UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 9 Solution – पथ की पहचान

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उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के पद्य खंड में “पथ की पहचान” नामक एक प्रेरणादायी कविता शामिल है। यह कविता प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित है। इस कविता में बच्चन जी ने जीवन के सही मार्ग को पहचानने और उस पर दृढ़ता से चलने की महत्ता पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि जीवन की सच्ची राह किताबों में नहीं, बल्कि खुद के अनुभवों से सीखकर पहचाननी पड़ती है। कवि ने यह भी संदेश दिया है कि हमें उन सफल लोगों के पदचिह्नों का अनुसरण करना चाहिए जो हमें सही दिशा दिखाते हैं। साथ ही, उन्होंने जीवन की चुनौतियों का सामना करने और कठिन रास्तों पर भी अडिग रहने का महत्व समझाया है।

UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 9

UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 9 Solution

SubjectHindi (काव्य खंड)
Class9th
Chapter9. पथ की पहचान
Authorहरिवंशराय बच्चन
BoardUP Board

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :

(अ) “पुस्तकों में है ……………………………. की जबानी।”

उत्तर-

सन्दर्भ: यह पद्यांश हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ से लिया गया है।

प्रसंग: कवि इस पद्यांश में बताना चाहते हैं कि जीवन की यात्रा और उसकी कठिनाइयाँ हमें स्वयं समझनी पड़ती हैं, और इसके लिए हमें खुद प्रयास करना होता है।

व्याख्या: कवि का कहना है कि जीवन की राह की सच्चाई और कठिनाइयाँ पुस्तकों में नहीं मिलतीं; वे हमें खुद अनुभव करनी होती हैं। दूसरों की बातें सुनकर हम अपने जीवन का मार्ग नहीं चुन सकते। इस संसार में कई लोग आए और चले गए, लेकिन कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जिन्होंने अपने कर्मों से अमिट छाप छोड़ी। ये लोग पहले सोच-समझकर फिर पूरी मेहनत और समर्पण के साथ अपने मार्ग पर चले। इसलिए, हमें भी इनसे प्रेरणा लेकर अपनी राह खुद तय करनी चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • भावनात्मक प्रेरणा: कवि कार्य करने से पहले सोच-समझकर निर्णय लेने की प्रेरणा देते हैं।
  • सरल भाषा: भाषा खड़ीबोली में है, जो सहज और स्पष्ट है।
  • शैली: गीतात्मक शैली में लिखा गया है।
  • रस: शान्त रस का प्रयोग है।
  • अलंकार: विरोधाभास का सुंदर प्रयोग किया गया है।

(ब) “है अनिश्चित …………………………………. सुन्दर मिलेंगे।”

उत्तर-

सन्दर्भ: यह भी हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ से लिया गया है।

प्रसंग: इस पद्यांश में कवि जीवन की अनिश्चितताओं और आने वाली कठिनाइयों के प्रति जागरूक करते हुए निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

व्याख्या: कवि बताते हैं कि जीवन की यात्रा में हमें नहीं पता कि रास्ते में कब नदी, पर्वत या गुफाएं मिलेंगी और कब सुख या दुख का सामना करना पड़ेगा। जीवन के सुख और दुख, सफलता और विफलता का समय निश्चित नहीं होता। हमें जीवन की यात्रा के दौरान आने वाली चुनौतियों और सुखों का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते। इसलिए, हमें तैयार रहना चाहिए और कठिनाइयों से न घबराते हुए अपने मार्ग पर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • सचेतनता: कवि जीवन की अनिश्चितताओं के प्रति सचेत करते हैं।
  • सरल भाषा: खड़ीबोली में सरल और स्पष्ट भाषा।
  • शैली: प्रतीकात्मक और वर्णनात्मक शैली।
  • रस: शान्त रस का उपयोग।
  • अलंकार: अनुप्रास और रूपक का प्रयोग।

(स) “कौन कहता है ……………………………………………………………. कर ले।”

उत्तर-

सन्दर्भ: यह भी हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ से लिया गया है।

प्रसंग: कवि यहाँ पर स्वप्नों और यथार्थ के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए यथार्थ को महत्व देने की बात कर रहे हैं।

