Bihar Board Class 7 Geography Chapter 12 Solutions – मौसम और जलवायु

Bihar Board class 7 Geography chapter 12 – “मौसम और जलवायु” is a very important chapter. On this page, students will get complete solutions of this chapter in hindi medium. These answers will help students to learn the topic more precisely.

बिहार बोर्ड की कक्षा 7 की भूगोल की पाठ्यपुस्तक का बारहवां अध्याय “मौसम और जलवायु” हमें पृथ्वी पर विभिन्न मौसमी परिघटनाओं और जलवायु प्रणालियों के बारे में समझने में मदद करता है। इस अध्याय में हम जानेंगे कि मौसम और जलवायु में क्या अंतर है तथा इनके निर्धारक तत्व कौन-कौन से हैं। हम वायुमंडलीय दबाव, तापमान, वर्षा, हवाओं आदि के विषय में भी अध्ययन करेंगे और समझेंगे कि ये कैसे विभिन्न मौसमी घटनाओं को प्रभावित करते हैं। साथ ही हम पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की जलवायु प्रणालियों और उनकी विशेषताओं को भी जानेंगे।

Bihar Board Class 7 Geography Chapter 12

Bihar Board Class 7 Geography Chapter 12 Solutions

SubjectGeography (हमारी दुनिया भाग 2)
Class7th
Chapter12. मौसम और जलवायु
BoardBihar Board

अभ्यास

i. सही विकल्प चुनें-

(1) वर्ष भर एक ही दिशा में बहने वाली पवन है-

(क) स्थानीय पवन
(ख) स्थायी पवन
(ग) सामयिक पवन
(घ) मौसमी पवन

उत्तर- (ख) स्थायी पवन

(2) जलवाष्प का जलरूप में बदलने की क्रिया कहलाती है-

(क) वर्षण
(ख) संघनन
(ग) चक्रवात
(घ) मौसम

उत्तर- (क) वर्षण

(3) कैटरीना क्या है-

(क) एक चक्रवात
(ख) एक ठंडी पवन
(ग) एक स्थानीय पवन
(घ) एक प्रति चक्रवात

उत्तर- (क) एक चक्रवात

ii. खाली जगहों को भरिए-

  1. चक्रवात के केन्द्र में उच्च वायु दाब होता है।
  2. 2 लू एक स्थानीय हवा है।
  3. ऊँचाई के कारण हवाएँ ठंडी होकर संघनन करती है।
  4. विषुवत रेखीय क्षेत्रों में संवहनीय वर्षा होती है।

    iii. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:-

    प्रश्न (1) मौसम के अन्तर्गत किन-किन तत्वों का अवलोकन किया जाता है?

    उत्तर- मौसम के अंतर्गत निम्न तत्वों का अवलोकन किया जाता है – तापमान, वायु का दबाव, वायु की गति, वायु की दिशा, वर्षा, आर्द्रता और बादल की स्थिति।

    प्रश्न (2). जलवायु को परिभाषित करें। जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं ?

    उत्तर- जलवायु किसी क्षेत्र विशेष के मौसम की औसत स्थिति को दर्शाती है। इसका निर्धारण लंबे समय तक मौसम पर निगरानी रखकर किया जाता है। जलवायु के अध्ययन के लिए किसी क्षेत्र के तापमान, वर्षा, वायु की गति व दिशा आदि का औसत डाटा कम से कम 30 वर्षों तक रिकॉर्ड किया जाता है।

    जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक इस प्रकार हैं – पृथ्वी की घूर्णन गति, समुद्र धाराएं, हवा की गतियां, भू-आकृतियां, अक्षांश, समुद्र तल से ऊंचाई, वनस्पतियां, महासागर से दूरी आदि।

    प्रश्न (3). पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों का तापमान अलग-अलग क्यों होता है?

    उत्तर- पृथ्वी पर तापमान का विभिन्नता होना स्वाभाविक है, क्योंकि पृथ्वी की सतह पर धूप की रोशनी आक्षांशानुरूप अलग-अलग कोणों पर पड़ती है। इसके अलावा लैंडफॉर्म, समुद्री धाराएं, हवा की गतियां आदि भी तापमान को प्रभावित करते हैं।

    प्रश्न (4). “तापमान का प्रभाव मौसम पर पड़ता है ।” उचित उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।

    उत्तर- तापमान का मौसम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, गर्मियों में तापमान बढ़ने से पानी का वाष्पीकरण बढ़ जाता है और मौसम गर्म व आर्द्र हो जाता है। जबकि सर्दियों में तापमान कम होने पर वाष्पीकरण कम हो जाता है, आर्द्रता भी कम रहती है और मौसम शुष्क व ठंडा हो जाता है।

    प्रश्न (5). पृथ्वी पर कितने ताप कटिबंध हैं ? इसका क्या महत्त्व है ?

