Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 7 Solutions – हिरोशिमा

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बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पाठ्यपुस्तक का सातवां अध्याय ‘हिरोशिमा’ प्रसिद्ध कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की एक महत्वपूर्ण कविता है। यह रचना उनके ‘सदानीरा’ कविता संग्रह से ली गई है। इस कविता में अज्ञेय जी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के भयावह परिणामों का मार्मिक चित्रण किया है। कवि ने इस घटना को मानवता के विरुद्ध एक अपराध के रूप में प्रस्तुत किया है, जो आधुनिक सभ्यता की विनाशकारी प्रवृत्ति को दर्शाता है।

Bihar Board class 10 Hindi Padya chapter 7

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 7 Solutions

SubjectHindi
Class10th
Chapter7. हिरोशिमा
Authorअज्ञेय
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Padya Chapter 7 Question Answer

प्रश्न 1. कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है ? वह कैसे निकलता है?

उत्तर- कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज वास्तव में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम का प्रतीक है। कवि ने इस विनाशकारी घटना को एक असामान्य सूर्योदय के रूप में चित्रित किया है। यह सूरज क्षितिज से नहीं, बल्कि धरती को फाड़कर निकलता है, जो बम के विस्फोट की भयावहता को दर्शाता है। इस प्रतीकात्मक सूर्य का उदय अचानक और विनाशकारी है, जो चारों ओर आग और विनाश फैलाता है। यह चित्रण परमाणु बम के तत्काल और व्यापक प्रभाव को प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है।

प्रश्न 2. छायाएं दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती हैं ? स्पष्ट करें।

उत्तर- कविता में वर्णित छायाएँ दिशाहीन इसलिए हैं क्योंकि वे परमाणु बम के विस्फोट से उत्पन्न हुई हैं, न कि प्राकृतिक सूर्य से। बम का प्रकाश चारों दिशाओं में एक साथ फैलता है, जिससे छायाएँ भी सभी दिशाओं में बनती हैं। ये छायाएँ वास्तव में मृत लोगों के अवशेष हैं, जो विस्फोट के कारण विभिन्न स्थानों पर बिखर गए हैं। कवि इन दिशाहीन छायाओं के माध्यम से विस्फोट की व्यापकता और उसके द्वारा फैलाए गए अराजक विनाश को दर्शाता है।

प्रश्न 3. प्रज्ज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है ?

उत्तर- ‘प्रज्ज्वलित क्षण की दोपहरी’ से कवि का आशय परमाणु बम के विस्फोट के तत्काल प्रभाव से है। यह अभिव्यक्ति दर्शाती है कि बम के विस्फोट ने एक क्षण में ही दिन को रात में बदल दिया। विस्फोट से उत्पन्न तीव्र प्रकाश ने अचानक दोपहर जैसी चमक पैदा कर दी, जो तुरंत ही विनाश में बदल गई। कवि इस माध्यम से विस्फोट की तीव्रता, उसकी अप्रत्याशितता और उसके द्वारा उत्पन्न भय एवं विनाश को व्यक्त करता है।

प्रश्न 4. मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई हैं?

उत्तर- मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा की धरती पर सर्वत्र – घरों की दीवारों, टूटी-फूटी सड़कों और पत्थरों पर पड़ी हुई हैं। ये छायाएँ वास्तव में परमाणु विस्फोट के समय मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के अवशेष हैं। विस्फोट की तीव्रता इतनी थी कि लोगों के शरीर वाष्पीकृत हो गए, केवल उनकी छायाएँ शेष रह गईं। ये छायाएँ विस्फोट के क्षण को स्थायी रूप से अंकित कर देती हैं, जो मानवता पर हुए इस भयावह अत्याचार का मूक साक्षी बन गई हैं।

प्रश्न 5. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है ?

