UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 3 Solution – दोहा

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उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के काव्य खंड में “दोहा” नामक तीसरा अध्याय महान कवि रहीम के दोहों पर आधारित है। इस अध्याय में रहीम के चुनिंदा दोहों का संकलन है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। रहीम ने अपने दोहों में अच्छे चरित्र, सच्चे प्रेम, मित्रता और मानवीय संबंधों जैसे विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। उनके दोहे न केवल काव्यात्मक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं, बल्कि जीवन के मूल्यवान सबक भी सिखाते हैं। यह अध्याय विद्यार्थियों को रहीम की रचनाओं के माध्यम से नैतिक मूल्यों और जीवन की गहरी समझ विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।

UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 3

UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 3 Solution

SubjectHindi (काव्य खंड)
Class9th
Chapter3. दोहा
Authorरहीम
BoardUP Board

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :

(अ) जो रहीम उत्तम … लिपटे रहत भुजंग।

उत्तर-

  • सन्दर्भ: यह दोहा रहीम (अब्दुल रहीम खानखाना) द्वारा रचित ‘रहीम ग्रन्थावली’ से लिया गया है और ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित है।
  • प्रसंग: रहीम ने नैतिकता और चरित्र की दृढ़ता पर प्रकाश डाला है।
  • व्याख्या: रहीम कहते हैं कि जिनका स्वभाव और चरित्र उत्तम होते हैं, वे बुरी संगति के बावजूद अपने गुण नहीं छोड़ते। जैसे चन्दन का वृक्ष विषैले सर्पों के लिपटे रहने पर भी अपनी सुगंध और शीतलता को बनाए रखता है, वैसे ही सज्जन व्यक्ति बुरी संगति में रहकर भी अपने गुण नहीं खोते।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • भाषा: ब्रज।
  • शैली: उपदेशात्मक, मुक्तक।
  • रस: शान्त।
  • छन्द: दोहा।
  • अलंकार: दृष्टान्त (चन्दन और सर्प का उदाहरण)।

(ब) कदली ……………………………….. दीन।

उत्तर-

  • सन्दर्भ: यह दोहा कवि रहीम की रचना है और ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित है।
  • प्रसंग: रहीम संगति के प्रभावों की व्याख्या कर रहे हैं।
  • व्याख्या: स्वाति नक्षत्र में गिरने वाली जल की बूंदें विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर गिरकर अलग-अलग गुण प्राप्त करती हैं। केले के वृक्ष पर गिरने पर वह कपूर बन जाती है, सीप में गिरने पर मोती बन जाती है, और सर्प के मुख में गिरने पर विष बन जाती है। इसी तरह, किसी व्यक्ति की संगति उसकी स्वभाव और गुण को प्रभावित करती है।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • भाषा: सरल ब्रजभाषा।
  • शैली: चमत्कारिक और उपदेशात्मक।
  • रस: शान्त।
  • अलंकार: अनुप्रास और दृष्टान्त (जल की बूंदों का विभिन्न गुण)।

(स) रहिमन धागा प्रेम का …………………….. गाँठ परि जाय।

उत्तर-

  • सन्दर्भ: यह दोहा रहीम द्वारा रचित है और ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित है।
  • प्रसंग: प्रेम के सम्बन्धों की स्थिरता और महत्त्व को दर्शाया गया है।
  • व्याख्या: रहीम कहते हैं कि प्रेमरूपी धागे को तोड़ना नहीं चाहिए। जैसे धागा टूटने के बाद जुड़ने पर उसमें गाँठ पड़ जाती है, वैसे ही प्रेम-सम्बन्ध एक बार टूटने पर फिर पहले जैसा नहीं रह पाता। टूटे हुए सम्बन्ध को जोड़ने पर दरारें और कड़वाहट आ जाती हैं, जिससे रिश्ते में पुरानी बातों की यादें बनी रहती हैं।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • भाषा: ब्रज।
  • रस: शान्त।
  • छन्द: दोहा।
  • अलंकार: रूपक (प्रेम के धागे का उदाहरण)।

