Bihar Board class 8 Hindi chapter 7 solutions are available here. This guide covers all the question answers and explanation of HIndi chapter 7 – “ठेस”.
यह कहानी सिरचन नामक एक कलाकार व्यक्ति के बारे में है, जो बांस की कलाकृतियां बनाने में महारत रखता था। वह स्वाभिमानी और स्पष्टवादी प्रवृत्ति का था। लेखक की बहन मानू की शादी में उसके ससुराल वालों ने कुछ विशेष सामान मांगा था, जिसे सिरचन से बनवाया जाना था। लेकिन घर की महिलाओं का व्यवहार सिरचन के साथ अच्छा नहीं रहा, जिससे वह आधा काम छोड़कर चला गया।
Bihar Board Class 8 Hindi Chapter 7 Solutions
Subject | Hindi |
Class | 8th |
Chapter | 7. ठेस |
Author | फणीश्वर नाथ रेनू |
Board | Bihar Board |
पाठ से
प्रश्न 1: गाँव के किसान सिरचन को क्या समझते थे?
उत्तर: गाँव के किसान सिरचन को आलसी, निष्क्रिय और धीमी गति से काम करने वाला समझते थे। वे उसे कामचोर और बेकार व्यक्ति कहकर उसकी अवहेलना करते थे, क्योंकि सिरचन काम को नाप-तौलकर करता था और शायद इसलिए उन्हें लगता था कि वह मुफ्त में मजदूरी पा रहा है।
प्रश्न 2: इस कहानी में आए हुए विभिन्न पात्रों के नाम लिखें।
उत्तर: इस कहानी के मुख्य पात्र हैं – सिरचन, रेणु, रेणु की माँ, चाची, मँझली भाभी, मानू दीदी, और अन्य गाँव के लोग।
प्रश्न 3: सिरचन को पान का बीड़ा किसने दिया था?
उत्तर: मानू दीदी ने सिरचन को पान का बीड़ा दिया था, जिससे पता चलता है कि वह उससे प्रभावित थी और उसके काम की सराहना करती थी।
प्रश्न 4. निम्नलिखित गद्यांशों को कहानी के अनुसार क्रमबद्ध रूप में सजाइए।
उत्तर:
- मुझे याद है …………. क्या-क्या लगेगा।
- उस बार मेरी सबसे छोटी ………… बिना आएगी मानू तो।
- मान फूट-फूट कर …….. देख रहा था।
प्रश्न 5. निम्नलिखित वाक्यों के सामने सही (✓) या गलत (✗) का निशान लगाइए।
प्रश्नोत्तर:
- सिरचन कामचोर था । (✗)
- सिरचन अपने काम में दक्ष था। (✓)
- सिरचन बात करने में भी कारीगर था। (✓)
- सिरचन वकील था। (✗)
प्रश्न 6: कहानी के किन-किन प्रसंगों से ऐसा प्रतीत होता है कि सिरचन अपने काम को ज्यादा तरजीह देता था? उल्लेख कीजिए।
उत्तर: कहानी में कई प्रसंग ऐसे हैं, जिनसे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि सिरचन अपने काम को सर्वोपरि प्राथमिकता देता था। जैसे:
- जब मानू दीदी की विदाई के लिए शीतलपाटी और चिक बनाने के लिए उसे बुलाया गया, तो वह काम में इतना तल्लीन हो गया कि यदि कोई उसका ध्यान भंग करता तो वह गुस्से से फुफकार उठता और काम छोड़कर चला जाता।
- दूसरे दिन जब वह काम में व्यस्त था, तो उसे भोजन की याद ही नहीं रही। उसे केवल चुड़ा मिला, जिसे वह चबाता रहा, लेकिन गुड़ का ठेला वहीं अछूता पड़ा रहा। यह दर्शाता है कि उसके लिए काम ही सर्वप्रमुख था।
इन प्रसंगों से स्पष्ट है कि सिरचन अपने काम में पूरी तरह समर्पित और तल्लीन रहता था, और भोजन या अन्य बातों की उसे परवाह नहीं थी। उसके लिए काम ही सबसे महत्वपूर्ण था।