व्याख्या: कवि बताते हैं कि किसी ने तुम्हें नहीं कहा कि तुम अपने मन में स्वप्न न देखो। स्वप्न और कल्पनाएँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन वे यथार्थ को नहीं बदल सकतीं। यथार्थ की उपस्थिति और सत्यता अधिक महत्वपूर्ण हैं। स्वप्न केवल कल्पनाएँ हैं, जबकि यथार्थ जीवन की वास्तविकता है। इसलिए, हमें स्वप्नों के बजाय यथार्थ को समझने और उसे ही आधार मानने की आवश्यकता है। अपने मार्ग की पहचान करने से पहले यथार्थ को जानना और समझना जरूरी है।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • स्वप्न और यथार्थ: स्वप्न और यथार्थ के बीच फर्क को स्पष्ट किया गया है।
  • भाषा: साहित्यिक हिन्दी का प्रयोग।
  • रस: शान्त रस।
  • अलंकार: रूपक और अनुप्रास।

(द) “स्वप्न आता स्वर्ग ……………………………. चीर देता।”

उत्तर-

सन्दर्भ: यह भी हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ से लिया गया है।

प्रसंग: इस पद्यांश में कवि भावुकता और वास्तविकता के बीच संतुलन बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि स्वप्न देखने के समय हम बहुत उत्साहित और भावुक हो जाते हैं। हमें लगता है कि जीवन बहुत सुंदर है और हर चीज हमारी इच्छाओं के अनुसार होगी। लेकिन जब मामूली कठिनाइयाँ आती हैं, तो ये स्वप्न चुराए हुए आनंद को नष्ट कर देती हैं। इसलिए, स्वप्न देखने के बजाय हमें वास्तविकता का सामना करना चाहिए और वास्तविक कठिनाइयों को सही तरीके से समझना चाहिए।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • जीवन-दर्शन: कवि ने जीवन की वास्तविकताओं को समझने की बात की है।
  • भाषा: लाक्षणिक प्रयोगों के साथ प्रभावशाली भाषा।
  • रस: शान्त रस।
  • अलंकार: रूपक और अनुप्रास।

(य) आँख में हो स्वर्ग ……………………………………………………. पहचान कर ले।

उत्तर-

सन्दर्भ: यह पद्यांश हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ से लिया गया है।

प्रसंग: इस पद्यांश में कवि जीवन के आदर्शों और वास्तविकताओं के बीच संतुलन बनाए रखने की बात कर रहे हैं।

व्याख्या: कवि यह कहना चाहते हैं कि भले ही आपकी आँखों में स्वर्ग के सपने हों, अर्थात् आप बहुत ऊँचाइयों की कल्पना कर रहे हों, लेकिन आपके पाँव वास्तविकता की ज़मीन पर ही टिके रहना चाहिए। इसका मतलब है कि कल्पनाओं और वास्तविकता के बीच एक सही संतुलन बनाए रखना चाहिए। कवि यह भी कहते हैं कि जीवन में आने वाले कठिनाइयों, जैसे कि कांटे, हमें महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं। ये कठिनाइयाँ हमें सिखाती हैं कि कैसे अपने मार्ग की पहचान कर और सही दिशा में चलना चाहिए। इसलिए, अपने सपनों और आदर्शों के साथ-साथ ज़मीन से जुड़े रहना आवश्यक है और कठिनाइयों से सीख लेकर अपनी राह का सही चुनाव करना चाहिए।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • संतुलन की सलाह: कवि आदर्शों और वास्तविकता के बीच संतुलन बनाए रखने की सलाह देते हैं।
  • सरल भाषा: कविता की भाषा खड़ीबोली में सरल और सहज है।
  • शैली: गीतात्मक शैली में लिखा गया है।
  • रस: शान्त रस का प्रयोग है, जो विचारशीलता और संतुलन को दर्शाता है।
  • अलंकार: रूपक और अनुप्रास का प्रयोग किया गया है, जो कविता को अधिक प्रभावशाली और अर्थपूर्ण बनाता है।

प्रश्न 2. हरिवंशराय बच्चन का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-

जीवन-परिचय:

