Bihar Board Class 7 Civics chapter 9 solutions are available for free here. On this page, you will have a comprehensive guide on chapter 9 – “बाजार श्रृंखला खरीदने और बेचने की कड़ियाँ” in hindi medium.
बिहार बोर्ड की कक्षा 7 की नागरिक शास्त्र की पुस्तक का नौवां अध्याय “बाजार श्रृंखला: खरीदने और बेचने की कड़ियां” बाजार में वस्तुओं के आवागमन की प्रक्रिया को समझाता है। यह अध्याय बताता है कि किस प्रकार किसी भी वस्तु को उत्पादक से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचाने में कई मध्यस्थों की भूमिका होती है। इसमें उन सभी कड़ियों पर विचार किया गया है जो वस्तु को उत्पादित करने से लेकर उसे उपभोक्ता तक पहुंचाने में शामिल होती हैं। साथ ही, बाजार श्रृंखला में शामिल लोगों की भूमिकाओं और चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है।
Bihar Board Class 7 Civics Chapter 9 Solutions
Subject | Civics |
Class | 7th |
Chapter | 9. बाजार श्रृंखला खरीदने और बेचने की कड़ियाँ |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्नों के उत्तर दें-
प्रश्न 1. सलमा को सहकारी समिति से तालाब क्यों नहीं मिला?
उत्तर- सलमा को सहकारी समिति से तालाब नहीं मिला, क्योंकि सहकारी समितियाँ आमतौर पर छोटे मछुआरों को छोटे तालाब नहीं देतीं। ये समितियाँ बड़े तालाबों का आंशिक हिस्सा प्रदान करती हैं, जिसके लिए काफी पूंजी की आवश्यकता होती है। सलमा के पास इतनी बड़ी पूंजी नहीं थी, इसलिए उसे तालाब नहीं मिला।
प्रश्न 2. सलमा सहकारी समिति से तालाब लेती तो क्या फर्क पड़ता?
उत्तर- अगर सलमा सहकारी समिति से तालाब लेती, तो उसे एक बड़ा तालाब लेना पड़ता, क्योंकि ये समितियाँ छोटे मछुआरों को छोटे तालाब नहीं देतीं। बड़े तालाब लेने के लिए उसे अधिक कर्ज लेना पड़ता। छोटे मछुआरों के लिए इतनी बड़ी पूंजी जुटाना मुश्किल होता है। इस तरह, सलमा को सहकारी समिति से तालाब नहीं मिला, क्योंकि वह इसके लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थी।
प्रश्न 3. सलमा को इस बार अच्छे फसल की उम्मीद क्यों थी?
उत्तर- पिछले साल बाढ़ आने से सलमा के तालाब में मखाना के बीज बह गए थे, जिससे उत्पादन काफी कम हुआ था। लेकिन इस बार बाढ़ नहीं आई थी। इसके अलावा, सलमा ने मखाना की खेती में बहुत मेहनत की थी। उसने समय पर कीटनाशक, खाद और पानी का उचित प्रबंध किया था। इन कारणों से सलमा को इस बार अच्छे मखाना फसल की उम्मीद थी।
प्रश्न 4. सलमा ने मखाने की फसल के लिए क्या-क्या तैयारी की?
उत्तर- सलमा ने मखाना की फसल के लिए कई तैयारियाँ की:
- उसने तालाब में अच्छी गुणवत्ता वाले खाद का प्रयोग किया।
- उसने कीटनाशक का प्रयोग किया ताकि फसल को कीड़ों से बचाया जा सके।
- उसने पानी की उचित व्यवस्था की।
- उसने मखाना की खेती में बहुत मेहनत की।
इन सभी तैयारियों के कारण, सलमा को इस बार अच्छी मखाना फसल की उम्मीद थी।
प्रश्न 5. तालाब से गुड़ी निकालने का काम कौन करता है?
