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यह अध्याय संत कवियों कबीर और रहीम के नीतिपरक दोहों पर आधारित है। इन दोहों में जीवन के महत्वपूर्ण पाठ व आदर्शों को सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। कबीर के दोहे हमें अहिंसा, मधुर वाणी का महत्व, आत्मनिरीक्षण, सत्संग का महत्व और धीरज रखने की शिक्षा देते हैं। वहीं रहीम के दोहे हमें परोपकार की भावना, विनम्रता, समयपालन का महत्व और सत्य बोलने की हिम्मत रखने का संदेश देते हैं।
UP Board Class 6 Hindi Manjari Chapter 4
Subject | Hindi (Manjari) |
Class | 6th |
Chapter | 4. नीति के दोहे |
Author | रहीम |
Board | UP Board |
पाठ से
प्रश्न 1. नीचे कुछ वाक्य लिखे गए हैं। इनसे सम्बन्धित दोहों को उसी क्रम में लिखिए –
(क) मधुर वाणी औषधि का काम करती है तथा कठोर वाणी तीर की तरह मन को बेध देती है।
उत्तर :- मधुर बचन है औषधि, कटुक बचन है तीर। सेवन द्वार हुवै संचरे, सालै सकल सरीर।
(ख) कोई भी कार्य समय पर ही होता है।
उत्तर :-
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।।
(ग) अपने दुख को कहीं उजागर नहीं करना चाहिए।
उत्तर :-
रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो जोय।
सुनी अटिलैहें लोग सब, बॉटि न लैहें कोय।।
(घ) परोपकार करने वाले लोग प्रशंसनीय होते हैं।
उत्तर :-
वें रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग।।
(ङ) दूसरे लोगों में बुराई देखना ठीक नहीं।
उत्तर :-
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा ना मिलिया कोय।।
जो दिल खोजा आपनो, मुझ-सा बुरा ना कोय ।।
प्रश्न 2. निम्नांकित पंक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :-
प्रश्न 3. माली के दुवारा लगातार पेड़ों को सींचने पर भी फल क्यों नहीं आते हैं?
उत्तर :- क्योंकि कोई भी काम अपने समय पर होता है। घबराने से कुछ नहीं होता।
प्रश्न 4. अपने मन की व्यथा को अपने मन में ही क्यों रखना चाहिए?
उत्तर :- क्योंकि कोई भी हमारी व्यथा कम नहीं करता, बल्कि हमारी हँसी उड़ाता है।
भाषा की बात।
प्रश्न 1. ‘स्रवन द्वार ह्वै संचरे, सालै सकल सरीर’ पंक्ति में ‘स’ वर्ण की आवृत्ति कई बार होने से कविता की सुन्दरता बढ़ गयी है। जहाँ एक वर्ण की आवृत्ति बार-बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। अनुप्रास अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण पुस्तक से ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर :-
- धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।।
- रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
प्रश्न 2.
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानस चून।।
उपर्युक्त दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं –
मोती के अर्थ में – कांति (चमक)
मनुष्य के अर्थ में – प्रतिष्ठा, सम्मान
चूने के अर्थ में – जल
एक ही शब्द के कई अर्थ होने से यहाँ श्लेष अलंकार है। श्लेष अलंकार का एक और उदाहरण दीजिए।
उत्तर :- मंगन को देखि ‘पट’ देत बार-बार है।
यहाँ ‘पट’शब्द के दो अर्थ हैं – कपड़ा और द्वार। इसमें श्लेष अंलकार है। ‘श्लेष’ का अर्थ होता है। ‘चिपका होना’ अर्थात् जहाँ एक ही शब्द में कई अर्थ चिपके हों।
प्रश्न 3. पाठ में आये निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए (रूप लिखकर) –
प्रश्न 4. कुछ ऐसे शब्द होते हैं, जिनके अलग-अलग अर्थ होते हैं, जैसे – ‘तीर’ का अर्थ है ‘बाण’ और ‘नदी’ का किनारा निम्नलिखित शब्दों के दो-दो अर्थ लिखिए (अर्थ लिखकर) –
उत्तर :-
- पट – कपड़ा, द्वार (दरवाजा)
- दर – दरवाजा (चौखट), दरबार
- कर – हाथ, एक क्रिया (करना)
- जड़ – किसी वनस्पति का वह भाग जो जमीन के अन्दर रहे, मूर्ख,
- गोली – बन्दूक या तमंचे से निकलने वाली घातक वस्तु, कंचा
- सारंग – सिंह, हाथी