हरिवंशराय बच्चन (1907-2003) हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि और लेखक थे। वे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के बटेश्वर गाँव में जन्मे थे। उनकी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई थी, जहाँ से उन्होंने अंग्रेज़ी में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपने विशिष्ट योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त किए। वे भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता भी थे।

रचनाएँ:

  • ‘मधुशाला’ – यह उनकी सबसे प्रसिद्ध काव्य-रचना है, जिसमें उन्होंने शराब की उपमा का प्रयोग करके जीवन की गहराईयों को छुआ है।
  • ‘निराला’ – इस काव्य-रचना में कवि ने जीवन और उसके विभिन्न पहलुओं को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है।
  • ‘आधुनिक कवि’ – इसमें उन्होंने अपने समय की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों को कवि की दृष्टि से प्रस्तुत किया है।
  • ‘सपना’ – इस काव्य-रचना में कवि ने स्वप्नों और उनकी महत्वता को खूबसूरती से व्यक्त किया है।
  • ‘झरना’ – यह एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य-रचना है, जिसमें कवि ने प्रकृति और जीवन के विविध रंगों को व्यक्त किया है।
  • ‘उर्वशी’ – यह उनकी एक और प्रमुख रचना है, जो भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

हरिवंशराय बच्चन की कविताएँ और रचनाएँ हिंदी साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और उनकी भावनात्मक गहराई तथा शिल्प के कारण उन्हें विशेष स्थान प्राप्त है।

प्रश्न 3. बच्चन जी की साहित्यिक विशेषताओं एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- हरिवंशराय बच्चन की साहित्यिक विशेषताएँ और भाषा-शैली निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट की जा सकती हैं:

  • भावनात्मक गहराई: बच्चन जी की कविताएँ भावनात्मक रूप से बहुत गहरी और प्रभावशाली होती हैं। उनकी कविताएँ मनुष्य के आंतरिक संघर्षों, सुख-दुख और अस्तित्व की खोज को बहुत प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती हैं।
  • सामाजिक प्रतिबद्धता: उनके काव्य में समाज और उसकी समस्याओं के प्रति गहरी संवेदनशीलता दिखाई देती है। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक असमानताओं और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है।
  • शराब और शेर की उपमा: उनकी प्रसिद्ध काव्य-रचना ‘मधुशाला’ में शराब का उपयोग जीवन के विविध पहलुओं और दार्शनिक विचारों को व्यक्त करने के लिए किया गया है। शराब को वे एक प्रतीक के रूप में प्रयोग करते हैं, जिससे जीवन के सुख और दुखों की गहराई को समझाया जा सके।
  • भाषा और शैली: बच्चन जी की भाषा सरल और प्रभावशाली है। वे हिंदी साहित्य में खड़ीबोली का प्रयोग करते हैं, जो आम लोगों की भाषा है। उनकी शैली गीतात्मक और लाक्षणिक होती है, जिसमें शेर और उपमा का खूबसूरत प्रयोग होता है।
  • रूपक और अनुप्रास: उनकी कविताओं में रूपक (metaphor) और अनुप्रास (alliteration) का अत्यंत सुंदर प्रयोग होता है। ये अलंकार उनकी कविताओं को सशक्त और यादगार बनाते हैं।
  • संवेदनशीलता और सूक्ष्मता: उनकी रचनाओं में संवेदनशीलता और सूक्ष्मता की झलक मिलती है, जो पाठकों को गहराई से सोचने और महसूस करने पर मजबूर करती है।
  • पारंपरिक और आधुनिकता का संगम: बच्चन जी ने पारंपरिक हिंदी काव्यशास्त्र के साथ-साथ आधुनिकता का संगम भी किया। उनकी रचनाओं में पारंपरिक रूपों के साथ-साथ नए प्रयोग भी देखने को मिलते हैं।
  • हरिवंशराय बच्चन की साहित्यिक विशेषताएँ और भाषा-शैली उनके अद्वितीय रचनात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं और उन्हें हिंदी साहित्य में एक विशेष स्थान दिलाती हैं।

प्रश्न 4. हरिवंशराय बच्चन का जीवन-वृत्त लिखकर उनके साहित्यिक योगदान का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-

जीवन-वृत्त:

हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम हरिचरण बच्चन था, जो एक अध्यापक और कवि थे। बच्चन जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और फिर उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। यहाँ उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में बीए और एमए की डिग्री प्राप्त की।

हरिवंशराय बच्चन का विवाह तेजी बच्चन से हुआ, जो स्वयं एक लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। बच्चन जी ने अपनी काव्य-यात्रा की शुरुआत 1930 के दशक में की और उनकी पहली काव्य-रचना “निशा निमंत्रण” 1931 में प्रकाशित हुई। इसके बाद उन्होंने कई प्रसिद्ध काव्य-रचनाएँ कीं।

उन्होंने अपने जीवन के अधिकांश भाग में हिंदी साहित्य की सेवा की और भारतीय सिनेमा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। बच्चन जी का निधन 28 जनवरी 2003 को हुआ।

साहित्यिक योगदान:

  • ‘मधुशाला’: हरिवंशराय बच्चन की सबसे प्रसिद्ध काव्य-रचना है ‘मधुशाला’, जो 1935 में प्रकाशित हुई। इसमें शराब के माध्यम से जीवन के विविध पहलुओं की गहराई और दार्शनिकता को उजागर किया गया है। यह कविता भारतीय काव्य-शास्त्र में एक अद्वितीय प्रयोग है।
  • ‘निशा निमंत्रण’: यह उनकी पहली काव्य-रचना है, जो 1931 में प्रकाशित हुई। इस काव्य-संग्रह में उनके विचारों और भावनाओं की पहली झलक देखने को मिलती है।
  • ‘आँधी’ और ‘सपना’: इन रचनाओं में भी उन्होंने जीवन की कठिनाइयों और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को बड़ी संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया है।
  • साहित्यिक शैली: हरिवंशराय बच्चन की कविता में रूपक और अनुप्रास का अत्यंत प्रभावी प्रयोग देखने को मिलता है। उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है, जो आम पाठकों के लिए भी सुलभ है।
  • सामाजिक और दार्शनिक दृष्टिकोण: उनके काव्य में समाज और जीवन के गहरे मुद्दों को उजागर किया गया है। वे जीवन के संघर्ष और उपलब्धियों को अत्यंत खूबसूरती के साथ पेश करते हैं।
  • सिनेमा: उन्होंने हिंदी सिनेमा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कविताओं का कई फिल्मों में उपयोग किया गया, जो उनकी कविताओं की लोकप्रियता और प्रभाव को दर्शाता है।

हरिवंशराय बच्चन का साहित्यिक योगदान हिंदी काव्य जगत में अमूल्य है। उनकी रचनाओं ने न केवल भारतीय साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि आम जनमानस के जीवन और सोच पर भी गहरा प्रभाव डाला।

5. हरिवंशराय बच्चन की जीवनी का उल्लेख करते हुए उनकी रचनाओं और शैली पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर-

जीवनी:

हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके पिता, हरिचरण बच्चन, एक अध्यापक और कवि थे, जिन्होंने उनकी साहित्यिक यात्रा को प्रोत्साहित किया। बच्चन जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालयों से प्राप्त की और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में बीए और एमए की डिग्री प्राप्त की।

हरिवंशराय बच्चन का विवाह तेजी बच्चन से हुआ, जो एक लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनका साहित्यिक जीवन 1930 के दशक में शुरू हुआ, जब उन्होंने कविता लिखना शुरू किया। उनकी पहली काव्य-रचना “निशा निमंत्रण” 1931 में प्रकाशित हुई।

उनकी काव्य-रचनाएँ भारतीय साहित्य में एक नई दिशा लेकर आईं और उन्होंने भारतीय सिनेमा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। 28 जनवरी 2003 को उनका निधन हुआ।

रचनाएँ:

‘मधुशाला’ (1935): यह हरिवंशराय बच्चन की सबसे प्रसिद्ध काव्य-रचना है। इस संग्रह में शराब का रूपक लेकर जीवन के विविध पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है। यह कविता भारतीय काव्य जगत में एक अनोखा प्रयोग है।

‘निशा निमंत्रण’ (1931): यह उनकी पहली काव्य-रचना है, जिसमें जीवन की संघर्षों और संवेदनाओं को व्यक्त किया गया है।

