Free solutions for UP Board class 9 Hindi Padya chapter 6 – “पुनर्मिलन” are available here. These solutions are prepared by the subject experts and cover all question answers of this chapter for free.
उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के काव्य खंड में “पुनर्मिलन” नामक छठा अध्याय जयशंकर प्रसाद जी की प्रसिद्ध रचना “कामायनी” से लिया गया है। इस अध्याय में मनु और श्रद्धा के बीच के गहरे भावनात्मक संबंध का मार्मिक चित्रण किया गया है। कविता में श्रद्धा की वेदना, उसकी खोज और मनु से पुनर्मिलन की कथा को बड़ी ही संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया गया है। प्रसाद जी ने अपनी छायावादी शैली में मानवीय भावनाओं और प्रकृति के सौंदर्य को सहजता से जोड़ा है। यह अध्याय विद्यार्थियों को जयशंकर प्रसाद की काव्य शैली, भाव-व्यंजना और छायावाद की विशेषताओं को समझने का अवसर प्रदान करता है।
UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 6 Solution
Contents
Subject | Hindi (काव्य खंड) |
Class | 9th |
Chapter | 6. पुनर्मिलन |
Author | जयशंकर प्रसाद |
Board | UP Board |
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :
(अ) चौंक उठी………………………………… आकर कह दे रे!
उत्तर-
- सन्दर्भ: यह पद्यांश जयशंकर प्रसाद की काव्य रचना ‘पुनर्मिलन’ से लिया गया है, जो उनकी प्रसिद्ध महाकाव्य ‘कामायनी’ का एक अंश है। इसमें मनु और श्रद्धा की कथा को प्रस्तुत किया गया है।
- प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश में श्रद्धा अपने प्रिय मनु की खोज में है, जो उससे रुष्ट होकर सारस्वत नगर चले गए थे।
- व्याख्या: श्रद्धा मनु की खोज में निकल पड़ी है, और रात के अंधकार में अकेली भटक रही है। अचानक, इड़ा को एक दूर से आ रही आवाज़ सुनाई देती है, जिससे वह चौंक उठती है। यह आवाज़ श्रद्धा की होती है, जो अपने प्रिय मनु को ढूंढने के लिए बेचैन होकर पुकार रही है। वह कह रही है कि उसे कोई दया करके बताए कि उसका प्रवासी प्रिय कहाँ है। वह मनु के लिए पग-पग पर भटक रही है, और उसकी व्याकुलता यहाँ स्पष्ट होती है।
- काव्यगत सौंदर्य: इस पद्यांश में वियोग श्रृंगार रस का सुंदर चित्रण हुआ है। ‘दूरागत’, ‘निस्तब्ध’, ‘प्रवासी’ जैसे शब्द कविता के भाव को गहराई प्रदान करते हैं। रूपक और अनुप्रास अलंकारों का प्रयोग भी किया गया है।
(ब) रूठ गया था……………………………………….. जलती।
उत्तर-
- सन्दर्भ: यह पद्यांश भी जयशंकर प्रसाद की रचना ‘पुनर्मिलन’ से लिया गया है। इसमें मनु और श्रद्धा के बीच उत्पन्न दूरी और वियोग की भावना को दर्शाया गया है।
- प्रसंग: मनु श्रद्धा से रूठ कर चले गए थे, और श्रद्धा अब उनकी तलाश में निकली है।