(द) तरुवर फल नहिं ………………………………… संचहिं सुजान।

उत्तर-

  • सन्दर्भ: यह दोहा रहीम द्वारा रचित है और ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित है।
  • प्रसंग: परोपकार की महत्ता को दर्शाया गया है।
  • व्याख्या: रहीम कहते हैं कि वृक्ष अपने फल को स्वयं नहीं खाता और तालाब अपने पानी को नहीं पीता। ये फल और पानी दूसरों के उपयोग के लिए होते हैं। इसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपनी सम्पत्ति का उपयोग परोपकार के लिए करते हैं। वे अपनी सम्पत्ति को दूसरों की भलाई में लगाते हैं, न कि स्वार्थ में।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • भाषा: ब्रज।
  • शैली: मुक्तक।
  • रस: शान्त।
  • छन्द: दोहा।
  • अलंकार: अनुप्रास (वृक्ष और तालाब का उदाहरण)।

(य) रहिमन देखि बड़ेन को ………………………………कहा करै तरवारि।

उत्तर-

  • सन्दर्भ: यह दोहा रहीम द्वारा रचित है और ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित है।
  • प्रसंग: वस्तुओं और लोगों के महत्त्व का समय और परिस्थिति के अनुसार आकलन।
  • व्याख्या: रहीम कहते हैं कि बड़े लोगों को देखकर छोटे लोगों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। छोटे लोग भी अपने समय पर महत्वपूर्ण होते हैं। जैसे सुई छोटी है लेकिन उसका महत्व किसी भी स्थिति में तलवार से कम नहीं होता। इसलिए छोटे और बड़े दोनों का सम्मान करना चाहिए।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • भाषा: ब्रज।
  • शैली: मुक्तक।
  • रस: शान्त।
  • छन्द: दोहा।
  • अलंकार: अनुप्रास और दृष्टान्त (सुई और तलवार का उदाहरण)।

(र) रहिमन ओछे ………………………………. विपरीत।

उत्तर-

  • सन्दर्भ: यह दोहा रहीम द्वारा रचित है और ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित है।
  • प्रसंग: ओछे स्वभाव के लोगों से शत्रुता और मित्रता दोनों की हानिकारकता।
  • व्याख्या: रहीम कहते हैं कि संकुचित स्वभाव के लोगों से न तो शत्रुता अच्छी होती है और न ही मित्रता। जैसे कुत्ता चाहे चाटे या काटे, दोनों ही बातें बुरी हैं। काटने से घाव हो सकता है और चाटने से अपवित्रता बढ़ती है। इसी प्रकार, ओछे स्वभाव वाले लोगों से किसी भी प्रकार की संबंधी स्थिति हानिकारक होती है।

काव्यगत सौन्दर्य:

  • भाषा: सरल ब्रजभाषा।
  • शैली: उपदेशात्मक।
  • रस: शान्त।
  • अलंकार: अनुप्रास और दृष्टान्त (कुत्ते का उदाहरण)।

प्रश्न 2. रहीम का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा, रहीम का जीवन-परिचय बताते हुए उनकी साहित्यिक सेवाओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा, रहीम की साहित्यिक सेवाओं का उल्लेख करते हुए उनकी भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
अथवा, रहीम का जीवन-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- रहीम का जीवन-परिचय और साहित्यिक सेवाएँ:

रहीम, जिनका पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना था, एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और सूफी संत थे। उनका जन्म 17वीं सदी के अंतिम वर्षों में हुआ था। वे अकबर के दरबार में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे और उनकी काव्य-रचनाओं में अकबर के प्रति उनकी वफादारी और सम्मान स्पष्ट झलकता है। रहीम का जन्म 1556 में गुजरात के लहौर में हुआ था और उनका निधन 1627 में हुआ। वे एक राजपूत परिवार से थे और बाद में मुग़ल साम्राज्य के एक उच्च पदाधिकारी बने।

रहीम की साहित्यिक सेवाएँ उनके विभिन्न प्रकार के काव्य-रचनाओं में प्रकट होती हैं। उनकी रचनाओं में प्रमुख रूप से दोहा, रहिम ग्रंथावली, और कबीर के पद शामिल हैं। उनके दोहे विशेष रूप से सिखाने और मार्गदर्शन करने वाले होते हैं, जिनमें नैतिकता, जीवन के अनुभव, और मानवीय भावनाओं का गहरा विश्लेषण होता है। रहीम के दोहे सरल, प्रासंगिक और प्रेरणादायक होते हैं, जो आम लोगों के बीच भी अत्यधिक लोकप्रिय हैं।

रहीम की साहित्यिक सेवाओं की चर्चा करते समय यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने हिंदी साहित्य में एक नया रंग जोड़ा। उनकी रचनाएँ ज्ञानवर्धन और जीवन के आदर्शों पर आधारित होती हैं। रहीम की भाषा मुख्यतः ब्रजभाषा में थी, जो उस समय की लोकप्रिय भाषा थी। उनकी शैली में उपदेशात्मकता, रूपक, और दृष्टान्त जैसे अलंकारों का प्रयोग किया गया है, जो उनके काव्य को प्रभावी और अर्थपूर्ण बनाते हैं।

