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इस अध्याय में आप ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में शिक्षा व्यवस्था के विकास के बारे में जानेंगे। यह अध्याय आपको चार्टर एक्ट 1813, अंग्रेजी शिक्षा बनाम भारतीय भाषाओं की शिक्षा के विवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से अवगत कराएगा। आप पढ़ेंगे कि किस प्रकार लॉर्ड मेकाले के सुधारों ने अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा दिया। साथ ही, आप वुड के सर्वेक्षण (1854) और उससे शुरू हुई शिक्षा व्यवस्था के बारे में भी जानेंगे।
Bihar Board Class 8 History Solutions Chapter 7
Contents
Subject | History (अतीत से वर्तमान भाग 3) |
Class | 8th |
Chapter | 7. ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. मदरसा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- मदरसा एक ऐसा शिक्षण संस्थान है जहां इस्लामिक शिक्षा और अरबी भाषा का अध्ययन किया जाता है। मदरसों में कुरान और हदीसों के साथ-साथ अन्य विषयों जैसे गणित, भूगोल और इतिहास भी पढ़ाया जाता है। ये संस्थान मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा प्रदान करते हैं और धार्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2. गतिविधि-जोन्स प्राचीन भारतीय ग्रंथों को पढ़ना जरूरी क्यों समझते थे-सोचें?
उत्तर- विलियम जोन्स एक प्रसिद्ध भारतविद् थे। उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों और साहित्य को समझना महत्वपूर्ण समझा क्योंकि ये ग्रंथ भारत की समृद्ध सभ्यता और संस्कृति के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। इन ग्रंथों से भारत की प्राचीन विचारधारा, दर्शन, इतिहास और परंपराओं को समझा जा सकता है। जोन्स भारतीय ज्ञान और विरासत को समझने के लिए इन ग्रंथों के अध्ययन को आवश्यक मानते थे।
प्रश्न 3. गतिविधि-कल्पना करें, अंग्रेज भारतीय लोगों के मानस को अपने अनुसार क्यों ढालना चाहते थे?
उत्तर- अंग्रेजों का उद्देश्य भारत पर शासन करना और यहां अपना प्रभाव स्थापित करना था। इसके लिए उन्होंने भारतीयों के मानसिक ढांचे को अपनी संस्कृति और मूल्यों के अनुरूप बनाना चाहा। वे चाहते थे कि भारतीय यूरोपीय संस्कृति को उच्च मानें और अपनी संस्कृति को निम्न समझें। इससे भारतीयों में आत्मसम्मान की कमी आएगी और वे अंग्रेजों के प्रति आज्ञाकारी बन जाएंगे। इस तरह अंग्रेज सरलतापूर्वक भारत पर शासन कर सकते थे।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें।
प्रश्न (i). विलियम जोंस भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून के अध्ययन को क्यों जरूरी मानते थे?
(क) भारत में बेहतर अंग्रेजी शासन स्थापित करने के लिए
(ख) प्राचीन भारतीय पुस्तकों के अनुवाद (अंग्रेजी में) के लिए
(ग) अपने भारत प्रेम के कारण।
(घ) भारतीय ज्ञान-विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए।
उत्तर- (ग) अपने भारत प्रेम के कारण।
प्रश्न (ii). आधुनिक शिक्षा की भाषा किसको बनाया गया?
(क) हिन्दी
(ख) बांगला
(ग) अंग्रेजी
(घ) मराठी
उत्तर- (ग) अंग्रेजी
प्रश्न (iii). एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना किसने किया?
(क) मैकाले
(ख) विलियम जोंस
(ग) कोलब्रुक
(घ) वारेन हेस्टिंग्स
उत्तर- (ख) विलियम जोंस
प्रश्न (iv). औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदाकर दिया? गाँधीजी ऐसा क्यों मानते थे?
(क) भारतीयों द्वारा पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ मानने के कारण
(ख) अंग्रेजी भाषा में शिक्षा के कारण
(ग) पाठ्य पुस्तकों पर शिक्षा को केन्द्रित करने के कारण
(घ) भारतीयों का अंग्रेजी शसन के समर्थन करने के कारण
उत्तर- (क) भारतीयों द्वारा पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ मानने के कारण
प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ-
उत्तर-
विलियम जोंस | प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
टॉमस मेकॉले | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
महात्मा गाँधी | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
पाठशालाएँ | गुरु |
आइए विचार करें
प्रश्न (i). भारत के विषय में विलियम जोंस के विचार कैसे थे ? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर- विलियम जोन्स एक प्रसिद्ध भारतविद् थे। उन्होंने भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रति गहरा सम्मान और आदर प्रकट किया। वे मानते थे कि प्राचीन काल में भारत अपने वैभव के चरम पर था। जोन्स का विचार था कि भारतीय ज्ञान और विरासत को समझने के लिए वेद, उपनिषद्, स्मृतियों और धर्म-सूत्रों जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। उनका मानना था कि भारत में अंग्रेजी शासन को सफल बनाने के लिए इन ग्रंथों को समझना आवश्यक है।
प्रश्न (ii). टॉमस मेकॉले भारत में किस प्रकार की शिक्षा शुरू करना चाहते थे, इस सम्बन्ध में उनके क्या विचार थे?
