Free solutions for UP Board class 9 Hindi Padya chapter 8 – “उन्हें प्रणाम” are available here. These solutions are prepared by the subject experts and cover all question answers of this chapter for free.
उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के पद्य खंड में “उन्हें प्रणाम” शीर्षक से एक प्रेरणादायक कविता शामिल है। यह कविता प्रसिद्ध कवि सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित है। इस कविता में द्विवेदी जी ने उन अनाम नायकों को श्रद्धांजलि दी है, जिन्होंने बिना किसी प्रसिद्धि की चाह के मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। कवि ने उन महापुरुषों का गुणगान किया है जो गरीबों और दुखियों की मदद करते हैं, और जिनका हृदय दूसरों के दुख से पिघल जाता है। यह कविता छात्रों को मानवता, सेवा और त्याग के मूल्यों को समझने और उन अनजान नायकों का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है, जिन्होंने हमारी दुनिया को बेहतर बनाने में अपना योगदान दिया है।

UP Board Class 9 Hindi Padya Chapter 8 Solution
Contents
| Subject | Hindi (काव्य खंड) |
| Class | 9th |
| Chapter | 8. उन्हें प्रणाम |
| Author | सोहनलाल द्विवेदी |
| Board | UP Board |
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :
(अ) भेद गया है …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम l
उत्तर-
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित पं० सोहनलाल द्विवेदी की कविता ‘उन्हें प्रणाम’ से लिया गया है। यह कविता उनके काव्य संग्रह ‘जय भारत जय’ से उद्धृत है, जिसमें महापुरुषों की महानता और त्याग की भावना का गुणगान किया गया है।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि उन अज्ञात महापुरुषों को प्रणाम कर रहे हैं, जो अपने निजी स्वार्थ को त्यागकर दीन-दुखियों के उद्धार में लगे रहते हैं। कवि ऐसे महापुरुषों को मानवता के सच्चे सेवक मानता है और उन्हें बार-बार नमन करता है।
व्याख्या – कवि कहता है कि वे महापुरुष, जिनका हृदय निर्धनों और पीड़ितों के दुःख से आहत है, वे हर परिस्थिति में मानवता की सेवा में लगे रहते हैं। उनके लिए किसी भी प्रकार की समाजिक लज्जा या अपमान मायने नहीं रखता। ऐसे महान व्यक्ति हमेशा कर्मशील रहते हैं और मानवता को ही अपना धर्म समझते हैं। वे न तो किसी प्रसिद्धि के मोहताज होते हैं और न ही वे दिखावे में विश्वास करते हैं। ऐसे महापुरुष चाहे किसी भी देश या रूप में हों, उनकी कर्मठता और समर्पण अद्वितीय है। कवि ऐसे अज्ञात नायक को बार-बार प्रणाम करता है, क्योंकि वे समाज की सेवा में खुद को पूरी तरह से समर्पित कर देते हैं।
काव्यगत सौंदर्य – इस पद्यांश में कवि ने मानवता के सच्चे सेवकों को नमन करते हुए उनकी महानता को उजागर किया है। कवि ने शुद्ध खड़ीबोली भाषा का प्रयोग किया है, जिसमें सरलता और प्रभावशीलता है। भावनात्मक शैली और 24 मात्राओं के मात्रिक छंद का प्रयोग इस काव्यांश को अधिक प्रभावशाली बनाता है। अनुप्रास अलंकार और पुनरुक्तिप्रकाश जैसे अलंकारों का प्रयोग इस काव्य की सुंदरता को और भी बढ़ाता है। इस पद्यांश में करुणा और शान्त रस का प्रभाव देखने को मिलता है, जो पाठक के मन में मानवीय संवेदनाओं को जगाता है।
(ब) कोटि-कोटि …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम।
उत्तर-
सन्दर्भ – यह पद्यांश भी पं० सोहनलाल द्विवेदी की कविता ‘उन्हें प्रणाम’ से लिया गया है, जो ‘जय भारत जय’ संग्रह का हिस्सा है। इसमें कवि ने उन सत्पुरुषों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है, जिन्होंने दीन-हीन और शोषितों की मदद की है।
प्रसंग – कवि उन महापुरुषों को प्रणाम कर रहे हैं जो समाज के नंगे, भूखे और पीड़ित लोगों का उद्धार करने के लिए उनके साथ खड़े होते हैं। वे बिना किसी सामाजिक लज्जा के दलितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं और उनका जीवन संवारते हैं।
व्याख्या – कवि कहता है कि वे सत्पुरुष, जो समाज के पीड़ित और शोषित लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं, उनके साथ मस्तक ऊँचा करके चलते हैं। ऐसे लोग उन दलितों के हाथों को पकड़कर उन्हें स्वतंत्रता और सम्मान की ओर लेकर जाते हैं। महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों ने बिना किसी संकोच के समाज के दलित और गरीब वर्ग का साथ दिया और उन्हें समाज में उनके उचित स्थान तक पहुँचाया। कवि ऐसे ज्ञात और अज्ञात महापुरुषों को बार-बार प्रणाम करता है, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