उत्तर- हिरोशिमा में मनुष्य की साक्षी के रूप में जले हुए पत्थर, टूटी हुई दीवारें, और विशेष रूप से मनुष्यों की छायाएँ हैं। ये छायाएँ घरों की दीवारों, टूटी-फूटी सड़कों और पत्थरों पर अंकित हैं। ये निशान परमाणु बम के विस्फोट के क्षण को स्थायी रूप से संरक्षित करते हैं। ये साक्षी न केवल विनाश की भयावहता को दर्शाते हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को युद्ध और परमाणु हथियारों के खतरों के प्रति सचेत करते हैं। ये अवशेष मानवता पर हुए इस अमानवीय कृत्य का मूक परंतु शक्तिशाली प्रमाण हैं।

प्रश्न 6. व्याख्या करें

(क) “एक दिन सहसा / सूरज निकता’

व्याख्या- “एक दिन सहसा / सूरज निकता” – यह पंक्ति परमाणु बम के अचानक विस्फोट को दर्शाती है। कवि ने बम के विस्फोट को एक असामान्य सूर्योदय के रूप में चित्रित किया है, जो अप्रत्याशित और विनाशकारी है।

(ख) ‘काल-सूर्य के रथ के पहियों के ज्यों अरे टूट कर / बिखर गये हों / दसों दिशा में’

व्याख्या- “काल-सूर्य के रथ के पहियों के ज्यों अरे टूट कर / बिखर गये हों / दसों दिशा में” – यहाँ कवि विस्फोट के बाद की स्थिति का वर्णन करते हैं। ‘काल-सूर्य’ परमाणु बम का प्रतीक है, जिसके विस्फोट से चारों ओर विनाश फैल जाता है। यह पंक्ति विस्फोट की व्यापकता और उसके द्वारा फैलाए गए अराजक विनाश को दर्शाती है।

(ग) ‘मानव का रचा हुआ सूरज / मानव को भाप बनाकर सोख गया।

व्याख्या- “मानव का रचा हुआ सूरज / मानव को भाप बनाकर सोख गया।” – इस पंक्ति में कवि मनुष्य द्वारा निर्मित विनाशकारी तकनीक (परमाणु बम) पर व्यंग्य करते हैं। यह दर्शाता है कि मनुष्य ने अपने ही विनाश का कारण बना लिया है। बम के तीव्र ताप ने लोगों को वाष्प में बदल दिया, जो मानवता के विनाश का प्रतीक है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. कविता में प्रयुक्त निम्नांकित शब्दों का कारक स्पष्ट कीजिए-

क्षितिज, अंतरिक्ष, चौक, मिट्टी, बीचो-बीच; नगर, रथ, गय, छाया।

उत्तर-

क्षितिज – अधिकरण कारक
अंतरिक्ष – अपादान कारक
चौक – संबंधकारक
मिट्टी – अपादान कारक
बीचो-बीच – संबंध कारक
नगर – संबंध कारक
रथ – संबंध कारक
गच – अधिकरण
छाया – कृर्ता कारक

प्रश्न 2. कविता में प्रयुक्त क्रियारूपी का चयन करते हुए उनकी काल रचना स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

निकला – वर्तमान काल
पड़ी – भूतकाल
उगा था – भूतकाल
गये हां – भूतकाल
लिखी हैं – भूतकाल
लिखी हुई – भूतकाल
है – वर्तमान काल

प्रश्न 3. कविता से तद्भव शब्द चुनिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर-

सूरज – सूरज निकल आया।
धूप – धूप निकल गया।
मिट्टी – मिट्टी गीली है।
पहिया – पहिया टूट गया।
पत्थर – पत्थर बड़ा है।
सड़क – सड़क चौड़ी है।

प्रश्न 4. कविता से संज्ञा पद चुनें और उनकी प्रकार भी बताएँ।

उत्तर-

सूरज – व्यक्तिवाचक
नगर – जातिवाचक
चौक – जातिवाचक
मानव – जातिवाचक
रथ – जातिवाचक
पहिया – जातिवाचक
अरे – जातिवाचक
पत्थर – जातिवाचक
सड़क – जातिवाचक

प्रश्न 5. निम्नांकित के वचन परिवर्तित कीजिए-

छायाएँ, पड़ी, उगा, हैं, पहियों, अरे, पत्थरों, साखी।

उत्तर-

छायाएँ – छाया
पड़ीं – पड़ी
उगा – उगे
हैं – है
पहियों – पहिया
अरे – अरें
पत्थरों – पत्थर
साखी – साखियाँ

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