- व्याख्या: इस पद्यांश में श्रद्धा अपने प्रिय मनु के रूठने के बारे में कहती है कि मनु उससे इस प्रकार रूठ गया था जैसे वह अपने आप से ही रूठ गया हो। वह यह समझ नहीं पाई कि मनु उससे किस कारण नाराज हुए थे। मनु के साथ उसका प्रेम गहरा था, लेकिन अपने बच्चों के प्रति बढ़ते प्रेम के कारण मनु को ऐसा लगा जैसे उसे उपेक्षित किया जा रहा हो। इसी कारण वह श्रद्धा से दूर हो गया। अब वह दूरी श्रद्धा के लिए कांटे की तरह चुभ रही है, और वह सोच रही है कि उसने मनु को क्यों नहीं मनाया।
- काव्यगत सौंदर्य: यहाँ ‘उर को सालता’, ‘धुंधली-सी छाया’ जैसे लाक्षणिक प्रयोग वियोग की गहरी भावना को प्रकट करते हैं। काव्य में प्रसाद गुण और रूपक अलंकार का प्रभावशाली प्रयोग हुआ है।
(स) इड़ा आज कुछ……………………………….. दुख की रातें।
उत्तर-
- सन्दर्भ: यह पद्यांश जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘कामायनी’ के ‘पुनर्मिलन’ से लिया गया है। इसमें इड़ा और श्रद्धा के संवाद के माध्यम से जीवन के संघर्ष और मिलन-बिछड़न की अवधारणा प्रस्तुत की गई है।
- प्रसंग: इड़ा श्रद्धा की दुखी दशा देखकर उससे पूछती है कि वह किसे खोज रही है और उसे किसने भुला दिया है।
- व्याख्या: इड़ा श्रद्धा से उसकी व्यथा जानने की कोशिश करती है। वह श्रद्धा से कहती है कि जीवन में दुख और बिछड़न अनिवार्य हैं, लेकिन वे स्थायी नहीं होते। जैसे दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता है, वैसे ही दुख और कठिनाइयाँ भी समाप्त होती हैं। इड़ा श्रद्धा को धैर्य रखने का संदेश देती है और उसे सांत्वना देती है कि जीवन में खोए हुए फिर मिलते हैं।
- काव्यगत सौंदर्य: इस पद्यांश में भाग्यवादी दृष्टिकोण का परिचय मिलता है। ‘द्रवित’ और ‘बिसराया’ जैसे शब्दों के प्रयोग से कविता में करुण रस उत्पन्न होता है। अनुप्रास और दृष्टांत अलंकार भी सौंदर्य को बढ़ाते हैं।
(द) श्रद्धा रुकी…………………………………………. क्यों रह जाती?
उत्तर-
- सन्दर्भ: यह पद्यांश जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘पुनर्मिलन’ से लिया गया है। इसमें श्रद्धा और मनु के मिलन का मार्मिक चित्रण किया गया है।
- प्रसंग: श्रद्धा मनु को घायल अवस्था में देखकर व्यथित होती है और उसे अपने सपने का सच होने का अहसास होता है।
- व्याख्या: श्रद्धा मनु को घायल अवस्था में देखकर भावुक हो जाती है। उसका सपना सच साबित हुआ और वह यह देखकर व्याकुल हो उठती है। उसकी पीड़ा उसके आंसुओं के रूप में बहने लगती है। वह अपने पति के पास जाकर उन्हें मरहम जैसे स्पर्श से सहलाने लगती है, जिससे मनु की पीड़ा कम हो जाती है। यह दृश्य अत्यंत मार्मिक है, जहां पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का भाव उभर कर आता है।
- काव्यगत सौंदर्य: इस पद्यांश में करुण रस का प्रभावशाली चित्रण हुआ है। ‘वह्नि-शिखा’, ‘उर को सालता’ जैसे लाक्षणिक प्रयोग और रूपक, अनुप्रास अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।
(य) और वही मनु !…………………………………………. रह जाती ?