काव्यगत सौंदर्य – इस पद्यांश में महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों के आदर्शों और उनकी सेवा भावना को आदर के साथ प्रस्तुत किया गया है। कवि ने ओजपूर्ण खड़ीबोली का प्रयोग किया है, जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का समावेश इसे और भी प्रभावशाली बनाता है। अनुप्रास और पुनरुक्तिप्रकाश अलंकारों के प्रयोग ने काव्य की लयबद्धता को और अधिक सजीव बना दिया है। वीर रस का प्रयोग इस काव्यांश को साहस और दृढ़ता का प्रतीक बनाता है, जो सत्पुरुषों की महानता को व्यक्त करता है।
(स) जो घावों ………………………………………………… देतीं विश्राम !
उत्तर-
संदर्भ: यह पद्यांश पं० सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ कविता से लिया गया है। इस कविता में कवि ने समाज के वंचित वर्ग के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।
व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि उन लोगों की प्रशंसा करते हैं जो दूसरों के दुःख दर्द को समझते हैं और उनकी मदद करते हैं। वे कहते हैं कि जो लोग घायलों के घावों पर मरहम लगाने का काम करते हैं, उन्हें कवि कोटि-कोटि प्रणाम करता है।
कवि उन लोगों की दयनीय स्थिति का वर्णन करता है जिनके पास अपना कोई काम नहीं है। ये लोग कभी राजा थे लेकिन अब भिखारी बन गए हैं। वे अपना आराम त्याग कर दर-दर भीख माँगते फिरते हैं और बरसात और धूप सहते हैं। कवि कहता है कि इन भिखारियों को दो सूखी रोटियाँ मिल जाएँ तो उन्हें विश्राम मिल जाता है।
काव्यगत सौंदर्य:
- भाषा: कवि ने सरल और प्रभावशाली भाषा का प्रयोग किया है।
- अलंकार: ‘दर-दर’ में पुनरुक्ति अलंकार है। ‘सूखी सूखी’ में भी पुनरुक्ति अलंकार है।
- बिंब: कवि ने भिखारियों की दयनीय स्थिति का मार्मिक बिंब प्रस्तुत किया है।
- व्यंजना: कविता में समाज की विषमताओं पर गहरा व्यंग्य है।
- छंद: यह कविता मुक्त छंद में लिखी गई है, जो निराला जी की विशेषता थी।
(द) मातृभूमि का ……………………………………………………………………… अपनी भूल।
उत्तर-
सन्दर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संगृहीत और पं० सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘उन्हें प्रणाम’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देशभक्तों और क्रांतिकारियों की महत्ता को दर्शाते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया है।
प्रसंग: इस पद्यांश में कवि उन देशभक्तों को नमन कर रहा है, जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य मातृभूमि की सेवा और देश के सोए हुए लोगों को जागृत करना बना लिया। कवि ऐसे महापुरुषों के त्याग और बलिदान की महत्ता को उजागर कर रहा है।
व्याख्या: पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि उन महापुरुषों को मेरा प्रणाम है, जिनके हृदय में मातृभूमि के प्रति इतना गहरा प्रेम जागृत हो गया कि उन्होंने युवावस्था में ही वैराग्य धारण कर लिया। ये राष्ट्रभक्त अज्ञानता में डूबे हुए समाज को उसकी भूल का एहसास कराने के लिए नगर-नगर और गाँव-गाँव घूमे, और हर जगह जाकर लोगों को जागृत करने का प्रयास किया। वे महापुरुष जिन्होंने रोटी और नमक जैसे साधारण भोजन की भी परवाह नहीं की और सदैव अपने देश की सेवा के लिए संघर्ष करते रहे। उनका ध्येय था सोए हुए राष्ट्र के गौरव को पुनः जागृत करना और लोगों में स्वाभिमान की भावना का संचार करना। ऐसे महान देशभक्त जो समाज के दुखों को समझकर अपने जीवन को मातृभूमि की सेवा में लगा देते हैं, उन्हें बार-बार प्रणाम करने योग्य हैं।
काव्यगत सौन्दर्य: इस पद्यांश में कवि ने देशभक्तों और क्रांतिकारियों के प्रति भावनात्मक श्रद्धा प्रकट की है। भाषा सरल और साहित्यिक खड़ीबोली है, जिसमें ‘धूल छानना’, ‘वैराग्य लेना’ जैसे मुहावरों का सार्थक प्रयोग हुआ है। कवि ने अनुप्रास और पुनरुक्तिप्रकाश अलंकारों का सुन्दर प्रयोग किया है, जो कविता को और भी प्रभावशाली बनाते हैं। अंतिम पंक्तियों में वीर रस की भावना प्रबल होती है, जो देशभक्तों के प्रति सम्मान को और भी गहराई से प्रकट करती है।
(य) उस आगत को ………………………………………………………. सुख-शान्ति प्रकाम !
