Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 3 Solutions – अति सूधो सनेह को मारग है, मो अँसुवानिहिं लै बरसौ

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बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का तीसरा अध्याय ‘अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहिं लै बरसौ’ प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि घनानंद की दो रचनाओं पर आधारित है। इस अध्याय में घनानंद के दो छंद शामिल हैं, जो प्रेम के सरल मार्ग और विरह वेदना को बड़ी ही सुंदरता से प्रस्तुत करते हैं। पहला छंद प्रेम की निष्कपटता और सरलता पर प्रकाश डालता है, जबकि दूसरा छंद कवि की विरह व्यथा और प्रिय के प्रति समर्पण भाव को दर्शाता है।

Bihar Board class 10 Hindi Padya chapter 3

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 3 Solutions

SubjectHindi
Class10th
Chapter3. अति सूधो सनेह को मारग है, मो अँसुवानिहिं लै बरसौ
Authorघनानंद
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 3 Question Answer

प्रश्न 1: कवि प्रेममार्ग को अति सूधों क्यों कहता है ? इस मार्ग की विशेषता क्या है?

उत्तर: कवि प्रेममार्ग को अति सूधों अर्थात अत्यंत सरल और स्वच्छ इसलिए कहता है क्योंकि यह मार्ग छल-कपट से रहित है। इस मार्ग पर चलने के लिए न तो किसी बुद्धिबल की आवश्यकता है और न ही अधिक सोच-विचार की। प्रेममार्ग में भक्त की भावना प्रधान होती है, जिसमें सच्चे हृदय से प्रेम करना होता है। प्रेममार्ग में दो व्यक्ति मिलकर एक हो जाते हैं, उनके बीच भिन्नता समाप्त हो जाती है। इस मार्ग में प्रेमी अपने प्रियतम को सर्वस्व समर्पित करता है और किसी भी प्रकार की प्रतिफल की अपेक्षा नहीं रखता। प्रेममार्ग में स्वार्थहीनता और समर्पण की भावना सर्वोपरि होती है।

प्रश्न 2: ‘मन लेह पै देह छटाँक नहीं’ से कवि का क्या अभिप्राय है?

उत्तर: ‘मन लेह पै देह छटाँक नहीं’ से कवि का अभिप्राय यह है कि प्रेम में प्रेमी अपनी पूरी आत्मा को अपने प्रियतम को समर्पित कर देता है, जबकि स्वयं के लिए कुछ भी नहीं रखता। मन की तुलना में ‘छटाँक’ बहुत ही छोटी इकाई है, जो प्रेम में समर्पण की उच्चतम सीमा को दर्शाता है। प्रेम में देने की भावना प्रधान होती है और लेने की नहीं। प्रेमी अपने इष्ट को सर्वस्व न्योछावर करके स्वयं को धन्य मानते हैं। इसमें संपूर्ण समर्पण और स्वार्थहीनता की भावना व्यक्त की गई है।

प्रश्न 3: द्वितीय छंद किसे संबोधित है और क्यों?

उत्तर: द्वितीय छंद बादल को संबोधित है। इसमें मेघ की अन्योक्ति के माध्यम से विरह-वेदना की अभिव्यक्ति की गई है। मेघ का वर्णन इसलिए किया गया है क्योंकि मेघ विरह-वेदना में अश्रुधारा प्रवाहित करने का जीवंत उदाहरण है। प्रेमी अपनी प्रेमाश्रुओं की अविरल धारा के माध्यम से अपने प्रेम को प्रकट करता है। मेघ भी उदारता से परोपकार के लिए अमृत रूपी जल की वर्षा करता है। इसी प्रकार, कवि अपने हृदय की पीड़ा को मेघ के माध्यम से अपने प्रियतम तक पहुँचाना चाहता है।

प्रश्न 4: परहित के लिए ही देह कौन धारण करता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: परहित के लिए ही देह, बादल धारण करता है। बादल जल की वर्षा करके सभी प्राणियों को जीवन देता है और सुख-चैन स्थापित करता है। उसकी वर्षा उसके विरह के आँसू के प्रतीक स्वरूप हैं, जो अमृत की वर्षा कर जीवनदाता हो जाते हैं। बादल शरीर धारण करके सागर के जल को अमृत बनाकर दूसरों के लिए एक-एक बूंद समर्पित कर देता है। वह निःस्वार्थ भाव से वर्षा करता है और बदले में कुछ भी नहीं लेता। उसका देह केवल परोपकार के लिए ही निर्मित हुआ है।

प्रश्न 5: कवि कहाँ अपने आसुओं को पहुंचाना चाहता है और क्यों?