उत्तर- तालाब से गुड़ी निकालने का काम मछुआरे ही करते हैं। ये लोग इस काम में बहुत कुशल होते हैं। गुड़ी निकालने के लिए कई लोगों की आवश्यकता होती है, क्योंकि उन्हें तालाब के अंदर जाकर गुड़ी को निकालना होता है। यह काम तीन बार में किया जाता है, और प्रत्येक बार में गुड़ी की मात्रा कम होती जाती है, क्योंकि पहली बार में ज्यादा गुड़ी निकलती है।
प्रश्न 6. गुड़ी में मखाना कैसे बनाया जाता है? अपने शब्दों में समझाओ।
उत्तर: मखाना बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और इसमें विशेष कौशल एवं मेहनत की आवश्यकता होती है। सबसे पहले गुडिया को कड़ाही में गर्म बालू के साथ भुना जाता है। जब गुडिया बहुत गर्म हो जाती हैं, तब उन्हें कड़ाही से निकालकर पीठ पर रखा जाता है और फिर लकड़ी के हथौड़े से उन्हें जोर-जोर से पीटा जाता है। इस प्रक्रिया से गुडिया से एक लावा निकलता है, जिसे मखाना कहा जाता है। इस प्रक्रिया में बहुत सावधानी और तकनीकी दक्षता की आवश्यकता होती है, क्योंकि गलती से गुडियों को नष्ट किया जा सकता है।
प्रश्न 7. मखाने बनाने तक सलमा ने किन-किन चीजों पर खर्च किया। सची बनाओ।
उत्तर: मखाने बनाने तक सलमा ने निम्नलिखित चीजों पर खर्च किया:
- तालाब का किराया: 15 कटठे तालाब को 400 रुपये प्रति वर्ष की दर से किराए पर लिया, जिसके लिए उसे अपने रिश्तेदारों से कर्ज लेना पड़ा।
- खाद और कीटनाशक: तालाब में उत्पादकता बढ़ाने के लिए खाद और कीटनाशकों का उपयोग किया।
- मजदूरी: तालाब से गुडिया निकलवाने के लिए मजदूरों को 6,800 रुपये का भुगतान किया।
- लावा निकालने का खर्च: गुडियों से लावा निकालने पर भी काफी खर्च आया।
इस प्रकार, सलमा ने मखाना बनाने के लिए कई प्रकार के खर्च किए, जिससे उसका लाभ कम हो गया।
प्रश्न 8. सलमा को मखाना बेचने की जल्दी क्यों थी?
उत्तर: सलमा को मखाना बेचने की जल्दी निम्नलिखित कारणों से थी:
- जगह की कमी: सलमा के पास मखाना रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी, इसलिए वह मूल्य बढ़ने तक मखाना नहीं रख सकती थी।
- कर्ज चुकाना: सलमा ने तालाब किराए पर लेने के लिए अपने रिश्तेदारों से कर्ज लिया था, इसलिए उसे कर्ज चुकाना था।
- तालाब का किराया: सलमा को तालाब के मालिक को तालाब का किराया भी देना था।
इन कारणों से सलमा को मखाना को जल्दी से बेचना पड़ा, भले ही उसे उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाया।
प्रश्न 9. सलमा ने जो सोचा था क्या उसे वह पूरा कर सकती है? चर्चा करें।
उत्तर: सलमा ने कुछ यह सोचा था:
- इस बार बाढ़ नहीं आने के कारण मखाना की उपज अच्छी होगी।
- मखाना का बाजार निरंतर बढ़ रहा है और मखाना आधारित उद्योगों में मखाने से महंगे उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
- अच्छी कीमत मिलने पर वह अपने टूटे घर की मरम्मत करवा लेगी और अगले साल बिना कर्ज लिए मखाना खेती कर लेगी।
- हालांकि, जब सलमा ने अपना मखाना आढ़तिए को बेच दिया, तो उसे बहुत कम कीमत मिली क्योंकि मखाना का उत्पादन बहुत अच्छा हुआ था। इससे उसका लाभ काफी कम हो गया और वह अपने सोचे हुए काम जैसे घर की मरम्मत और बिना कर्ज के मखाना खेती नहीं कर पाई। वह सिर्फ 500 रुपये का फायदा कमा सकी, जबकि उसका कुल खर्च 15,000 रुपये था।
इस प्रकार, सलमा का सोचा हुआ काम पूरा नहीं हो पाया क्योंकि बाजार की स्थिति अनुकूल नहीं थी और उसे अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया।
प्रश्न 10. अपने आस-पास के अनुभवों द्वारा पता करें कि छोटे किसान अपना उत्पादन किन्हें बेचते हैं ? उन्हें किन समस्याओं का सामना करना होता है ?