‘आँधी’ और ‘सपना’: इन रचनाओं में भी उन्होंने जीवन की जटिलताओं और मानसिक परिदृश्यों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ दर्शाया है।

‘है’: इस संग्रह में बच्चन जी ने अपनी शैली और विचारों का एक नया स्वरूप प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने समाज और जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर किया।

‘बच्चनालिया’: इस संग्रह में उनके द्वारा लिखित कविताओं की एक विविधता देखने को मिलती है, जो उनके गहरे भावनात्मक और दार्शनिक दृष्टिकोण को दर्शाती है।

शैली:

भाषा: हरिवंशराय बच्चन की भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है, जो आम पाठकों के लिए भी समझने में आसान है। उनकी काव्य-भाषा में गहराई और स्पष्टता है, जो पाठकों को तुरंत प्रभावित करती है।

शैली: उनकी कविता की शैली गीतात्मक और भावनात्मक है। वे अपनी कविताओं में रूपक, अनुप्रास, और विरोधाभास का कुशलतापूर्वक उपयोग करते हैं, जो उनके काव्य को अधिक प्रभावशाली बनाता है।

रूपक और अलंकार: बच्चन जी के काव्य में रूपक, अनुप्रास और अन्य अलंकारों का प्रभावी प्रयोग किया गया है। उनके काव्य में प्रतीकात्मकता और वर्णनात्मकता भी देखी जाती है।

सामाजिक और दार्शनिक दृष्टिकोण: उनकी कविताओं में जीवन के सामाजिक और दार्शनिक पहलुओं को उजागर किया गया है। वे जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करते हैं और पाठकों को गहरे विचारों में डालते हैं।

हरिवंशराय बच्चन का साहित्यिक योगदान हिंदी काव्य जगत में महत्वपूर्ण है। उनकी रचनाएँ और उनकी विशेष शैली ने भारतीय साहित्य को नया दिशा और गहराई प्रदान की।

प्रश्न 6. हरिवंशराय बच्चन का जीवन-परिचय लिखिए तथा उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- हरिवंशराय बच्चन का जीवन-परिचय और उनकी काव्यगत विशेषताएँ

जीवन-परिचय:

हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता, हरिचरण बच्चन, एक शिक्षक और कवि थे, जिन्होंने उनके साहित्यिक विकास को प्रोत्साहित किया। बच्चन जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के स्थानीय विद्यालयों से प्राप्त की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में बीए और एमए की डिग्री हासिल की।

हरिवंशराय बच्चन का विवाह तेजी बच्चन से हुआ, जो स्वयं एक प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनकी साहित्यिक यात्रा 1930 के दशक में शुरू हुई, और उनकी पहली काव्य-रचना “निशा निमंत्रण” 1931 में प्रकाशित हुई। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “मधुशाला” (1935) ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई।

हरिवंशराय बच्चन ने भारतीय सिनेमा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई फिल्मों के गीत लिखे और हिंदी फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उनका निधन 28 जनवरी 2003 को हुआ।

काव्यगत विशेषताएँ:

भाषा और शैली:

  • हरिवंशराय बच्चन की भाषा सरल, स्पष्ट और भावनात्मक है। उनकी कविताओं में आम बोलचाल की भाषा का उपयोग होता है, जो पाठकों को आसानी से समझ में आती है।
  • उनकी कविता की शैली गीतात्मक और लयबद्ध है, जिसमें भावनाओं की गहराई और संवेदनशीलता व्यक्त होती है।

रूपक और अलंकार:

  • बच्चन जी ने अपनी कविताओं में रूपक और अन्य अलंकारों का प्रभावी उपयोग किया है। वे जीवन की जटिलताओं और अनुभवों को सरल और सजीव रूप में प्रस्तुत करते हैं।
  • उनके काव्य में प्रतीकात्मकता और रूपक का उपयोग भी देखने को मिलता है, जो उनके विचारों को अधिक गहराई और प्रभावशीलता प्रदान करता है।

सामाजिक और दार्शनिक दृष्टिकोण:

