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उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के काव्य खंड में “पंचवटी” नामक पांचवां अध्याय मैथिलीशरण गुप्त जी की प्रसिद्ध रचना पर आधारित है। इस अध्याय में पंचवटी के प्राकृतिक सौंदर्य और वीर लक्ष्मण के त्याग एवं कर्तव्यनिष्ठा का मनोहारी वर्णन किया गया है। कवि ने चांदनी रात में पंचवटी के शांत वातावरण और लक्ष्मण के जागरण का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है। इस काव्य में प्रकृति के सौंदर्य के साथ-साथ मानवीय मूल्यों और भावनाओं का गहन निरूपण है। यह अध्याय विद्यार्थियों को मैथिलीशरण गुप्त की काव्य शैली, भाव-व्यंजना और रामायण के एक महत्वपूर्ण प्रसंग को समझने का सुअवसर प्रदान करता है।
UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 5 Solution
Contents
Subject | Hindi (काव्य खंड) |
Class | 9th |
Chapter | 5. पंचवटी |
Author | मैथिलीशरण गुप्त |
Board | UP Board |
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :
(अ) चारु चन्द्र की ……………………………………. झोंकों से।
उत्तर-
व्याख्या: गुप्त जी चंद्रमा की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहते हैं कि उसकी चांदनी जल और स्थल दोनों पर फैली हुई है। पृथ्वी और आकाश स्वच्छ चांदनी से आच्छादित हैं। हरी घास के तिनके मानो धरती के सुख से रोमांचित हो रहे हों। वृक्ष हल्की वायु के झोंकों से झूम रहे हैं। यह दृश्य प्रकृति के सौंदर्य और उसके साथ मानव की तादात्म्यता को दर्शाता है।
काव्यगत सौंदर्य: कवि ने सरल भाषा में प्रकृति का मनोरम चित्रण किया है। अनुप्रास और मानवीकरण अलंकारों का प्रयोग किया गया है। श्रृंगार रस और माधुर्य गुण से युक्त यह वर्णन पाठक के मन में प्रकृति के प्रति प्रेम जगाता है।
(ब) है बिखेर देती……………………………………. झलकाता है।
उत्तर-
व्याख्या: कवि कहते हैं कि पृथ्वी रात्रि में आकाश में तारों रूपी मोती बिखेर देती है, जिन्हें सूर्य प्रातःकाल समेट लेता है। संध्या के समय सूर्य इन तारों को संध्या रूपी सुंदरी को सौंप देता है। इस प्रकार तारों से सजी संध्या का श्यामल रूप अत्यंत दीप्तिमान हो जाता है। यह वर्णन प्रकृति के नित्य क्रम को काव्यात्मक रूप से प्रस्तुत करता है।
काव्यगत सौंदर्य: कवि ने प्रकृति के नियमित क्रम को मानवीय क्रियाओं के रूप में प्रस्तुत किया है। रूपक और अतिशयोक्ति अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है। वर्णनात्मक शैली में लिखी गई यह पंक्तियाँ पाठक के मन में प्रकृति की अद्भुत छवि उकेरती हैं।
(स) किस व्रत में ……………………………………. जीवन है।
उत्तर-
व्याख्या: कवि लक्ष्मण के चरित्र की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वे किस व्रत के कारण नींद का त्याग कर रहे हैं। राजसुख भोगने योग्य होते हुए भी वे वन में वैराग्य धारण किए बैठे हैं। कुटिया में रखे किस अमूल्य धन की रक्षा में वे अपना तन-मन-जीवन लगा रहे हैं। यह वर्णन लक्ष्मण के त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाता है।
काव्यगत सौंदर्य: कवि ने प्रश्नों के माध्यम से लक्ष्मण के चरित्र की विशेषताओं को उजागर किया है। अनुप्रास अलंकार और वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। ओज गुण और अद्भुत रस से युक्त यह वर्णन पाठक के मन में लक्ष्मण के प्रति श्रद्धा उत्पन्न करता है।
(द) मर्त्यलोक-मालिन्य ……………………………………. माया ठहरी।
उत्तर-
व्याख्या: कवि बताते हैं कि कुटी में विराजमान सीता तीनों लोकों की लक्ष्मी हैं। वे मर्त्यलोक के पापों को दूर करने के लिए राम के साथ आई हैं। सीता वीर वंश की लाज हैं, जिनकी रक्षा से ही रघुवंश की प्रतिष्ठा बनी रहेगी। निर्जन वन में राक्षसों की माया से बचाव के लिए लक्ष्मण जैसे वीर की आवश्यकता है। यह वर्णन सीता के महत्व और लक्ष्मण के कर्तव्य को दर्शाता है।
काव्यगत सौंदर्य: कवि ने सीता और लक्ष्मण के चरित्रों का सुंदर चित्रण किया है। रूपक और अनुप्रास अलंकारों का प्रयोग हुआ है। शांत रस और माधुर्य गुण से युक्त यह वर्णन पाठक के मन में भक्ति भाव जगाता है।
(य) और आर्य को?…..………………………………….. यह नरलोक?