उत्तर: छोटे किसान आमतौर पर अपना उत्पादन आढ़तियों को बेचते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि उनके पास मंडी तक अपना उत्पाद पहुंचाने के साधन नहीं होते, और उनके पास पर्याप्त पूंजी भी नहीं होती। उन्हें अपने कर्ज को चुकाने के लिए तुरंत नकद की जरूरत होती है, इसलिए वे अपना उत्पाद आढ़तिए को बेच देते हैं।
इससे छोटे किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलता, क्योंकि आढ़तिया मंडी में उच्च मूल्य पर बेचकर ज्यादा लाभ कमाता है और किसानों को कम मूल्य देता है।
आढ़तिए कई बार कम दामों पर ही किसानों से उत्पाद खरीद लेते हैं और फिर मूल्य बढ़ने पर महंगे में बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाते हैं।
किसानों को अपना उत्पाद मंडी तक ले जाने के लिए परिवहन का खर्च भी वहन करना पड़ता है, जो उनके लिए बोझ बन जाता है।
इन समस्याओं से छोटे किसानों को निपटना मुश्किल हो जाता है और वे अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं पा पाते।
प्रश्न 11. मखाने की खेती करने वाले किसान अपनी फसल को खुद मंडी में ले जाकर क्यों नहीं बेचते?
उत्तर: मखाने की खेती करने वाले किसान अपनी फसल को खुद मंडी में ले जाकर नहीं बेचते, क्योंकि उनके पास कई बाधाएं होती हैं:
- जमीन की कमी: अधिकतर मखाने की खेती करने वाले किसानों के पास अपना तालाब नहीं होता, वे किराए पर तालाब लेकर मखाना उगाते हैं। इससे उनके खर्च बढ़ जाते हैं।
- अन्य खर्च: मखाना उगाने के लिए उन्हें खाद, कीटनाशक, मजदूरी, गुडिया निकलवाने और लावा निकालने का खर्च भी करना पड़ता है। ये सभी खर्च बहुत अधिक होते हैं।
- तुरंत नकदी की आवश्यकता: किसानों को अपने खर्चों को पूरा करने और कर्ज चुकाने के लिए तुरंत नकद की जरूरत होती है। इसलिए वे मखाना आढ़तिए को तुरंत बेच देते हैं।
- मंडी तक ले जाने का खर्च: मखाना मंडी तक पहुंचाने के लिए उन्हें परिवहन का खर्च भी वहन करना पड़ता है, जो उनके लिए बोझ बन जाता है।
इन कारणों से मखाना उगाने वाले किसान अपना उत्पाद आढ़तिए को ही बेच देते हैं।
प्रश्न 12. थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी में क्या अंतर है?
उत्तर: थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी के बीच प्रमुख अंतर निम्नानुसार हैं:
- खरीद-बिक्री की मात्रा: थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में सामान खरीदते और बेचते हैं, जबकि खुदरा व्यापारी छोटी मात्रा में सामान खरीदते और बेचते हैं।
- लाभ का प्रतिशत: थोक व्यापारी 10-12 रुपये प्रति किलो का लाभ लेकर खुदरा व्यापारियों को सामान बेचते हैं। जबकि खुदरा व्यापारी 30-40 रुपये प्रति किलो का लाभ लेकर उपभोक्ताओं को सामान बेचते हैं।
- कुल लाभ: थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में कारोबार करने के कारण कुल लाभ अधिक कमाते हैं, जबकि खुदरा व्यापारी छोटी मात्रा में कारोबार करने के कारण कुल लाभ कम कमाते हैं।
- व्यापार का स्तर: थोक व्यापारी का व्यापार बड़े पैमाने पर होता है, जबकि खुदरा व्यापारी का व्यापार छोटे पैमाने पर होता है।
इस प्रकार, थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी में व्यापार की मात्रा, लाभ का प्रतिशत और कारोबार के स्तर में महत्वपूर्ण अंतर है।
प्रश्न 13. थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी में कौन अधिक लाभ कमाता है और क्यों?