रहीम के काव्य में काव्यगत सौन्दर्य के रूप में उनकी भाषा की सादगी और अर्थपूर्णता, शैली की उपदेशात्मकता और रस की शान्ति प्रमुख हैं। उनकी रचनाओं में जीवन के मूलभूत तत्वों और नैतिकता का गहराई से विश्लेषण किया गया है, जिससे उनकी काव्य-रचनाएँ आज भी जीवन की सच्चाइयों और आदर्शों को समझाने में सहायक हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. हमारे नेत्रों से आँसू निकलकर क्या प्रकट करते हैं?

उत्तर- हमारे नेत्रों से आँसू निकलकर हृदय की गहरी पीड़ा और दुःख को प्रकट करते हैं। आँसू हमारी भावनाओं का एक सशक्त संकेत होते हैं, जो बताते हैं कि हम आंतरिक रूप से किस प्रकार की भावनात्मक स्थिति में हैं।

प्रश्न 2. रहीम के अनुसार सच्चे एवं झूठे मित्र की क्या पहचान है?

उत्तर- रहीम के अनुसार सच्चा मित्र वह होता है जो कठिन परिस्थितियों और विपत्तियों में भी हमारे साथ खड़ा रहता है और हमें समर्थन प्रदान करता है। इसके विपरीत, झूठा मित्र वह है जो संकट के समय हमें अकेला छोड़ देता है और केवल अच्छे समय में ही हमारे साथ रहता है।

प्रश्न 3. ‘जुरै गाँठ परि जाय’ के द्वारा कवि ने प्रेम सम्बन्धों की किस विशेषता को बताया है?

उत्तर- रहीम ने ‘जुरै गाँठ परि जाय’ के माध्यम से यह दर्शाया है कि प्रेम के रिश्ते को कभी तोड़ना नहीं चाहिए। यदि एक बार प्रेम टूट जाता है और फिर से जोड़ने की कोशिश की जाती है, तो उसमें एक गाँठ पड़ जाती है जो रिश्ते की गहराई और स्थिरता को प्रभावित करती है। इस गाँठ को हटाना कठिन होता है, और रिश्ते पहले जैसे नहीं रहते।

प्रश्न 4. रहीम ने किस प्रकृति के मनुष्य से प्रेम और शत्रुता दोनों घातक बताया है और क्यों?

उत्तर- रहीम ने ओछे स्वभाव के मनुष्य से प्रेम और शत्रुता दोनों को घातक बताया है। ऐसा व्यक्ति अपनी आदतों से कभी नहीं बदलता, और उसकी स्वभाविक बुराई उसे हमेशा दुष्ट बनाए रखती है। ऐसे व्यक्ति से प्रेम या शत्रुता दोनों ही नकारात्मक परिणाम ला सकते हैं, इसलिए उससे सावधान रहना आवश्यक है।

प्रश्न 5. कौन दीनबन्धु के समान होता है?

उत्तर- रहीम के अनुसार, वह व्यक्ति दीनबन्धु के समान होता है जो दीन-हीन और गरीब लोगों के प्रति दया और सहानुभूति दिखाता है। ऐसे व्यक्ति समाज में सच्चे मित्र और सहायता देने वाले होते हैं जो दूसरों की पीड़ा और समस्याओं को समझते हैं।

प्रश्न 6. रहीम ने झूठे तथा सच्चे मित्र की क्या पहचान बतायी है?

उत्तर- रहीम ने झूठे और सच्चे मित्र की पहचान में कहा है कि सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है। झूठे मित्र संकट के समय दूर हो जाते हैं, जबकि सच्चा मित्र विपरीत परिस्थितियों में भी हमारी सहायता करता है। जैसे मछली जल से बिछुड़कर मर जाती है, वैसे ही सच्चा मित्र अपने मित्र की पीड़ा को सहन करता है और हर हाल में साथ रहता है।

प्रश्न 7. रहीम किस प्रकार की प्रीति की सराहना करने को कहते हैं?

उत्तर- रहीम उस प्रीति की सराहना करते हैं जो मिलन के बाद और भी अधिक प्रकट होती है। उनका कहना है कि सच्ची प्रीति वह है जो बार-बार मिलन के अवसर पर और भी अधिक स्पष्ट और चमकदार हो जाती है, जिससे रिश्ते की गहराई और भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 8. जल के प्रति मछली के प्रेम की क्या विशेषता है?