उत्तर-
व्याख्या: कवि लक्ष्मण के विचारों को प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि जब राम राजा बनेंगे, तो वे प्रजा के हित में इतने व्यस्त हो जाएंगे कि शायद हमें भूल जाएं। परंतु लोक कल्याण के लिए यह त्याग स्वीकार्य है। अंत में कवि एक प्रश्न उठाते हैं कि क्या मनुष्य समाज राजा पर निर्भर रहे बिना अपना कल्याण स्वयं नहीं कर सकता। यह वर्णन राजधर्म और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता है।
काव्यगत सौंदर्य: कवि ने लक्ष्मण के माध्यम से गहन विचारों को प्रस्तुत किया है। उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग हुआ है। शांत रस और माधुर्य गुण से युक्त यह वर्णन पाठक को समाज व्यवस्था पर चिंतन करने को प्रेरित करता है।
प्रश्न 2. मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी एवं रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा, मैथिलीशरण गुप्त की साहित्यिक सेवाओं एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
अथवा, मैथिलीशरण गुप्त के साहित्य एवं जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
जीवन परिचय:
मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 को चिरगाँव, झाँसी में हुआ था। वे हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक थे। उन्हें “राष्ट्रकवि” की उपाधि से सम्मानित किया गया। गुप्त जी ने अपने साहित्य के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक सुधार का संदेश दिया।
प्रमुख रचनाएँ:
- भारत-भारती (1912)
- जयद्रथ वध (1910)
- पंचवटी (1925)
- साकेत (1932)
- यशोधरा (1932)
- द्वापर (1936)
साहित्यिक सेवाएँ:
- राष्ट्रीय चेतना का प्रसार: गुप्त जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देशप्रेम और स्वतंत्रता की भावना को जागृत किया।
- सामाजिक सुधार: उन्होंने नारी शिक्षा, विधवा विवाह जैसे विषयों पर लिखकर समाज सुधार में योगदान दिया।
- भारतीय संस्कृति का चित्रण: उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति और मूल्यों का सुंदर चित्रण मिलता है।
- खड़ी बोली का विकास: गुप्त जी ने खड़ी बोली हिंदी को काव्य की भाषा के रूप में स्थापित किया।
भाषा-शैली:
- सरल और प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग
- तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर समन्वय
- अलंकारों का सटीक प्रयोग
- भावपूर्ण और चित्रात्मक शैली
- देशज और विदेशी शब्दों का समुचित प्रयोग
गुप्त जी की रचनाओं में राष्ट्रीयता, मानवतावाद और आदर्शवाद का समन्वय दिखाई देता है। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति और मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उनकी भाषा-शैली ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और पाठकों के मन में देशप्रेम और सामाजिक चेतना जागृत की।
प्रश्न 3. ‘पंचवटी’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- ‘पंचवटी’ कविता का सारांश:
मैथिलीशरण गुप्त की ‘पंचवटी’ कविता राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास काल का एक सुंदर चित्रण प्रस्तुत करती है। कवि ने प्राकृतिक सौंदर्य और मानवीय मूल्यों का अद्भुत संगम दिखाया है।
