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उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के पद्य खंड में “दान” शीर्षक से एक महत्वपूर्ण कविता शामिल है। यह कविता प्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित है। इस कविता में निराला जी ने दान के महत्व और उसके सही पात्र के चुनाव पर प्रकाश डाला है। उन्होंने प्रकृति के विभिन्न रूपों और उसके द्वारा दिए गए दानों का सुंदर वर्णन किया है। साथ ही, एक बुढ़े भिखारी के माध्यम से जीवन की कठिनाइयों और सच्चे दान की आवश्यकता को दर्शाया है।
UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 7 Solution
Contents
Subject | Hindi (काव्य खंड) |
Class | 9th |
Chapter | 7. दान |
Author | सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला” |
Board | UP Board |
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :
(अ) निकला पहिला ……………………………………………………………………. आवेश-चपल।
उत्तर-
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ से लिया गया है, जो सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित ‘अपरा’ नामक काव्य संग्रह के ‘दान’ शीर्षक कविता का अंश है। यह कविता उन ढोंगी दानियों पर व्यंग्य करती है, जो केवल दिखावे के लिए दान करते हैं और जिनके हृदय में सच्ची दया या परोपकार का भाव नहीं होता।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने प्रात:कालीन प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत वर्णन किया है। कवि प्रकृति के सौन्दर्य के माध्यम से वास्तविक ज्ञान और धर्म के सत्य स्वरूप का बोध कराने का प्रयास कर रहा है।
व्याख्या – कवि ने प्रात:काल का वर्णन करते हुए बताया है कि जैसे ही सुबह का समय हुआ, पहला कमल खिल उठा और ज्ञान का प्रतीक सूर्य उदित हो गया। यह ज्ञान केवल बाहरी नहीं है, बल्कि अंतर्मन का है, जिसे कवि ने धर्म और दान के दिखावे से अलग करके देखा है। सुगंध से भरी वायु धीरे-धीरे बह रही है, जो मन को प्रसन्न कर रही है। कवि गोमती नदी की धारा को एक पतली कमर वाली नवयौवना के रूप में देखता है, जो लहरों के साथ नृत्य करती प्रतीत होती है। इस नायिका का सौन्दर्य उसकी चंचलता और गतिशीलता में समाहित है, जो नदी की लहरों के माध्यम से व्यक्त होता है।
काव्यगत सौन्दर्य – कवि ने यहां प्रकृति के सौन्दर्य को मानवीकरण के माध्यम से जीवंत किया है। गोमती नदी को नवयौवना नर्तकी के रूप में प्रस्तुत करना नदी के मानवीकरण का उत्तम उदाहरण है। भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली है, जिसमें प्रतीकात्मकता और वर्णन शैली का प्रयोग किया गया है। रस में शान्त और श्रृंगार रस की प्रधानता है। अलंकारों में रूपक, अनुप्रास, और मानवीकरण का सुन्दर प्रयोग हुआ है।
(ब) ढोता जो वह कौन-सा…………………………………………………उपायकरण!