    उत्तर- पृथ्वी पर सूर्य की किरणों की गिरावट के आधार पर तीन प्रमुख ताप कटिबंध होते हैं – उष्णकटिबंध, उपक्रांतिय कटिबंध और धु्रवीय कटिबंध। ताप कटिबंधों का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये जलवायु की स्थिति को निर्धारित करते हैं।

    प्रश्न (6). वायु में गति के क्या कारण हैं ?

    उत्तर- वायु में गति उत्पन्न होने के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं – तापमान अंतर, वाष्पीकरण और संघनन, पृथ्वी की घूर्णन गति, समुद्री धाराएं और पर्वत श्रृंखलाएं। तापमान अंतर के कारण वायु से लेकर पवनों तक की गति उत्पन्न होती है।

    प्रश्न (7). पवन के कितने प्रकार हैं ? प्रत्येक का नाम सहित वर्णन कीजिए।

    उत्तर- पवन के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं – स्थानीय पवन, मौसमी पवन, स्थायी पवन और विरल पवन।

    1. स्थानीय पवन (Local Winds): ये पवनें किसी विशेष स्थान पर उत्पन्न होती हैं और उसी इलाके में प्रभाव डालती हैं। जैसे – समुद्री वायु, भूमि वायु, पहाड़ी वायु और घाटी वायु।
    2. मौसमी पवन (Periodic Winds): ये वायुएं विशिष्ट समय के बाद बदलती हैं। इनमें मानसून पवन और पश्चिमी वायु शामिल हैं। मानसून भारत में गर्मियों और सर्दियों के मौसम में बदलता है।
    3. स्थायी पवन (Permanent Winds): ये पवनें लगभग सभी समय बहती रहती हैं। व्यापारिक पवन और पूर्वी पवन इसके उदाहरण हैं।
    4. विरल पवन (Temporary Winds): ये पवनें अचानक उठती हैं और कुछ ही देर तक रहती हैं। तूफानी पवनें और लू इस श्रेणी में आते हैं।

    प्रश्न (8). स्थलीय समीर एवं समुदी समीर में क्या अंतर है ? स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर- स्थलीय समीर और समुद्री समीर दोनों स्थानीय पवनें होती हैं, लेकिन इनमें निम्नलिखित अंतर होते हैं:-

    1. स्थलीय समीर दिन के समय समुद्र से तटीय भागों की ओर चलती है, जबकि समुद्री समीर रात के समय तटीय क्षेत्रों से समुद्र की ओर बहती है।
    2. स्थलीय समीर तटवर्ती भागों को ठंडा करती है, वहीं समुद्री समीर को गर्म करती है।
    3. स्थलीय समीर की गति अधिक होती है, जबकि समुद्री समीर की गति कम होती है।

    प्रश्न (9). चक्रवात क्या है ? इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर- चक्रवात एक प्रबल वायु प्रणाली होती है जो समुद्र में बहुत तेज गति से घूमती हुई चलती है। इसके केंद्र में बहुत कम वायु दाब और तेज हवाएं होती हैं। चक्रवात के प्रमुख प्रभाव हैं – तूफानी हवाएं, भारी वर्षा, समुद्र में उठती उच्च लहरें, बाढ़ और भूस्खलन। ये आपदाएं व्यापक नुकसान पहुंचाती हैं जिससे मानव जीवन, संपत्ति और पर्यावरण को भारी क्षति होती है।

    प्रश्न (10). वर्षा कैसे होती है ? इसके कितने प्रकार हैं ?

    उत्तर- जब हवा में मौजूद वाष्प ठंडी होकर संघनित होने लगता है, तो छोटे-छोटे जल बूंदों के आकार में बदलने लगता है, जिसे आसमान में बादल का रूप मिल जाता है। ये जल बूंदें बढ़कर बहुत भारी हो जाती हैं और वर्षा के रूप में गिरने लगती हैं।

    वर्षा के मुख्य दो प्रकार होते हैं – निचिलित वर्षा और उथलित वर्षा।

    प्रश्न (11). अत्यधिक वर्षा से क्या-क्या नकसान हो सकते हैं?

    उत्तर- अत्यधिक वर्षा से कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं जैसे – नदियों का उफान, बाढ़, भूस्खलन, फसलों को नुकसान, मकानों और संरचनाओं को क्षति, जन-धन की हानि, सड़कों और पुलों को नुकसान होना। इससे पूरा जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।

    प्रश्न (12). हमें वर्षा जल का संरक्षण क्यों करना चाहिए?

    उत्तर- वर्षा जल का संरक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पानी जीवन का मूल स्रोत है। पानी के अभाव में न तो खेती-बाड़ी हो सकती है और न ही हम जीवित रह सकते हैं। इसलिए वर्षा जल का संरक्षण करके हमें इसे बचाना और सुरक्षित रखना चाहिए। साथ ही इससे भविष्य में होने वाली कमी को भी पूरा किया जा सकता है।

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