कविता का आरंभ पंचवटी के मनोरम दृश्य से होता है। चांदनी रात में हरी घास पर ओस की बूंदें चमकती हैं, वृक्ष हवा में झूमते हैं। इस सुरम्य वातावरण में राम-सीता की कुटिया स्थित है, जिसकी रक्षा लक्ष्मण करते हैं। लक्ष्मण का चरित्र यहां एक समर्पित योद्धा और भक्त के रूप में चित्रित किया गया है। वे राजसी सुखों को त्यागकर, दिन-रात कुटिया की रक्षा में तत्पर रहते हैं। कवि सीता को “वीर वंश की लाज” कहकर उनके महत्व को रेखांकित करते हैं।
कविता में प्रकृति को एक सजीव पात्र की तरह चित्रित किया गया है। शाम को धरती पर ओस बिखेरना और सुबह सूर्य द्वारा उसे समेटना, प्रकृति के इस नित्य क्रम को कवि ने बड़े ही कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है।
अंत में, लक्ष्मण के मन में उठते विचारों के माध्यम से कवि समाज और शासन व्यवस्था पर गहन चिंतन प्रस्तुत करते हैं। वे सोचते हैं कि जब राम राजा बनेंगे, तो लोक कल्याण में व्यस्त हो जाएंगे। परंतु क्या मनुष्य समाज स्वयं अपना कल्याण नहीं कर सकता? यह प्रश्न पाठकों को सोचने पर विवश करता है।
इस प्रकार ‘पंचवटी’ कविता न केवल रामायण के एक प्रसंग का सुंदर चित्रण करती है, बल्कि मानवीय मूल्यों, कर्तव्य, त्याग और समाज व्यवस्था पर भी गहन चिंतन प्रस्तुत करती है। कवि की भाषा सरल yet प्रभावशाली है, जो पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘पंचवटी’ की प्रकृति का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर: ‘पंचवटी’ में प्रकृति का अद्भुत और मोहक चित्रण हुआ है। कवि ने चाँदनी रात, जल और थल पर फैली स्वच्छ चाँदी और हरी घास की नोकों को जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है। पृथ्वी और आकाश में फैली शान्त चाँदनी और प्रात:काल सूर्य की किरणों से ओस का गायब होना, सब मिलकर प्राकृतिक सौन्दर्य को उजागर करते हैं। इस चित्रण से प्रकृति मानो सजीव हो उठी है।
प्रश्न 2. ‘प्रहरी बना हुआ वह’ (लक्ष्मण) कुटीर के किस धन की रक्षा कर रहा है?
उत्तर: लक्ष्मण जी प्रहरी बनकर माता सीता रूपी महान धन की रक्षा कर रहे हैं। वे श्रीराम के वनवास के दौरान कुटीर के चारों ओर पहरा देते हैं, ताकि सीता जी सुरक्षित रहें।
प्रश्न 3. लक्ष्मण संसार के मनुष्यों से क्या करने की आशा रखते हैं?
उत्तर: लक्ष्मण जी चाहते हैं कि संसार के सभी लोग परोपकार में संलग्न रहें। वे यह भी अपेक्षा करते हैं कि मनुष्य अपने कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें और अपने कर्तव्यों का निर्वहन स्वयं करें।
प्रश्न 4. ‘पंचवटी’ कविता में निहित मूल भाव से सम्बन्धित चार वाक्य लिखिए।
उत्तर: ‘पंचवटी’ कविता में चाँदनी रात का दृश्य अत्यंत मनमोहक है। हरी-भरी घास, झूमते पेड़ और शान्त वातावरण श्रीराम की कुटी के चारों ओर सौन्दर्य बिखेरते हैं। कवि के मन में यह प्रश्न उठता है कि इस प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच जागते हुए योगी कौन हैं। श्रीराम का यह त्याग और कुटी में निवास उनके जीवन का महान संदेश है।
प्रश्न 5. मैथिलीशरण गुप्त की भाषा-शैली लिखिए।
उत्तर: मैथिलीशरण गुप्त की भाषा शुद्ध और परिमार्जित खड़ीबोली है। उनकी शैली में ओज, प्रसाद और सरलता है, साथ ही उन्होंने संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू और अन्य भाषाओं के शब्दों का भी प्रयोग किया है। गुप्तजी ने प्रबन्धात्मक, उपदेशात्मक और गीति शैली को अपने काव्य में अपनाया है, जिससे उनकी रचनाएँ प्रभावशाली बनती हैं।
प्रश्न 6. सन्ध्या को सूर्य की विरामदायिनी क्यों कहा गया है?