उत्तर- टॉमस मेकॉले भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार और प्रसार करना चाहते थे। उनका मानना था कि पुरातन भारतीय ग्रंथ अज्ञान और अंधविश्वासों से भरे हुए हैं। इसलिए उन पर धन खर्च करना बेकार है। मेकॉले का विचार था कि भारतीयों को व्यावहारिक और तकनीकी शिक्षा देनी चाहिए जो उन्हें यूरोपीय ज्ञान और विज्ञान से परिचित कराए। उनका मानना था कि अंग्रेजी माध्यम से ही यह संभव है क्योंकि उस समय यूरोपीय विज्ञान और तकनीक का सारा ज्ञान अंग्रेजी में उपलब्ध था।
प्रश्न (iii). भारत में अंग्रेजी शिक्षा का उद्देश्य क्या था? उसका स्वरूप कैसा था?
उत्तर- 1813 तक अंग्रेजों ने भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। इस विशाल क्षेत्र पर शासन करने के लिए उन्हें भारी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता थी। इतने लोग इंग्लैंड से नहीं आ सकते थे। इसलिए अंग्रेजों को स्थानीय भारतीयों को शिक्षित करना पड़ा ताकि वे उनके लिए काम कर सकें। लेकिन भारत में तब प्रचलित शिक्षा व्यवस्था उनके उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकती थी। अतः अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार शुरू किया ताकि अपने लिए भारतीय कर्मचारियों की एक फौज तैयार हो सके।
प्रश्न (iv). शिक्षा के विषय में महात्मा गाँधी एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचारों को बताएं।
उत्तर- महात्मा गांधी की राय में, भारत में शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए। अंग्रेजी शिक्षा भारतीयों को अपनी संस्कृति और मूल्यों से कटा देती है। वे चाहते थे कि शिक्षा भारतीयों में आत्म-गरिमा और स्वाभिमान का भाव पैदा करे। उनका मानना था कि शिक्षा मौखिक होनी चाहिए और व्यावहारिक कौशल विकसित करने पर जोर देना चाहिए। केवल साक्षरता ही शिक्षा नहीं है।
रवीन्द्रनाथ टैगोर चाहते थे कि स्कूल बच्चों को खुला और रचनात्मक वातावरण प्रदान करें जहां वे अपने विचारों को आजादी से व्यक्त कर सकें। उनका मानना था कि प्राकृतिक परिवेश में ही सृजनात्मक शिक्षा संभव है। शिक्षक को बच्चों के रचनात्मक पक्ष को समझना चाहिए और उनमें जिज्ञासा भाव विकसित करना चाहिए। टैगोर का मानना था कि पश्चिमी शिक्षा प्रणाली बच्चों की रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को मार देती है।
प्रश्न (v). अंग्रेज विद्वानों के बीच शिक्षा नीति के विषय में किस प्रकार के विवाद थे । इस सम्बन्ध में आप क्या सोचते हैं। बताएँ।
उत्तर- अंग्रेज विद्वानों के बीच भारत में शिक्षा नीति के विषय में एक गंभीर विवाद था। एक धारा का विचार था कि भारतीय भाषाओं और ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देना चाहिए। इस धारा के समर्थकों में विलियम जोन्स जैसे विद्वान शामिल थे। उनका मानना था कि इससे भारतीयों की अपनी विरासत को समझने और उनके लिए कर्मचारियों की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।
दूसरी धारा जेम्स मिल और टॉमस मैकॉले जैसे विद्वानों की थी। उनका विचार था कि भारतीयों को अंग्रेजी में शिक्षित करना चाहिए ताकि उनके मानसिक ढांचे को यूरोपीय संस्कृति के अनुरूप बनाया जा सके। इससे अंग्रेजों को भारतीय कर्मचारियों की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी।
मेरे विचार से दोनों दृष्टिकोणों में कुछ न कुछ सच्चाई थी। भारतीय भाषाओं और ज्ञान को बढ़ावा देना भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समझने के लिए महत्वपूर्ण था। साथ ही, उस समय अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी ज्ञान-विज्ञान को समझना भी आवश्यक था क्योंकि यूरोप विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में काफी आगे था। इसलिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना बेहतर होता जहां भारतीय विरासत और पश्चिमी ज्ञान-विज्ञान दोनों का अध्ययन किया जाता।