Bihar Board Class 8 History Solutions Chapter 9 – महिलाओं की स्थिति एवं सुधार

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इस अध्याय में आप 19वीं शताब्दी में भारतीय महिलाओं की सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति और उनके उत्थान के लिए किए गए प्रयासों के बारे में जानेंगे। यह अध्याय आपको उस समय महिलाओं पर लागू सामाजिक कुरीतियों और विभेदकारी रीति-रिवाजों जैसे सती प्रथा, बालविवाह, विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध आदि से अवगत कराएगा। साथ ही, आप उन सुधारकों के बारे में भी पढ़ेंगे जिन्होंने इन समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष किया।

Bihar Board Class 8 History Solutions Chapter 9

Bihar Board Class 8 History Solutions Chapter 9

SubjectHistory (अतीत से वर्तमान भाग 3)
Class8th
Chapter9. महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
BoardBihar Board

प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें

प्रश्न (i) स्त्रियों की असमानता की स्थिति पर पहली बार किसके द्वारा प्रश्नचिह्न लगाया गया?

(क) अंग्रेजों के द्वारा
(ख) भारतीय शिक्षितों के द्वारा
(ग) महिलाओं के द्वारा
(घ) निम्न वर्ग के प्रणेताओं के द्वारा

उत्तर- (ख) भारतीय शिक्षितों के द्वारा

प्रश्न (ii) शिक्षा किस वर्ग की महिलाओं तक सीमित रहा?

(क) निम्न वर्ग
(ख) मध्यम वर्ग
(ग) उच्च वर्ग
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (ग) उच्च वर्ग

प्रश्न (iii) कानून के द्वारा सती प्रथा का अंत कब हुआ?

(क) 1826
(ख) 1827
(ग) 1828
(घ) 1829

उत्तर- (घ) 1829

प्रश्न (iv) विधवा पुनर्विवाह के प्रति किसने अपना जीवन समर्पित कर दिया ?

(क) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
(ख) दयानन्दन सरस्वती
(ग) राजाराम मोहन सय
(घ) सैयद अहमद खाँ

उत्तर- (क) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर

प्रश्न (v) बाल विवाह निषेध अधिनियम किस वर्ष पारित हुआ ?

(क) 1926
(ख) 1927
(ग) 1928
(घ) 1929

उत्तर- (घ) 1929

आइए विचार करें

प्रश्न (i) महिलाओं में असमानता की स्थिति मुख्यतः किन कारणों से थी?

उत्तर: महिलाओं में असमानता की स्थिति मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से थी:

  • शिक्षा से वंचित होना: महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखा जाता था। शिक्षा के अभाव में वे अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के बारे में जागरूक नहीं हो पाती थीं।
  • रूढ़िवादी और पितृसत्तात्मक सोच: समाज में पुरुष प्रधान और रूढ़िवादी सोच प्रचलित थी जिसके कारण महिलाओं को घर की चारदीवारी में कैद रखा जाता था और उनकी गतिविधियों पर पाबंदी लगी रहती थी।
  • धार्मिक कुरीतियाँ: कुछ धार्मिक प्रथाओं और रीति-रिवाजों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर रोक आदि ने महिलाओं की स्थिति को और खराब कर दिया था।
  • आर्थिक निर्भरता: महिलाएं आर्थिक रूप से पुरुषों पर निर्भर थीं क्योंकि उन्हें संपत्ति और आजीविका के अवसरों से वंचित रखा गया था।

इन कारणों से महिलाओं की स्थिति बहुत कमजोर और असमान थी। उनके साथ भेदभाव किया जाता था और उनकी गरिमा का सम्मान नहीं किया जाता था।

प्रश्न (ii) सती प्रथा पर किस प्रकार का विवाद रहा? सती विरोधी एवं सती समर्थक विचारों को लिखें।

उत्तर: सती प्रथा पर काफी विवाद रहा है। इस प्रथा के विरोधी और समर्थक दोनों पक्ष थे:

सती विरोधी विचार:

  • यह एक अमानवीय और क्रूर प्रथा थी जिसमें विधवा महिला को जबरन उनके पति की चिता पर जिंदा जलाया जाता था।
  • इसे धर्म के नाम पर चलाया जाने वाला अंधविश्वास माना गया।
  • इसे महिलाओं के प्रति अत्याचार और उनकी गरिमा के खिलाफ देखा गया।
  • सामाजिक सुधारकों ने इसका कड़ा विरोध किया और इसे समाप्त करने के लिए संघर्ष किया।

सती समर्थक विचार:

  • कुछ लोगों ने इसे धार्मिक आधार पर सही ठहराया और इसका समर्थन किया।
  • उनका तर्क था कि यह विधवा महिलाओं के लिए एक सम्मानजनक रीति है।
  • सती प्रथा के समर्थकों का मानना था कि यह उनकी धार्मिक आस्था और विश्वास का हिस्सा है।
  • कुछ लोगों ने महिलाओं को संपत्ति और उत्तराधिकार से वंचित रखने के लिए इस प्रथा का समर्थन किया।

अंततः, राजा राममोहन रॉय के अथक प्रयासों से ब्रिटिश शासन ने 1829 में सती प्रथा को गैरकानूनी घोषित कर दिया और इसे समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न (iii) राजा राममोहन राय द्वारा महिलाओं से संबंधित किस समस्या के खिलाफ आवाज उठाई गई?

