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बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का छठा अध्याय ‘जनतंत्र का जन्म’ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की एक प्रसिद्ध कविता है। इस कविता में दिनकर जी ने भारतीय जनता की शक्ति और जागृति का वर्णन किया है। उन्होंने जनतंत्र के आगमन और राजतंत्र के अंत का संकेत देते हुए, आम जनता के महत्व को रेखांकित किया है। कवि ने भारत में लोकतंत्र के उदय को एक नए युग की शुरुआत के रूप में चित्रित किया है, जहाँ जनता ही राजा बनेगी और सत्ता का वास्तविक स्वामी होगी।
Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 6 Solutions
Contents
Subject | Hindi |
Class | 10th |
Chapter | 6. जनतंत्र का जन्म |
Author | रामधारी सिंह दिनकर |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 6 Question Answer
प्रश्न 1. कवि की दृष्टि में समय के रथ को धर्म नाद क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर- कवि स्वाधीन भारत में जनता की शक्ति और उनके अधिकारों को महत्वपूर्ण मानता है। समय के साथ भारत का स्वरूप बदल गया है, अब राजा नहीं बल्कि प्रजा सिंहासन पर आसीन हो रही है। जनता ने वर्षों की दासता सहने के बाद अब अपनी आवाज़ बुलंद की है। आज देश का बागडोर जनता के हाथों में है और उनका जयघोष सर्वत्र सुनाई पड़ता है। कवि के अनुसार, समय के रथ का धर्म नाद जनता की आवाज़ और उनका हुंकार है।
प्रश्न 2. कविता के आरंभ में कवि भारतीय जनता का वर्णन किस रूप में करता है?
उत्तर- कवि ने कविता के आरंभ में भारतीय जनता को वर्षों की पराधीनता से मुक्ति पाते हुए दिखाया है। जनता ने दासता की बेड़ियों को तोड़कर आज जयघोष किया है और सिंहासन खाली करने की मांग की है। वे अब अपने दुःख और वेदना को प्रकट कर रही हैं, जो पहले दबे हुए थे। पराधीन भारत में जनता त्रस्त और मौन थी, लेकिन अब वह अपनी आवाज़ उठा रही है और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।
प्रश्न 3. कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है और क्यों? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है?
उत्तर- सिंहासन पर बैठे राजनेताओं की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है। राजनेता जनता को खुश करने के लिए केवल प्रलोभन देते हैं, जैसे रोती हुई बच्ची को खिलौने देकर शांत किया जाता है। कवि इसका प्रतिवाद करते हुए कहता है कि जब जनता क्रोध में आती है, तो सिंहासन तक को हिला देती है। जनता अपनी शक्ति से राजनेताओं को सिंहासन से हटा कर नए प्रतिनिधि को बिठा देती है। इसलिए, जनता को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।
प्रश्न 4. कवि जनता के स्वप्न की किस तरह चित्र खींचता है?
उत्तर- कवि जनता के स्वप्न को स्वाधीनता का प्रतीक मानता है। गणतंत्र की नींव जनता पर आधारित है और उनके स्वप्न अजेय हैं। सदियों के अंधकार युग के बाद, जनता अब प्रकाश युग में जी रही है और एक नए युग की शुरुआत कर रही है। जनता ने अपने स्वप्न को संजोए रखा है और आज वह निर्भय होकर भविष्य की ओर बढ़ रही है। अंधकार युग का अंत हो चुका है और विशाल जनतंत्र का उदय हुआ है। अब राजा नहीं, बल्कि जनता का अभिषेक हो रहा है।
प्रश्न 5. विराट जनतंत्र का स्वरूप क्या है? कवि किनके सिर पर मुकुट धरने की बात करता है और क्यों?
उत्तर- भारत विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्रात्मक देश है। यहाँ राजनेताओं के बजाय जनता को सर्वोपरि माना गया है और देश का बागडोर उनके हाथ में है। जनता अपने मनपसंद प्रतिनिधि को सिंहासन पर बिठाती है। कवि जनता के सिर पर मुकुट धरने की बात करता है, यह दर्शाने के लिए कि गणतंत्र का स्वरूप जनता के अनुरूप होना चाहिए। मनमानी करने वाले राजनेताओं को सिंहासन से उतारकर जनता ही नए राजनेता को चुनती है।
प्रश्न 6. कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे?
