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इस अध्याय में आप भारत के पारंपरिक शिल्पों और उद्योगों के बारे में जानेंगे। यह अध्याय आपको कपड़ा, सिरेमिक, लोहा, सोना-चांदी शिल्प जैसे विभिन्न शिल्प क्षेत्रों से परिचित कराएगा। आप पढ़ेंगे कि किस प्रकार ये शिल्प घरेलू स्तर पर और शहरी केंद्रों में फैले थे।

Bihar Board Class 8 History Solutions Chapter 5
Contents
Subject | History (अतीत से वर्तमान भाग 3) |
Class | 8th |
Chapter | 5. शिल्प एवं उद्योग |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. जामदानी बनाई वाले कपड़े महंगे क्यों होते थे ? इसका उपयोग सिर्फ रजवाड़े परिवार के लोग ही क्यों करते थे?
उत्तर- जामदानी कपड़े महंगे होते थे क्योंकि इनमें बारीक मलमल पर सोने के धागों से विशेष डिजाइनें बुनी जाती थीं। यह कठिन और समय लेने वाला काम था। केवल रजवाड़े परिवार के लोग ही इतने महंगे कपड़े खरीद सकते थे।
प्रश्न 2. मुक्त व्यापार की नीति क्या थी?
उत्तर- मुक्त व्यापार की नीति का अर्थ था कि अब ईस्ट इंडिया कंपनी के अलावा भी अन्य अंग्रेजी व्यापारी भारत से व्यापार कर सकते थे। इससे व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार समाप्त हो गया था।
प्रश्न 3. उद्योग में लगे हुए भारतीय कारीगर उद्योग को छोड़ कृषि की तरफ क्यों लौट गए?
उत्तर- भारतीय कारीगरों को उद्योग छोड़कर कृषि की ओर लौटना पड़ा क्योंकि मुक्त व्यापार नीति के कारण इंग्लैंड की सस्ती मशीनी वस्तुओं से उनकी हस्तनिर्मित वस्तुओं की बिक्री प्रभावित हुई। साथ ही, भारतीय वस्तुओं पर इंग्लैंड में उच्च आयात शुल्क लगाया गया जिससे उनकी बिक्री और कम हो गई।
प्रश्न 4. नि: औद्योगिकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- नि:औद्योगिकरण का अर्थ है जब देश के लोग शिल्प और उद्योग छोड़कर खेती को अपनी आजीविका का आधार बना लेते हैं।
प्रश्न 5. अंग्रेजी सरकार ने इग्लैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए क्या किया? भारतीय उद्योगपतियों को यह सुविधा क्यों नहीं मिली? भारत में स्टील के उत्पादन से भारतीयों को क्या लाभ मिला?
उत्तर- अंग्रेजी सरकार ने इंग्लैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार नीति अपनाई। इसके तहत भारत में इंग्लैंड की वस्तुओं पर कोई शुल्क नहीं लगाया गया। भारतीय उद्योगपतियों को यह सुविधा इसलिए नहीं मिली ताकि भारत का औद्योगिक विकास धीमा रहे। भारत में स्टील उत्पादन से भारतीय उद्योगपतियों को लाभ मिला और आम लोगों को भी सस्ती स्टील उपलब्ध हुई।
प्रश्न 6. मशीन उद्योग के शुरू होने से पूर्व भारत में किस तरह का उद्योग था ? मशीनी उद्योग की आवश्यकता भारतीयों को क्यों पड़ी?
उत्तर- मशीनी उद्योग से पहले भारत में कुटीर उद्योग और हस्तशिल्प उद्योग प्रमुख थे। रेलवे के विकास और अंग्रेजों द्वारा मशीनीकरण के बाद भारतीयों को भी मशीनी उद्योग की आवश्यकता पड़ गई ताकि वे विकास की गति से पीछे न रह जाएं।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें।
प्रश्न (i). अठारहवीं शताब्दी में भारत का प्रमुख उद्योग निम्नलिखित में से कौन था?
(क) वस्त्र उद्योग
(ख) कोयला उद्योग
(ग) लौह उद्योग
(घ) जूट उद्योग
उत्तर- (क) वस्त्र उद्योग
प्रश्न (ii). फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (FICCI) की स्थापना कब हुई?
