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यह निबंध महाकवि निराला के जीवन और व्यक्तित्व पर केंद्रित है। लेखक बताते हैं कि निराला का जीवन गरीबों और दीनों की सेवा में समर्पित रहा। वे अपनी हर जरूरत भुलाकर दूसरों की खुशी में ही खुश रहते थे। निराला श्रीरामकृष्ण मिशन में गरीब लोगों की सेवा करते थे और उनके लिए भोजन का प्रबंध करते थे। उनकी गरीबों के प्रति सेवा भावना लोगों को चकित कर देती थी। उनकी भाषा, व्यवहार और विनम्रता से सभी प्रभावित होते थे।

Bihar Board Class 8 Hindi Chapter 15 Solutions
Contents
Subject | Hindi |
Class | 8th |
Chapter | 15. दीनबन्धु ‘निराला’ |
Author | आचार्य शिवपूजन सहाय |
Board | Bihar Board |
पाठ से
प्रश्न 1. निराला को ‘दीनबन्धु’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर:- निराला को ‘दीनबन्धु’ इसलिए कहा गया क्योंकि वे गरीब और वंचित लोगों की हर संभव मदद करते थे। उनके घर पर आने वाले किसी भी गरीब व्यक्ति को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता था। निराला उनकी देखभाल और उनकी जरूरतों का ख्याल रखते थे, मानो वे उनके बंधु (भाई) ही हों। उनकी यही दयालु और उदार प्रवृत्ति उन्हें ‘दीनबन्धु’ का सम्मान दिलाती थी।
प्रश्न 2. निराला सम्बन्धी बातें लोगों को अतिरंजित क्यों जान पड़ती हैं ?
उत्तर:- निराला के उदारता और दानशीलता के कार्य लोगों को अतिरंजित इसलिए लगते थे क्योंकि उनमें असाधारण और दुर्लभ गुण थे। वे न केवल भिखारियों और गरीबों की मदद करते थे, बल्कि अपने मित्रों और अतिथियों का भी हार्दिक स्वागत करते थे। उन्होंने अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था, जो कि आम लोगों के लिए अतिरंजक था।
प्रश्न 3. निम्न पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
(क) “जो रहीम दीनहिं लखै, दीनबन्धु सम होय ।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव है कि जो व्यक्ति गरीब और वंचित लोगों की देखभाल करता है, उनकी मदद करता है, वह दीनबन्धु (गरीबों के मित्र) के समान महान बन जाता है। दूसरे शब्दों में, गरीबों की सेवा करना एक महान कार्य है।
(ख) “पुण्यशील के पास सब विभूतियाँ आप ही आप आती हैं।”
उत्तर:- इस पंक्ति का अर्थ है कि जो व्यक्ति पुण्य कर्म करता है, उसके पास सभी प्रकार की सम्पत्ति और विभूति स्वयं आ जाती है। उसे इन चीजों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता। पुण्यकर्म करना ही जीवन में समृद्धि लाता है।
(ग) “धन उनके पास अतिथि के समान अल्पावधि तक ही टिकने आता था।”
उत्तर:- यह पंक्ति बताती है कि जब भी निराला के पास धन आता था, वे उसे दान में दे देते थे। वे धन को अपने पास लंबे समय तक नहीं रखते थे, बल्कि उसका उपयोग जरूरतमंदों की मदद के लिए कर देते थे। धन उनके पास महज एक अतिथि की तरह थोड़े समय के लिए ही रुकता था।
व्याकरण
निम्नलिखित श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द युग्मों का अर्थ लिखिए
- समान = बराबर । सम्मान = प्रतिष्ठा ।
- केवल = एक ही। कैवल्य = एकता का भाव।
- बन = बनना । वन = जंगल ।
- भगवान = ईश्वर । भाग्यवान = भाग्यशाली।
- छात्र = विद्यार्थी । छत्र = छाता।
- अन्य = दूसरा । अन्न = भोजन का अन्न ।
- द्रव्य = धन-पैसा । द्रव = तरल पदार्थ ।
- जगत् = संसार । जगत = कुएँ के चारो ओर बना चबूतरा ।
- अवधी = भाषा । अवधि = समय ।
- क्रम = एक के बाद एक। कर्म = कार्य ।
- आदि = इत्यादि । आदी = खाने की एक वस्तु ।
- चिंता = सोचना । चिता = मृतक को जलाने के लिए श्मशान में रखे गये लकड़ी के ढेर जिस पर मृतक को जलाया जाता है।
अनेकार्थक शब्द-कुछ ऐसे शब्द प्रयोग में आते हैं, जिनके अनेक अर्थ होते हैं । प्रसंगानुसार इनके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं।
उत्तर:-
- मन – मेरा मन करता है कि मनभर चावल खरीद लूँ ।
- हर – हर व्यक्ति को कोई हर नहीं सकता है।
- कर – वह अपने कर से पुस्तक वितरक कर दिया।
- अर्थ – आज के अर्थ युग में थोड़ा धन कोई अर्थ नहीं रखता।
- मंगल – मंगल दिन भी मेरा मंगल ही रहेगा।
- पास – तुम्हारे पास वाली लड़की क्या परीक्षा में पास कर गई।
- काल – वह अल्पकाल में ही काल के गाल में चला गया ।
- पर – चिड़िया के पर कट गये, पर वह जीवित था।
इन्हें जानिए
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने निराला के लिए ‘दीनबंधु’ विशेषण का प्रयोग किया है। कुछ अन्य प्रतिष्ठित विभूतियों से संबंधित विशेषण इस प्रकार हैं
- कथा-सम्राट – मुंशी प्रेमचन्द
- मैथिल कोकिल – विद्यापति
- भारत कोकिला – सरोजनी नायडू
- देशरत्न – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- लोकनायक – जयप्रकाश नारायण