उत्तर- कवि की दृष्टि में आज के देवता वे लोग हैं जो कठोर परिश्रम करते हैं, जैसे मजदूर और किसान। ये देवता खेतों में काम करते हुए या पत्थर तोड़ते हुए मिलेंगे। भारत की आत्मा गाँवों में बसती है और किसान ही भारत के मेरुदंड हैं। ये लोग जेठ की दुपहरी, ठंडी सर्दी, या मुसलाधार वर्षा में बिना थके हुए काम करते रहते हैं। उनके कठिन परिश्रम से ही देश का निर्माण होता है।
प्रश्न 7. कविता का मूल भाव क्या है? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘जनतंत्र का जन्म’ कविता में कवि ने स्वाधीन भारत का सजीव चित्रण किया है। सदियों बाद जनतंत्र का उदय हुआ है और पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त होकर भारतीय जनता अब सुख और स्वतंत्रता का अनुभव कर रही है। पहले जहाँ शोषण, अत्याचार और दासता का साम्राज्य था, अब वहाँ जनता का जयघोष सुनाई पड़ता है। जनता अब सिंहासन पर आसीन होने के लिए तैयार है और अपने अधिकारों के लिए लड़ रही है। किसान और मजदूर, जो पहले मौन थे, अब अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और फावड़ा और हल उनके राजदंड बन गए हैं। परिस्थिति बदल चुकी है और अब राजनेता नहीं बल्कि जनता सिंहासन पर बैठने वाली है।
प्रश्न 8. व्याख्या करें
(क) सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठीं, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है l
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘जनतंत्र का जन्म’ कविता से ली गई हैं। इसमें कवि ने भारत की स्वतंत्रता के बाद की स्थिति का सजीव वर्णन किया है। सदियों से गुलामी की आग में बुझी हुई राख अब फिर से सुलगने लगी है, अर्थात जनता में जागृति आ गई है। मिट्टी, जो पहले पराधीनता में दबी हुई थी, अब सोने का ताज पहनकर इठला रही है, अर्थात् भारत की धरती अब स्वतंत्रता के गौरव से चमक रही है। वर्षों की त्रासदी के बाद, जनता में नया जोश और उमंग है।
(ख) हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती, साँसों के बल से ताप हवा में उड़ता है, जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ वह जिधर चाहती काल उधर ही मुड़ता है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘जनतंत्र का जन्म’ कविता से संकलित हैं। कवि ने यहाँ पर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनता की शक्ति और महत्व को दर्शाया है। जनता की हुँकार इतनी प्रबल है कि महलों की नींव हिल जाती है, अर्थात सत्ता की बुनियाद भी डगमगा जाती है। उनकी साँसों के बल से ताप हवा में फैलता है, यानी उनकी शक्ति से वातावरण में भी बदलाव आता है। जनता की राह में कोई भी रुकावट टिक नहीं सकती, समय भी उनके आगे झुक जाता है। वास्तव में, कवि यह कहना चाहता है कि जनता ही सर्वोपरि है और उसके आगे समय और सत्ता भी झुक जाती है। वह जिसे चाहती है, उसे ही सत्ता पर आसीन करती है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. निम्नांकित शब्दों के पर्यायवाची लिखें l
सर्दी, राख, ताज, सिंहासन, कसक, दर्द, करूण, जनमत, फूल, भूडोल, भृकुटी, काल, तिमिर, नाद, राजप्रसाद, मंदिर।
उत्तर-
- सर्दी – साल संवंत
- भूडोल – भूकम्प
- राख – बुझा हुआ आग
- भृकुटी – भकटी – मोह
- ताज – मुकुट
- काल – समय
- सिंहासन – गद्दी
- तिमिर – अंधकार
- कसक – क्षोभ
- नाद – ध्वनि
- दर्द – पीड़ा
- राजप्रसाद – राजमहल
- करूण – सौगन्ध
- मंदिर – घर
- जनमत – लोगों का मत
- फूल – पुष्य
प्रश्न 2. निम्नांकित के लिंग-निर्णय करें-
ताव, दर्द, वेदना, करूण, हुँकार, बवंडर, गवाक्ष, जगत, अभिषेक, शृंगार, प्रजा।
उत्तर-
- ताव – पु०
- वेदना – स्त्री०
- हुंकार – पु०
- गवाक्ष – पु०
- अभिषेक – पु०
- प्रजा – स्त्री०
- दर्द – पु०
- कसम – स्त्री०
- बवंडर – पु०
- जगत – पु०
- शृंगार – स्त्री
प्रश्न 3. कविता से सामासिक पद चुनें एवं उनके समास निर्दिष्ट करें।
उत्तर-
- सिंहासन’ – सिंह चिह्नित आसन – मध्यमपदलोपी समास
- अबोध – न बोध – नञ् समास
- जनमत – जनों का मत – तत्पुरूष समास
- भूडोल – भूमि का डोलना – तत्पुरुष समास
- को पाकुल – कोप से आकुल – तत्पुरूष समास
- शताब्दियों – शत आष्दियों का समूह – द्विगु समास
- अजय – न जय – नञ् समास
- राजप्रासादों – राजा का प्रसादों – तत्पुरूष समास