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इस अध्याय में आप अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय शहरों में आए परिवर्तनों के बारे में जानेंगे। यह अध्याय आपको उपनिवेशकालीन शहरी केंद्रों के विकास और विस्तार से परिचित कराएगा। आप पढ़ेंगे कि किस प्रकार नई व्यापारिक गतिविधियों और औद्योगिकीकरण ने शहरों के भौगोलिक विस्तार और जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित किया। साथ ही, आप नए शहरी नक्शे, बस्तियों और आवासीय इलाकों के विकास के बारे में भी जानेंगे।
Bihar Board Class 8 History Solutions Chapter 10
Subject | History (अतीत से वर्तमान भाग 3) |
Class | 8th |
Chapter | 10. अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. औपनिवेशिक शहर, मध्यकालीन शहरों से किस प्रकार भिन्न थे? कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर: औपनिवेशिक शहर और मध्यकालीन शहर कई मायनों में एक-दूसरे से अलग थे। इनकी विशेषताओं और विकास के कारणों में काफी अंतर था। निम्नलिखित बिंदुओं से इस अंतर को समझा जा सकता है:
- विकास के कारण: मध्यकालीन शहरों का विकास मुख्य रूप से व्यापार, हस्तशिल्प और धार्मिक केंद्रों के रूप में हुआ था। वहीं, औपनिवेशिक शहरों का विकास अंग्रेजों द्वारा औपनिवेशिक व्यापार और प्रशासनिक गतिविधियों के कारण हुआ।
- आर्थिक गतिविधियां: मध्यकालीन शहरों में मुख्य रूप से हथकरघा उद्योग और परंपरागत व्यवसाय चलते थे। औपनिवेशिक शहरों में आधुनिक उद्योग, व्यापारिक गतिविधियां और सेवा क्षेत्र प्रमुख थे।
- संरचना और योजना: मध्यकालीन शहर अनियोजित और अव्यवस्थित तरीके से विकसित हुए थे। वहीं, औपनिवेशिक शहरों को योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया गया था।
- प्रशासन और शासन: मध्यकालीन शहरों का प्रशासन राजा या नवाब के अधीन था। लेकिन औपनिवेशिक शहरों पर ब्रिटिश शासन का नियंत्रण था।
- आबादी का स्वरूप: मध्यकालीन शहरों में आबादी मुख्य रूप से स्थानीय थी, जबकि औपनिवेशिक शहरों में विदेशी (अंग्रेज) नागरिक भी बड़ी संख्या में आबाद होने लगे थे।
- भौतिक संरचना: मध्यकालीन शहरों में मुख्य रूप से किले, मंदिर और हवेलियां थीं, जबकि औपनिवेशिक शहरों में सरकारी भवन, क्लबगृह, चर्च और आधुनिक बुनियादी ढांचे विकसित किए गए।
इस प्रकार, औपनिवेशिक शहरों का उद्भव और विकास मध्यकालीन शहरों से पूरी तरह अलग परिस्थितियों और कारणों से हुआ था।
प्रश्न 2. भागलपुर एक व्यावसायिक शहर था। क्या आप इस विचार से सहमत हैं?
उत्तर: हां, मैं पूरी तरह सहमत हूं कि भागलपुर एक व्यावसायिक शहर था। भागलपुर का उद्भव और विकास व्यापार और वाणिज्य के कारण ही हुआ था। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- रेशम उद्योग: भागलपुर को ‘सिल्क सिटी’ के नाम से जाना जाता था क्योंकि यहां प्राचीन काल से ही उच्च गुणवत्ता वाले रेशम के कपड़े बनाए जाते थे। इनकी मांग देश-विदेश में काफी थी।
- गंगा नदी का मार्ग: भागलपुर का स्थान गंगा नदी के किनारे होने के कारण यहां व्यापारिक गतिविधियां बहुत सुगम थीं। गंगा नदी के जलमार्ग से व्यापारिक माल का आवागमन आसानी से होता था।
- कृषि उपज: भागलपुर और आसपास के क्षेत्रों से प्राप्त होने वाली कृषि उपज जैसे धान, चावल, तिलहन आदि की भी व्यापार में बड़ी भूमिका रही।
- हथकरघा उद्योग: भागलपुर में विभिन्न प्रकार के हथकरघा उद्योग जैसे बुनाई, लकड़ी का काम, सिल्क प्रिंटिंग आदि चलते थे जिनके उत्पादों का भी व्यापार होता था।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन: ब्रिटिश शासन ने भी भागलपुर के व्यापारिक विकास को बढ़ावा दिया क्योंकि यहां से भारतीय उत्पादों का निर्यात किया जाता था।
इन कारणों से भागलपुर एक प्रमुख व्यावसायिक शहर बन गया था और यहां व्यापार एवं वाणिज्य की गतिविधियां बहुत तेजी से विकसित हुई थीं।
प्रश्न 3. आप किसी शहर के शैक्षणिक, धार्मिक, सार्वजनिक एवं सरकारी भवनों की सूची बनाएं तथा जानकारी प्राप्त करें कि इनका निर्माण कब हुआ? आप यह बताएं कि इसका उपयोग किस काम के लिए किया जाता है?
