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बिहार बोर्ड की कक्षा 7 की नागरिक शास्त्र की पाठ्यपुस्तक का आठवां अध्याय “हमारे आस-पास के बाजार” बाजारों और उनके महत्व पर प्रकाश डालता है। यह अध्याय हमारे दैनिक जीवन में बाजारों की भूमिका को समझाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के बाजारों जैसे थोक बाजार, खुदरा बाजार, मेले आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही यह अध्याय उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के बीच संबंधों तथा बाजारों में व्याप्त समस्याओं पर भी चर्चा करता है।

Bihar Board Class 7 Civics Chapter 8 Solutions
Subject | Civics |
Class | 7th |
Chapter | 8. हमारे आस-पास के बाजार |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्नों के उत्तर दें-
प्रश्न 1. रामजी की दुकान से लोग किन-किन कारणों से सामान खरीदते हैं ?
उत्तर- रामजी की दुकान से लोग मुख्य रूप से निम्न कारणों से सामान खरीदते हैं:
- सुविधाजनक स्थान: रामजी की दुकान गाँव के निकट होने से लोगों को सामान खरीदने के लिए कम दूरी तय करनी पड़ती है।
- व्यक्तिगत संबंध: रामजी गाँव के अधिकांश लोगों को जानता है, इससे लोग उससे व्यक्तिगत संबंध बना लेते हैं और उससे आसानी से सामान लेते हैं।
- उधार सुविधा: अपने पुराने ग्राहकों को रामजी कभी-कभी उधार भी दे देता है, जो लोगों के लिए सुविधाजनक होता है।
- सामान-सामान की बदली: कुछ मामलों में रामजी सामान के बदले भी सामान देता है, जो लोगों को अच्छा लगता है।
- विश्वास: गाँववालों में रामजी पर विश्वास है कि वह उन्हें अच्छा सामान उचित दाम पर मुहैया कराएगा।
इन कारणों से लोग रामजी की दुकान से अपनी दैनिक जरूरतों का सामान खरीदते हैं।
प्रश्न 2. किराने के सामान के लिए जलहरा के कछ लोग ही रामजी की दुकान पर बार-बार आते हैं। ऐसा क्यों?
उत्तर- जलहरा गाँव में रामजी की दुकान के अलावा अन्य किराने की भी कुछ दुकानें हैं। लोग अपने घर से सबसे नजदीक स्थित दुकान पर आने-जाने के लिए आश्रित होते हैं। इसलिए जलहरा गाँव के कुछ लोग ही रामजी की दुकान पर बार-बार आते हैं, क्योंकि उनके घर से यह दुकान सबसे नजदीक है।
इसके अलावा, रामजी अपने पुराने ग्राहकों को कभी-कभी उधार भी दे देता है। ऐसे ग्राहक रामजी की दुकान पर ही सामान खरीदते रहते हैं।
प्रश्न 3. बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर महँगा मिलता है। उदाहरण देते हुए अपना मत रखिए।
उत्तर- यह सच है कि बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर उसका दाम प्रति इकाई अधिक होता है। उदाहरण के लिए, अगर हम 5 kg चीनी एक साथ खरीदते हैं तो उसकी कीमत हमें 225 रुपये यानि 45 रुपये प्रति kg मिलती है। लेकिन अगर हम 1 kg चीनी खरीदते हैं तो उसका दाम 50 रुपये प्रति kg हो सकता है।
इसका कारण यह है कि बड़ी मात्रा में खरीदने पर विक्रेता कम मार्जिन पर भी बिक्री करके लाभ कमा सकता है। जबकि छोटी मात्रा में खरीदने पर उसे अपना लाभ बढ़ाना होता है, इसलिए वह प्रति इकाई अधिक दाम मांगता है।
प्रश्न 4. जलहरा की दुकान और तिथरा के बाजार में क्या अंतर है?