उत्तर-
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ से लिया गया है। इसे सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता ‘दान’ से उद्धृत किया गया है। इस कविता में कवि ने समाज के ढोंगी और दिखावटी दानियों पर व्यंग्य किया है, जो गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के नाम पर केवल प्रतीकात्मक दान करते हैं।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने गरीबी और शोषण से ग्रसित व्यक्ति की व्यथा का वर्णन किया है। कवि उस व्यक्ति के जीवन के कष्टों और उसकी कठिनाइयों के पीछे छिपे कारणों को जानने की जिज्ञासा प्रकट करता है, लेकिन समाज में इस प्रश्न का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता।
व्याख्या – कवि पूछता है कि वह कौन-सा अभागा है जो इस कठिन जीवन के दुखों और कष्टों को ढो रहा है? उसके जीवन में ऐसा कौन-सा पाप या श्राप है जिसके कारण उसे यह दुर्दशा झेलनी पड़ रही है? लेकिन इसका कोई उत्तर नहीं है। यह प्रश्न जीवन पथ पर हमेशा बना रहता है, परंतु इसे सुनने वाला कोई नहीं है। कवि यहां एक बड़े व्यंग्य के रूप में कहता है कि जो समाज दया का दिखावा करता है, वह केवल एक पैसा देकर अपने कर्तव्यों से मुक्त हो जाता है। यह पैसा जरूरतमंद के लिए कोई वास्तविक समाधान नहीं है, बल्कि दिखावे का एक साधन है।
काव्यगत सौन्दर्य – कवि ने इस कविता में समाज की कटु सच्चाई को बहुत ही गहनता और सरलता से उजागर किया है। उन्होंने प्रतीकात्मकता का सुंदर प्रयोग करते हुए ‘एक पैसा’ को समाज की कृत्रिम दया का प्रतीक बनाया है। भाषा संस्कृतनिष्ठ और सरल खड़ीबोली है, जो कविता को सहज और प्रभावशाली बनाती है। इस पद्यांश में करुण और व्यंग्य रस की प्रधानता है। ‘भोगता कठिन’ और ‘ढोता जो वह कौन-सा शाप?’ जैसी पंक्तियाँ मानवीय पीड़ा को दर्शाती हैं।
(स) मैंने झुक नीचे ……………………………………………………. तत्पर वानर।
उत्तर-
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ से लिया गया है, जो सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित ‘दान’ शीर्षक कविता का अंश है। इस कविता में कवि ने धार्मिक ढोंग और अन्धविश्वास पर करारा व्यंग्य किया है।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने एक ऐसे ब्राह्मण का चित्रण किया है जो धार्मिक क्रियाओं और अन्धविश्वास में उलझा हुआ है। कवि ने उसके आचरण के माध्यम से यह दिखाया है कि किस प्रकार वह मानवता और वास्तविक करुणा की उपेक्षा करता है, जबकि बाहरी दिखावे में लिप्त रहता है।
व्याख्या – कवि कहता है कि जब उसने झुककर पुल के नीचे देखा तो वहाँ एक ब्राह्मण नदी में स्नान करके शिव जी की पूजा कर रहा था। उसने शिव जी को दूब, चावल और तिल भेंट किये और फिर पूजा समाप्त करके पुल पर चढ़ आया। ब्राह्मण राम भक्त था और शिव जी की आराधना में विश्वास रखता था। वह अपने धार्मिक कर्मकांडों को पूरा करके, बन्दरों को अपने झोले से पुए निकालकर खिला रहा था। कवि इस दृश्य को देखता है कि वह ब्राह्मण बन्दरों को बड़े चाव से पुए खिलाता है, लेकिन वहीं पास में बैठा एक गरीब भिखारी, जो भूख से तड़प रहा था, उसे एक बार भी देखकर दया नहीं करता। यह ब्राह्मण अपने धार्मिक कार्यों को पूरा करने में मग्न रहता है और सोचता है कि वह अब अपने कष्टों से मुक्त हो गया है।
कवि इस व्यवहार को देखकर तंज कसता है कि यह कैसी मानवता है जहाँ बन्दरों को तो प्रेम से खिलाया जाता है, लेकिन एक भूखे इंसान को देखकर उसकी ओर ध्यान भी नहीं दिया जाता। कवि की व्यंग्यात्मक टिप्पणी “धन्य हो श्रेष्ठ मानव” इस ब्राह्मण के दिखावे की असलियत को उजागर करती है। यह उस समाज की कठोर वास्तविकता है, जहाँ धार्मिक कर्मकांड अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं और मानवीय करुणा की उपेक्षा होती है।
काव्यगत सौन्दर्य – इस कविता में कवि ने धार्मिक अंधविश्वास और ढोंग पर तीखा व्यंग्य किया है। भाषा साहित्यिक खड़ीबोली है और शैली व्यंग्यात्मक है। अनुप्रास अलंकार का प्रयोग पद्यांश को लयात्मक बनाता है। कविता में शान्त रस का अनुभव होता है, लेकिन कवि ने इसमें मानवीय संवेदनाओं की गहरी कमी को दर्शाते हुए संवेदनशीलता का आह्वान किया है।
(र) द्विज राम भक्त, भक्ति की ……………………………………………………. “धन्य, श्रेष्ठ मानव !”