  • उनकी कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं का दार्शनिक और सामाजिक विश्लेषण किया गया है। वे समाज की समस्याओं और जीवन की कठिनाइयों को अपनी कविताओं में उजागर करते हैं।
  • बच्चन जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से मानवता, संघर्ष और स्वप्न की वास्तविकता को चित्रित किया है।

भावनात्मक और संवेदनशीलता:

  • हरिवंशराय बच्चन की कविताओं में भावनात्मक गहराई और संवेदनशीलता है। वे अपने अनुभवों और विचारों को अत्यंत भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
  • उनकी कविता जीवन की खुशियों और दुखों को समान महत्व देती है और पाठकों को गहरे भावनात्मक अनुभव प्रदान करती है।
  • हरिवंशराय बच्चन का काव्य साहित्य हिंदी साहित्य के प्रमुख हिस्सों में गिना जाता है, और उनकी काव्यगत विशेषताएँ उन्हें भारतीय काव्य जगत में एक विशेष स्थान प्रदान करती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. बटोही को चलने के पूर्व बाट की पहचान करने की सलाह कवि किस अभिप्राय से देता है?

उत्तर: कवि बच्चन यह सलाह देता है कि मनुष्य को अपने जीवन के मार्ग की पहचान स्वयं करनी चाहिए, क्योंकि दूसरों के उपदेश या पुस्तकों से पूरी समझ नहीं मिलती। पथिक को अपने अनुभव और सोचना ही सबसे महत्वपूर्ण है। पथ की पहचान और दिशा स्वयं तय करने से यात्रा अधिक सफल और संतोषजनक हो सकती है।

प्रश्न 2. यात्रा सुगम और सफल होने के लिए कवि क्या सुझाव देता है?

उत्तर: कवि सुझाव देते हैं कि जीवन के मार्ग का निर्धारण कर उसे आत्म-विश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ तय करना चाहिए। बार-बार मार्ग बदलने से लक्ष्य प्राप्ति में बाधा आती है। पूर्वजों की तरह हमें भी अपने पथ का निर्धारण करना पड़ेगा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

प्रश्न 3. यात्रा में विघ्न-बाधाओं को किन प्रतीकों से बतलाया गया है?

उत्तर: कवि ने यात्रा की विघ्न-बाधाओं को नदी, पर्वत, गुफाएँ और काँटे जैसे प्रतीकों से दर्शाया है। ये प्रतीक जीवन के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों और चुनौतियों का संकेत हैं।

प्रश्न 4. ‘स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले’ कहने का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: कवि का तात्पर्य है कि केवल स्वप्न और कल्पनाओं में न खोएं, बल्कि जीवन की वास्तविकताओं और सत्य को भी समझें। वास्तविकता की समझ के बिना केवल स्वप्न देखने से सफलताएँ प्राप्त नहीं की जा सकतीं।

प्रश्न 5. कवि ‘आदर्श और यथार्थ’ के समन्वय पर किन पंक्तियों पर बल देता है और उसके लिए किस वस्तु का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है?

उत्तर: कवि आदर्श और यथार्थ के समन्वय पर बल देते हुए एक कांटे के उदाहरण का प्रयोग करते हैं। वे कहते हैं कि कांटे पाँव को चीर कर वास्तविकता को दिखाते हैं, जिससे हमें स्वप्न और वास्तविकता के बीच संतुलन बनाना सीखना चाहिए। यह प्रेरणा देती है कि स्वप्न और वास्तविकता के बीच संतुलन बनाए रखें।

प्रश्न 6. ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता का सारांश लिखिए।

उत्तर: कवि हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ में पथिक को यह प्रेरणा दी गई है कि जीवन के मार्ग की पहचान स्वयं करनी चाहिए। पथिक को अपने अनुभवों के आधार पर ही अपने मार्ग का निर्धारण करना चाहिए, क्योंकि दूसरों के उपदेश या पुस्तकों से पूरी जानकारी नहीं मिलती। कविता में कहा गया है कि जीवन में कठिनाइयाँ और बाधाएँ स्वाभाविक हैं, और पूर्वजों ने भी अपने मार्ग पर कठिनाइयों का सामना किया है। इस प्रकार, दृढ़ निश्चय के साथ अपने मार्ग पर चलना चाहिए और बार-बार मार्ग बदलने से बचना चाहिए। कवि यह भी कहते हैं कि पथ की पहचान और दिशा तय करने में किसी तरह की अनिश्चितता से बचना आवश्यक है।

प्रश्न 7. ‘पथ की पहचान’ कविता के द्वारा कवि क्या सन्देश देना चाहता है? अथवा ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता के द्वारा कवि ने हमें क्या सन्देश देने का प्रयास किया है?