उत्तर-
सन्दर्भ: यह पद्यांश सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘उन्हें प्रणाम’ से लिया गया है, जो ‘जय भारत जय’ काव्य संग्रह का हिस्सा है। इस कविता में कवि ने आने वाले उज्ज्वल भविष्य, नए युग और स्वतंत्रता की ओर अग्रसर भारत की दिशा में श्रद्धा व्यक्त की है।
प्रसंग: इस पद्यांश में कवि एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रहा है जहाँ सभी स्वतंत्र, सुखी और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हों। कवि नवयुग के प्रभात का स्वागत करते हुए, समाज में शांति और सुख की स्थापना की कामना करता है।
व्याख्या: कवि सोहनलाल द्विवेदी इस पद्यांश में आने वाले एक नए युग की बात कर रहे हैं, जिसमें वर्तमान समस्याओं का अंत होगा और एक मंगलमय भविष्य का आरंभ होगा। वह उस भविष्य को प्रणाम करते हैं, जिसकी पावन ज्वाला में सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। इस नए युग में सभी लोग स्वतंत्र और सुखी होंगे। कवि उस दिन का स्वागत कर रहे हैं जब हर व्यक्ति सुख और शांति का अनुभव करेगा।
कवि की कल्पना एक ऐसे भविष्य की है, जिसमें समृद्धि और शांति का बोलबाला होगा और हर जगह खुशहाली का वातावरण होगा। यह दिन हर व्यक्ति के लिए एक नवयुग का आरंभ होगा, जहाँ सामाजिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का साम्राज्य होगा।
काव्यगत सौन्दर्य:
- भाषा: सरल, साहित्यिक खड़ीबोली का प्रयोग हुआ है।
- शैली: भावात्मक और ओजपूर्ण शैली।
- रस: मुख्यतः शान्त और वीर रस का समावेश।
- अलंकार: अनुप्रास का सुंदर प्रयोग हुआ है, जैसे ‘सर्वोदय हँस रहा’।
- गुण: प्रसाद गुण स्पष्ट है, जिससे कविता का भाव स्पष्ट और सरल बना हुआ है।
प्रश्न 2. सोहनलाल द्विवेदी की जीवनी एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा, सोहनलाल द्विवेदी की साहित्यिक विशेषताओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।
अथवा, सोहनलाल द्विवेदी की रचनाओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- जीवनी:
सोहनलाल द्विवेदी का जन्म 1906 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। वे स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय कार्यकर्ता थे और उन्होंने कई बार जेल यात्रा भी की। उनका निधन 1988 में हुआ।
प्रमुख रचनाएँ:
- वाणी की व्याकुलता
- पूजागीत
- युग की गंगा
- विश्वास बढ़ता ही गया
- नागफनी में उलझी सांसें
साहित्यिक विशेषताएँ और भाषा-शैली:
- राष्ट्रीय चेतना: द्विवेदी जी की रचनाओं में देशप्रेम और राष्ट्रीय भावना का स्वर प्रमुख है।
- आध्यात्मिकता: उनकी कविताओं में आध्यात्मिक चिंतन और दार्शनिक विचारों का समावेश मिलता है।
- प्रगतिशील दृष्टिकोण: वे समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों के विरोधी थे।
- प्रकृति चित्रण: उन्होंने अपनी कविताओं में प्रकृति के सुंदर और जीवंत चित्र प्रस्तुत किए हैं।
- भाषा: उनकी भाषा सरल, सहज और प्रवाहमयी है। खड़ी बोली का प्रयोग प्रमुख है, साथ ही तत्सम शब्दों का भी सुंदर प्रयोग मिलता है।
- शैली: उन्होंने गीत, गजल, छंदमुक्त कविता आदि विभिन्न शैलियों में रचनाएँ की हैं।
- अलंकार: उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा जैसे अलंकारों का सुंदर प्रयोग उनकी रचनाओं में देखने को मिलता है।