उत्तर-
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ से लिया गया है। यह सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता ‘दान’ का अंश है। इस कविता में कवि ने धार्मिक अंधविश्वास और ढोंग पर तीखा व्यंग्य किया है, जो समाज में प्रचलित दिखावटी धार्मिकता पर चोट करता है।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने एक ब्राह्मण का चित्रण किया है, जो राम का भक्त है और बारहों महीने शिव की पूजा करता है। वह प्रतिदिन गोमती नदी में स्नान करता है और पूजा के बाद अपने झोले से पुए निकालकर बंदरों को खिलाता है। कवि ने इस ब्राह्मण के धार्मिक कर्मकांडों और उसकी अंधविश्वासी प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है, जो मानवता की उपेक्षा कर केवल पशुओं को प्राथमिकता देता है।
व्याख्या – इस पद्यांश में कवि ने एक ऐसे व्यक्ति की व्याख्या की है, जो राम भक्त होते हुए भी अपनी भक्ति को केवल बाहरी कर्मकांडों तक सीमित रखता है। वह प्रतिदिन रामायण का पाठ करता है, ‘श्रीमन्नारायण’ मंत्र का जाप करता है, और जब भी दुखी या असहाय होता है तो बंदरों के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करता है। यह व्यक्ति अपने पड़ोस में रहने वाले कवि के सामने ही प्रतिदिन सरिता में स्नान करता है और पूजा के बाद झोले से पुए निकालकर बंदरों को खिलाता है। लेकिन वह भिखारी, जो उसके पास बैठा होता है और भूख से तड़प रहा होता है, उसकी ओर वह एक बार भी ध्यान नहीं देता।
ब्राह्मण को यह विश्वास है कि उसने अपने धार्मिक कर्मों से ‘दानव वृत्तियों’ से मुक्ति पा ली है, और खुद को श्रेष्ठ मानव मानता है। कवि इस अंधविश्वासी और ढोंगी व्यक्ति के आचरण पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि यह कैसी महानता है, जहाँ एक इंसान की उपेक्षा करके बंदरों को प्राथमिकता दी जाती है। कवि की व्यंग्यात्मक टिप्पणी “धन्य, श्रेष्ठ मानव!” इस धार्मिक पाखंड पर गहरा कटाक्ष है।
काव्यगत सौन्दर्य – इस पद्यांश में कवि ने मानवीय संवेदनाओं की गहरी उपेक्षा को बहुत ही सजीव और व्यंग्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। भाषा खड़ीबोली है, जिसमें व्यंग्य और प्रतीकात्मकता का सुन्दर प्रयोग किया गया है। अनुप्रास अलंकार का प्रयोग पद्यांश को लयात्मक और प्रभावशाली बनाता है। इस पद्यांश में कवि ने समाज के दोहरे मापदंडों और धार्मिक दिखावे पर करारा व्यंग्य किया है, जिससे करुणा और व्यंग्य रस का सुंदर मिश्रण उत्पन्न होता है।
प्रश्न 2. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा ,निराला जी की साहित्यिक सेवाओं एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
अथवा, निराला जी की साहित्यिक सेवाओं एवं काव्य रचनाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी का जन्म 1896 में हुआ था। वे छायावाद युग के प्रमुख कवियों में से एक थे और उन्हें ‘महाप्राण’ की उपाधि दी गई थी। निराला जी ने कविता, उपन्यास, कहानी और निबंध सभी विधाओं में रचनाएँ कीं। उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में ‘अनामिका’, ‘परिमल’, ‘गीतिका’ और ‘कुकुरमुत्ता’ शामिल हैं। उन्होंने मुक्त छंद का प्रयोग करके हिंदी कविता में एक नया आयाम जोड़ा। निराला जी की भाषा सरल और प्रवाहमयी थी, जिसमें तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण था। उनकी रचनाओं में समाज सुधार, राष्ट्रीयता और प्रकृति प्रेम के भाव प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं। निराला जी ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों पर करारा प्रहार किया। उनकी साहित्यिक सेवाएँ हिंदी साहित्य के लिए अमूल्य हैं और आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