(क) सन् 1920 में
(ख) सन् 1927 में
(ग) सन् 1938 में
(घ) सन् 1948 में
उत्तर- (ख) सन् 1927 में
प्रश्न (iii). जूट उद्योग का प्रमुख केन्द्र कहाँ था ?
(क) गुजरात
(ख) आंध्र प्रदेश
(ग) बंगाल
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर- (ग) बंगाल
प्रश्न (iv). सन् 1818 में अंग्रेजी सरकार ने किस उद्देश्य से मजदूरों के लिए नियम बनाए?
(क) मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए
(ख) अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए..
(ग) प्रशासनिक सुविधा के लिए ।
(घ) अपने आर्थिक लाभ के लिए
उत्तर- (घ) अपने आर्थिक लाभ के लिए
प्रश्न (v). ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना कब
(क) 1818 में
(ख) 1920 में
(ग) 1938 में
(घ) 1947 में
उत्तर- (ख) 1920 में
प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ।
उत्तर-
1. जूट उद्योग | (ख) बंगाल |
2. ऊनी वस्त्र उद्योग | (घ) कश्मीर |
3. जामदानी बुनाई | (क) लखनऊ |
4. लौह उद्योग | (ङ) जमशेदपुर |
5. नील बगान उद्योग | (ग) चम्पारण |
आइए विचार करें-
प्रश्न (i). कैलिको अधिनियम के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर- कैलिको अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भारत से आयातित छपे हुए सूती कपड़ों पर प्रतिबंध लगाना था। इंग्लैंड इस अधिनियम के द्वारा अपने कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देना चाहता था और भारतीय कपड़ा उद्योग को नुकसान पहुंचाना चाहता था। यह अधिनियम इंग्लैंड के उद्योगपतियों के हितों की रक्षा करता था और भारतीय उद्योग को दबाने का प्रयास था।
प्रश्न (ii). मुक्त व्यापार की नीति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- मुक्त व्यापार की नीति का अर्थ है कि व्यापार पर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध नहीं होंगे। 1813 में इंग्लैंड ने भारत के साथ व्यापार के लिए मुक्त व्यापार की नीति अपनाई। पहले केवल ईस्ट इंडिया कंपनी को ही भारत से व्यापार करने का अधिकार था, लेकिन इस नीति के बाद अन्य अंग्रेजी व्यापारियों को भी भारत में व्यापार करने की छूट मिल गई। हालांकि, इसके बावजूद भारतीय उत्पादों पर इंग्लैंड में उच्च आयात शुल्क लगाया जाता था।
प्रश्न (iii). भारतीय उद्योगपतियों को भारत में उद्योग की स्थापना के मार्ग में क्या-क्या बाधाएं थीं?
उत्तर- भारतीय उद्योगपतियों के सामने मुख्य बाधाएँ थीं – उच्च ब्याज दरें, मशीनों का आयात करना, और ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय उद्योगों को बढ़ावा न देना। बैंकों से उच्च ब्याज दरों पर ही ऋण मिलता था। मशीनें विदेशों से मंगवानी पड़ती थीं। साथ ही, ब्रिटिश सरकार भारतीय उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क नहीं लगाती थी जिससे विदेशी उत्पाद सस्ते रहते थे।
प्रश्न (iv). मजदूरों के हित में पहली बार कब नियम बनाया गया ? उन नियमों का मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- मजदूरों के हितों के लिए पहली बार 1881 में नियम बनाए गए। इन नियमों से मजदूरों की स्थिति में कुछ सुधार हुआ। इससे पहले मजदूरों से 15-18 घंटे तक काम लिया जाता था और उन्हें न्यूनतम सुविधाएं ही मिलती थीं। जब मजदूरों ने हड़ताल की तो उद्योगपतियों ने उनकी मांगें नहीं मानीं क्योंकि इससे उत्पादन लागत बढ़ जाती। अंग्रेजों ने अपने उद्योगों के हितों की वजह से मजदूरों के पक्ष में नियम बनाए।
प्रश्न (v). स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए कौन-कौन से कदम उठाए ?
उत्तर- स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए कई कदम उठाए। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम से मजदूरी दरों को निर्धारित किया गया। काम के घंटे कम किए गए और साप्ताहिक अवकाश दिया गया। कार्य दुर्घटना के मामले में मुआवजे का प्रावधान किया गया। इन उपायों से मजदूरों की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ।