Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 11 Solutions – लौटकर आऊँगा फिर

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बिहार बोर्ड की कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का ग्यारहवाँ अध्याय ‘लौटकर आऊँगा फिर’ एक अत्यंत भावपूर्ण और मार्मिक कविता है। यह कविता मूल रूप से बंगाली कवि जीवनानंद दास द्वारा रचित है, जिसका हिंदी अनुवाद प्रयाग शुक्ल ने किया है। इस कविता में कवि ने अपनी मातृभूमि बंगाल के प्रति गहरे प्रेम और लगाव को दर्शाया है। कवि की यह इच्छा कि वह बार-बार अपनी धरती पर लौटकर आएगा, चाहे किसी भी रूप में हो, उनके देशप्रेम और प्रकृति से जुड़ाव को प्रदर्शित करती है।

Bihar Board class 10 Hindi Padya chapter 11

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 11 Solutions

SubjectHindi
Class10th
Chapter11. लौटकर आऊँगा फिर
Authorजीवनानंद दास
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 11 Question Answer

प्रश्न 1. कवि किस तरह के बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात करता है?

उत्तर- कवि एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बंगाल में लौटने की बात करता है। वह ऐसे बंगाल की कल्पना करता है जहाँ हरे-भरे धान के खेत हैं, शांत नदियाँ बहती हैं, और कोहरे से ढके खेत हैं। कटहल के पेड़ों की छाया, घास के मैदान, और कपास के खेत इस दृश्य को और भी सुंदर बनाते हैं। कवि ऐसे बंगाल में लौटना चाहता है जहाँ वनों में पक्षियों की मधुर आवाज़ गूँजती है और सारस अपनी शोभा बिखेरते हैं। यह कविता बंगाल की प्राकृतिक समृद्धि और सौंदर्य के प्रति कवि के गहरे प्रेम को दर्शाती है।

प्रश्न 2. कवि अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करता है और क्यों ?

उत्तर- कवि अगले जन्म में चिड़िया, कौवा, हंस, उल्लू, या सारस बनकर बंगाल में आने की इच्छा व्यक्त करता है। वह इन रूपों में आना चाहता है क्योंकि ये पक्षी बंगाल के प्राकृतिक परिदृश्य का अभिन्न अंग हैं। इन रूपों में, वह बंगाल की प्रकृति का निकट से अनुभव कर सकेगा – आकाश में उड़ सकेगा, खेतों में विचरण कर सकेगा, और नदियों में तैर सकेगा। कवि का यह विचार उसके बंगाल के प्रति गहरे लगाव और प्रेम को दर्शाता है, जहाँ वह किसी भी रूप में रहकर अपनी मातृभूमि का आनंद लेना चाहता है।

प्रश्न 3. अगले जन्मों में बंगाल में आने की क्या सिर्फ कवि की इच्छा है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- यह केवल कवि की व्यक्तिगत इच्छा नहीं है, बल्कि सभी बंगाल प्रेमियों की सामूहिक भावना का प्रतिनिधित्व करती है। कवि अपनी इच्छा के माध्यम से उन सभी लोगों की भावनाओं को व्यक्त करता है जो बंगाल से प्रेम करते हैं और उसके प्रति गहरी आस्था रखते हैं। यह कविता बंगाल की धरती के प्रति एक सार्वभौमिक प्रेम और लगाव को दर्शाती है। कवि की यह अभिव्यक्ति न केवल उसके व्यक्तिगत भावों को, बल्कि एक बड़े समुदाय की सांस्कृतिक और भावनात्मक जड़ों को भी प्रकट करती है।

प्रश्न 4. कवि किनके बीच अंधेरे में होने की बात करता है ? आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि सारस के बीच अंधेरे में होने की बात करता है। यह संध्याकाल का दृश्य है, जब सारस अपने घोंसलों की ओर लौट रहे होते हैं। अंधेरे में सारस के झुंड का दृश्य बंगाल के प्राकृतिक सौंदर्य का एक विशिष्ट पहलू है। कवि इस दृश्य के साथ तादात्म्य स्थापित करना चाहता है, जो उसके लिए बंगाल की शाम की शांति और सुंदरता का प्रतीक है। यह वर्णन कवि के बंगाल के प्रति गहरे लगाव और उसकी प्राकृतिक छटा में खो जाने की इच्छा को दर्शाता है।

