाव-विभोर कर देता है।
प्रश्न 3: कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है? कवि का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर: कवि ने कृष्ण को चोर इसलिए कहा है क्योंकि उनकी मोहक छवि कवि का मन पूरी तरह से चुरा लेती है। कवि का मानना है कि कृष्ण ने उनके मन रूपी मणि को चुरा लिया है, जिससे उनका चित्त केवल राधा-कृष्ण में ही रम गया है। कृष्ण की मनमोहक मूरत कवि के मन को इस प्रकार चुरा लेती है कि वे अपनी सुध-बुध खो बैठते हैं। इसलिए, कवि कृष्ण को चोर कहकर उनकी अलौकिक मोहिनी छवि का वर्णन करते हैं।
प्रश्न 4: सवैये में कवि की कैसी आकांक्षा प्रकट होती है? भावार्थ बताते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर: सवैये में कवि रसखान की आकांक्षा प्रकट होती है कि वे कृष्ण की लीला को अपने जीवन का सर्वोच्च सुख मानते हैं। कवि कहते हैं कि कृष्ण की लकुटी और कामरिया के सामने तीनों लोकों का राज भी तुच्छ है। कवि नन्द की गाय चराने वाली कृष्ण लीला को याद करते हुए कहते हैं कि इस लीला में आठों सिद्धियों और नवों निधियों का सुख भी भूल जाता है। ब्रज के वनों के ऊपर करोड़ों इन्द्र के धाम को न्योछावर करने की इच्छा कवि प्रकट करते हैं, जो उनकी कृष्ण भक्ति की गहराई को दर्शाता है।
प्रश्न 5: व्याख्या करें
(क) “मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं।”
उत्तर: इस पंक्ति में कवि रसखान अपने मन की स्थिति का वर्णन कर रहे हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण को चित्तचोर कहा है क्योंकि उनके दर्शन से ही कवि का मन पावन हो गया है। कवि कहते हैं कि वे पलकें भी नहीं झपका सकते क्योंकि उनकी आँखें श्रीकृष्ण की मोहक छवि से हटी ही नहीं। श्रीकृष्ण का सुंदर रूप कवि के हृदय और मन को इस प्रकार बांध लेता है कि वे उसे निहारते रहना चाहते हैं। यहाँ कवि ने अपनी गहन भक्ति और प्रेम का अद्भुत वर्णन किया है।
(ख) “रसखानि कबौं इन आँखिन सौ ब्रज के बनबाम तझम निहारौं।”
उत्तर: इस पंक्ति में कवि रसखान अपने मन की एक गहरी आकांक्षा व्यक्त कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि वे अपनी आँखों से ब्रज के वन-उपवन और तालाबों की सुंदरता का दर्शन कर सकें। कवि ब्रज की पवित्रता और सुशोभित दृश्यों को निहारने की इच्छा रखते हैं, जो उनके हृदय को आनंदित करता है। ब्रज की मनमोहक शोभा और कृष्ण-लीला स्थल को देखकर कवि अपनी सारी सुध-बुध खो देते हैं। रसखान कहते हैं कि वे ब्रज की सुंदरता को देखकर अपने जीवन को धन्य मानते हैं और यह दृश्य उनके लिए सबसे मूल्यवान है। कवि की ब्रज के प्रति भक्ति और प्रेम का यह सुंदर चित्रण है।
प्रश्न 6: ‘प्रेम-अयनि श्री राधिका’ पाठ का भाव/सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: ‘प्रेम-अयनि श्री राधिका’ में कवि रसखान ने राधा और कृष्ण के प्रेममय रूप का अद्भुत वर्णन किया है। राधा प्रेम का खजाना हैं और श्रीकृष्ण साक्षात् प्रेम के स्वरूप हैं। वे दोनों प्रेम-वाटिका के माली और मालिन हैं, जिनके कारण प्रेम-वाटिका सदैव पुष्पित-पल्लवित रहती है। श्रीकृष्ण की मोहक छवि को देखकर कवि की दशा धनुष से छूटे तीर की भांति हो जाती है, जो एक बार निशाना साधने के बाद लौट नहीं सकता। कवि का मन, जिसे श्रीकृष्ण ने चुरा लिया है, अब उन्हीं की ओर लगा रहता है और किसी अन्य पर ध्यान नहीं जाता।
सवैया ‘करील के कुंजन ऊपर वारौं’ में कवि रसखान की श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम की गहनता स्पष्ट होती है। वे कहते हैं कि श्रीकृष्ण की लकुटी और कंबल, जिनसे वे गाय चराने जाते थे, उनके लिए इतने मूल्यवान हैं कि कवि तीनों लोकों का राज्य त्याग कर उन वस्तुओं के साथ रम सकते हैं। यदि वह भी न मिले, तो नंद बाबा की गायें चराने का अवसर मिल जाए, तो भी वे आठों सिद्धियों और नौ निधियों का त्याग कर देंगे। कवि की प्रेम और भक्ति केवल श्रीकृष्ण की वस्तुओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे ब्रजभूमि के प्रति भी अद्वितीय अनुराग रखते हैं। वे कहते हैं कि अगर उन्हें ब्रज के जंगल, बाग, घाट और करील के कुंजों के दर्शन हो जाएं, जहां श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाएं की थीं, तो वे सैकड़ों इन्द्रलोक उन पर न्योछावर कर देंगे। रसखान की इस समर्पण-भावना और भक्ति ने भक्ति-काव्य को अमूल्य निधि प्रदान की है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. समास-निर्देश करते हुए निम्नलिखित पदों के विग्रह करें –
प्रेम-अनि, प्रेमबरन, नंदनंद, प्रेमवाटिक, माली मालिन, साखानि, ‘चिनचोर, मनमानिक, बेमन, नवोनिधि, आठहुँसिद्धि, बमबाग, लिहपुर
उत्तर-
- प्रेमआयनि – प्रेम की आयनि – तत्पुरुष समास
- प्रेम-बरन – प्रेम का वरन – तत्पुरुष समास
- नंदनंद – नंद का है जो नंद – कर्मधारय समास
- प्रेमवाटिका – प्रेम की वाटिका – तत्पुरुष समास
- माली-मालिन – माली और मालिन – द्वन्द्व समास
- रसखानि – रस की खान – तत्पुरुष समास
- चित्तचोर – चित्त है चोर जिसका अर्थात कृष्ण – बहुव्रीहि समास
- मनमानिक – मन है जो मानिक – कर्मधारय समास
- बेमन – बिना मन का – अव्ययीभाव समास
- नवोनिधि – नौ निधियों का समूह – द्विगु समास
- आठसिद्धि – आठों सिद्धियों का समूह – द्विगु समास
- बनबाग – बन और बाग – द्वन्द्व समास
- तिहपुर – तीनों लोकों का समूह – द्विगु समास
प्रश्न 2. निम्नलिखित के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखें –
राधिका, नंदनंद, नैन, सर, आँख, कंज, कलधौत
उत्तर-
- राधिका – कमला, श्री, प्रेम, अयनि।
- नदनंद – कृष्ण, नंदसुत, नंदतनय।
- नैन – आँख, लोचन, विलोचन।
- सर – वाण, सरासर, तीर।
- आँख – नयन, अश्नि, नेत्रा
- कुंग – बाग, वाटिका, उपवन।
प्रश्न 3. कविता से क्रियारूपों का चयन करते हुए उनके मूल रूप को स्पष्ट करें।
उत्तर- विद्यार्थी शिक्षक के सहयोग से स्वयं करें।