- प्रतीकात्मकता: उन्होंने अपनी कविताओं में प्रतीकों का प्रभावशाली प्रयोग किया है।
सोहनलाल द्विवेदी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के साथ-साथ मानवीय मूल्यों और सामाजिक न्याय की स्थापना का प्रयास किया। उनकी काव्य रचनाएँ हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
प्रश्न 3. उन्हें प्रणाम’ कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर : ‘उन्हें प्रणाम’ कविता का सारांश:
सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ कविता में कवि ने उन महापुरुषों, राष्ट्रभक्तों, और समाजसेवियों को श्रद्धा अर्पित की है, जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य मानवता की सेवा और राष्ट्रनिर्माण को बनाया। कवि उन वीरों का गुणगान करते हैं जो समाज के दीन-हीन, शोषित और पीड़ित लोगों की सहायता में लगे रहते हैं। ये महापुरुष किसी भी प्रकार के भेदभाव या लज्जा का अनुभव नहीं करते और सदैव दूसरों की भलाई के लिए कार्य करते रहते हैं।
कविता में ऐसे महापुरुषों की महानता का उल्लेख किया गया है जो कठिन परिस्थितियों का सामना करके भी अपने कर्तव्यों से विमुख नहीं होते। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो या सामाजिक सुधार, ये लोग अपनी वीरता और संयम से राष्ट्र के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। कवि ने विशेष रूप से महात्मा गाँधी जैसे नेतृत्वकर्ताओं की प्रशंसा की है, जिन्होंने शांति, अहिंसा, और दृढ़ संकल्प के साथ शोषण और साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष किया।
कवि बार-बार ऐसे महान व्यक्तियों को नमन करते हैं, जो अपनी निःस्वार्थ सेवा और समाज के प्रति समर्पण से मानवता की स्थापना में लगे रहते हैं।
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘उन्हें प्रणाम’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किन-किन को प्रणाम करने की बात कही है?
उत्तर: कवि ने उन महापुरुषों को प्रणाम करने की बात कही है जो कर्मनिष्ठ हैं, दीन-हीनों की सहायता करते हैं, और देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देते हैं। वे शोषितों और पीड़ितों के उद्धारक होते हैं और मानवता की सेवा में लगे रहते हैं। कवि उन क्रांतिकारियों को भी नमन करता है जिन्होंने अपने जीवन को राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।
प्रश्न 2. क्रांति के आश्रयदाताओं के कौन-कौन से लक्षण बताये गये हैं?
उत्तर: क्रांति के आश्रयदाताओं के लक्षणों में सत्य की खोज करना, गौरव और गरिमा का बोध होना, दीन-हीनों पर दया करना, अत्याचारों के प्रति क्रोध करना, और शोषकों से प्रतिशोध लेना शामिल है। वे न्याय और मानवता के पक्षधर होते हैं।
प्रश्न 3. ‘उन्हें प्रणाम’ कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस कविता का मूल भाव उन महापुरुषों को नमन करना है जो शोषित और पीड़ित लोगों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं। वे बिना किसी स्वार्थ के देश और मानवता की सेवा करते हैं और दूसरों को प्रेरित करते हैं कि वे भी न्याय और स्वाभिमान के पथ पर चलें। उनका बलिदान और समर्पण समाज के लिए प्रेरणादायक होता है।
प्रश्न 4. कवि ने स्वदेश का स्वाभिमान किसे कहा है?