उत्तर-
- सन्दर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य ‘कामायनी’ के ‘पुनर्मिलन’ खंड से ली गई हैं। इस कविता में मनु और श्रद्धा के मिलन का मार्मिक चित्रण किया गया है।
- प्रसंग: इन पंक्तियों में श्रद्धा अपने स्वप्न के साकार हो जाने पर भावुक हो जाती है और मनु को घायल अवस्था में देखकर उसकी देखभाल करती है।
- व्याख्या: श्रद्धा जब अपने पति मनु को घायल अवस्था में देखती है तो उसे अपने स्वप्न के सत्य होने का अहसास होता है। वह व्याकुल होकर बोलती है, “आह, प्रिय! यह क्या हो गया?” उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं, और उसका हृदय दर्द से पिघल जाता है। इड़ा इस दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित रह जाती है। श्रद्धा मनु के पास बैठकर उसे सहलाने लगती है। उसके कोमल स्पर्श को कवि ने ‘अनुलेपन’ यानी मरहम के समान बताया है, जिससे मनु की पीड़ा कम हो जाती है।
- काव्यगत सौन्दर्य: इस पद्यांश में करुण रस प्रधान है। भाषा सरल, प्रवाहमयी और हृदयस्पर्शी है। ‘घुला हृदय बन नीर बहा’ में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है, जो मनु और श्रद्धा के मिलन को गहराई से व्यक्त करता है।
(र) मुखर हो ………………………………………………. संगीत बना।
उत्तर-
- सन्दर्भ: यह पद्यांश जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य ‘कामायनी’ के ‘पुनर्मिलन’ खंड से लिया गया है। इसमें श्रद्धा और मनु के पुनर्मिलन के समय के माहौल का वर्णन किया गया है।
- प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियों में उस मण्डप का चित्रण किया गया है जो पहले निर्जीव और सूना था, लेकिन श्रद्धा और मनु के मिलन के बाद उसमें जीवन और आत्मीयता की सजीवता लौट आई है।
- व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने श्रद्धा और मनु के घर को एक छोटे से, परन्तु सुखद परिवार के रूप में प्रस्तुत किया है। पहले सूना और मौन मण्डप अब जीवंत हो गया है। घर में आत्मीयता और प्रेम का भाव घुल गया है, जिसने उस घर को एक मधुर और शांतिपूर्ण स्थान बना दिया है। श्रद्धा का प्रेम उस घर में संगीत की तरह फैल गया है, जो पूरे वातावरण को मधुर और आनंदमय बना रहा है। श्रद्धा और मनु के पुनर्मिलन ने उस घर में सजीवता और सुख का संचार कर दिया है।
- काव्यगत सौन्दर्य: इस पद्यांश में करुण और शृंगार रस का समन्वय है। भाषा सरल और प्रवाहपूर्ण है। ‘आत्मीयता घुली’ और ‘श्रद्धा का संगीत’ जैसे लाक्षणिक प्रयोगों ने इस वर्णन को और अधिक सजीव और प्रभावशाली बना दिया है।
प्रश्न 2. जयशंकर प्रसाद की जीवनी एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा, जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक सेवाओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
जीवनी:
जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को वाराणसी में हुआ था। वे छायावादी युग के प्रमुख कवि, नाटककार और कथाकार थे। प्रसाद जी का बचपन संपन्न परिवार में बीता, लेकिन जल्द ही उन्होंने पिता और भाई को खो दिया। इन परिस्थितियों ने उनके साहित्य को गहराई प्रदान की।
प्रमुख रचनाएं:
- काव्य: कामायनी, झरना, आंसू, लहर
- नाटक: स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी
- कहानी संग्रह: छाया, आकाशदीप, आंधी
- उपन्यास: कंकाल, तितली
साहित्यिक सेवाएं:
- छायावाद का विकास: प्रसाद जी ने छायावादी काव्यधारा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
- ऐतिहासिक नाटकों का सृजन: उन्होंने भारतीय इतिहास पर आधारित नाटकों की रचना कर साहित्य और इतिहास को जोड़ा।