उत्तर: जलहरा और तिथरा दोनों गांव हैं, लेकिन उनके बाजारों में निम्न प्रमुख अंतर हैं:
- आकार और विविधता: जलहरा एक छोटा गांव है, जहां केवल 3-4 किराने की दुकानें हैं। जबकि तिथरा एक बड़ा गांव है, जहां लगभग 15-20 दुकानें हैं, जिनमें 7-8 किराना की दुकानें, साथ ही कपड़े, मिठाई, सब्जी-फल, चाय आदि भी मिलते हैं।
- उपलब्ध सामान: जलहरा के बाजार में मुख्य रूप से रोजमर्रा के किराने का सामान ही मिलता है। जबकि तिथरा के बाजार में इसके अलावा अन्य वस्तुएं भी उपलब्ध हैं।
- ग्राहक आधार: जलहरा के बाजार का मुख्य ग्राहक आधार उसी गांव के लोग हैं। जबकि तिथरा के बाजार में आस-पास के गांवों के लोग भी आते हैं।
- प्रतिस्पर्धा: तिथरा के बाजार में दुकानदारों के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है, क्योंकि एक ही वस्तु कई दुकानों में मिलती है। जलहरा के छोटे बाजार में ऐसी प्रतिस्पर्धा कम होती है।
प्रश्न 5. आस-पास के गाँवों के लोग किन कारणों से तिथरा के बाजार आते हैं ?
उत्तर: आस-पास के गांवों के लोग तिथरा के बाजार में निम्न कारणों से आते हैं:
- विविधता: तिथरा के बाजार में किराने के साथ-साथ कपड़े, मिठाई, सब्जी-फल, चाय आदि की दुकानें भी हैं। इससे लोगों को एक ही जगह पर सभी प्रकार की वस्तुएं मिल जाती हैं।
- प्रतिस्पर्धा: तिथरा के बाजार में एक ही वस्तु कई दुकानों में मिलती है, जिससे दुकानदारों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है और लोग सस्ता सामान खरीद सकते हैं।
- मूल्य सौदेबाजी: बाजार में लोगों के पास वस्तुओं की कीमत पर सौदेबाजी करने का अवसर होता है, जो उन्हें पसंद आता है।
- सुविधाजनक स्थान: तिथरा एक बड़ा गांव होने के कारण आस-पास के छोटे गांवों के लोगों के लिए भी यह बाजार पहुंचना सुविधाजनक होता है।
- विविधता और चयन: तिथरा के बड़े बाजार में उपलब्ध विविध वस्तुओं में से लोग अपने अनुकूल चयन कर सकते हैं।
प्रश्न 6. उधार लेना कभी तो मजबूरी है, तो कभी सुविधा । उदाहरण देकर ‘समझाएँ।
उत्तर: उधार लेना कभी-कभी मजबूरी होता है और कभी-कभी सुविधा। इसका उदाहरण निम्नानुसार है:
मजबूरी के मामले में, कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति बाजार गया और उसे अपनी जरूरत का सामान मिल गया, लेकिन उसके पास तुरंत पैसे नहीं थे। ऐसी स्थिति में वह उस सामान को उधार ले सकता है, क्योंकि उसे वह सामान तत्काल चाहिए होता है। इस मामले में, उधार लेना उसकी मजबूरी होती है।
दूसरी ओर, कभी-कभी उधार लेना सुविधा भी हो सकता है। जैसे, किसी व्यक्ति को किसी वस्तु पर भारी छूट मिल रही हो, लेकिन उसके पास पूरे पैसे नहीं हैं। ऐसे में, वह उस वस्तु को उधार ले सकता है, क्योंकि वह उसके लिए एक सुविधा होती है।
प्रश्न 7. लोग साप्ताहिक बाजार क्यों आना पसन्द करते हैं?
उत्तर: लोग साप्ताहिक बाजार में आने को पसंद करते हैं, क्योंकि इस बाजार में निम्न लाभ होते हैं:
- एक ही जगह पर सभी सामान: साप्ताहिक बाजार में रोजमर्रा की सभी जरूरतों के सामान एक ही स्थान पर उपलब्ध होते हैं। इससे लोगों को अलग-अलग जगह जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
- प्रतिस्पर्धा और सस्ती कीमतें: बाजार में एक ही वस्तु कई दुकानों में मिलती है, जिससे दुकानदारों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है और लोग कम दाम पर सामान खरीद सकते हैं।
- मूल्य सौदेबाजी: बाजार में लोगों को वस्तुओं की कीमत पर सौदेबाजी करने का मौका मिलता है, जो उन्हें पसंद आता है।
- समय और श्रम की बचत: साप्ताहिक बाजार में एक ही जगह पर सभी सामान मिलने से लोगों को अधिक समय और श्रम नहीं लगता।
प्रश्न 8. साप्ताहिक बाजार में वस्तुएँ सस्ती क्यों होती है?