प्रश्न 5. कविता की चित्रात्मकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- ‘लौट कर आऊँगा फिर’ कविता में चित्रात्मकता का सुंदर प्रयोग किया गया है। कवि ने बंगाल के प्राकृतिक दृश्यों को जीवंत शब्दों में चित्रित किया है। हरे-भरे धान के खेत, कटहल की छाया, हवा में झूमती वृक्षों की डालियाँ, और आकाश में उड़ते पक्षी – ये सभी दृश्य पाठक के मन में स्पष्ट चित्र उकेरते हैं। विशेष रूप से, संध्याकाल में लौटते सारस के झुंड का वर्णन बहुत प्रभावशाली है। कवि की भाषा इन दृश्यों को इतना सजीव बना देती है कि पाठक स्वयं को बंगाल की धरती पर खड़ा महसूस करता है। यह चित्रात्मकता कविता को अधिक आकर्षक और संवेदनशील बनाती है।

प्रश्न 6. कविता में आए बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कविता में प्रयुक्त बिंब बंगाल के प्राकृतिक सौंदर्य को जीवंत करते हैं। नवयुवतियों के पैरों में बँधे घुँघरू का बिंब बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। हवा के झोंके में झूमती वृक्षों की डालियों का बिंब प्रकृति की लयबद्धता को प्रकट करता है। आकाश में उड़ते हंसों का झुंड स्वतंत्रता और विस्तार का प्रतीक है। ये बिंब न केवल दृश्यात्मक हैं, बल्कि भावनात्मक भी हैं, जो पाठक को बंगाल की प्रकृति और संस्कृति से जोड़ते हैं। कवि ने इन बिंबों के माध्यम से बंगाल के प्रति अपने प्रेम और लगाव को बड़ी कुशलता से व्यक्त किया है।

प्रश्न 7. कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- “लौटकर आऊँगा फिर” शीर्षक कविता के मूल भाव को सटीक रूप से व्यक्त करता है। यह कवि की मातृभूमि बंगाल के प्रति गहरे लगाव और वहाँ पुनः जन्म लेने की तीव्र इच्छा को दर्शाता है। शीर्षक संक्षिप्त होने के साथ-साथ कविता के केंद्रीय विचार को प्रतिबिंबित करता है। यह पाठक के मन में जिज्ञासा जगाता है और कविता के भावात्मक संदेश को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करता है। शीर्षक कविता की विषय-वस्तु और कवि के उद्देश्य के साथ पूर्णतः सामंजस्य रखता है, जो इसे सार्थक बनाता है।

प्रश्न 8. कवि अगले जन्म में अपने मनुष्य होने में क्यों संदेह करता है ? क्या कारण हो सकता है ?

उत्तर- कवि मनुष्य जीवन की जटिलताओं और नकारात्मकताओं से विचलित प्रतीत होता है। वह मानव समाज में व्याप्त ईर्ष्या, कटुता और आपसी वैमनस्य से निराश है। पराधीन भारत की दुर्दशा ने भी उसके मन को व्यथित किया है। इन कारणों से वह अगले जन्म में मनुष्य के रूप में जन्म लेने पर संदेह व्यक्त करता है। कवि प्रकृति के निकट रहने की इच्छा रखता है, इसलिए वह पक्षी या अन्य प्राकृतिक रूपों में जन्म लेने की कल्पना करता है। यह उसकी स्वच्छंदतावादी सोच को भी दर्शाता है।

प्रश्न 9. व्याख्या करें

(क) बनकर शायद हँस मैं किसी किशोरी का;
धुंघरू लाल पैरों में;
तैरता रहूँगा बल दिन-दिन भर पानी में-
गंध जहाँ होनी ही भरी, घास की।”