उत्तर: छात्रों को अपने शहर या किसी अन्य शहर के बारे में निम्नलिखित जानकारी एकत्रित करनी चाहिए:
शैक्षणिक भवन:
- विद्यालय/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय के भवन
- उनके निर्माण का वर्ष
- शैक्षणिक गतिविधियों के लिए उपयोग
धार्मिक भवन:
- मंदिर/मस्जिद
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1. सही या गलत बताएँ
- भागलपुर शहर का विकास औपनिवेशिक शहरों से भिन्न परम्परागत शहर के रूप में हुआ। – सही
- मुस्लिम काल में भागलपुर शहर सूफी संस्कृति का केन्द्र नहीं था। – गलत
- उन्नीसवीं सदी में भागलपुर में बंगाली और मारवाड़ी समुदाय का आगमन हुआ। – सही
- भारत में आधुनिक शहरों का विकास औद्योगीकरण के साथ हुआ। – सही
- प्रेसिडेंसी शहरों में ‘गोरे’ और ‘काले’ लोग अलग-अलग इलाकों में रहते थे। – सही
प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ l
- प्रेसिडेंसी शहर – (ख) बम्बई, कलकत्ता, मद्रास
- रेलवे शहर – (क) बरेली, जमालपुर
- औद्योगिक शहर – (ग) कानपुर, जमशेदपुर
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों को भरें
- भागलपुर नगरपिालिका की स्थापना 1864 ई० में हुई थी।
- भागलपुर में सिल्क कपड़ा उत्पादन का केन्द्र चम्पानगर, नाथनगर मोहल्ला और था।
- भागलपुर में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले प्रमुख संस्कृतिकर्मी शरतचन्द्र, अशेंदु बाबु, हरिकुंज थे। ।
- रेलवे स्टेशन कच्चे माल का संग्रह केन्द्रऔर आयातित वस्तुओं का वितरण बिन्दु था।
- कालजयी उपन्यास देवदास की रचना शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ने की थी।
आइए विचार करें
प्रश्न (i) शहरीकरण का आशय क्या है?
उत्तर – शहरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी क्षेत्र में शहरों का विकास और विस्तार होता है। जब किसी गांव या क्षेत्र में लोगों की आबादी बढ़ने लगती है, व्यापार और उद्योग विकसित होते हैं, तो वह धीरे-धीरे शहर बनने लगता है। शहरीकरण के मुख्य कारण हैं – औद्योगिकरण, व्यापार का विस्तार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास, परिवहन व संचार की बेहतर व्यवस्था आदि। शहरों में आवासीय इमारतें, कारखाने, दफ्तर, बाजार, विद्यालय, अस्पताल आदि बनते हैं। शहरीकरण के कारण गांवों से लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं।
प्रश्न (ii) अठारहवीं सदी में नये शहरी केन्द्रों के विकास की प्रक्रिया पर प्रकाश डालें?
उत्तर – मुगलकालीन शहरों के साथ-साथ अठारहवीं शताब्दी में कई नए शहरी केन्द्र विकसित हुए। मुगल साम्राज्य के पतन के बाद स्थानीय शासकों और यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों ने नए शहर बसाए। लखनऊ, हैदराबाद, सेरिंगपटनम, पुणे, नागपुर, बड़ौदा आदि नवीन शासकीय केंद्रों के साथ शहरी केंद्र स्थापित हुए। इन शहरों में व्यापारी, शिल्पकार, राजकर्मी और विशिष्ट सेवा प्रदाता लोग आकर बसने लगे।
यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों जैसे पुर्तगाली (गोवा), डच (मसुलीपट्टनम), अंग्रेज (चेन्नई) और फ्रेंच (पुदुचेरी) ने भी भारत में व्यापारिक केंद्र स्थापित किए। इन केंद्रों के आसपास नए शहर बसे। जब पुराने व्यापारिक केंद्र पतन की ओर गए, तो नए केंद्रों का महत्व बढ़ा।
प्रश्न (iii) ग्रामीण एवं शहरी अर्थव्यवस्था के अंतर को स्पष्ट करें?
