Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 12 Solutions – मेरे बिना तुम प्रभु

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बिहार बोर्ड की कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का बारहवाँ अध्याय ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ एक गहन और चिंतनशील कविता है। यह कविता जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने एक अनोखे दृष्टिकोण से ईश्वर और मनुष्य के संबंध को प्रस्तुत किया है। कवि यहाँ मनुष्य की महत्ता को दर्शाता है, यह बताते हुए कि ईश्वर के अस्तित्व के लिए भी मनुष्य का होना आवश्यक है।

Bihar Board class 10 Hindi Padya chapter 12

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 12 Solutions

SubjectHindi
Class10th
Chapter12. मेरे बिना तुम प्रभु
Authorरेनर मारिया रिल्के
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 12 Question Answer

प्रश्न 1. कवि अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहा है ?

उत्तर- कवि अपने को जलपात्र और मदिरा इसलिए कहता है क्योंकि वह भगवान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसे जलपात्र जल को संग्रहित करता है और उसे उपयोगी बनाता है, वैसे ही भक्त भगवान की भक्ति को धारण करता है। मदिरा जैसे आनंद देती है, वैसे ही भक्त भगवान को प्रसन्नता प्रदान करता है। कवि का मानना है कि भक्त भगवान की पहचान है और उनके अस्तित्व का आधार है।

प्रश्न 2. आशय स्पष्ट कीजिए: “मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे?”

उत्तर- इस पंक्ति में कवि भक्त और भगवान के अटूट संबंध को दर्शाता है। वह कहता है कि भक्त भगवान का बाहरी रूप (वेश) और आंतरिक स्वभाव (वृत्ति) दोनों है। भक्त के माध्यम से ही भगवान की पहचान और महिमा प्रकट होती है। अगर भक्त नहीं रहेगा, तो भगवान का अस्तित्व भी अर्थहीन हो जाएगा। यह पंक्ति भक्ति के महत्व को रेखांकित करती है।

प्रश्न 3. शानदार लबादा किसका गिर जाएगा और क्यों ?

उत्तर- कवि के अनुसार, भगवान का शानदार लबादा गिर जाएगा। यह लबादा भगवान की महिमा और गौरव का प्रतीक है। भक्त के न रहने पर यह लबादा गिर जाएगा क्योंकि भक्त ही भगवान की महिमा को प्रकट करता है। भक्त के बिना भगवान की पहचान और उनका गौरव समाप्त हो जाएगा। यह भक्त की महत्ता को दर्शाता है।

प्रश्न 4. कवि किसको कैसा सुख देता था?

उत्तर- कवि भगवान को सुख देता था। वह अपने को भगवान की कृपा दृष्टि की शय्या मानता है। कवि के अनुसार, जब भगवान की कृपा दृष्टि उसके कोमल कपोलों पर विश्राम करती है, तब भगवान को आनंद मिलता है। यह भक्त और भगवान के मध्य परस्पर प्रेम और आनंद के आदान-प्रदान को दर्शाता है।

प्रश्न 5. कवि को किस बात की आशंका है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि को आशंका है कि अगर भक्त न रहे, तो भगवान की पहचान कैसे होगी। वह चिंतित है कि प्रकृति की सुंदरता, मानव हृदय का प्रेम, और भक्ति की भावना – जो सब ईश्वर के स्वरूप को प्रकट करते हैं – के बिना लोग भगवान को कैसे जानेंगे और अनुभव करेंगे। यह आशंका भक्ति के महत्व और भगवान के साथ मानव संबंध की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

प्रश्न 6. कविता किसके द्वारा किसे संबोधित है? आप क्या सोचते हैं ?

उत्तर- यह कविता भक्त द्वारा भगवान को संबोधित है। कवि भक्त के रूप में भगवान से कहता है कि वह भगवान का आश्रय और पहचान है। वह दर्शाता है कि भक्त और भगवान एक-दूसरे के लिए अनिवार्य हैं। भक्त भगवान की अदृश्य सत्ता को दृश्य रूप देता है। यह दृष्टिकोण मानव जीवन के महत्व को रेखांकित करता है, जिसे ईश्वरीय अंश के रूप में देखा जाना चाहिए।

प्रश्न 7. मनुष्य के नश्वर जीवन की महिमा और गौरव का यह कविता कैसे बखान करती है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- यह कविता मानव जीवन की महिमा को उजागर करती है। यह दर्शाती है कि मनुष्य ईश्वर का प्रतिबिंब है। कवि मनुष्य को भगवान का जलपात्र, मदिरा, वेश और वृत्ति कहकर उसकी महत्ता बताता है। यह नश्वर जीवन को ईश्वरीय सत्ता का वाहक बताता है। कविता का मूल भाव है कि मनुष्य के बिना भगवान की कल्पना भी संभव नहीं है, जो मानव जीवन के अद्वितीय महत्व को दर्शाता है।

प्रश्न 8. कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- कविता भक्त और भगवान के बीच गहरे, परस्पर निर्भर संबंध को दर्शाती है। भक्त को भगवान का जलपात्र और मदिरा कहा गया है, जो उनकी अनिवार्यता दर्शाता है। भगवान की सत्ता भक्त पर निर्भर है, जबकि भक्त भगवान से अपना अर्थ पाता है। यह संबंध एक-दूसरे के पूरक के रूप में चित्रित किया गया है, जहाँ दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।

प्रश्न 9. “लौटकर आऊँगा फिर’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर- यह कविता भक्त और भगवान के अटूट संबंध को दर्शाती है। कवि भक्त के रूप में भगवान से पूछता है कि उसके बिना भगवान का क्या होगा। वह स्वयं को भगवान का जलपात्र, मदिरा, आवरण और पादुका बताता है। कवि कहता है कि वही भगवान की पूजा करता है, उन्हें घर देता है और उनकी महिमा का बखान करता है। कविता का मुख्य संदेश है कि भगवान की महानता मनुष्य पर निर्भर है, और दोनों एक-दूसरे के लिए आवश्यक हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1. कविता से तत्सम शब्दों का चयन करें एवं उनका स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।

उत्तर- जलपात्र – जलपात्र खो गया।
वृत्ति – भीख मांगना उसकी वृत्ति है।
गृहहीन – वह गृहहीन है।
निर्वासित – वह निर्वासित हो चुका है।
पादुका – पादुका नया है।
सूर्यास्त – सूर्यास्त हो गया।

प्रश्न 2. कविता में प्रयुक्त क्रियाओं का स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।

उत्तर- बिखर – उसकी स्वप्न बिखर गया।
सुखना – लकड़ी सूखी है।
खोकर – सब कुछ खोकर उसने संन्यास ले लिया।
भटकना – वह भटकता है।
गिरना – वह सीढी से गिर गया।
खोजन – नौकरी की खोज में राम खाक छानता है।

प्रश्न 3. कविता से अव्यय पद चुनें।

उत्तर- जब, तब, टूटक, बिना, दूर।

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