उत्तर: राजा राममोहन राय ने महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए कई समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाई। उनके द्वारा उठाई गई प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  • सती प्रथा: राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ मुखर आवाज उठाई। उन्होंने इस क्रूर और अमानवीय प्रथा को महिलाओं के प्रति अत्याचार बताया और इसे समाप्त करने के लिए संघर्ष किया।
  • बाल विवाह: उन्होंने बाल विवाह की प्रथा का भी विरोध किया क्योंकि यह बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के अधिकारों का उल्लंघन करता था।
  • विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध: राजा राममोहन राय ने विधवाओं के पुनर्विवाह पर लगे प्रतिबंध का भी विरोध किया और उन्हें पुनः विवाह करने की स्वतंत्रता देने की मांग की।
  • महिलाओं की शिक्षा का अभाव: उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा की कमी को महत्वपूर्ण समस्या माना और उन्हें शिक्षित करने पर बल दिया।
  • महिलाओं के अधिकार: राममोहन ने महिलाओं को संपत्ति और विरासत के अधिकार दिलाने के लिए भी आवाज उठाई।

इस प्रकार, राजा राममोहन राय ने समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की महिला विरोधी प्रथाओं और रूढ़िवादी सोच के खिलाफ मुखर आवाज उठाई और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया।

प्रश्न (iv) ईश्वरचंद्र विद्यासागर के महिला सुधार में योगदानों की चर्चा करें।

उत्तर: ईश्वरचंद्र विद्यासागर एक प्रमुख समाज सुधारक थे जिन्होंने महिलाओं की दयनीय स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रमुख योगदान निम्नलिखित हैं:

  • विधवा पुनर्विवाह आंदोलन: विद्यासागर ने विधवाओं के पुनर्विवाह की अनुमति देने के लिए एक व्यापक आंदोलन चलाया। उन्होंने शास्त्रों से प्रमाण देकर साबित किया कि विधवा विवाह धर्म-विरुद्ध नहीं है। उनके प्रयासों से 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ।
  • बाल विवाह निषेध: विद्यासागर ने बाल विवाह की प्रथा का भी विरोध किया क्योंकि यह बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए हानिकारक थी। उनके आग्रह पर ही बाद में न्यूनतम विवाह आयु निर्धारित की गई।
  • महिला शिक्षा का समर्थन: विद्यासागर ने महिलाओं की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और उन्हें शिक्षित करने के लिए स्कूल खोलने की मांग की। उन्होंने महिलाओं के संस्कार और नैतिक शिक्षा पर भी बल दिया।
  • विधवा अधिकार: विद्यासागर ने विधवाओं के लिए संपत्ति और विरासत के अधिकारों की मांग की ताकि उनकी आर्थिक निर्भरता दूर हो सके।
  • धार्मिक आधार: विद्यासागर ने समाज सुधार की अपनी मांगों को धार्मिक आधार पर प्रस्तुत किया ताकि धार्मिक आस्थाओं को ठेस न पहुंचे और लोगों को आसानी से समझाया जा सके।

इस प्रकार, ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने महिलाओं की शिक्षा, अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय समाज में उनकी स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया।

प्रश्न (v) स्वामी विवेकानंद ने महिला उत्थान के लिए कौन-कौन से उपाय सुझाए?

उत्तर: स्वामी विवेकानंद ने महिलाओं की उन्नति और उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय सुझाए। उनके द्वारा बताए गए मुख्य उपाय इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा का प्रसार: विवेकानंद का मानना था कि महिलाओं की शिक्षा ही उनकी सशक्तिकरण की कुंजी है। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने पर बहुत जोर दिया।
  • धार्मिक शिक्षा: उन्होंने महिलाओं को धार्मिक शिक्षा देने की भी वकालत की ताकि उनमें आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की भावना विकसित हो सके।
  • आर्थिक स्वतंत्रता: विवेकानंद का मानना था कि महिलाओं की आर्थिक आजादी और आत्मनिर्भरता उनकी उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए उन्होंने महिलाओं को स्वरोजगार और आजीविका के अवसरों को तलाशने की प्रेरणा दी।
  • समानता का सिद्धांत: उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता के सिद्धांत पर बल दिया और महिला भेदभाव की भर्त्सना की।
  • संस्कार और आत्मसम्मान: विवेकानंद ने महिलाओं में संस्कारों और आत्मगौरव की भावना पैदा करने पर जोर दिया ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सकें।
  • धार्मिक आदर्श: उन्होंने शक्ति का प्रतीक बनाया गया और महिलाओं के आदरणीय स्थान को बनाए रखने का आग्रह किया।

इस प्रकार, स्वामी विवेकानंद ने महिलाओं की शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, समानता, आत्मसम्मान और संस्कार को बढ़ावा देने के विभिन्न उपायों का समर्थन किया जिससे उनकी उन्नति एवं उत्थान में मदद मिल सके।

आइए करके देखें

प्रश्न (i) महिलाओं में साक्षरता बढ़ाने के लिए आपके विचार से क्या प्रयास किये जाने चाहिए? वर्ग में सहपाठियों से चर्चा करें।

संकेत: स्वयं चर्चा करें।

प्रश्न (ii) महिला उत्थान के लिए चलाये जाने वाले सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी एकत्र कर उसकी एक सूची बनाएँ।

संकेत: शिक्षक के सहयोग से स्वयं करें।

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