- आधुनिक हिंदी कहानी का विकास: प्रसाद जी ने हिंदी कहानी को नए आयाम दिए।
- दार्शनिक चिंतन: ‘कामायनी’ जैसी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने गहन दार्शनिक विचारों को काव्य रूप दिया।
भाषा-शैली:
- संस्कृतनिष्ठ शब्दावली का प्रयोग
- अलंकारों और बिंबों का सुंदर समावेश
- प्रतीकात्मक और संगीतात्मक भाषा
- ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों का कुशल प्रयोग
- भावपूर्ण और चित्रात्मक अभिव्यक्ति
प्रसाद जी की रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक गौरव और मानवीय मूल्यों का समन्वय दिखाई देता है। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति और दर्शन को नए परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया। उनकी भाषा-शैली ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और पाठकों के मन में गहन भावों और विचारों को जन्म दिया। प्रसाद जी की रचनाएं आज भी हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
प्रश्न 3. ‘पुनर्मिलन’ काव्यांश का सारांश एवं मूलभाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- ‘पुनर्मिलन’ काव्यांश का सारांश एवं मूलभाव:
जयशंकर प्रसाद की ‘कामायनी’ महाकाव्य का यह अंश मानव जीवन के गहन भावों और संबंधों को दर्शाता है। इसमें प्रेम, विरह, और पुनर्मिलन की मार्मिक कथा है।
श्रद्धा, अपने पुत्र के साथ, मनु की खोज में निकलती है। वह अपने प्रिय के लिए व्याकुल है, जो उसे छोड़कर चला गया था। इड़ा उन्हें देखती है और उनकी कहानी सुनती है। अंततः श्रद्धा मनु को घायल अवस्था में पाती है।
जैसे ही श्रद्धा मनु को देखती है, वह उसके पास जाती है और उसे सांत्वना देती है। मनु की चेतना लौटती है और दोनों की आँखों में आँसू आ जाते हैं। यह क्षण प्रेम और क्षमा का प्रतीक है।
इस बीच, उनका पुत्र कुमार भी अपने पिता से मिलता है। वह अपनी मां से कहता है कि पिता को पानी पिलाएं। यह दृश्य परिवार के पुनर्मिलन और एकता का प्रतीक है।
इस काव्यांश का मूलभाव मानवीय संबंधों की गहराई और महत्व को दर्शाता है। यह बताता है कि प्रेम और क्षमा किसी भी रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं। साथ ही, यह परिवार के महत्व और एकता का संदेश भी देता है।
कवि ने इस अंश में भावनात्मक उतार-चढ़ाव को बड़ी कुशलता से चित्रित किया है। विरह की व्याकुलता से लेकर मिलन के आनंद तक, हर भाव पाठक के हृदय को छू लेता है। यह काव्यांश मानव जीवन की जटिलताओं और संबंधों की गहराई को दर्शाता है, जो इसे एक चिरस्थायी रचना बनाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. प्रसाद के प्रकृति-चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- जयशंकर प्रसाद ने अपनी रचनाओं में प्रकृति का मनोहारी चित्रण किया है। उन्होंने प्रकृति को मानवीय भावों का प्रतीक बनाया है। ‘झरना’ जैसी कविताओं में प्रेम और सौंदर्य के साथ प्रकृति का सजीव वर्णन मिलता है। प्रसाद की प्रकृति छायावादी काव्यधारा का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ प्रकृति मानव भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनती है।
प्रश्न 2. इड़ा को कामायनी ‘धुंधली-सी छाया’ क्यों लग रही थी?
उत्तर- कामायनी इड़ा को ‘धुंधली-सी छाया’ इसलिए लग रही थी क्योंकि वह विरह में अत्यंत दुर्बल हो गई थी। रात्रि का गहन अंधकार और कामायनी की शारीरिक क्षीणता के कारण वह स्पष्ट दिखाई नहीं दे रही थी। उसकी यह दशा उसके मानसिक और शारीरिक कष्ट को दर्शाती है।
प्रश्न 3. विरहिणी के रूप में कवि ने कामायनी का चित्रण किस प्रकार किया है?