व्याख्या- इन पंक्तियों में कवि बंगाल की सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता का चित्रण करता है। वह अगले जन्म में एक हंस बनने की कल्पना करता है, जो किसी किशोरी का पालतू हो। लाल धुंघरू पहनकर पानी में तैरने की बात कहकर वह बंगाल की लोक संस्कृति और प्रकृति के साथ एकाकार होने की इच्छा व्यक्त करता है। घास की सुगंध का उल्लेख बंगाल की प्राकृतिक सुंदरता और कवि के उससे गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।

(ख)”खेत हैं जहाँ धान के, बहती नदी
के किनारे फिर आऊँगा लौटकर
एक दिन-बंगाल में;

व्याख्या- ये पंक्तियाँ कवि के बंगाल प्रेम को व्यक्त करती हैं। धान के खेत और बहती नदी बंगाल के प्राकृतिक सौंदर्य और कृषि संस्कृति के प्रतीक हैं। कवि इन दृश्यों के प्रति अपना गहरा लगाव दिखाता है और पुनर्जन्म में भी इन्हीं परिदृश्यों में लौटने की इच्छा व्यक्त करता है। यह कविता कवि की मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम और उसके प्राकृतिक सौंदर्य में रमने की चाह को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 10. ‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर- जीवनानंद दास की यह कविता मातृभूमि बंगाल के प्रति गहरे प्रेम और आत्मीयता को दर्शाती है। कवि बंगाल में पुनर्जन्म लेने की तीव्र इच्छा व्यक्त करता है, चाहे वह किसी भी रूप में हो – मनुष्य, पक्षी या प्राकृतिक तत्व।

कविता बंगाल के प्राकृतिक सौंदर्य का मनोहारी चित्रण करती है – धान के खेत, बहती नदियाँ, हरे-भरे मैदान, और कोहरे से ढके परिदृश्य। कवि इन दृश्यों में विभिन्न रूपों में लौटने की कल्पना करता है, जैसे अबाबील, कौआ, हंस या उल्लू।

कवि बंगाल की संस्कृति और जीवनशैली से भी गहरा जुड़ाव दिखाता है। वह ग्रामीण जीवन के विविध पहलुओं का उल्लेख करता है, जैसे बच्चों का चावल फेंकना या नाव चलाना।

कविता में ‘अंधेरे’ का उल्लेख गहरा अर्थ रखता है। यह बंगाल के दुख-दर्द और गरीबी की ओर संकेत करता है, जिससे कवि स्वयं को अलग नहीं करना चाहता।

अंत में, यह कविता केवल प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन नहीं, बल्कि मातृभूमि के प्रति गहरे लगाव, उसकी समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता, और उसके साथ एकाकार होने की भावना को व्यक्त करती है। यह बंगाल के प्रति कवि के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. निम्नांकित शब्दों के लिंग-परिवर्तन करें। लिंग-परिवर्तन में आवश्यकता पड़ने पर समानार्थी शब्दों के भी प्रयोग करें-

नदी, कौआ, भोर, नयी, हंस, किशोरी, हवा, बच्चा, बादल, सारस।

उत्तर- नदी – नद
कौआ – कौओ
भोर – सबह
नयी – नया
हँस – हँसी
किशोरी – किशोर
हवा – पवन
बच्चा – बच्ची
बादल – वर्षा
सारस – मादा सार

प्रश्न 2. कविता से विशेषण चुनें और उनके लिए स्वतंत्र विशेष्य पद दें।

उत्तर- बहती – नदी
नयी – फसल
गंदा – पानी
फटे – पाल
रंगीन – बादल

प्रश्न 3. कविता में प्रयुक्त सर्वनाम चुनें और उनका प्रकार भी बताएँ।

उत्तर- जो – संबंधवाचक
मैं – पुरूष वाचक
तुम – पुरूष वाचक
कोई – अनिश्चय वाचक उसकी
संबंध वाचक का कारकीय रूप

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