उत्तर: थोक व्यापारी खुदरा व्यापारी की तुलना में अधिक लाभ कमाता है। इसके प्रमुख कारण निम्नानुसार हैं:
- बड़ी मात्रा में खरीद-बिक्री: थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में सामान खरीदता और बेचता है। इससे उसे प्रति इकाई लाभ कम होने पर भी, कुल लाभ अधिक होता है।
- कम लागत: थोक व्यापारी सामान को सीधे उत्पादक से या फैक्ट्री से खरीदता है। इससे उसकी लागत कम होती है। जबकि खुदरा व्यापारी सामान को थोक व्यापारी से खरीदता है, जिससे उसकी लागत बढ़ जाती है।
- अधिक कमीशन: थोक व्यापारी खुदरा व्यापारियों को सामान बेचकर 10-12 रुपये प्रति किलो का कमीशन लेता है, जबकि खुदरा व्यापारी उपभोक्ताओं को 30-40 रुपये प्रति किलो का लाभ लेता है।
- व्यापार का पैमाना: थोक व्यापारी का व्यापार बड़े पैमाने पर होता है, जबकि खुदरा व्यापारी का व्यापार छोटे पैमाने पर होता है। इससे थोक व्यापारी को अधिक लाभ प्राप्त होता है।
इन कारणों से थोक व्यापारी खुदरा व्यापारी की तुलना में अधिक लाभ कमाता है।
प्रश्न 14. आपके घर पर उपयोग की जाने वाली किन्हीं दो वस्तुओं के बारे में पता करें कि वे किन कड़ियों से गुजरकर आपके पास पहुंचती है?
उत्तर:
(i) चावल:
किसान → स्थानीय चावल मिल → स्थानीय छोटे व्यापारी → स्थानीय थोक व्यापारी → बड़े शहर के थोक व्यापारी → खुदरा व्यापारी → उपभोक्ता
(ii) गेहूं:
किसान → स्थानीय छोटे व्यापारी → स्थानीय मंडी के थोक व्यापारी → बड़े शहर के थोक व्यापारी → खुदरा व्यापारी → उपभोक्ता
इस प्रकार, चावल और गेहूं जैसी वस्तुएं किसान से लेकर खुदरा व्यापारी तक कई कड़ियों से होकर उपभोक्ता तक पहुंचती हैं।
प्रश्न 15. क्या इस बेहतर भाव का लाभ उत्पादक को प्राप्त हो सकता है? यदि हाँ तो कैसे?
