UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 11 Solution – अच्छा होता, सितारा संगीत की रात

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उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के पद्य खंड में केदारनाथ अग्रवाल जी की दो महत्वपूर्ण कविताएँ “अच्छा होता” और “सितार संगीत की रात” शामिल हैं। इन कविताओं में कवि ने अपने विचारों और अनुभवों को बड़ी ही सुंदरता से प्रस्तुत किया है। “अच्छा होता” कविता में एक आदर्श मनुष्य की कल्पना की गई है जो दूसरों के लिए जीता है, जबकि “सितार संगीत की रात” में सितार की मधुर ध्वनि का मनमोहक वर्णन किया गया है। ये कविताएँ केदारनाथ अग्रवाल जी की गहरी सामाजिक समझ और कला के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती हैं।

UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 11

UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 11 Solution

SubjectHindi (काव्य खंड)
Class9th
Chapter11. अच्छा होता, सितारा संगीत की रात
Authorकेदारनाथ अग्रवाल
BoardUP Board

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :

(अ) अच्छा होता ……………………………………………………………………… कच्चा होता।

उत्तर:

  • संदर्भ: यह पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित ‘अच्छा होता’ कविता से ली गई हैं।
  • प्रसंग: इन पंक्तियों में कवि एक आदर्श समाज की कल्पना करते हैं, जहाँ मनुष्य निःस्वार्थ और सदाचारी हो।
  • व्याख्या: कवि मानते हैं कि समाज के लिए यह उत्तम होता यदि मनुष्य एक-दूसरे के हित में कार्य करते। वे चाहते हैं कि लोग स्वार्थी न होकर परोपकारी बनें। उनका आचरण निर्मल और निष्कलंक हो। कवि सद्चरित्र की महत्ता पर बल देते हैं, क्योंकि एक सच्चरित्र व्यक्ति ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। वे ऐसे समाज की आकांक्षा करते हैं जहाँ सामान्य जन को कोई कष्ट न हो।

काव्यगत सौंदर्य:

  • भाषा सरल और प्रभावशाली है।
  • कवि ने विरोधाभासी शब्दों का प्रयोग किया है, जैसे ‘पक्का’ और ‘कच्चा’।
  • समाज सुधार का संदेश स्पष्ट है।

(ब) अच्छा होता ……………………………………………………………………… बराती होता।

उत्तर:

  • संदर्भ: ये पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल की ‘अच्छा होता’ कविता से ली गई हैं।
  • प्रसंग: कवि यहाँ एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जहाँ मानवता, सहानुभूति और परोपकार का बोलबाला हो।
  • व्याख्या: कवि कहते हैं कि कितना अच्छा होता यदि मनुष्य एक-दूसरे के लिए बलिदान देने को तत्पर रहते। वे चाहते हैं कि लोग एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहभागी बनें। कवि वर्तमान समाज की बुराइयों जैसे बेईमानी, हिंसा और स्वार्थपरता पर चिंता व्यक्त करते हैं। वे एक शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण समाज की कामना करते हैं जहाँ लोग एक-दूसरे के उत्सव में खुशी से शामिल हों।

काव्यगत सौंदर्य:

  • सरल भाषा में गहन विचारों की अभिव्यक्ति।
  • ‘बराती’ शब्द का प्रयोग समाज में एकता और खुशी का प्रतीक है।
  • मानवीय मूल्यों पर बल।

(स) आग के ओंठ ………………………………………………… चन्द्रमा के साथ।

उत्तर:

  • संदर्भ: यह पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल की रचना ‘सितार-संगीत की रात’ से ली गई हैं।
  • प्रसंग: कवि यहाँ सितार की मधुर ध्वनि का वर्णन कर रहे हैं।
  • व्याख्या: कवि सितार के संगीत को एक जादुई अनुभव के रूप में चित्रित करते हैं। वे कहते हैं कि जब सितार बजता है, तो उसकी ध्वनि मानो मधुर पुष्प की पंखुड़ियों को खोलती है। सितार वादक की अंगुलियाँ तारों पर इस तरह नृत्य करती हैं जैसे वे जीवंत हों। रात्रि के आकाश में चंद्रमा के साथ यह संगीत अद्भुत सौंदर्य उत्पन्न करता है। कवि सितार की ध्वनि को अग्नि के ओंठों से निकलने वाली ध्वनि के समान तीव्र और भावपूर्ण बताते हैं।

काव्यगत सौंदर्य:

  • रूपक अलंकार का प्रयोग: ‘आग के ओंठ’ में सितार की ध्वनि की तीव्रता दर्शाई गई है।
  • उत्प्रेक्षा अलंकार: ‘अंगुलियाँ नृत्य करती हैं’ में सितार वादन की कुशलता का वर्णन है।
  • प्रकृति और संगीत का सुंदर समन्वय।

(द) शताब्दियाँ …………………………………………………………… विचरण करती हैं।

उत्तर:

  • संदर्भ: ये पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल की ‘सितार-संगीत की रात’ कविता से ली गई हैं।
  • प्रसंग: कवि संगीत के अलौकिक प्रभाव का वर्णन कर रहे हैं।
  • व्याख्या: कवि संगीत के माध्यम से काल की सीमाओं को लांघते हुए दिखाते हैं। वे कहते हैं कि इस संगीत में शताब्दियों का ज्ञान छिपा है, मानो वे आकाश की खिड़कियों से झाँक रही हों। यह संगीत युवा ऊर्जा से भरा है। आनंद रूपी हंस मानो दूध के समान शुद्ध और शांत वातावरण में तैर रहा है। कवि कल्पना करते हैं कि धरती की सरस्वती (ज्ञान और कला की देवी) हंस पर सवार होकर काव्य के लोक में विचरण कर रही हैं, जो संगीत और काव्य के अटूट संबंध को दर्शाता है।

काव्यगत सौंदर्य:

  • मानवीकरण: शताब्दियों को मानवीय गुण देना।
  • रूपक अलंकार: ‘हर्ष रूपी हंस’ में आनंद की तुलना हंस से की गई है।
  • पौराणिक संदर्भ: सरस्वती और हंस का उल्लेख भारतीय संस्कृति से जुड़ाव दर्शाता है।

प्रश्न 2. केदारनाथ अग्रवाल की जीवनी एवं रचनाओं का परिचय दीजिए।
अथवा, केदारनाथ की साहित्यिक सेवाओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: केदारनाथ अग्रवाल जी का जन्म 1911 में बाँदा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के प्रगतिशील कवियों में से एक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक विषमता, शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘युग की गंगा’, ‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’, ‘आग का आईना’ और ‘पुष्प की अभिलाषा’ शामिल हैं। उनकी कविताओं में प्रकृति और मानव जीवन का गहरा संबंध दिखाई देता है।

केदारनाथ जी की भाषा सरल, सहज और जनसामान्य के करीब थी। उन्होंने अपनी रचनाओं में तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण किया। उनकी शैली में बिंब, प्रतीक और अलंकारों का सटीक प्रयोग मिलता है। उन्होंने छायावादी काव्यधारा से प्रभावित होकर भी प्रगतिवादी विचारधारा को अपनाया। उनकी कविताएँ सामाजिक चेतना जागृत करने में सफल रही हैं।

केदारनाथ जी ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी और उसे जन-जन तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उनकी रचनाओं ने न केवल साहित्य को समृद्ध किया बल्कि समाज को भी एक नया दृष्टिकोण दिया। उनका निधन 2000 में हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं।

प्रश्न 3. ‘अच्छा होता’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: केदारनाथ अग्रवाल जी की ‘अच्छा होता’ कविता एक आदर्श समाज की कल्पना प्रस्तुत करती है। कवि मानते हैं कि यदि लोग एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देते, तो समाज कितना बेहतर होता। वे चाहते हैं कि मनुष्य निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करे और अपना आचरण निर्मल रखे।

कविता में स्वच्छ नैतिकता और सच्चे मानवीय मूल्यों पर बल दिया गया है। कवि ईमानदारी और जनहित को महत्वपूर्ण मानते हैं। वे समाज से ठगी, हिंसा और स्वार्थपरता को दूर करने की आकांक्षा रखते हैं।

अग्रवाल जी का मानना है कि जब व्यक्ति और समाज नैतिक मूल्यों पर चलेंगे, तभी राष्ट्र प्रगति कर सकेगा। यह कविता पाठकों को एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है, जहाँ सहानुभूति, परोपकार और शांति का वास हो।