उत्तर – ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था में काफी अंतर है। गांवों की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित होती है। गांव में किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार और हथकरघा शिल्पकार निवास करते हैं। वहां खेती, पशुपालन, बुनाई-कढ़ाई आदि मुख्य पेशे होते हैं। दूसरी ओर, शहरी अर्थव्यवस्था विविध गतिविधियों पर आधारित होती है जैसे व्यापार, उद्योग, कारखाने, दफ्तर, सेवा क्षेत्र आदि। शहरों में व्यापारी, उद्योगपति, नौकरशाह, प्रशासक और विभिन्न पेशेवर रहते हैं।
पूर्व में शहरों को किलेबंदी कर ग्रामीण इलाकों से अलग किया जाता था। शहर ग्रामीण इलाकों पर नियंत्रण रखते थे और खेती से प्राप्त राजस्व एवं अधिशेष पर निर्भर करते थे। अतः शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच स्पष्ट विभेद था।
प्रश्न (iv) भागलपुर शहर एक व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक नगर था। कैसे?
उत्तर – भागलपुर शहर बिहार का एक प्रमुख व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक केंद्र रहा है। यह शहर गंगा नदी के तट पर स्थित है और रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है, जिससे यहां व्यापार और आवागमन सुगम रहा। भागलपुर शहर के घने मुहल्लों और बाजारों में व्यापारी, शिल्पकार, कारीगर, जुलाहे, बुनकर और मजदूर समेत विभिन्न वर्गों के लोग निवास करते थे। यहां सिल्क, सूती तथा ऊनी कपड़ों के साथ-साथ किराना, अनाज, तेल का भी थोक व्यापार होता था। विशेष रूप से रेशमी कपड़े (तसर) का निर्माण इस शहर का प्रमुख उद्योग था, जिसके लिए यह ‘सिल्क सिटी’ के नाम से विख्यात हुआ।
भागलपुर का सांस्कृतिक महत्व भी उल्लेखनीय रहा है। यहां शायरी, नृत्य-संगीत जैसे कलात्मक गतिविधियां प्रचलित रहीं। प्रसिद्ध साहित्यकारों जैसे शरतचंद्र, विभूतिभूषण बंदोपाध्याय, रबींद्रनाथ टैगोर और बलाई चंद्र मुखर्जी उर्फ बनफूल ने यहां निवास किया और लेखन कार्य किया। रंगकर्मी राधाकृष्ण सहाय ने भी यहीं रहकर बंगला साहित्य का हिंदी अनुवाद किया। शरतचंद्र का महानायक ‘देवदास’ और बंदोपाध्याय की ‘पथेर पाँचाली’ जैसी प्रसिद्ध कृतियों का सृजन भागलपुर में हुआ। इस प्रकार भागलपुर शहर व्यापार के साथ-साथ संस्कृति और साहित्य का भी केंद्र रहा।
प्रश्न (v) भागलपुर को सिल्क सिटी (रेशमी शहर) क्यों कहा जाता है?
उत्तर – भागलपुर शहर को ‘सिल्क सिटी’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां रेशम (सिल्क) के कपड़ों का उत्पादन एक प्रमुख उद्योग था। करीब 1810 ई. तक यहां लगभग 3275 रेशम बुनाई के करघे सक्रिय थे। चम्पानगर और नाथनगर मुहल्लों में रेशम की बुनाई का केंद्र स्थित था। यहां रेशम और सूत की मिलावट से ‘बाफ्ता’ नामक रेशमी वस्त्र बनाए जाते थे। भागलपुर के ये रेशमी कपड़े यूरोप के देशों में भी भेजे जाते थे, जहां इनकी काफी मांग थी। अतः अपने इस विशिष्ट रेशम उद्योग के कारण भागलपुर को ‘सिल्क सिटी’ या ‘रेशमी शहर’ के नाम से पुकारा जाता था।
प्रश्न (vi) शहरों के सामाजिक परिवेश को समझाएं।
उत्तर – शहरों में विविध व्यवसायों एवं जातियों के लोग निवास करते हैं, जिससे एक विविधतापूर्ण सामाजिक परिवेश बनता है। शहरी समाज तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित होता है – उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग।
उच्च वर्ग में अमीर व्यापारी, सरकारी अधिकारी तथा राजनीतिज्ञ आते हैं। ये आलीशान महलों और भव्य इमारतों में निवास करते हैं। मध्यम वर्ग में सरकारी कर्मचारी, छोटे व्यापारी आदि सम्मिलित होते हैं। निम्न वर्ग में मजदूर, कारीगर, नौकर-चाकर तथा अन्य गरीब लोग आते हैं, जो झुग्गियों और जनावासों में कठिन परिस्थितियों में जीवनयापन करते हैं।
इस प्रकार शहरों में विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं, जिससे शहरी समाज में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है। साथ ही अमीर-गरीब की खाई भी गहरी होती है। हालांकि सभी वर्ग व्यावसायिक एवं सामाजिक रूप से एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं।
आइए करके देखें
प्रश्न (i) आप अपने राज्य के किसी शहर के इतिहास का पता लगाएँ तथा शहर के फैलाव और आबादी के बसाव के बारे में बताएँ । साथ ही शहर में संचालित व्यावसायिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के विषय में जानकारी दें।
संकेत- यह परियोजना कार्य है, शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।