प्रश्न 3. निराला जी द्वारा रचित ‘दान’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- निराला जी की ‘दान’ कविता समाज में व्याप्त विडंबनाओं पर एक कटाक्ष है। कवि एक सुबह नदी के पुल पर टहलते हुए प्रकृति के न्याय और मनुष्य की श्रेष्ठता पर विचार करते हैं। वे एक दृश्य देखते हैं जहाँ एक ओर बंदर बैठे हैं और दूसरी ओर एक अत्यंत दुर्बल भिखारी। एक ब्राह्मण शिव की मूर्ति पर चढ़ावा चढ़ाने के बाद बंदरों को पूए खिलाता है, लेकिन भूखे भिखारी की ओर देखता तक नहीं। यह देखकर कवि व्यंग्य से कहते हैं – “हे मानव, तू धन्य है।” इस कविता के माध्यम से निराला जी ने समाज में फैली अंधश्रद्धा और मानवीय संवेदनाओं के अभाव पर प्रहार किया है। वे दिखाते हैं कि कैसे लोग धार्मिक कर्मकांडों में व्यस्त रहकर वास्तविक मानवता को भूल जाते हैं। कविता पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है कि सच्चा धर्म क्या है और मनुष्यता का असली अर्थ क्या है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘दान’ शीर्षक कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर: ‘दान’ कविता का केंद्रीय भाव समाज में व्याप्त अंधविश्वास और मानवीय संवेदनाओं के अभाव पर प्रहार करना है। कवि दिखाते हैं कि लोग धार्मिक कर्मकांडों में व्यस्त रहकर वास्तविक मानवता को भूल जाते हैं। वे एक ऐसे समाज की आलोचना करते हैं जहाँ जानवरों को खिलाना मनुष्य की मदद करने से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। कविता पाठकों को सच्चे धर्म और मानवता के असली अर्थ पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
प्रश्न 2. पुल पर खड़े होकर ‘निराला’ जी क्या सोचते हैं?
उत्तर: पुल पर खड़े होकर निराला जी प्रकृति के न्याय और मानव की श्रेष्ठता पर विचार करते हैं। वे सोचते हैं कि प्रकृति हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार फल देती है। साथ ही, वे मानव को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानते हैं। लेकिन जल्द ही उन्हें इस धारणा पर पुनर्विचार करना पड़ता है जब वे मनुष्य की क्रूरता और संवेदनहीनता देखते हैं।
प्रश्न 3. निराला ने ‘दान’ कविता के माध्यम से किस पर प्रहार किया है?
उत्तर: निराला ने ‘दान’ कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास और मानवीय संवेदनाओं के अभाव पर प्रहार किया है। वे उन लोगों की आलोचना करते हैं जो धार्मिक कर्मकांडों में व्यस्त रहकर वास्तविक मानवता को भूल जाते हैं। कवि ने विशेष रूप से उन धनाढ्य लोगों पर व्यंग्य किया है जो जानवरों को खिलाते हैं लेकिन भूखे मनुष्यों की उपेक्षा करते हैं।
प्रश्न 4. मानव के विषय में सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की धारणा पहले क्या थी?
उत्तर: निराला जी पहले मानव को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानते थे। उनका विश्वास था कि मनुष्य अपनी बुद्धि और संवेदनशीलता के कारण अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है। परंतु कविता में वर्णित घटना ने उनकी इस धारणा को बदल दिया, जब उन्होंने देखा कि मनुष्य अपनी संवेदनशीलता खो चुका है।
प्रश्न 5. ‘कानों में प्राणों की कहती’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ‘कानों में प्राणों की कहती’ से कवि का तात्पर्य है कि प्रकृति की मधुर ध्वनियाँ हमारे कानों में जीवन का संदेश देती हैं। यह वाक्यांश दर्शाता है कि प्रकृति की सुगंधित हवा जब कानों के पास से गुजरती है, तो वह मानो प्रेम का मंत्र फुसफुसाती है। कवि यहाँ प्रकृति और मनुष्य के बीच के गहरे संबंध को दर्शाते हैं।
प्रश्न 6. ‘दान’ शीर्षक कविता में कवि द्वारा किये गये व्यंग्य की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: निराला जी ने ‘दान’ कविता में समाज की विकृत मानसिकता पर तीखा व्यंग्य किया है। वे दिखाते हैं कि लोग अंधविश्वास में डूबकर वास्तविक मानवता को भूल जाते हैं। एक ओर भूखा भिखारी है, दूसरी ओर बंदरों को पुए खिलाए जा रहे हैं। कवि इस विडंबना पर प्रहार करते हुए कहते हैं – “हे मानव, तू धन्य है।” यह व्यंग्य समाज को झकझोरता है और सोचने पर मजबूर करता है कि सच्चा धर्म क्या है।
प्रश्न 7. ‘दान’ शीर्षक कविता पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर: ‘दान’ कविता निराला जी की एक प्रसिद्ध रचना है जो समाज में व्याप्त विसंगतियों पर प्रकाश डालती है। कवि एक सुबह नदी के पुल पर टहलते हुए एक दृश्य देखते हैं जहाँ एक ब्राह्मण बंदरों को पुए खिला रहा है, जबकि पास में एक भूखा भिखारी बैठा है। यह दृश्य कवि को विचलित कर देता है। वे समाज की इस विडंबना पर व्यंग्य करते हैं जहाँ धार्मिक अंधविश्वास मानवीय संवेदनाओं पर हावी हो जाता है। कविता पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है कि सच्चा धर्म और मानवता क्या है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निराला किस युग के कवि माने जाते हैं?