उत्तर- मछली के जल के प्रति प्रेम की विशेषता यह है कि जल के बिना मछली जीवित नहीं रह सकती। मछली जल से इतना गहरा प्रेम करती है कि जब वह जल से अलग होती है, तो उसे इतनी पीड़ा होती है कि वह जीवित नहीं रह पाती। इस प्रकार का प्रेम अटूट और जीवन-निर्भर होता है।

प्रश्न 9. ‘टूटे सुजन मनाइये, जौ टूटे सौ बार’ का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रहीम का कहना है कि यदि कोई सज्जन व्यक्ति बार-बार नाराज हो जाए, तो उसे हर बार मनाना चाहिए। सज्जन व्यक्तियों के साथ रिश्तों में निरंतरता और प्रयास बनाए रखना आवश्यक होता है, ताकि प्रेम और समझदारी बनी रहे।

प्रश्न 10. कुसंग का किस प्रकृति के लोगों पर प्रभाव नहीं पड़ता।

उत्तर- कुसंग का प्रभाव उत्तम प्रकृति के लोगों पर नहीं पड़ता है। ऐसे लोग अपने मजबूत स्वभाव और नैतिकता के कारण बुरी संगति से प्रभावित नहीं होते। उनका चरित्र और आचरण हमेशा श्रेष्ठ रहता है, चाहे वे किसी भी प्रकार के संगति में हों।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. नेत्रों से निकला हुआ आँसू क्या प्रकट करता है?

उत्तर- नेत्रों से निकला हुआ आँसू दुःख प्रकट करता है।

प्रश्न 2. रहीम ने किस भाषा में काव्य का सृजन किया है?

उत्तर- रहीम ने ब्रजभाषा में काव्य का सृजन किया है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाइए-

(अ) कुसंग का सज्जनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। (✓)
(ब) धन का संचय सज्जन दूसरों के लिए करते हैं। (✓)
(स) ओछे लोगों से प्रेम रखना चाहिए। (✗)
(द) सज्जन यदि रूठ जाय तो उसे नहीं मनाना चाहिए। (✗)

प्रश्न 4. रहीम की दो रचनाओं के नाम बताइए।

उत्तर- रहीम सतसई तथा श्रृंगार सतसई।

प्रश्न 5. रहीम का पूरा नाम क्या था?

उत्तर- रहीम को पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था।

प्रश्न 6. रहीम को किस प्रकार का अमृत पीना अच्छा नहीं लगता?

उत्तर- रहीम को बिना मान का अमृत पीना अच्छा नहीं लगता।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध

प्रश्न 1. निम्नलिखित में लक्षण बताते हुए अलंकार का नाम लिखिए-

(अ) बनत बहुत बहु रीति।
(ब) रहिमन फिरि-फिरि पोइए, टूटे मुक्ताहार।

उत्तर-

(अ) इस पंक्ति में अन्त्यानुप्रास अलंकार है।
(ब) इस पंक्ति में शब्दों की आवृत्ति बार-बार होने से अनुप्रास अलंकार है।

2. निम्नलिखित का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए-

(अ) टूटे सुजन……………टूटे मुक्ताहार ।
(ब) बिपति कसौटी…………….साँचे मीत l
(स) रहिमन देखि…………..दीजिए डारि ।

उत्तर-

  • (अ) काव्य-सौन्दर्य- सज्जनों की मित्रता बड़ी मूल्यवान है, अतः उसकी हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए।
  • अलंकार-पुनरुक्तिप्रकाश, दृष्टान्त।
  • भाषा- सरल ब्रजभाषा ।
  • शैली- वर्णनात्मक।
  • छन्द- दोहा।
  • रस- शान्त।
  • गुण- प्रसाद।
  • (ब) काव्य-सौन्दर्य- कविवर रहीम का मानना है कि विपत्ति के समय जो साथ देता है, वही सच्चा मित्र है।
  • अलंकार- अनुप्रास, दृष्टान्त।
  • छन्द- दोहा।
  • गुण- प्रसाद ।
  • भाषा- ब्रजभाषा
  • रस- शान्त।
  • (स) काव्य-सौन्दर्य- कविवर रहीम का विचार है कि बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु का त्याग नहीं करना चाहिए।
  • अलंकार- उपमा।
  • छन्द- दोहा।
  • गुण- प्रसाद।
  • भाषा- ब्रजभाषा।
  • रस- शान्त ।
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