उत्तर- कवि ने कामायनी को एक व्याकुल विरहिणी के रूप में चित्रित किया है। उसका शरीर दुर्बल हो गया है और वस्त्र अस्त-व्यस्त हैं। कवि ने उसकी तुलना एक ऐसी कली से की है जिसका मकरंद लूट लिया गया हो। यह चित्रण कामायनी के गहन दुःख और विरह की पीड़ा को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करता है।
प्रश्न 5. कामायनी तथा उसके पुत्र के मनु से पुनर्मिलन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर- कामायनी अपने पुत्र के साथ मनु की खोज में निकलती है। इड़ा उन्हें देखती है और उनकी सहायता करती है। मनु को घायल अवस्था में पाकर कामायनी उन्हें सांत्वना देती है। मनु की चेतना लौटती है और दोनों की आँखों में आँसू आ जाते हैं। उनका पुत्र भी पिता से मिलता है और उनके लिए पानी मँगवाता है। इस प्रकार तीनों का भावुक पुनर्मिलन होता है।
प्रश्न 6. जयशंकर प्रसाद की भाषा-शैली बताइए।
उत्तर: जयशंकर प्रसाद की भाषा-शैली साहित्यिक और परिमार्जित है। उनकी भाषा खड़ीबोली पर आधारित है, जिसमें संस्कृत के शब्दों का प्रयोग होता है। उनकी शैली में ओज, माधुर्य और गंभीरता का समन्वय है। प्रसाद जी ने भावों की गहराई को व्यक्त करने के लिए लक्षणा और व्यंजना का भी सुंदर प्रयोग किया है, जिससे उनकी काव्य रचनाएँ अत्यधिक प्रभावशाली हो जाती हैं।
प्रश्न 7. ‘पुनर्मिलन’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर: ‘पुनर्मिलन’ कविता में मनु, श्रद्धा और उनके पुत्र के पुनर्मिलन का मार्मिक चित्रण है। मनु के रूठकर जाने के बाद, श्रद्धा अपने पुत्र के साथ उन्हें ढूंढने निकलती है। इड़ा श्रद्धा की पीड़ा सुनकर उसे सहारा देती है और जलती अग्नि के पास मनु को खोजने में मदद करती है। मनु को घायल अवस्था में देखकर श्रद्धा का हृदय पिघल जाता है और वह उनकी सेवा करती है। इस प्रकार, अंत में तीनों का पुनर्मिलन होता है, जो कविता का मुख्य भाव है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जयशंकर प्रसाद किस काल के कवि हैं?
उत्तर- जयशंकर प्रसाद आधुनिक काल के कवि हैं।
प्रश्न 2. जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य का नाम बताइए।
उत्तर- कामायनी।
प्रश्न 3. जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित दो काव्य ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर- कामायनी और लहर।
प्रश्न 4. जयशंकर प्रसाद को किस युग का प्रवर्तक माना जाता है?
उत्तर- छायावादी युग का।
प्रश्न 6. श्रद्धा कौन थी?
उत्तर- श्रद्धा मनु की पत्नी थी।
प्रश्न 7. निम्नलिखित में से सही उत्तर के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए-
(अ) श्रद्धा के पुत्र का नाम मानव है। (✗)
(ब) जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं। (✓)
(स) पुनर्मिलन कामायनी निर्वेद सर्ग में उद्धृत है। (✓)
काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
(अ) मुखर हो गया सूना मण्डप।
(ब) आत्मीयता घुली उस घर में छोटा सा परिवार बना।
उत्तर-
(अ) काव्य-सौन्दर्य-
- यहाँ बालकों की प्रकृति एवं उनकी उत्सुकता सम्बन्धी भावना का अत्यन्त स्वाभाविक चित्रण किया गया है।
- मनु से श्रद्धा और पुत्र के मिलन में स्वाभाविकता का समावेश हुआ है।
- भाषा- ऐतिहासिक खड़ीबोली ।
- रस- शृंगार तथा वात्सल्य
- गुण- माधुर्य।
- अलंकार- अनुप्रास।
(ब) काव्य-सौन्दर्य-
- कवि ने पति, पत्नी तथा पुत्र का मिलन दिखलाकर भावात्मकता, आत्मीयता तथा स्वाभाविकता की सृष्टि की है।
- भाषा- सरस एवं प्रवाहपूर्ण खड़ीबोली।
- अलंकार- अनुप्रास एवं उपमा।
- गुण- प्रसाद।
- शैली- संवादात्मक।
- रस- श्रृंगार, वात्सल्य ।
- गुण- माधुर्य ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त रस का नाम बताइए-
(अ) घुला, हृदय, बन नीर बहा।
(ब) इड़ा आज कुछ द्रवित हो रही दुःखियों को देखा उसने।
उत्तर-
(अ) करुण
(ब) करुण एवं शान्त रस।
प्रश्न 3. ‘मुखर हो गया सूना मण्डप’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर- मानवीकरण।