उत्तर: साप्ताहिक बाजार में वस्तुएं सस्ती होती हैं, क्योंकि इन बाजारों में निम्न कारक प्रभावी होते हैं:
- प्रतिस्पर्धा: साप्ताहिक बाजार में एक ही वस्तु कई विक्रेताओं द्वारा बेची जाती है। इस प्रतिस्पर्धा के कारण विक्रेता अपनी वस्तुओं की कीमतें कम रखते हैं।
- कम स्थायी खर्च: साप्ताहिक बाजार के लिए विक्रेताओं को स्थायी दुकान या भवन का खर्च नहीं करना पड़ता। इससे उनका खर्च कम होता है और वे वस्तुओं को सस्ते में बेच सकते हैं।
- थोक खरीद: साप्ताहिक बाजार में विक्रेता वस्तुएं थोक में खरीदकर बेचते हैं। थोक खरीद पर छूट मिलने से वे उन्हें सस्ते में बेच सकते है I
प्रश्न 9. मोल-भाव कैसे और क्यों किया जाता है ? अपने अनुभव के आधार घर टोलियाँ बनाकर नाटक करें।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 10. साप्ताहिक बाजार में जाने का अनुभव लिखें।
उत्तर – मैं अक्सर अपने माता-पिता के साथ साप्ताहिक बाजार जाता हूं। ये बाजार हफ्ते में एक ही दिन लगता है, इसलिए बाजार में बहुत भीड़ होती है। वहाँ रोज़मर्रा के सभी सामान उपलब्ध होते हैं – खाद्य सामग्री, सौंदर्य प्रसाधन, घरेलू सामान, कपड़े, और अन्य वस्तुएं। कई दुकानों में एक जैसे सामान मिलते हैं, जिससे लोगों को चुनाव करने में मदद मिलती है।
बाजार में लोग अपनी-अपनी जरूरतों के सामान खरीदने में व्यस्त रहते हैं। कुछ दुकानदार अपने सामान का दाम अधिक बताते हैं, तो लोग दूसरे दुकानों की ओर जाते हैं। कुछ लोग सौदेबाज़ी कर के दाम कम करवाने की कोशिश करते हैं। आस-पास के गाँवों के लोग भी खरीदारी करने आते हैं, क्योंकि उन्हें शाम तक अपने गाँव वापस लौटना होता है।
साप्ताहिक बाजार में खरीदारी करते समय लोग अपने परिचितों से भी मिलते-जुलते हैं और बातचीत करते हैं। मेरे माता-पिता ने भी अपनी जरूरतों का सामान खरीदा और फिर हम घर वापस आ गए।
प्रश्न 11. आपके घर के आस-पास या कोई शहर के मोहल्ले की दुकानों का विवरण लिखें।
उत्तर – मेरे घर के पास एक बहुत ही व्यवस्थित और सुविधाजनक दुकान है। वहां रोज़मर्रा के उपयोग में आने वाले सभी सामान उपलब्ध होते हैं – खाद्य सामग्री, सौंदर्य प्रसाधन, घरेलू सामान, और अन्य वस्तुएं। दुकान के बाहर एक फोन बूथ भी है, जहाँ से लोग फोन कर सकते हैं।
दुकानदार बहुत ही सहयोगी और मददगार हैं। घर के पास दुकान होने के कारण, मोहल्ले के लोगों से उनकी अच्छी जान-पहचान हो गई है। सभी लोग अपने रोज़मर्रा के सामान वहीं से लेते हैं। सामान की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है। जरूरत पड़ने पर वे लोगों को उधार भी देते हैं, और बाद में पैसे वापस ले लेते हैं। दुकान में बिक्री भी अच्छी रहती है।
प्रश्न 12. साप्ताहिक बाजार और गाँव की दुकानों में क्या अन्तर है?
