Bihar Board class 8 Hindi chapter 10 solutions are available for free here. This is a comprehensive guide that provides complete class 8 Hindi chapter 10 – “ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से” question answers.
निबंध ‘ईर्ष्या: तू न गई मेरे मन से’ में लेखक ईर्ष्या के बुरे प्रभावों पर प्रकाश डालता है। वह बताता है कि ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति कभी सचमुच खुश नहीं रह सकता। एक उदाहरण देते हुए लेखक बताता है कि उनके पड़ोसी वकील सब कुछ होने के बावजूद भी खुश नहीं था, क्योंकि वह अपने पड़ोसी बीमा एजेंट से ईर्ष्या करता था।

Bihar Board Class 8 Hindi Chapter 10 Solutions
Contents
Subject | Hindi |
Class | 8th |
Chapter | 10. ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से |
Author | रामधारी सिंह दिनकर |
Board | Bihar Board |
पाठ से
प्रश्न 1. वकील साहब सुखी क्यों नहीं हैं ?
उत्तर: वकील साहब सुखी नहीं हैं क्योंकि उन्हें अपने पड़ोसी बीमा एजेंट की सफलता और सुख-सुविधाओं पर ईर्ष्या होती है। उनके पास धन-संपत्ति, सुंदर घर, पत्नी और बच्चे हैं, फिर भी वे खुश नहीं हैं क्योंकि उनके मन में दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2. ईर्ष्या को अनोखा वरदान क्यों कहा गया है ?
उत्तर: ईर्ष्या को अनोखा वरदान इसलिए कहा गया है क्योंकि यह किसी को भी उसके सुख का आनंद लेने नहीं देता। ईर्ष्या वाले व्यक्ति को अप्राप्त वस्तुओं की ईर्ष्या सताती रहती है और वह प्राप्त वस्तुओं का आनंद नहीं ले पाता।
प्रश्न 3. ईर्ष्या की बेटी किसे और क्यों कहा गया है ?
उत्तर: निंदा को ईर्ष्या की बेटी इसलिए कहा गया है क्योंकि ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की निंदा करके ही अपनी ईर्ष्या को शांत करना चाहता है। वह सोचता है कि यदि दूसरे व्यक्ति की छवि खराब हो जाएगी तो उसकी सफलता उससे छिन जाएगी। इस प्रकार निंदा ईर्ष्या को बढ़ाने में मदद करती है।
प्रश्न 4. ईर्ष्यालु से बचने के क्या उपाय हैं ?
उत्तर: ईर्ष्यालु व्यक्ति से बचने का एक उपाय यह है कि हम अपनी कमियों पर ध्यान दें और उन्हें दूर करने की कोशिश करें। साथ ही, हमें ईर्ष्यालु व्यक्ति के प्रति दयालु और समझदार रहना चाहिए ताकि उसके मन से ईर्ष्या दूर हो सके।
प्रश्न 5. ईर्ष्या का लाभदायक पक्ष क्या हो सकता है?