उत्तर: हाँ, उत्पादक को इस बेहतर भाव का लाभ प्राप्त हो सकता है। इसके लिए उत्पादक को निम्न कदम उठाने चाहिए:
- उत्पादक सीधे शहर के थोक व्यापारियों को अपना उत्पाद बेचें। इससे आढ़तिए द्वारा की जाने वाली कटौती से बचा जा सकता है।
- उत्पादक अपना उत्पाद सीधे मंडी में ले जाकर बेचें। इससे वे अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
- उत्पादक सामूहिक रूप से एकजुट होकर अपना उत्पाद बेचें। इससे उन्हें अधिक प्रभावी मोर्चा मिलेगा और वे अधिक लाभ कमा सकेंगे।
- सरकार द्वारा उत्पादकों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
- इन उपायों से उत्पादक को भी इस बेहतर भाव का लाभ प्राप्त हो सकता है।
अभ्यास के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. क्या सलमा को अपने मेहनत का उचित पारिश्रमिक प्राप्त हुआ? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर: नहीं, सलमा को अपने मेहनत का उचित पारिश्रमिक प्राप्त नहीं हुआ। इसके कई कारण हैं:
- तुरंत नकदी की आवश्यकता: सलमा को तुरंत नकदी की जरूरत थी क्योंकि उसे अपने रिश्तेदारों का कर्ज चुकाना था और तालाब का किराया देना था। इस वजह से उसने मखाना आढ़तिए को तुरंत बेच दिया, जिससे उसे उचित मूल्य नहीं मिल पाया।
- भंडारण की कमी: सलमा के पास मखाना रखने की पर्याप्त जगह नहीं थी। इसलिए वह मखाने को बाजार में बेचकर अधिक मूल्य प्राप्त करने का मौका नहीं छीन पाई।
- आढ़तिए द्वारा शोषण: आढ़तिए ने सलमा से मखाने को कम दाम पर ही खरीद लिया और फिर बाजार में महंगे दामों पर बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाया। इससे सलमा को उचित मूल्य नहीं मिल पाया।
- फसल की अच्छी उपज: आढ़तिए ने बताया कि इस बार मखाने की फसल बहुत अच्छी हुई है, इसलिए मूल्य नहीं बढ़ा। यह सलमा के लिए नुकसानदेह था।
इन कारणों से सलमा को अपने मेहनत का उचित पारिश्रमिक नहीं मिल पाया।
प्रश्न 2. आर्थिक रूप से सम्पन्न बड़े मखाना उत्पादक किसान अपने फसल को कहाँ बेचेंगे?
उत्तर: आर्थिक रूप से सम्पन्न बड़े मखाना उत्पादक किसान अपने फसल को शहरों के बड़े मंडियों में बेचेंगे। इसके कई कारण हैं:
- बेहतर मूल्य: शहरी बड़ी मंडियों में मखाने का मूल्य आढ़तियों की तुलना में अधिक होता है। बड़े किसानों के पास पहुंचने का लाभ उठाकर वे अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
- परिवहन की सुविधा: आर्थिक रूप से सम्पन्न बड़े किसानों के पास अपने उत्पाद को शहर की मंडी तक पहुंचाने के साधन हैं। इससे उन्हें परिवहन का अतिरिक्त खर्च नहीं उठाना पड़ता।
- भंडारण की सुविधा: बड़े किसानों के पास मखाना रखने की पर्याप्त जगह होती है। इससे वे अपने उत्पाद को बेहतर मूल्य प्राप्त होने तक रख सकते हैं।
- बाजार की जानकारी: बड़े किसानों के पास बाजार भाव की अच्छी जानकारी होती है। इससे वे अपने उत्पाद को सही समय पर बेचकर अधिक लाभ कमा सकते हैं।
इन कारणों से आर्थिक रूप से सम्पन्न बड़े मखाना उत्पादक किसान अपने उत्पाद को शहरी बड़ी मंडियों में बेचते हैं।
प्रश्न 3. मखाना उत्पादक किसान एवं उनसे जुड़े मजदूरों के काम के हालात और उन्हें प्राप्त होने वाले लाभ या मजदूरी का वर्णन करें ? क्या आप सोचते हैं कि उनके साथ न्याय होता है?
उत्तर: मखाना उत्पादक किसान और उनसे जुड़े मजदूरों की काम के हालात और उन्हें प्राप्त होने वाली मजदूरी या लाभ के बारे में निम्न बातें कही जा सकती हैं:
काम के हालात:
- मखाना उत्पादन करना, गुड़ियों से लावा निकालना बहुत कठिन और मेहनतकश काम है।
- गुड़ियों को तालाब से निकालना, उन्हें कड़ाही में भुनना और फिर लावा निकालना लंबी प्रक्रिया है।
- इस काम के लिए कुशल मजदूरों की आवश्यकता होती है।
मजदूरी और लाभ:
- छोटे मखाना किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिलता, क्योंकि वे आढ़तियों को सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हैं।
- गुड़ियों से लावा निकालने वाले मजदूरों को भी उनकी मेहनत के अनुपात में उचित मजदूरी नहीं मिलती। उन्हें केवल आधा किलो गुड़ी ही दी जाती है।
- इस प्रकार न तो किसानों को और न ही मजदूरों को उनके मेहनत का उचित लाभ प्राप्त होता है।
- इन पहलुओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मखाना उत्पादक किसानों और मजदूरों के साथ न्याय नहीं होता। उन्हें उनकी मेहनत के अनुरूप लाभ या मजदूरी नहीं मिलती।
प्रश्न 4. पीने के लिए चाय बनाने में चीनी और चाय पत्ती का प्रयोग होता है। आपस में चर्चा करें कि ये वस्तुएं बाजार की किस श्रृंखला से होते हुए आप तक पहुंचती हैं? क्या आप उन सब लोगों के बारे में सोच सकते हैं जिन्होंने इन वस्तुओं के उत्पादन एवं व्यापार में मदद की होगी?
उत्तर: चाय और चीनी की बाजार श्रृंखला निम्न प्रकार है:
चीनी:
किसान → चीनी मिल → थोक व्यापारी → खुदरा व्यापारी → उपभोक्ता
इस श्रृंखला में किसानों ने गन्ना उगाया, चीनी मिल में वे गन्ने का प्रसंस्करण कर चीनी तैयार करते हैं। फिर थोक व्यापारी इस चीनी को खरीदकर खुदरा व्यापारियों को बेचते हैं, और अंत में यह उपभोक्ताओं तक पहुंचती है।
चाय:
चाय कृषक → चाय गोदाम → थोक व्यापारी → खुदरा व्यापारी → उपभोक्ता
इस श्रृंखला में चाय कृषक चाय पत्तियां उगाते हैं, फिर इन्हें चाय गोदामों में भेजा जाता है, जहां से थोक व्यापारी इन्हें खरीदकर खुदरा व्यापारियों को बेचते हैं। अंत में यह उपभोक्ताओं तक पहुंचती है।
इन श्रृंखलाओं में कई लोगों का योगदान होता है – किसान, श्रमिक, मिल मालिक, परिवहनकर्ता, थोक व्यापारी, खुदरा व्यापारी आदि। इन सभी लोगों ने अपनी-अपनी भूमिका निभाकर इन वस्तुओं को उपभोक्ता तक पहुंचाने में मदद की है।
प्रश्न 5. यहाँ दिए गए कथनों का सही क्रम में सजाएं और फिर नीचे बने गोलों में सही क्रम के अंक भर दें। प्रथम दो गोलों में आपके लिए पहले से ही अंक भर दिये गये हैं।
- सलमा मखाना उपजाती है।
- स्थानीय आढ़तिया पटना के थोक व्यापारी को बेचता है।
- आशापुर में मखाना का लावा बनवाने लाती है।
- खाड़ी देशों को निर्यात करते हैं।
- दिल्ली के व्यापारियों को बेचते हैं।
- मजदूर गुड़ियों को इकट्ठा करते हैं।
- सलमा आशापुर के आढ़तियों को मखाना बेचती है।
- आशापुर में गुड़ियों से लावा बनाया जाता है।
- खुदरा व्यापारी को बेचते हैं।
- उपभोक्ता को प्राप्त होता है।
उत्तर:
- सलमा मखाना उपजाती है।
- मजदूर गुड़ियों को इकट्ठा करते हैं।
- आशापुर में गुड़ियों से लावा बनाया जाता है।
- आशापुर में मखाना का लावा बनवाने लाती है।
- सलमा आशापुर के आढ़तियों को मखाना बेचती है।
- स्थानीय आढ़तिया पटना के थोक व्यापारी को बेचता है।
- खुदरा व्यापारी को बेचते हैं।
- दिल्ली के व्यापारियों को बेचते हैं।
- खाड़ी देशों को निर्यात करते हैं।
- उपभोक्ता को प्राप्त होता है।