उत्तर – साप्ताहिक बाजार और गाँव की स्थायी दुकानों में कुछ प्रमुख अंतर हैं:
- आयोजन: साप्ताहिक बाजार सिर्फ एक ही दिन लगता है, जबकि गाँव की दुकानें रोज़ खुलती हैं।
- सामानों की विविधता: साप्ताहिक बाजार में रोज़मर्रा के सामानों के साथ-साथ अन्य विविध वस्तुएं भी मिलती हैं। गाँव की दुकानों में मुख्यतः रोज़मर्रा के ही सामान होते हैं।
- मूल्य निर्धारण: साप्ताहिक बाजार में मूल्य-वार्ता करके दाम कम कराया जा सकता है, लेकिन गाँव की दुकानों में ऐसा नहीं होता।
- खरीदार: साप्ताहिक बाजार में आस-पास के गाँवों के लोग भी खरीदारी करने आते हैं, जबकि गाँव की दुकानों में मुख्यतः स्थानीय ही ग्राहक आते हैं।
- स्थायित्व: गाँव की दुकानें स्थायी होती हैं और रोज़ खुलती हैं, लेकिन साप्ताहिक बाजार केवल एक ही दिन लगता है।
प्रश्न 13. पूरन और जूही उस रामजी की दुकान से ही सामान क्यों खरीदते हैं?
उत्तर – पूरन और जूही हमेशा रामजी की दुकान से ही सामान खरीदते हैं, क्योंकि उनके घर के पास ही यह दुकान है। इसके अलावा, रामजी की दुकान में सामानों की गुणवत्ता भी अच्छी होती है और दाम भी उचित होते हैं।
पूरन और जूही अपने एक महीने के सभी जरूरी सामानों की एक सूची बना कर रामजी को दे देते हैं। रामजी उनके सामानों को अलग-अलग लिखकर एक रसीद दे देता है। जब पूरन के पिता को वेतन मिलता है, तब वे रामजी को सारा पैसा दे देते हैं। रामजी के रजिस्टर में भी पूरन और जूही द्वारा खरीदे गए सामानों की जानकारी होती है।
दुकानदार रामजी अपने सामानों का उचित मूल्य बताकर ज्यादा से ज्यादा बिक्री करने का प्रयास करता है। अगर कोई ग्राहक उच्च दाम स्वीकार नहीं करता, तो रामजी उस वस्तु का दाम कम करके बेच देता है। इससे पूरन और जूही को मूल्य-वार्ता का लाभ मिलता है और वे सामान सस्ते दाम पर खरीद सकते हैं।
प्रश्न 14. शहरों में कॉम्प्लेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव नहीं करते हैं, क्यों?
उत्तर – शहरों के कॉम्प्लेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव नहीं करते, क्योंकि वहाँ के सामान ब्रांडेड होते हैं और उनके निश्चित दाम होते हैं। ब्रांडेड कंपनियाँ अपने सामानों पर एक मूल्य निर्धारण करती हैं, जो सभी दुकानों में एक समान होता है। इसलिए ग्राहक को मोल-भाव करने का मौका नहीं मिलता और उन्हें मूल्य पर ही सामान खरीदना पड़ता है।
प्रश्न 15. मॉल के दुकानदार और मोहल्ले के दुकानदार में क्या अंतर है?
उत्तर – मॉल के दुकानदार और मोहल्ले के दुकानदार में कई अंतर हैं:
- मूल्य-वार्ता: मॉल के दुकानदार अपने ब्रांडेड सामानों पर कोई छूट नहीं देते, लेकिन मोहल्ले के दुकानदार से मूल्य-वार्ता कर कीमत कम करवाई जा सकती है।
- उधार: मोहल्ले के दुकानदार ग्राहकों को उधार भी दे देते हैं, जबकि मॉल के दुकानदार ऐसा नहीं करते।
- सामान की खरीद: मॉल के दुकानदार तुरंत पैसा मांगते हैं, लेकिन मोहल्ले के दुकानदार एक बार में एक महीने का सामान भी दे देते हैं और बाद में पैसा लेते हैं।
- जान-पहचान: मोहल्ले के दुकानदार स्थानीय लोगों से परिचित होते हैं, लेकिन मॉल के दुकानदार अधिकतर अनजान होते हैं।
इन अंतरों के कारण लोग मॉल के दुकानों में मोल-भाव नहीं कर पाते, जबकि मोहल्ले की दुकानों पर ऐसा संभव होता है।
प्रश्न 16. ब्रांडेड सामान किन कारणों से महंगा होता है?