उत्तर: ईर्ष्या का लाभदायक पक्ष यह हो सकता है कि यह व्यक्ति में स्पर्धात्मक भावना पैदा कर सकती है। ईर्ष्या के कारण व्यक्ति अपने प्रतिद्वंद्वी से आगे निकलने की कोशिश करेगा और अधिक मेहनत करेगा। इस प्रकार ईर्ष्या उसकी प्रगति में सहायक हो सकती है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. नीचे दिए गए कथनों का अर्थ समझाइए l
(क) जो लोग नए मूल्यों का निर्माण करने वाले हैं, वे बाजार में नहीं बसते, वे शोहरत के पास भी नहीं रहते।
अर्थ – जो लोग नवीन विचारों और मूल्यों को जन्म देते हैं, वे आम लोगों की तरह जीवन नहीं जीते। उन्हें लोकप्रियता या बदनामी की परवाह नहीं होती क्योंकि वे अपने आदर्शों और सिद्धांतों पर चलते हैं।
(ख) आदमी में जो गुण महान समझे जाते हैं, उन्हीं के चलते लोग उससे जलते भी हैं।
अर्थ – जब किसी व्यक्ति में कोई उत्कृष्ट गुण होता है, तो दूसरे लोग उससे ईर्ष्या करने लगते हैं। उनकी महानता और उपलब्धियों को देखकर लोगों के मन में जलन पैदा होती है।
(ग) चिंता चिता समान होती है।
अर्थ – चिंता करना व्यर्थ है क्योंकि इससे केवल व्यक्ति का जीवन दुखी और कष्टप्रद हो जाता है। चिंता करने से व्यक्ति अपने कर्तव्यों और लक्ष्यों से विचलित हो जाता है। अत: चिंता करना व्यर्थ और हानिकारक है।
प्रश्न 2.अपने जीवन की किसी घटना के बारे में बताइए जब-
(क) जब किसी को आपसे ईर्ष्या हुई हो।
उत्तर: कक्षा में मेरे अच्छे प्रदर्शन और शिक्षकों द्वारा प्रोत्साहित किए जाने से एक सहपाठी मुझसे ईर्ष्यालु हो गया था। उसने मेरे बारे में शिक्षकों और मेरे अभिभावकों को झूठी शिकायतें करनी शुरू कर दीं। मुझे तब समझ में आया कि ईर्ष्या से ही वह ऐसा कर रहा है। मैंने शांत रहकर शिक्षकों के साथ घनिष्ठता बढ़ाई और कुछ ही दिनों में उनको सच्चाई का पता चल गया। उन्होंने उस छात्र को ही डांटा और मामला सुलझा लिया।
(ख) जब आपको किसी से ईर्ष्या हुई हो।
उत्तर: मुझे भी एक सहपाठी से ईर्ष्या हुई थी क्योंकि वह हमेशा कक्षा में प्रथम आता था। लेकिन मैंने उसकी मेहनत को देखा और समझा कि अगर मैं भी उतनी मेहनत करूंगा तो मुझे भी सफलता मिलेगी। मैंने ईर्ष्या को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में बदल दिया और अगले ही वर्ष कक्षा में प्रथम आ गया।
प्रश्न 3: अपने मन से ईर्ष्या का भाव निकालने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: अपने मन से ईर्ष्या के भाव को निकालने के लिए हमें अपने आप पर अंकुश रखना होगा। हमें यह समझना होगा कि ईर्ष्या किसी का भला नहीं करती। इसके बजाय, हमें अपनी कमियों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही, दूसरों की उपलब्धियों पर खुशी मनानी चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। इस तरह हम अपने आप में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं और ईर्ष्या से मुक्त हो सकते हैं।
व्याकरण
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए l
- मृदुभाषिणी–वकील साहब की पत्नी मृदुभाषिणी थी।
- चिंता – चिंता चिता के समान है।
- सुकर्म-सुकर्म से सुयश मिलता है।
- बाजार–बाजार रविवार को बंद रहता है।
- जिज्ञासा-हमें किसी बात की जानकारी करने की जिज्ञासा होनी चाहिए।
प्रश्न 2. बॉक्स में दी गई जानकारी के आधार पर तीनों प्रकार के वाक्यों का दो-दो उदाहरण पाठ से चुनकर लिखिए।
उत्तर:
- सरल वाक्य
- ईर्ष्या का काम जलाना है।
- चिंता चिता समान है।
- मिश्र वाक्य:
- ईर्ष्या उसी को जलाती है जिसके हृदय में जन्म लेती है।
- मेरे घर के बगल में वकील रहते हैं जो खाने-पीने से अच्छे हैं।
- संयुक्त वाक्य
- वकील साहब के बाल-बच्चों से भरा पूरा परिवार, नौकर भी सुख – देने वाला और पत्नी भी अत्यन्त मृदुभाषिणी थी।
- ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जब इस तरजुबे से होकर गुजरे तब उन्होंने एक सूत्र कहा, “तुम्हारी निंदा वही करेगा, जिसकी तुमने भलाई की है।”
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