उत्तर: कवि अपने प्रेयसी सुजान के लिए विरह-वेदना को प्रकट करते हुए बादल से अपने प्रेमाश्रुओं को पहुंचाने के लिए कहता है। वह अपने आँसुओं को सुजान के आँगन में पहुंचाना चाहता है क्योंकि वह उसकी याद में व्यथित है। अपने आँसुओं को प्रेयसी के निकट पहुंचाकर, कवि अपने प्रेम की आस्था को शाश्वत रखना चाहता है। इससे वह अपने प्रेम की गहनता और सत्यता को प्रकट करना चाहता है।

प्रश्न 6: व्याख्या करें

(क) यहाँ एक ते दूसरौ ऑक नहीं

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति कवि घनानंद द्वारा रचित ‘अति सधो सनेह को मारग है” पाठ से ली गई है। इसके माध्यम से कवि प्रेमी और प्रेयसी के एकाकार होने की भावना व्यक्त करते हैं। प्रेम में दोनों की अलग-अलग पहचान नहीं रहती, बल्कि वे एक रूप में स्थित हो जाते हैं। प्रेमी अपने प्रेम को निःस्वार्थ भाव से समर्पित करता है और किसी प्रकार की प्रतिफल की अपेक्षा नहीं करता। कवि यहाँ प्रेमिका सुजान को संबोधित करते हुए कहते हैं कि उनके हृदय में केवल उसी का स्थान है और उसके अलावा किसी और का चिह्न नहीं है।

(ख) कछु मेरियो पीर हिएं परसौ

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति कवि घनानंद-रचित “मो अॅसवानिहिं लै बरसौ” पाठ से ली गई है। कवि इस पंक्ति के माध्यम से परोपकारी बादल से निवेदन कर रहे हैं कि वे उनके हृदय की पीड़ा को भी स्पर्श करें। कवि चाहते हैं कि बादल उनके विरह-वेदना से भरे आँसुओं को लेकर उनके प्रेयसी सुजान के आँगन में प्रेम की वर्षा कर दें। बादल जो जीवनदायक और परोपकारी हैं, सागर के जल को अमृत में परिवर्तित करके कल्याण करते हैं, उनसे कवि आग्रह करते हैं कि उनके दुख को समझें और उनके प्रेमाश्रुओं को सुजान तक पहुँचा दें। इस प्रकार, कवि अपनी व्यथा को सुजान तक पहुँचाने के लिए बादल का सहारा लेते हैं।

प्रश्न 7: कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर: कवि घनानंद की रचना ‘अति सूधो सनेह को मारग है’ प्रेम के सरल और सीधा मार्ग का वर्णन करती है। कवि कहते हैं कि प्रेम का रास्ता न तो टेढ़ा-मेढ़ा है और न ही इस पर चलने के लिए चतुराई की आवश्यकता है। इस मार्ग पर वही लोग चलते हैं जिन्हें न अभिमान होता है और न किसी प्रकार की झिझक। ये लोग निस्संकोच और सरलता से प्रेम पथ पर अग्रसर होते हैं।

घनानंद के अनुसार, सच्चे प्रेम में केवल एक की ही जगह होती है, यहाँ दूसरे के लिए कोई स्थान नहीं है। कवि प्रेम का उदाहरण देकर बताते हैं कि प्रेमी अपना ‘मन’ दे देता है लेकिन बदले में कुछ भी पाने की उम्मीद नहीं करता। यहाँ ‘मन’ शब्द में श्लेष अलंकार का प्रयोग किया गया है, जो भाव और भाषा की सुंदरता को बढ़ाता है।

कविता के दूसरे भाग ‘मो अँसुवानिहिं लै बरसौ’ में कवि अपनी विरह वेदना को व्यक्त करते हैं। कवि बादलों से निवेदन करते हैं कि जिस प्रकार वे परहित के लिए वर्षा करते हैं, उसी प्रकार उनके हृदय की पीड़ा को भी समझें। कवि चाहते हैं कि बादल उनके आँसुओं को लेकर उनकी प्रेयसी सुजान के आँगन में प्रेम की वर्षा कर दें, ताकि उनकी वेदना को समझा जा सके। बादलों की परोपकारी प्रकृति को दर्शाते हुए कवि अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और प्रेम में निःस्वार्थ समर्पण का संदेश देते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1. निम्नांकित शब्द कविता में संज्ञा अथवा विशेषण के रूप में प्रयुक्त है। इनके प्रकार बताएँ-

सूधो, मारग, नेकु, बॉक, कपटी, निसांक, पाटी, जथरथ, जीवनदायक, पीर, हियें, बिसासी

उत्तर-

  • सूधो – गुणवाचक विशेषण
  • मारग – जातिवाचक संज्ञा
  • नेक – गुणवाचक विशेषण
  • बॉक – भाववाचक संज्ञा
  • कपटी – गुणवाचक विशेषण
  • निसॉक – गुणवाचक विशेषण
  • पाटी – भाववाचक संज्ञा जथारथ
  • जथरथ – भाववाचक संज्ञा
  • जीवनदायक – गुणवाचक विशेषण
  • पीर – भाववाचक संज्ञा
  • हियें – जातिवाचक संज्ञा
  • बिसासी – गुणवाचक विशेषण

प्रश्न 2. कविता में प्रयुक्त अव्यय पदों का चयन करें और उनका अर्थ भी बताएं।

उत्तर-

  • अति – बहुत
  • जहाँ – स्थान विशेष
  • नहीं – न
  • तति – छोड़कर
  • यहाँ – स्थानविशेष
  • नेक – तनिक भी

प्रश्न 3. निम्नलिखित के कारक स्पष्ट करें-

सनेह को पारग प्यारे सुजान, मेरियो पीर, हिये, आँसुवानिहि

उत्तर-

  • सनेह को मार्ग – संबंध कारक
  • प्यारे सुजान – संबंध कारक
  • मारया पीर – अधिकारण कारक
  • हियें – अधिकरण कारक
  • आँसुवानिहि – करण कारक
  • मों – कर्म कारक
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