उत्तर – ब्रांडेड सामान कई कारणों से महंगे होते हैं:
- ब्रांड नाम का प्रभाव: ब्रांडेड कंपनियों का नाम और प्रतिष्ठा इन सामानों का मूल्य बढ़ा देते हैं।
- विज्ञापन और प्रचार: ब्रांडेड कंपनियाँ अपने सामानों के लिए भारी मात्रा में विज्ञापन और प्रचार करती हैं, जिसका खर्च उपभोक्ता पर डाला जाता है।
- बड़े शोरूम: ब्रांडेड कंपनियाँ अपने सामानों को बड़े-बड़े शोरूमों में बेचती हैं, जिसका खर्च भी उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है।
- गुणवत्ता का दावा: ब्रांडेड कंपनियाँ अपने सामानों की उच्च गुणवत्ता का दावा करती हैं, जिसका लाभ उपभोक्ता को मिलता है लेकिन इसका खर्च भी उन्हें उठाना पड़ता है।
इन सभी कारणों से ब्रांडेड सामान बिना ब्रांड वाले सामानों की तुलना में महंगे होते हैं।
प्रश्न 17. दुकान या बाजार एक सार्वजनिक जगह है। शिक्षक के साथ चर्चा करें।
उत्तर – दुकान या बाजार एक सार्वजनिक जगह है क्योंकि:
- यहाँ किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित नहीं होता। सभी लोग आ-जा सकते हैं और अपनी जरूरतों का सामान खरीद सकते हैं।
- यहाँ लोगों की जाति, धर्म, वर्ग या आर्थिक स्थिति का कोई भेदभाव नहीं होता। समाज के सभी वर्गों के लोग एक साथ आकर खरीददारी करते हैं।
- यहाँ कोई भी व्यक्ति अपनी वस्तुएं बेच सकता है और कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है। इसमें कोई बाधा या रोक नहीं होती।
- दुकान या बाजार में लोग अपने विचार-विमर्श और बातचीत के माध्यम से सामाजिक संपर्क भी बनाते हैं।
- इन कारणों से शिक्षक के साथ चर्चा के दौरान यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि दुकान या बाजार एक सार्वजनिक स्थान है, जहाँ सभी वर्गों के लोग आते-जाते हैं और अपनी जरूरतों की खरीदारी करते हैं।
अभ्यास के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बाजार क्या है? यह कितने प्रकार होता है?
उत्तर – बाजार वह स्थान है जहाँ लोग अपनी दैनिक जरूरतों की वस्तुएं खरीदने-बेचने का काम करते हैं। बाजार में कई प्रकार की दुकानें और ठेले होते हैं, जहाँ से हम अपनी आवश्यकताओं जैसे कपड़े, खाद्य सामग्री, दवाइयाँ, स्टेशनरी सामान, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि खरीद सकते हैं।
बाजार के प्रमुख प्रकार हैं:
- गाँव की छोटी-मोटी दुकानें
- गाँव का साप्ताहिक बाजार या हाट
- मोहल्ले की स्थायी दुकानें
- शहरों के बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स या मॉल
- थोक बाजार
इन बाजारों में ग्राहक अपनी जरूरतों के अनुसार सामान खरीदते हैं। छोटी मात्रा के लिए गाँव या मोहल्ले की दुकानों का, और बड़ी मात्रा के लिए साप्ताहिक बाजार या थोक बाजार का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 2. ग्राहक सभी बाजारों में समान रूप से खरीददारी क्यों नहीं पाते?