उत्तर: दिनभर आकाश मार्ग में यात्रा करने के बाद सूर्य सन्ध्या के समय विश्राम करता प्रतीत होता है। इसीलिए कवि ने सन्ध्या को सूर्य की विरामदायिनी कहा है। इसके अतिरिक्त, सन्ध्या पक्षियों, किसानों और दिनभर परिश्रम करने वालों के लिए भी विश्राम का समय लेकर आती है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मैथिलीशरण गुप्त किस युग के कवि हैं?
उत्तर- मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के कवि हैं।
प्रश्न 2. मैथिलीशरण गुप्त की दो प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर- साकेत और यशोधरा।
प्रश्न 3. ‘साकेत’ रचना पर गुप्तजी को कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ है?
उत्तर- ‘साकेत’ रचना पर गुप्तजी को ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ प्राप्त हुआ।
प्रश्न 4. ‘साकेत’ की विषय-वस्तु क्या है?
उत्तर- ‘साकेत’ में लक्ष्मण और उर्मिला के त्याग को दर्शाया गया है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से सही उत्तर के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए-
(अ) पंचवटी में श्रीराम की कुटी बनी हुई है। (✓)
(ब) सूर्य के निकलने पर ओस की बूंदें गायब हो जाती हैं। (✓)
(स) मैथिलीशरण गुप्त भारतेन्दु युग के कवि हैं। (✗)
काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
(अ) चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में।
(ब) जाग रहा ये कौन धनुर्धर जबकि भुवन-भर सोता है?
(स) मर्त्यलोक मालिन्य मेटने स्वामि संग जो आयी है।
उत्तर-
(अ) काव्यगत विशेषताएँ-
- पंचवटी का सौन्दर्य वर्णित है।
- भाषा- साहित्यिक खड़ीबोली।
- शैली- वर्णनात्मक।
- गुण- ओज।
- अलंकार- अनुप्रास, पुनरुक्ति।
(ब) काव्यगत विशेषताएँ-
- कवि ने लक्ष्मण की कर्तव्यनिष्ठा का वर्णन किया है।
- भाषा में तत्सम तथा तद्भव शब्दों का सुन्दर समन्वय हुआ है।
(स) काव्यगत विशेषताएँ-
- यहाँ भारतीय नारी के महान् आदर्शों का चित्रण किया गया है कि वह सुख-दुःख में अपने पति को ही साथ देती है। सीताजी को तीन लोकों की ‘श्री’ कहा गया है।
- भाषा- साहित्यिक खड़ीबोली।
- शैली- गीतात्मक एवं चित्रात्मक।
- अलंकार- अनुप्रास, रूपक।
- गुण- माधुर्य ।
- रस- शान्त।
- छन्द- मात्रिक।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में सन्धि-विच्छेद कीजिए तथा सन्धि का नाम बताइए-
प्रजार्थ, लोकोपकार, कुसुमायुध, निरानन्द।
उत्तर-
- प्रजार्थ = प्रजा + अर्थ = दीर्घ सन्धि
- लोकोपकार = लोक + उपकार = गुण सन्धि
- कुसुमायुध = कुसम + आयुध = दीर्घ सन्धि
- निरानन्द = निर + आनन्द = दीर्घ सन्धि
प्रश्न 3. निम्नलिखित पदों में समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए-
पंचवटी, वीरवंश, सभय, कुसुमायुध, ध्वनि संकेत, नरलोक।
उत्तर-
- पंचवटी = पाँच वटों का समाहार = बहुब्रीहि समास
- वीरवंश = वीरों का वंश = सम्बन्ध तत्पुरुष
- सभय = भय से युक्त = अव्ययी भाव
- कुसुमायुध = कुसुम है आयुध जिसके = बहुब्रीहि समास
- ध्वनि संकेत = ध्वनि का संकेत = षष्ठी तत्पुरुष समास
- नरलोक = नरों का लोक =तत्पुरुष समास
प्रश्न 4. ‘पंचवटी’ शीर्षक कविता से अनुप्रास अलंकार का कोई एक उदाहरण बताइए।
उत्तर- चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल थल में।