उत्तर: कवि ने उन राष्ट्र-सेवकों और देशभक्तों को स्वदेश का स्वाभिमान कहा है जो बिना किसी स्वार्थ के देश की सेवा में लगे रहते हैं और अपनी मातृभूमि के सम्मान को सर्वोपरि मानते हैं।
प्रश्न 5. कवि किस मंगलमय दिन को अपनी प्रणाम अर्पित करता है?
उत्तर: कवि उस मंगलमय दिन को प्रणाम अर्पित करता है जब सभी लोग स्वतंत्र, सुखी और समृद्ध होंगे, और समाज में शांति और समरसता स्थापित होगी।
प्रश्न 6. देशभक्तों द्वारा नगर-नगर और ग्राम-ग्राम की धूल छानने के पीछे उनका क्या उद्देश्य रहता है?
उत्तर: देशभक्तों का उद्देश्य सोई हुई जनता को जागरूक करना और उनमें देशभक्ति की भावना को जगाना होता है। वे चाहते हैं कि हर व्यक्ति अपने देश के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी को समझे।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सोहनलाल द्विवेदी की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर: सोहनलाल द्विवेदी की दो रचनाएँ ‘भैरवी’ और ‘पूजा-गीत’ हैं।
प्रश्न 2. द्विवेदी जी ने किन-किन पत्रिकाओं का सम्पादन किया?
उत्तर: द्विवेदी जी ने ‘अधिकार’ और ‘बालसखा’ पत्रिकाओं का सम्पादन किया।
प्रश्न 3. किसी एक गांधीवादी कवि का नाम बताइए।
उत्तर: एक गांधीवादी कवि सोहनलाल द्विवेदी हैं।
प्रश्न 4. कवि की दृष्टि में वन्दनीय पुरुष कौन है?
उत्तर: कवि की दृष्टि में वन्दनीय वे महापुरुष हैं जो गरीब और पीड़ित लोगों की सेवा में लगे रहते हैं।
प्रश्न 5. राष्ट्र निर्माता को कवि ने क्या कहा है?
उत्तर: कवि ने राष्ट्र निर्माता को ‘प्रणाम’ कहा है और ‘मृतहत जीवन जन्म विधाता’ के रूप में सम्मानित किया है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से सही उत्तर के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए-
(अ) कवि कर्मठ वीरों को प्रणाम करता है। (✓)
(ब) द्विवेदी जी की भाषा खड़ीबोली है। (✓)
(स) कवि परतन्त्रता के दिन को प्रणाम करता है। (✗)
काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए –
(अ) नगर-नगर की ग्राम-ग्राम की छानी धूल।
(ब) ढाने को साम्राज्यवाद की दृढ़ दीवार।
(स) नवयुग के उस नवप्रभात की दृढ़ दीवार।
उत्तर :
(अ) काव्य-सौन्दर्य-
- नगर-नगर और ग्राम-ग्राम में अनेक कष्ट सहन करते हुए भी जनता को उसकी गुलामी को स्वीकार करने की भूल बतलाने के लिए घूमते रहे।
- अलंकार- अत्यानुप्रास।
- छन्द-गीत।
- भाषा-शुद्ध तथा खड़ीबोली।
(ब) काव्य-सौन्दर्य –
- देश के अमर सपूतों ने साम्राज्यवादी मजबूत दीवार ढहा दी।
- भाषा-ओजस्वपूर्ण
- रस-शान्त।
- शैली-गीतात्मक।
(स) काव्य-सौन्दर्य-
- कवि ने क्रान्तिकारियों का स्मरण किया है।
- भाषा-परिमार्जित खड़ीबोली।
- अलंकार-रूपक, यमक तथा मानवीकरण।
- रस-शान्त
- गुण-प्रसाद।
- शैली-गीतात्मक।
- छन्द-गीत।
2. निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइए
स्वाभिमान, सर्वोदय।
उत्तर :
- स्वाभिमान = स्व + अभिमान = दीर्घ सन्धि
- सर्वोदय = सर्व + उदय = गुण सन्धि
3. निम्नलिखित शब्द-युग्मों से विशेषण-विशेष्य अलग कीजिए
नव-युग, मरण-मधुर, मादक-मुस्कान, दृढ़-दीवार, बंद-सीखचे।
उत्तर :
| विशेषण | विशेष्य |
|---|---|
| नव | युग |
| मधुर | मरण |
| मादक | मुस्कान |
| दृढ़ | दीवार |
| बंद | सीखचे |