उत्तर: कवि इस कविता के माध्यम से यह सन्देश देना चाहता है कि जीवन में किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले हमें आत्म-निर्भरता और विवेक का उपयोग करना चाहिए। पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए और किसी बाहरी सलाह या पुस्तकों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए। एक बार मार्ग चुनने के बाद, कठिनाइयों और बाधाओं से घबराए बिना उसे आत्म-विश्वास और दृढ़ता से पार करना चाहिए। कवि यह भी संकेत करते हैं कि आदर्श और यथार्थ का सही संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि हम सफलता प्राप्त कर सकें।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. हरिवंशराय बच्चन किस युग के कवि हैं?

उत्तर: हरिवंशराय बच्चन आधुनिक युग के कवि हैं।

प्रश्न 2. बच्चन जी की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।

उत्तर: बच्चन जी की दो प्रमुख रचनाएँ हैं ‘मधुशाला’ और ‘मधु कलश’।

प्रश्न 3. मधुशाला किसकी रचना है?

उत्तर: ‘मधुशाला’ हरिवंशराय बच्चन की रचना है।

प्रश्न 4. बच्चन जी की भाषा पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: बच्चन जी की भाषा खड़ीबोली है।

प्रश्न 5. बच्चन जी ने अपनी भाषा में किस शैली का प्रयोग किया है?

उत्तर: बच्चन जी ने अपनी भाषा में भावात्मक गीत शैली का प्रयोग किया है।

प्रश्न 6. मधुशाला की विषय-वस्तु क्या है?

उत्तर: ‘मधुशाला’ की विषय-वस्तु उल्लास और आनंद की खोज है।

प्रश्न 7. बच्चन जी ने मधुशाला, मधुबाला, होला और प्याला को किस रूप में स्वीकार किया है?

उत्तर: बच्चन जी ने ‘मधुशाला’, ‘मधुबाला’, ‘होला’ और ‘प्याला’ को प्रतीकों के रूप में स्वीकार किया है।

प्रश्न 8. ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।

उत्तर: ‘पथ की पहचान’ कविता का केन्द्रीय भाव है कि मनुष्य को अपने पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए, क्योंकि जीवन के मार्ग में आत्म-निर्भरता सबसे महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 9. ‘पथ की पहचान’ कविता का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: ‘पथ की पहचान’ कविता का उद्देश्य है कि व्यक्ति को विवेकपूर्वक किसी कार्य का चयन करना चाहिए और कठिनाइयों के बावजूद निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध

1. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए l

(अ) पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
(ब) रास्ते का एक काँटा, पाँव का दिल चीर देता।

उत्तर :

(अ) काव्य-सौन्दर्य-

  • किसी पथिक या राही को मार्ग पर चलने के पूर्व उसके विषय में भली-भाँति अवगत हो जाना चाहिए।
  • भाषा-खड़ीबोली।
  • शैली- भावात्मक गीत शैली।

(ब) काव्य-सौन्दर्य-

रास्ते का एक काँटा पाँव को चोटिल कर देता है अर्थात् रास्ते का एक काँटा अनेक मुसीबतें खड़ी कर देता है।
भाषा – खड़ीबोली। b शैली- भावात्मक गीत शैली।

2. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए

(अ) रक्त की दो बूंद गिरती एक दुनिया डूब जाती।
(ब) है अनिश्चित, किस जगह पर बाज, बन सुन्दर मिलेंगे।

उत्तर :

(अ) अतिशयोक्ति।
(ब) सम्भावना।

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Chapter 9 Solution – पथ की पहचान
Chapter 10 Solution – बादल को घिरते देखा है
Chapter 11 Solution – अच्छा होता, सितारा संगीत की रात
Chapter 12 Solution – युगवाणी
Chapter 13 Solution – प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी


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