प्रश्न 7: इस कहानी में कौन-सा पात्र आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर: इस कहानी में सिरचन का पात्र सबसे अच्छा लगता है, क्योंकि वह अपने काम के प्रति पूरी निष्ठा और समर्पण का भाव रखता है। उसकी कलात्मक प्रतिभा और कारीगरी का लोहा दूर-दूर के गाँव के लोग मानते थे। साथ ही, वह स्वाभिमानी और आत्मसम्मान से भरा व्यक्ति था। यदि कोई उसके काम पर आपत्ति करता या उसकी कला की उपेक्षा करता, तो वह बिना किसी हिचक के काम छोड़ देता था, भले ही वह अधूरा ही क्यों न रह जाए।
कहानी के अंत में, जब मानू दीदी विदा हो रही थी, तो सिरचन ने उनके लिए शीतलपाटी, चिक और कुश की आसानी बनाई और गाड़ी खुलने के समय उन्हें देने के लिए दौड़ता-हाँफता आया। यह उसकी आत्मीयता और सम्मान की भावना को दर्शाता है। इन सभी कारणों से सिरचन का पात्र सबसे आकर्षक और प्रभावशाली लगता है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1: आपकी दृष्टि में सिरचन द्वारा चिक एवं शीतलपाटी स्टेशन पर मानू को देना कहाँ तक उचित था।
उत्तर: सिरचन द्वारा स्टेशन पर मानू को विदा करते समय चिक और शीतलपाटी देना पूरी तरह उचित था। यह उसके आत्मसम्मान और कला के प्रति समर्पण को दर्शाता है। गाँव वालों द्वारा अपमानित होने के बावजूद, उसने अपनी कला का सम्मान किया और अपने हाथों से निर्मित वस्तुओं को उपहार स्वरूप प्रदान किया। यह उसकी भावनाओं की मर्यादा को प्रकट करता है।
प्रश्न 2: काम के बदले थोड़ा-सा अनाज या चंद रुपये देकर क्या किसी मजदूर की मजदूरी का मूल्य चुकाया जा सकता है? इस संबंध में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर: नहीं, मजदूरों को केवल थोड़ा अनाज या कुछ रुपये देकर उनकी मजदूरी का वास्तविक मूल्य नहीं चुकाया जा सकता है। एक मजदूर या कारीगर की कला और श्रम असीमित मूल्य के होते हैं। उनकी मेहनत और प्रतिभा का मूल्य केवल कुछ अनाज या नगद से नहीं तोला जा सकता। उनकी मजदूरी का सच्चा मूल्य है उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता का भाव प्रकट करना, उनके कार्य की सराहना करना और उनकी कला को पहचानना।
प्रश्न 3: इस कहानी का अंत किये गये अंत से अलग और क्या हो सकता है? सोचकर लिखिए।
उत्तर: हाँ, इस कहानी का अंत किए गए अंत से अलग भी हो सकता था। लेखक चाहते तो कहानी को वहीं समाप्त कर सकते थे जहाँ सिरचन शपथ लेता है कि वह फिर कभी यह काम नहीं करेगा। इससे कहानी का शीर्षक “ठेस” भी साथ लगता। लेकिन लेखक ने सिरचन के चरित्र में निहित आत्मसम्मान और भावनात्मक संवेदनशीलता को उजागर करने के लिए कहानी का अंत बदल दिया। जब सिरचन स्टेशन पर दौड़कर मानू को अपने निर्मित उपहार प्रदान करता है, तो यह उसकी आत्मीयता और कला के प्रति प्रेम को दर्शाता है। इस प्रकार लेखक ने चरित्र की गहराई को उजागर करने के लिए कहानी का अंत परिवर्तित किया।
व्याकरण
प्रश्न 1. इन मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते हुए अर्थ स्पष्ट कीजिए l
प्रश्नोत्तर:
- कान मत देना – उसके बातों पर कान मत देना।
- दम मारना – बीमार व्यक्ति दम मार-मारकर चलता है।
- मुँह में लगाम न होना – श्याम के मुँह में लगाम नहीं है।
- सिर चढ़ाना – मदन अपने पत्नी को सिर चढ़ा लिया है।