उत्तर – ग्राहक सभी बाजारों में समान रूप से खरीददारी नहीं पा सकते, क्योंकि बाजारों के बीच कई अंतर होते हैं:
- मूल्य-वार्ता: साप्ताहिक बाजार और मोहल्ले की दुकानों में ग्राहक मूल्य-वार्ता कर सकते हैं और दाम कम करवा सकते हैं, लेकिन मॉल में ऐसा नहीं हो पाता।
- उधार: मोहल्ले की दुकानों से ग्राहक उधार सामान ले सकते हैं, लेकिन मॉल में ऐसा नहीं होता।
- गुणवत्ता और ब्रांड: मॉल के सामान अच्छे ब्रांड के और गुणवत्तापूर्ण होते हैं, लेकिन महंगे भी होते हैं।
- मात्रा: थोक बाजार में बड़ी मात्रा में सामान सस्ते दाम में मिलता है।
इन अंतरों के कारण ग्राहक सभी बाजारों में समान रूप से खरीददारी नहीं कर पाते।
प्रश्न 3. बाजार में कई छोटे दुकानदार से बातचीत करके उनके काम और आर्थिक स्थिति के बारे में लिखें।
उत्तर – बाजार में कई छोटे दुकानदार होते हैं, जो अपने छोटे व्यापार से जीवन-यापन करते हैं। मैंने कुछ छोटे दुकानदारों से बातचीत की और उनके काम एवं आर्थिक स्थिति के बारे में जाना।
ये दुकानदार सामान को मंडी से खरीदकर अपनी छोटी दुकानों पर बेचते हैं। उनके पास सामानों की बहुत बड़ी मात्रा नहीं होती। वे छोटी-छोटी मात्रा में खरीद-बिक्री करते हैं। उनकी दुकानों में रोज़मर्रा के उपयोग की सामग्री जैसे खाद्य पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन, स्टेशनरी सामान आदि मिलते हैं।
ये दुकानदार अपने स्थानीय ग्राहकों को कभी-कभी उधार भी दे देते हैं और बाद में उनसे पैसे वसूल कर लेते हैं। लेकिन इनकी आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होती। क्योंकि इनके पास आधुनिक पैकिंग या प्रदर्शन सुविधाएं नहीं होतीं, जैसी बड़ी दुकानों में होती हैं।इसलिए इनकी आय भी सीमित रहती है।
प्रश्न 4. बाजार को समझने के लिए अपने माता-पिता के साथ आपके आस-पास के बाजारों का परिभ्रमण करके संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर – मैं अपने पिताजी के साथ अपने आस-पास के बाजार का दौरा किया। वह बाजार काफी व्यस्त और जीवंत था। वहां विविध प्रकार की दुकानें थीं – कुछ छोटी-मोटी, कुछ बड़ी और आकर्षक।
छोटी दुकानों में सामानों की मात्रा कम थी और वे सादे-सादे माहौल में काम कर रही थीं। लोग इन्हीं दुकानों से अपने रोज़मर्रा के सामान जैसे सब्जी, मसाले, स्टेशनरी आदि खरीद रहे थे। कुछ लोग दामों पर मनमुटाव करके सामान सस्ते दाम में ले रहे थे।
वहीं बड़ी दुकानों और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में ब्रांडेड और गुणवत्तापूर्ण सामान मिल रहे थे। इन दुकानों में सजावट और प्रदर्शन पर बहुत ध्यान दिया गया था। लोग इन दुकानों में ज्यादा समय बिताकर खरीददारी कर रहे थे।
कुछ ठेलों पर भी जूते, कपड़े और चाट-पकोड़े बेचे जा रहे थे। सब्जी और फल की अलग-अलग दुकानें भी थीं। सभी लोग अपनी जरूरतों के अनुसार खरीददारी कर रहे थे।
इस दौरे ने मुझे बाजार की विविधता और उसकी कार्यप्रणाली को समझने में मदद की।
प्रश्न 5. किसी साप्ताहिक बाजार में दुकानें लगाने वालों से बातचीत करके अनुभव लिखें कि उन्होंने यह काम कब और कैसे शुरू किया? पैसों की व्यवस्था कैसे की? कहाँ-कहाँ दुकानें लगाता/लगाती हैं? सामान कहाँ से खरीदता/खरीदती है ?
उत्तर – मैंने किसी साप्ताहिक बाजार में दुकानें लगाने वालों से बातचीत की और उनके अनुभव को जाना:
एक दुकानदार, जिसका नाम रामचंद्र है, बताया कि उन्होंने यह दुकान लगाना लगभग 10 साल पहले शुरू किया था। वह अपने गांव में एक छोटी-सी जमीन खरीदकर वहीं पर अपनी दुकान लगाते हैं। वह प्रतिसप्ताह एक ही दिन इस बाजार में आकर अपनी दुकान लगाते हैं।
रामचंद्र ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में अपने बचत के पैसों से ही इस व्यवसाय को शुरू किया था। लेकिन अब वह सामान को थोक में खरीदकर बेचते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा लाभ हो रहा है।
रामचंद्र की दुकान में मुख्यतः खाद्य सामग्री, कपड़े, जूते और घरेलू सामान मिलते हैं। वह अपने गांव के आसपास के व्यापारियों से सामान खरीदते हैं और उन्हें यहां बेचते हैं।
इसी तरह मैंने कुछ और दुकानदारों से बात की। सभी ने बताया कि यह उनका मुख्य व्यवसाय है और वे इसमें काफी संतुष्ट हैं। यह काम उन्हें अच्छी आय और जीवनयापन का साधन प्रदान करता है।