प्रश्न 4. ‘सितार-संगीत की रात’ कविता का सारांश एवं मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : केदारनाथ अग्रवाल जी की ‘सितार-संगीत की रात’ कविता संगीत की मोहक शक्ति का वर्णन करती है। कवि सितार की ध्वनि को एक जादुई अनुभव के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे कहते हैं कि जब सितार बजता है, तो उसकी मधुर ध्वनि मानो फूलों की पंखुड़ियों को खोलती है, जो संगीत की कोमलता और सौंदर्य का प्रतीक है।

कवि सितार वादक की अंगुलियों के कौशल की तुलना नृत्य से करते हैं, जो संगीत और नृत्य के बीच के गहरे संबंध को दर्शाता है। वे संगीत के आनंद को हंस के रूप में चित्रित करते हैं, जो शुद्धता और शांति का प्रतीक है। सरस्वती का उल्लेख ज्ञान, कला और संगीत के बीच के अटूट संबंध को दर्शाता है।

कविता का मूल भाव संगीत की सार्वभौमिक और कालातीत प्रकृति को उजागर करना है। यह दर्शाती है कि संगीत न केवल श्रोताओं को आनंदित करता है, बल्कि उन्हें एक उच्च चेतना के स्तर तक ले जाता है, जहाँ समय और स्थान की सीमाएँ मिट जाती हैं। कवि संगीत को एक ऐसे माध्यम के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो मनुष्य को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्कर्ष की ओर ले जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘अच्छा होता’ में कवि ने मनुष्य की किन विशेषताओं को उजागर किया है?

उत्तर: ‘अच्छा होता’ कविता में कवि ने मनुष्य की सचरित्रता, ईमानदारी और नि:स्वार्थता को उजागर किया है। कवि यह बताता है कि अगर मनुष्य इन गुणों को अपनाए, तो वह अपने जीवन में सही मार्ग पर चल सकेगा और समाज में शांति व सद्भाव स्थापित होगा।

प्रश्न 2. ‘सितार-संगीत की रात’ कविता के आधार पर संगीत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।

उत्तर: ‘सितार-संगीत की रात’ में संगीत की मधुर ध्वनियाँ मानो जीवन को सौंदर्य और आनंद से भर देती हैं। इसका प्रभाव इतना गहरा होता है कि यह मनुष्य के हृदय को प्रसन्न करता है, और सरस्वती जैसी दिव्य शक्तियाँ मानो उस संगीत में विचरण करने लगती हैं।

प्रश्न 3. ‘शहद की पंखुड़ियों’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर: ‘शहद की पंखुड़ियों’ से कवि का आशय उस मिठास और सौंदर्य से है जो जीवन और कला में निहित है। यह प्रतीक है उस कोमलता और सुखद अनुभव का जो संगीत से उत्पन्न होता है।

प्रश्न 4. ‘शताब्दियाँ झाँकती हैं’ कवि के इस कथन में छिपे भाव की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: ‘शताब्दियाँ झाँकती हैं’ का तात्पर्य है कि हमारे वर्तमान में अतीत की गहराइयाँ झलकती हैं। कवि यह बताना चाहता है कि समय के साथ बीते हुए अनुभव और घटनाएँ आज भी हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 5. ‘हृदय की थाती’ का आशय समझाइए।

उत्तर: ‘हृदय की थाती’ से कवि का तात्पर्य है- वे भावनाएँ और विचार जो हृदय के अत्यंत प्रिय होते हैं। यह वह अमूल्य धरोहर है जिसे मनुष्य अपने भीतर संजो कर रखता है।

प्रश्न 6. ‘चरित्र का कच्चा’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: ‘चरित्र का कच्चा’ का तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिसका चरित्र पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है। कवि यह कहना चाहता है कि ऐसे व्यक्ति को अपने आचरण और मूल्यों में सुधार करना चाहिए।

प्रश्न 7. ‘कौमार्य बरसता है’ शब्दों द्वारा कवि क्या बताना चाहता है?