उत्तर: निराला छायावाद युग के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने अपनी क्रांतिकारी शैली से हिंदी कविता को नई दिशा दी।
प्रश्न 2. निराला की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर: निराला की दो प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘परिमल’ (1929) और ‘अनामिका’ (1937), जो उनकी काव्य प्रतिभा का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
प्रश्न 3. निराला की पुत्री का क्या नाम था?
उत्तर: निराला की पुत्री का नाम सरोज था, जिनकी स्मृति में उन्होंने ‘सरोज-स्मृति’ नामक प्रसिद्ध कविता लिखी।
प्रश्न 4. छायावाद के स्तम्भ कहे जाने वाले कवि का नाम लिखिए।
उत्तर: सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ को छायावाद के चार स्तंभों में से एक माना जाता है और उन्हें ‘महाप्राण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
प्रश्न 5. निराला के काव्य की भाषा क्या है?
उत्तर: निराला के काव्य की मुख्य भाषा खड़ी बोली है, जिसमें तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण मिलता है, साथ ही उन्होंने ब्रज, अवधी और बांग्ला का भी प्रयोग किया।
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से सही उत्तर के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए
(अ) भिखारी का रंग काला था। (✓)
(ब) शिवभक्त बन्दरों को पुए खिला रहा था। (✓)
(स) निराला भारतेन्दु युग के कवि माने जाते हैं। (✗)
काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
1. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए–
(अ) सोचा ‘विश्व का नियम निश्चल’, जो जैसा उसको वैसा फल।
(ब) विप्रवर स्नान कर चढ़ा सलिल, शिव पर दूर्वा दल तण्डुल, तिल।
उत्तर:
(अ) काव्यगत विशेषताएँ-
- यह धरती का शाश्वत सत्य है कि जो जैसा करता है उसी के अनुसार फल मिलता है।
- छन्द-नवीन प्रकार की अतुकान्त छन्द।
- भाषा-संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली।
- शैली-आलंकारिक, भावात्मक।
- अलंकार-रूपक और अनुप्रास।
- गुण-माधुर्य।
- रस-शान्त ।
(ब) काव्यगत विशेषताएँ–
- कवि ने मानव समाज की दयनीय दशा एवं थोथे आडम्बरों का सजीव चित्रण किया है।
- भाषा-संस्कृतनिष्ठ एवं साहित्यिक खड़ीबोली।
- अलंकार-अनुप्रास।
- छन्द-तुकान्त।
- रस-शान्त
- गुण–प्रसाद।
2. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार का नाम बताइए
(अ) जीता ज्यों जीवन से उदास।
(ब) भाषा भावों के छन्द बद्ध।
(स) कहते कपियों के जोड़ हाथ।
उत्तर :
(अ) अनुप्रास,
(ब) अनुप्रास,
(स) अनुप्रास।
3. निम्नलिखित में समास-विग्रह करते हुए समास का नाम बताइए l
उत्तर :
- कृष्णकाय = कृष्ण काय = कर्मधारय
- दूर्वादल = दूर्वादल (हरीघास) = कर्मधारय
- सरिता-मज्जन = सरिता में मज्जन = अधिकरण तत्पुरुष
- रामभक्त = राम का भक्त = सम्बन्ध तत्पुरुष