उत्तर: ‘कौमार्य बरसता है’ से कवि शुद्धता, पवित्रता और नैसर्गिकता की ओर इशारा करता है। यह शब्द उस नई ऊर्जा और मासूमियत को व्यक्त करता है जो किसी नवयुवक में होती है।

प्रश्न 8. ‘मौत का बाराती’ कहने का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: ‘मौत का बाराती’ से कवि यह बताना चाहता है कि समाज में बढ़ती हिंसा और निर्दोष लोगों की मौतें ऐसा माहौल बना रही हैं मानो हम किसी विध्वंसक यात्रा के सहभागी बन गए हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. केदारनाथ अग्रवाल किस काल के कवि हैं?

उत्तर: केदारनाथ अग्रवाल आधुनिक काल के प्रसिद्ध कवि हैं।

प्रश्न 2. केदारनाथ अग्रवाल मूलतः कवि हैं या लेखक?

उत्तर: केदारनाथ अग्रवाल मूलतः एक प्रसिद्ध कवि हैं।

प्रश्न 3. केदारनाथ अग्रवाल किस धारा के कवि हैं?

उत्तर: वे समकालीन धारा के कवि माने जाते हैं।

प्रश्न 4. ‘अच्छा होता’ कविता में ‘ठगैता ठाकुर’ का अर्थ क्या है?

उत्तर: ‘ठगैता ठाकुर’ से तात्पर्य समाज में फैली ठगी और धोखाधड़ी से है।

प्रश्न 5. ‘हर्ष का हंस’ में अलंकार बताइए।

उत्तर: इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 6. ‘अच्छा होता’ कविता कवि के किस काव्य में संकलित है?

उत्तर: ‘अच्छा होता’ कविता केदारनाथ अग्रवाल के काव्य संग्रह ‘अपूर्वा’ में संकलित है।

प्रश्न 7. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए

(अ) अच्छा होता’ कविता में कवि ने नैतिक मनुष्य की अभिलाषा की है। (✓)
(ब) ‘अच्छा होता’ कविता में कवि ने मनुष्य को ठगैत ठाकुर बताया है। (✗)
(स) दगैल-दागी मनुष्य ही नियति का सच्चा होता है। (✗)
(द) अनंत की खिड़कियों से शताब्दियाँ झाँकती हैं। (✓)

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध

1. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए

(अ) अगर आदमी आदमी के लिए।
(ब) राग पर राग करते हैं किलोल।
(स) संगीत के समारोह में कौमार्य बरसता है।
(द) हर्ष का हंस दूध पर तैरता है।

उत्तर :

(अ) काव्य-सौन्दर्य-

  • यदि आदमी आदमी के लिए जिये-मरे तथा उसके सुख-दु:ख का साथी बना रहे तो यह समाज खुशहाल बन सकता है।
  • अलंकार-अनुप्रास
  • भाषा-सरल एवं बोधगम्य।

(ब) काव्य-सौन्दर्य-

  • जब बीणा या सितार के बोल निकलते हैं तो यह अत्यन्त आकर्षक होता है।
  • राग पर राग में अनुप्रास अलंकार है।
  • भाषा-सरल, सहज एवं बोधगम्य

(स) काव्य-सौन्दर्य-

  • संगीत के समारोह में कौमार्य स्पष्ट झलकता है।
  • संगीत के समारोह में अनुप्रास अलंकार है।
  • भाषा–सरल एवं स्वाभाविक है।

(द) काव्य-सौन्दर्य-

  • हर्ष रूपी हंस मानो दूध पर तैर रहा है।
  • हर्ष का हंस में अनुप्रास अलंकार है।
  • भाषा-सहज एवं स्वाभाविक है।

2. ‘आग के ओंठ’ का काव्य-सौन्दर्य बताइए।

उत्तर :

काव्य-सौन्दर्य-

  • ऐसा ओंठ जिससे आग की भाँति वचन निकलते हों।
  • आग के ओंठ में अनुप्रास अलंकार है।
  • भाषा-सरल एवं बोधगम्य।

3. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थायी भाव सहित रस का नाम लिखिए–

(अ) शताब्दियाँ झाँकती हैं, अनंत की खिड़कियों से।
(ब) हर्ष का हंस दूध पर तैरता है, जिस पर सवार भूमि की सरस्वती काव्य लोक में विचरण करती हैं।

उत्तर :

(अ) शान्त रस-निर्वेद
(ब) श्रृंगार रस-रति

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